ज्योति ने दुर्गेश का अंडरवेअर थोड़ा नीचे कर दिया जिससे दुर्गेश का लंड साँप की तरह फूंकर्ता हुआ बाहर आ गया. दुर्गेश ने ज्योति का सिर पीछे से पकड़ा ऑर उसे अपने लंड पे झुका दिया. ज्योति ने मूह नही खोला तो दुर्गेश ने पीछे से उसकी पीठ पर ज़ोर से गाड़ी की चाभी चुबा दी जिससे ज्योति ने चीखने के लिए मूह खोला ऑर दुर्गेश ने उसे ज़ोर से अपने लंड पे दाब दिया. अब दुर्गेश का लंड ज्योति के गले तक जाकर अटक गया. ज्योति की साँस रुक सी गयी थी. अब दुर्गेश ने उसके बाल पकड़े ऑर तेज़ी से उसका मूह अपने लंड पे चलाने लगा, उपर नीचे करने लगा. दुर्गेश का लंड ज्योति के थूक से भीग कर गाड़ी की लाइट मे बिल्कुल काले नाग की तरह चमक रहा था. येसी हजारो कहानियां है मस्तराम डॉट नेट पर |ज्योति का हर धक्के के साथ थोड़ा सा थूक निकल जाता जो बह कर दुर्गेश की झांतो को गीला कर रहा था. दुर्गेश करीब 20-25 मिनिट तक उसका मूह अपने लंड पे चलाता रहा. ज्योति की गर्दन दर्द करने लगी थी ऑर उसको सांस लेने मे भी परेसानि हो रही थी. दुर्गेश का लंड भी पूरे उबाल पर था ऑर अचानक उसने ज्योति का सिर पकड़ कर ज़ोर से अपने लंड पे दबा दिया. दुर्गेश का लंड ज्योति के मूह मे जाकर फस गया ज्योति की आँखे दर्द के मारे चौड़ी हो गयी थी ऑर उसके गले से गु गु की आवाज़ निकल रही थी. वो दर्द के मारे तड़प रही थी. फिर दुर्गेश के लंड का पानी निकला ऑर ज्योति के गले मे गिरने लगा. ज्योति को ना चाहते हुए भी दुर्गेश का सारा पानी पीना पड़ा. अब दुर्गेश ने लंड उसके मूह से बाहर निकाला ओर ज्योति को पकड़ कर गाड़ी से बाहर ले आया. उसने ज्योति को भी अंजली के पास मे लिटा दिया ऑर उसके पेट पे बैठ गया. ज्योति का पेट दबने की वजह से उसे दर्द हो रहा था वो बोली प्ल्ज़ उठ जाओ मुझे उल्टी हो जाएगी. दुर्गेश ने ये सुनते ही अपनी 3 उंगलिया ज्योति के मूह मे डाल दी ऑर बोला साली रांड़ मेरे लंड का पानी अगर बाहर निकाला तो तेरी मा चोद दूँगा. अब दुर्गेश ने एक हाथ से ज्योति का लेफ्ट बूब पकड़ लिया ऑर दूसरे हाथ से पास लेटी हुई अंजली का लेफ्ट बूब पकड़ लिया. इसी तरह मैने दोनो लड़कियों का राइट बूब अपने दोनो हाथ मे पकड़ लिया. अब हम उन दोनो के चारों मम्मो को हॉर्न की तरह दबा रहे थे ऑर उनके पेट पे उछल रहे थे. उनकी हालत बुरी हो चुकी थी. फिर दुर्गेश उठा ऑर उसने ज्योति को पकड़ के उठाया ऑर लेटी हुई अंजली के पैरों के पास बिठा दिया. फिर उसने ज्योति के कमर पे पैर रख के उसे नीचे दबाया जिससे उसका मूह अंजली की चूत के पास आ गया. अब दुर्गेश ने ज्योति को कहा चल साली मा की लोदी अपनी बहन की चूत चाट. ज्योति ने अपनी जीभ निकाली ऑर अंजली की चूत चाटने लगी. दुर्गेश ने उसकी कमर पे लात मारी ऑर कहा साली ज़ोर से चाट तेरी बहन की सिसकियाँ सुननी चाहिए. लात लगते ही ज्योति एकदम से अंजली के उपर गिर गयी ऑर तुरंत उठ कर अंजली की चूत ज़ोर ज़ोर से चाटने लगी. उसने अपनी जीभ अंजली की चूत मे डाल दिया ऑर चाटने लगी. अब दुर्गेश ने ज्योति के पीछे जाके उसकी कमर को पकड़ के उपर उठा लिया ऑर उसके पीछे जाके उसकी गांड पे 3-4 थप्पड़ मारे ऑर फिर अपना लंड निकाल कर उसकी गांड पे लगा के एक जोरदार धक्का मारा तो ज्योति आगे की तरफ गिर पड़ी जिससे दुर्गेश का लंड उसकी गांड से बाहर निकल गया. अब मैं बीच मे आया ऑर मैने ज्योति को फिर उसी पोज़िशन मे करके उसके पेट मे हाथ डाल के पकड़ लिया ऑर दुर्गेश ने फिर अपना लंड उसकी गांड पा लगा के जोरदार धक्का मारा. ज्योति चिल्ला उठी मर गयी………..बचाओ………कोई.. तो ………..बचाओ. प्ल्ज़ अपना लंड निकाल लो…………मेरी गांड फॅट रही हैउ……..इस तरह चिल्लाति रही. येसी हजारो कहानियां है मस्तराम डॉट नेट पर |मैने ज्योति की कमर पकड़ रखी थी ऑर दुर्गेश उसकी गांड मे अंदर तक अपना लंड डालने की कोशिश कर रहा था. जब दुर्गेश का काफ़ी लंड ज्योति की गांड मे चला गया तो दुर्गेश ने तेज तेज धक्के मारने शुरू कर दिए. ज्योति हर धक्के के साथ आगे की ओर जाने लगती पर मैने उसकी कमर को पकड़ा हुआ था. अब दुर्गेश ने स्पीड बढ़ा दी ऑर उसका लंड ज्योति की गांड मे अंदर बाहर हो रहा था. अब मैं नीचे लेटी अंजली के दोनो तरफ पैर करके खड़ा हो गया ऑर मैने अपना लंड ज्योति के मूह मे डाल दिया. अब ज्योति की गांड मे ऑर मूह मे एक एक लंड था. दुर्गेश उसे धक्का देता तो मेरा लंड उसके मूह मे अंदर तक चला जाता ऑर जब दुर्गेश लंड बाहर निकालता तो वो मेरा लंड भी उसके मूह से निकल जाता. इस तरह हम दोनो उसे काफ़ी देर तक चोद्ते रहे. दुर्गेश हर धक्के के साथ कहता ले रंडी ऑर ले मेरा लंड अपनी गांड मे, तेरी गांड का भुर्ता बना दूँगा, तेरी ऐसी हालत कर दूँगा कि मा की लोदी तुझे अपनी दोनो टाँगे चौड़ी कर के चलना पड़ेगा. दुर्गेश का लंड उसकी गांड मे किसी बम्बू की तरह जा रहा था. येसी हजारो कहानियां है मस्तराम डॉट नेट पर |दोस्तो आगे का हाल ये था कि जब अंजली की मम्मी हॉस्पिटल से घर आई तो उन्होने अंजली और ज्योति को घर नही पाया और उधर मैं भी घर नही था उन्होने पुलिस मे रिपोर्ट दर्ज करा दी . पुलिस ने बहुत जल्दी ही हमे ढूँढ लिया और हम पर अपहरण और बलात्कार का केस चला और दुर्गेश और मुझे 7 साल की सज़ा हुई और आज हम जेल मे रह कर अपने करमो की सज़ा काट रहे है दोस्तो सेक्स आनंद देता है इसमे कोई शक नही लेकिन अपने साथी की रज़ामंदी से अगर वही सेक्स किसी से ज़बरदस्ती किया जाय तो वैसा ही हाल होता है जैसा दुर्गेश और इस भाई का हुआ दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ आपका दोस्त राहुल | तब तक पढ़ते रहिये मस्तराम डॉट नेट और मस्त रहिये एन्जॉय कीजिये | और साथ साथ अपने कमेंट भी लिखते रहिये ताकि मै और भी कहानी लिखता रहू |
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