तो क्या तू अपनी सहेली को चुदते हुए देखने के लिए इस कमरे में वो भी इस पलंग पर लेटी है.’ ‘ तुमने ही तो कहा था के नज़दीक से देख दूर से साफ नज़र नहीं आ रहा होगा.’ ‘ मैने तो इस लिए कहा था के कल तू मेरे बिस्तर पर खुद ही आ कर मेरे से अपनी चूत में मेरा लंड ले चुकी थी तो मैने सोचा के जब तू और तेरी सहेली को कोई एतराज़ नहीं तो फिर मुझे क्या एतराज़ है, इसलिए मैने तुझे अपने साथ पलंग पर आने के लिए कहा था अब तेरी सहेली की चुदाई हो चुकी है तूने भी करवानी है तो अपने कपड़े जलदी से उतार दे मेरा लंड तैयार खड़ा है ऐसा ना हो के तू देर कर दे और यह फिर तेरी सहेली की चूत में चला जाए.’ मैने देखा लंड तन कर खड़ा हो गया था मैने उसे हाथ में लिया और फिर अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी. अनिश तनिषा के मम्मों को चूसने लगा. तनिषा काफ़ी देर से कल्पना की चुदाई देख कर गरम हो चुकी थी उसने कहा अब मम्मों को ही चूसते रहोगे के चूत को भी अपना लंड दोगे.’ अनिश ने तनिषा की चूत में लंड डाल दिया और झटके मारने लगा. नीचे से तनिषा भी उच्छल उच्छल कर पूरे लंड को अपनी चूत में लेने की कोशिश कर रही थी. कल्पना देख रही थी और कहने लगी ‘ अनिश तुम्हे कैसे पता लगा के रात में तनिषा तुमहरे पास आई थी और उस ने चुदाई करवाई थी.’ ‘ तुमने क्या समझा था के मेरे लंड को अपनी चूत जिस का यह एक बार स्वाद चख चुका था को दूसरी चूत का पता नहीं लगेगा.’ ‘ चलो अच्छा हुया तुम्हे बताने की ज़रूरत नहीं पड़ी लेकिन अब यह सोच लो के अगर तुमने तनिषा को अपना लंड दिया है तो मैं तनिषा के पति का लंड लूँगी. हम दोनो ने आज तक कोई काम भी इकट्ठे किया है इसलिए हमारी दोनो सहेलिओं का वायदा था के हम लंड भी इकट्ठे लेंगी और तूने आज हमारी बात रख ली है तो वायदा कर के तुझे कोई एतराज़ नहीं होगा.’ ‘ जब मैने तनिषा की चूत ली है | आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तो इसका पति तेरी चूत लेगा तो मुझे क्या एतराज़ होगा. बलके मैं भी तनिषा की चूत में लंड डालूं गा और तेरी चूत में तनिषा का पति लंड डाले गा वो भी मेरे सामने. लेकिन मेरे ख़याल में तो जब मैं तनिषा को भी वो सब दे रहा हूँ जो इसे अपने पति से मिलने वाला है तो इसे शादी करवाने की क्या ज़रूरत है. मैं दोनो की ज़रूरत पूरी कर सकता हूँ जैसे कल और आज की है’ ‘ शादी करवाने से दो फ़ायदे होंगे एक तो अगर मैं प्रेगञेन्ट होती हूँ तो किसी को कोई एतराज़ नहीं होगा और दूसरे तुम अकेले कब तक हम दोनो की चुदाई करते रहोगे. वैसे तुम्हारी बातों से लगता है के तुम्हे जलन होने लगी’ ‘ मुझे क्यो जलन होगी जब तुम दोनो को जलन नहीं हो रही, लेकिन क्या यह ज़रूरी है के इसका पति भी इस बात के लिए राज़ी हो जाएगा.’ ‘ वो हम पर छोड़ दो जब तुम्हे राज़ी कर लिया है तो उसे भी इसी तरह कर लेंगे.’ कुच्छ महीनो बाद तनिषा की शादी हो गयी. तनिषा के साथ कल्पना ने भी उसके हनिमून पर जाने का प्रोग्राम बना लिया. प्रोग्राम भी मनाली का ही बनाया गया और ठहरने के लिए होटेल और कमरे भी वो ही चुने जिस में पहले कल्पना और तनिषा का हनिमून इकट्ठे ही हुया था. रात को कल्पना और तनिषा ने अपने कमरे बदले और एक दूसरे के पति के साथ हनिमून मनाया. तनिषा के पति को शक भी नही हुया. अगले दिन कल्पना ने तनिषा से पूचछा ‘कौन सा लंड ज़्यादा अच्छा लगा तो तनिषा ने कहा ‘तूने भी तो दोनो का स्वाद लिया है तू बता.’ कल्पना कहने लगी मुझे तो दोनो एक जैसे लगे कोई ज़्यादा फरक़ नहीं लगा और चोदने में भी दोनो एक जैसे ही है’ ‘ मुझे भी दोनो एक जैसे लगे’ तनिषा ने कहा. अनिश ने संजीव (तनिषा का पति) से चाय पीते हुए कहा ‘ संजीव तुमने इस से पहले कभी चुदाई का मज़ा लिया है. सच सच बताना, च्छुपाना कुच्छ भी नही.’ संजीव ने कहा ‘ एक बार पड़ोस में एक औरत रहती थी उससे. मैं तो तब छ्होटा था उसी ने मुझे यह सिखाया था.’ ‘ तो उसके बाद क्या उसने तुझ से चुदाई करवानी छोड़ दी या तूने ही छोड़ दिया.’ नहीं कयी बार की अब तुम बतायो के तुमने कभी किसी और औरत का मज़ा लिया’ ‘ हाँ लिया तो है लेकिन शादी के बाद वो भी दो सहेलिया थी और उन्होने अपनी मरज़ी से मेरे से चुदाई करवाई थी.’आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | ‘ तो क्या अब भी वो तुम से चुदाई करवाती है’ ‘ हां करवाती है और वो भी एक साथ क्या तुम चाहते हो के तनिषा की कोई सहेली तुम से चुदाई करवाए और वो भी तनिषा के सामने.’ ‘ यह कैसे हो सकता है, कोई भी पत्नी अपने पति से किसी औरत को चुदते हुए नहीं देख सकती और ना कोई पति अपनी पत्नी को किसी और से चुदते हुए देख सकता है. क्या तुम अपनी पत्नी को किसी और से अपने सामने चुदते हुए देख सकते हो.’ ‘ क्यो नहीं जब मैं अपनी पत्नी के सामने उसके सहेली को चोद सकता हू तो वो क्यो नहीं मेरे सामने किसी और से चुदवा सकती. अब अगर तुम ने किसी औरत को शादी से पहले चोदा है तो तुम्हे भी तनिषा को किसी और से चुदाई करवाने में कोई एतराज़ नहीं होना चाहिए. तुझे पता है आज कल कयी क्लब ऐसे बने है जहाँ पति पत्नी बदल कर चुदाई करते है.’ ‘ सुना तो मैने भी है ऐसे क्लब के बारे में लेकिन गया कभी नहीं, क्या तुम कभी गये हो.’ ‘ नहीं मुझे क्लब में जाने की क्या ज़रूरत है क्यो ना आज रात हम यह काम इस होटेल को क्लब समझ कर करें.’ ‘ तनिषा और कल्पना मान जाएँगी’ ‘ पहले तू बता के तू राज़ी है.’ ‘ ठीक है तुम राज़ी कल्पना और तनिषा राज़ी तो फिर मुझे का एतराज़ है.’ रात में अनिश ने कल्पना को संजीव के कमरे में भेज दिया और तनिषा उसके कमरे में आ गयी. रात को बदल बदल कर 4 बार चुदाई का दौर चला. दो बार कल्पना ने अनिश का लंड लिया और दो बार संजीव का और ऐसे ही दो बार तनिषा ने अनिश का और दो बार संजीव का लंड लिया. सुबह चाय पर चारों इकट्ठे हुए तो अनिश ने पूछा ‘ रात का प्रोग्राम सब को कैसा लगा.’ सब ने इकट्ठे ही कहा बहुत अच्छा लेकिन अगर यह एक ही कमरे में होता तो ज़यादा अच्छा होता. अनिश ने कहा ‘ ठीक है आज हम चारों एक ही कमरे में एक दूसरी की बीवी को चोदे गे और अपनी को चुदते देखें गे’ तनिषा ने कहा ‘ और इस मुकाबले में जो जीता उस मैं एक गरम गरम चुम्मा दूँगी.’ कल्पना ने कहा ‘ दूसरे नंबर वाले को मैं अपनी चूत का रस पिलाउ गी.’ रात में बीवी बदलो प्रोग्राम चला और होटेल से वापस आने के बाद भी चलता रहता है. इस तरह दो सहेलिओं ने अपने वायदे को निभाया और उनके पति ने उनका साथ दिया.
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गुरु मस्तराम
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें