मेरा नाम केयूर है. घर में भैया प्रवीण, भाभी रेखा और एक नौकरानी ऋचा हैं. भैया की उमर २३ साल, भाभी की उमर 20 साल और मेरी २१ साल की है. ऋचा अब १७ साल की है और हम सब उसे ऋचा कह कर बुलाते हैं. वो हमारे घर १० साल की उमर से ही काम करती है. ऋचा जब जवान हो गयी तो मैं हमेशा उसे चोदनेने का ख्वाब देखा करता था. वो अभी तक कुँवारी थी. घर में केवल 2 ही रूम हैं. एक रूम में भैया और भाभी और दूसरे में मैं सोता था. ऋचा ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर सो जाती है. कुछ दिन पहले भैया और भाभी को 8-10 दीनो के लिए सुबह के 6 बजे बाहर चले गये थे. घर पर केवल मैं और ऋचा ही रह गये. मौका अच्च्छा था. मैने ऋचा को चोदने का प्लान बनाया. सुबह के 7 बजे मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया. मैने अपने सारे बदन पर खूब साबुन लगाया और जब मेरा 8″ का लंड एक दम खड़ा हो गया तो मैं बचाओ बचाओ की आवाज़ करता हुआ एक दम नंगा ही बाथरूम से बाहर आ गया. ऋचा किचन में चाय बना रही थी. वो जानती थी की मुझे तिलचट्टे से बहुत डर लगता है. वो दौड़ कर मेरे पास आई तो उसने मुझे एक दम नंगा देखा. उसने अपना एक हाथ अपने होठों पर रख लिया और दूसरे हाथ से मेरी तरफ इशारा करते हुए ज़ोर ज़ोर से हसने लगी. वो बहुत देर तक हस्ती रही. मैं जनता था की वो मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए हस रही है, क्यों की मैने चड्धि भी नहीं पहन रखी थी. मेरे लंड पर ढेर सारा साबुन लगा हुआ था. मैने अंजान बनते हुए कहा, क्या हुआ, तू इतना क्यों हस रही है. वो बोली, तुम तो एक दम नंगा हो. तुम ने चड्धि भी नहीं पहनी है. मैं तो जान बुझ कर बाथरूम से नंगा ही बाहर आया था लेकिन उसे दिखाने के लिए मैने अपने हाथो से अपना लंड ढक लिया. ऋचा बोली क्या हुआ, क्यों चिल्ला रहे थे, तिलचट्टा था क्या. मैने कहा हां. वो बाथरूम में गयी और लौट कर आई तो बोली वहाँ तो कुछ भी नहीं है. मैं उसका हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले जाने लगा तो वो शरमाती हुई मेरे साथ बाथरूम में गयी. मैने बाथरूम में के कोने की तरफ इशारा करते हुए कहा, यहीं पर तिलचट्टा था. वो बोली अब तो नहीं है. मैने कहा, भाग गया होगा. वो बोली, तुम नहा लो, तब तक मैं चाय बनती हूँ. उसके बाद वो किचन में चली गयी. मैं जान बूझ कर बाथरूम में टॉवेल और चड्धि नहीं ले गया था. सारे बदन का साबुन धुलने के बाद मैने उसे फिर से पुकारा तो वो दौड़ कर आई और बोली, अब क्या हुआ. मैने कहा, टॉवेल दे दो. मेरा लंड अभी तक खड़ा था और अब उस पर साबुन भी नहीं लगा हुआ था. उसकी निगाह फिर मेरे लंड पर पड़ी और वो शरमाते हुए टॉवेल लेने चली गयी. उसने टॉवेल लाकर मुझे दी और किचन में भाग गयी. सब कुछ मेरे प्लान के मुताबिक चल रहा था. मैने टॉवेल से अपना ससरा बदन सॉफ किया लेकिन जान बूझ कर टॉवेल नहीं पहना. मैने ऋचा को फिर से पुकारा तो वो दौड़ कर आई और बोली अब क्या है. तुम बहुत परेशान कर रहे हो. उसकी निगाह मेरे लंड पर थी जो की अभी तक खड़ा था. मैने कहा, मैं चड्धि भी भूल गया हूँ, चड्धि ला दो. वो चड्धि लाने चली गयी. उसने मुझे चड्धि ला कर दी और खड़ी हो कर ध्यान से मेरे लंड को देखती रही. उसकी आँखें गुलाबी सी होने लगी. मैं समझ गया की अब उसे भी कुछ कुछ होने लगा है. मैं चुप चाप खड़ा रहा. थोड़ी देर तक मेरा लंड देखने के बाद वो बोली, और कुछ तो नहीं चाहिए. मैने कहा, नहीं, अब कुछ नहीं चाहिए. वो कित्सेन में चली गयी. मैने चड्धि को थोड़ा सा फाड़ दिया और टॉवेल पहन कर ड्रॉयिंग रूम में आ कर सोफे पर बैठ गया. मेरा लंड अभी तक खड़ा था और टवल के उपर से सॉफ महसूस हो रहा था. वो चाय ले कर आई और उसने चाय टेबल पर रख दी और मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ कर चाय बनाने लगी. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी निगाह मेरे लंड पर टिकी हुई थी. उसने मुझे चाय दी और मैं चाय पीने लगा. वो अभी भी मेरे लंड की तरफ ही देख रही थी. चाय ख़तम होने के बाद उसने पूछा तुमने चड्धि क्यों नहीं पहनी. मैने उसे चड्धि दिखाते हुए कहा ये तो फटी हुई है. वो बोली लाओ मैं ठीक कर दूँ. मैने कहा, पहले तुम नहा लो, उसके बाद ठीक कर देना. वो बोली ठीक है. ऋचा च्चिपकली से बहुत डरती थी. जब वो नहाने के लिए बाथरूम में चली गयी तो मैं अपने बेडरूम से एक प्लास्टिक की च्चिपकली ले आया और बाथरूम के दरवाज़े के बाहर खड़ा हो गया. मैने के होल से अंदर देखा तो वो अपने सारे कपड़े उतार कर नहा रही थी. उसका जवान और गोरा बदन देख कर मेरा लंड और ज़्यादा टाइट हो गया. उसकी चूत भी एक दम सॉफ थी और उस पर एक भी बॉल नहीं थे. जब वो अपने बदन पर साबुन लगाने लगी तो मैने दरवाज़े के नीचे से वो च्चिपकली अंदर फेक दी. वो साबुन लगती रही. थोड़ी देर बाद जैसे ही उसकी नज़र च्चिपकली पर पड़ी तो वो चिल्लाते हुए एक दम नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गयी. बाथरूम से बाहर आते ही उसने मुझे देखा तो मुझसे एक दम लिपट गयी. उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी. उसके दोनो बूब्स मेरे सीने से सटे हुए थे. उसने मुझे अपनी बाहों में ज़ोर से जाकड़ लिया. मैं उसकी पीठ सहलाने लगा. मेरा टॉवेल खुल कर नीचे गिर चुका था और मेरा लंड उसकी चूत के पास एक दम सटा हुआ था. थोड़ी देर तक वो मुझसे लिपटी रही और मैं उसकी पीठ सहलाता रहा. थोड़ी देर बाद वो थोडा नॉर्मल हुई तो उसे अपने नंगे होने का एहसास हुआ. उसने शरमाते हुए मुझसे कहा, छ्चोड़ दो मुझे. मैने उसे अपनी बाहों में ही जकड़े हुए पूछा, क्यों चिल्ला रही थी. वो बोली, बाथरूम में च्चिपकली थी. मैने उसे अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया और उसका हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले गया. मैने उस से पूछा, कहाँ है च्चिपकली. उसने एक कोने की तरफ इशारा करते हुए कहा, वहाँ है. च्चिपकली देखते ही वो फिर से मुझसे लिपट गयी. मैं उसकी पीठ को सहलाने लगा और वो मुझसे एक दम चिपकी रही. मेरा लंड उसकी चूत के पास एक दम सटा हुआ था. उसकी साँसें अभी भी बहुत तेज चल रही थी. उसके सारे बदन पर साबुन लगा हुआ था. मैं उसकी पीठ सहलाता रहा और थोड़ी देर बाद मैने अपना हाथ धीरे धीरे नीचे करना शुरू कर दिया. पहले मैने उसकी कमर को सहलाया और फिर उसके बाद मैं उसके चूतड़ को सहलाने लगा. वो भी थोड़ा जोश में आ गयी और अपने हाथों से मेरी पीठ को सहलाने लगी. वो कुछ बोल नहीं रही थी ना ही उसने मुझसे अलग होने की कोई कोशिश की. मैं समझ गया की मेरा काम बन चुका है. मैने अपने होठ उसके होठों पर रख दिए. उसके मूह से केवल सस्स….. की आवाज़ निकली. थोड़ी देर बाद मैने अपनी जीभ उसके मूह में डालने की कोशिश की तो उसने अपना मूह खोल दिया. मैने अपनी जीभ उसके मूह में डाल दी और उसके होठों को चूसने लगा. उसने मेरी पीठ को सहलाना जारी रखा. मैने उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खीच लिया तो उसकी चूत मेरे लंड से और ज़्यादा सॅट गयी. वो भी जोश में आने लगी और उसने मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद मैने कहा तुम्हारे बदन का साबुन मेरे बदन पर लग गया है. चलो हम दोनो फिर से नहा लेता हैं. मैने उसे अपने बाहों में जकड़े हुए ही शवर के नीचे ले गया और शवर को चालू कर दिया. वो मुझसे और ज़्यादा चिपक गयी. थोड़ी देर बाद मैने उसके निपल्स को मसलना शुरू कर दिया और उसके होठों को चूमता रहा. वो सिसकारियाँ भरने लगी तो मैने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया. उसने जोश के मारे मेरा लंड पकड़ लिया. मैने उस से कहा, मैं तुम्हारे बदन पर फिर से साबुन लगा देता हूँ तो वो कुछ नहीं बोली. वो शरमाते हुए चुप चाप खड़ी रही और मैं उसके बदन पर साबुन लगाने लगा. उसके सारे बदन पर साबुन लगाने के बाद मैं जैसे ही उसकी चूत पर साबुन लगाने लगा तो वो सिसकारियाँ भरने लगी. उसकी चूत एक दम चिकनी थी. मैने पूछा, अच्च्छा लग रहा है तो वो बोली गुदगुदी हो रही है. मैने उसकी चूत पर साबुन लगता रहा और वो सिसकारियाँ भारती रही. उसके मूह से उफ़फ्फ़….. ऑश…. की आवाज़ निकालने लगी और 2-3 मीं में ही वो झड़ गयी. उसकी चूत एक दम गीली हो चुकी थी. मैने उसके हाथ में साबुन देते हुए कहा, तुम मेरे बदन पर साबुन नहीं लगावगी. वो कुछ नहीं बोली और चुप चाप मेरे बदन पर साबुन लगाने लगी. जब वो मेरे सारे बदन पर साबुन लगा चुकी तो मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, इस पर भी लगा दो. पहले तो वो थोडा शरमाई लेकिन फिर वो मेरे सामने बैठ गयी और मेरे लंड पर धीरे धीरे साबुन लगाने लगी. इस कहानी का शीर्षक ” और नौकरानी की चूत फ़ैल गयी” उसका चेहरा ठीक मेरे लंड के सामने था.
कहानी जारी है…. आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गये पेज नंबर को क्लिक करे …..