प्रेषक: रजत
नमस्कार मित्रो, मेरा नाम रजत हैं और मैं आज आप को अपनी गरम पड़ोसन रितिका की बात बतानें जा रहा हूँ. वैसे रितिका आंटी कहना ही ठीक हैं क्यूंकि वो मुझ से 10 साल बड़ी हैं, करीब 30 की. उसका एक बेटा हैं जो 4 साल का हैं. उसका पति अविनाश एक कंपनी में नाईट शिफ्ट करता हैं. रितिका आंटी को सोसायटी में आये हुए कुछ 3 हफ्ते हुए थे तब की यह बात हैं. उनका मकान मेरी बिलकुल बगल में हैं इसलिए वो कभी कभी मुझे कुछ छोटे मोटे काम दिया करती थी. उस वक्त रात के कुछ 8:30 बजे थे लेकिन ठंडी होने की वजह से सोसायटी में कोई बहार नहीं था. मैं अपने घर से बहार निकला और दोस्तों के पास जाने के लिए चल पड़ा. तभी पीछे से आवाज आई, “रजत, बाजार जा रहें हो क्या?” गरम पड़ोसन नीले नाईट गाउन में मैं मुड के देखा की रितिका आंटी अपने दरवाजे से बाहर निकल के खड़ी थी. उसने नीले रंग की नाईट गाउन पहनी थी. साला पूरा शहर ठंडी के चलते गांड में ऊँगलीडाल के सोता था एयर मेरी यह पड़ोसन सिर्फ नाईट गाउन में? सच में उसका नाम गरम पड़ोसन रखना उचित ही था. मैं: हाँ, मैं नुक्कड़ में जाऊँगा. रितिका: मुझे दूध की थेली ला दोंगे? अविनाश नहीं लाये थे आज और वो जॉब पे चले गए. रितिका ने मुझे 20 का नोट दिया और मैं मन में गालियाँ देते ही नुक्कड़ की और बढ़ा. रस्ते में मुझे रितिका आंटी की चौड़ी छाती के ही विचार आ रहे थे. मैं आज से पहले कभी भी उसे नाईट गाउन में नहीं देखा था, और साडी में उसकी वो बड़ी चुंचियां जैसे छिप जाती थी. मेरे लंड में हलचल हुई कुछ, हालांकि मैंने शाम में ही मूठ मारी थी. मैं यही ख्यालों में दूध ले के भी आ गया. कमरे पे नोक करते ही रितिका उठ के आई. उसने दरवाजा खोल के दूध लिया और बोली, “आओ रजत चाय पीते हैं.” मैं सोचा की ठंडी में चाय का न्योता कौन ठुकरायें, लेकीन मैंने फिर भी ना कहा. रितिका आंटी: अरे आओ ना वैसे भी हम दोनों ही हैं, मुन्ना सो गया हैं मुझे भी बोर लग रहा हैं. उसकी बातों में एक खिंचाव था जैसे की. मैंने जूते निकालें और अंदर आ गया. रितिका आंटी की वो नीली गाउन देख के लंड जैसे जींस फाड़ने को उतारू हुआ था. मुझे अभी सभी गरम पड़ोसन आंटी और भाभी की स्टोरी याद आ रही थी जैसे. उनका कमरा छोटा था और किचन भी साथ में ही था. आंटी किचन में चाय बना रही थी और मेरा ध्यान उनकी गांड पे ही था. 5 मिनिट में वो चाय के दो कप ले आई. रितिका आंटी मेरी बगल में ही आके बैठ गई, और उनका कूल्हा मुझे टच भी कर गया. क्या मस्त ठंडी ठंडी गांड थी आंटी की. उन्होंने मुझे चाय दी और बातें करने लगी. आंटी: रजत तुम बड़े अच्छे लड़के हो, मुझे बहुत हेल्प करते हो. मैं अक्सर अविनाश से तुम्हारें बारे में बात करती हूँ. मैं: थेंक्स, पड़ोसियों को काम करना तो अच्छी बात हैं ना. वैसे अविनाश अंकल को नहीं देखा मैंने कभी भी. वो कहाँ काम करते हैं. रितिका: हा हा हा, अरे अविनाश को कभी कभी मैं भी नहीं देख पाती हूँ. वो शादी के तिन महीने के बाद से ही नाईट में लगे हुए हैं. मुन्ना कब बड़ा हुआ वो भी उन्हें पता नहीं हैं. मैं: तो ऐसे तकलीफ नहीं होती हैं. आंटी: तकलीफ औरत को नहीं होंगी तो और किसे होंगी लेकिन कहाँ जाएँ किसे दुखड़े सुनाएँ. मैं: अरे आंटी आप को कभी भी हेल्प की जरुरत हो मुझे बताएं. मैं आप कहेंगी वो कर दूंगा, आप दुखी ना हो. आंटी ने हंस के कहा, “बाबू हर एक चीज के लिए तुझे थोड़ी बूला सकती हूँ.” आंटी के हाथ लगाते ही लंड खड़ा हुआ उसकी यह बात सुन के तो लंड और भी टाईट हो गया. हम दोनों धीरे धीरे चाय पी रहे थे. तभी आंटी को जैसे झटका लगा और उसकी चाय धुल के मेरी जांघ के ऊपर आ गिरी. वैसे एक दो बूंद ही गिरी इसलिए मैं जला नहीं. आंटी तुरंत उठ खड़ी हुई, “सोरी रजत मैं पीछे मुड़ी और चाय गिर गई.” आंटी निचे बैठ के अपने हाथों से मेरी जींस के ऊपर से चाय को साफ़ करने लगी. तभी मेरी नजर उसके गले के निचे पड़ी. उसकी दूध जैसे सफ़ेद चुंचियां हाथ के हिलने से इधर उधर हो रही थी. मेरा लंड और भी टाईट हो गया और शायद रितिका आंटी ने भी यह देखा. उसने मेरी और देखा और मुझे उसकी चुंचियां घूरता पाया. उसने मेरी जांघ पे हाथ मारा और बोली, “तुम तो बड़े बदमाश निकले.” उसने अपने हाथ चुन्चों को छिपाने के काम में लिए और उठ गई. वो फिर से सोफे पे आ बैठी और बोली, “क्या देख रहे थे?” मुझे लगा की वो भड़क गई हैं. मैंने कहा, “कुछ भी तो नहीं.” आंटी ने तिरछी नजर से मुझी देखा और बोली, “मुझे पता हैं तुम क्या देख रहे थे रजत, अब इतने भोले क्यूँ बन रहे हो.” मैं निचे देखने लगा शर्म के मारे. तब आंटी बोली, “अरे घबराओ मत, देख लिया तो देख लिया. लेकिन तारीफ़ भी नहीं की.” मैं आंटी की और देखां और वो हंस रही थी. उसने आँख मारी और बोली, “अविनाश नहीं हैं उसमे मुझे सब से बड़ी अड़चन प्यार में आती हैं, क्या तुम मुझे मेरे हिस्से का प्यार दे सकते हों.” बाप रे….यह गरम पड़ोसन तो चूत मरवाने की बात बिलकुल रोमांटिक अंदाज में कर रही थी. मैं फिर भी उल्लू बनने का नाटक करता रहा. मैं: मैं समझा नहीं आंटी जी. आंटी: आओ मैं तुम्हे समझाऊं. इतना कह के उसने सीधे ही अपनी गाउन को कमर के पास से उपर की और उठा ली. उसने अंदर कोई ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसके बड़े बड़े सफ़ेद चुंचे मेरे सामने नंगे हो गए. मैं अभी भी जैसे कोई सपना देख रहा था. रितिका आंटी ने मेरे हाथ को पकड के अपनी चूंचियों पे रखा और बोली, “यही देख रहे थे ना तुम रजत. ये लो अभी जो करना चाहते हो करो इनके साथ.” मेरी तो जैसे की लोटरी लग गई. मैं आंटी की चुंची को अपनी हथेली में दबाई, लेकिन इतनी बड़ी चुंची मुश्किल से हाथ में आ रही थी. आंटी के स्तन को दबाते ही उसकी आह निकली और उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से दबाया. रितिका आंटी ने अब अपना हाथ बढ़ा के मेरे लंड को सहला दिया और वो बोली, “यह तो पहले से ही खड़ा हो के बैठा हैं. लगता हैं मेरी चुंचियां देख के ही खड़ा हो गया था यह.” आंटी ने गाउन के निचे लंबी बरमूडा पहनी थी. मैं उसकी चुंचियां दबाते हुए उसके नाड़े को धीरे से खोला. बाकी का काम आंटी ने संभाल लिया. उसने अपनी गांड के उपर से धीरे से उस बरमूडा को निचे सरकाया. माय गॉड कितनी सेक्सी लग रही थी उसकी चिकनी चूत.आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | लगता था जैसे इस गरम पड़ोसन ने सभी कुछ प्लान किया हुआ था. उसकी चूत के उपर एक भी बाल नहीं था, जैसे की उसे पता हो की मैं उसे चोदुंगा. आंटी ने मेरा हाथ ले के अपनी चूत पे रख दिया और बोली, “रजत क्या तुमने कभी सेक्स किया हैं?” मैं: किया हैं ना, अपनी गर्लफ्रेंड को कितनी बार चोदा हैं मैंने. आंटी: कभी बड़ी उम्र वाली औरत से सेक्स किया हैं तुमने? मैं: नहीं. आंटी ने अपनी चूत के अंदर ऊँगली डाल के निकाली और मुझे सुंघाई. फिर वो बोली, “रजत असली मजा तो वही मिलता हैं लोगों को. आंटी और भाभी से सेक्स सिखा जाता हैं और लड़कियों पे आजमाया जाता हैं. आजा मेरी चुंचियां चूस ले.” इतना कह के उसने अपनी दोनों चूंचियों को साथ में मिला के दबा दी. ऐसा करने से दोनों स्तन एक दुसरे के करीब आ गए. मैंने आंटी की बड़ी बड़ी निपल्स को अपने मुहं में भर ली और बारी बारी उन्हें चूसने लगा. आंटी ने अपने चुंचे ऐसे ही दबाये रखे और वो मुझे चूसने में मदद कर रही थी. मेरा लंड अब जींस को फाड़ने की कगार पे था. मैंने आंटी की चुंचियां चूसते हुए ही पेंट की क्लिप खोल दी. मैंने पेंट और अंदर की अंडरवेर चूस्सा लगाते हुए ही निकाल फेंकी. आंटी मेरे लंड को देख के पगला सी गई. आंटी: वाऊ रजत कितने इंच का हैं तेरा.? मैंने मुहं को चुंची से दूर कर के कहा, “बस आठ इंच का हैं आंटी जी.” आंटी अपनी चुंचियां छोड़ के घुटनों पे आ बैठी और बोली, “अब इसे चूसने का कितना मन हो रहा हैं मुझे यह कैसे बताऊँ तुम्हे.” मैं: फिर चूस लीजिए ना रोका किसने हैं आप को.” आंटी के मुहं में ही वीर्य निकाला इतना सुनते ही आंटी ने अपना मुहं खोला और जैसे वो किसी ब्रांडेड आइसक्रीम को आँख बंध कर के खाने लगी. सुपाडे के बाद लंड के डंडे को भी उसने आधा अपने मुहं में ले लिया. उसकी जबान मेरे सुपाडे के ऊपर रेंग रही थी और उसके हाथ मेरी कमर के दोनों तरफ थे. आंटी ने फिर एक ही पल में मेरे लंड को गले तक भर लिया और वो अपने मुहं को आगे पीछे करने लगी. मेरा लंड आंटी के मुहं में अंदर बहार हो रहा था. उसने बड़ा सही दबाव बना के रखा था मेरे लंड के ऊपर.आंटी ने पूरी पांच मिनिट मेरे लंड को ऐसे ही दबा दबा के चूसा. मेरी मलाई निकल के एआंटी के मुहं में ही निकल पड़ी. मेरे आश्चर्य के बिच आंटी ने सभी कुछ अपने गले के निचे उतार लिया. फिर उसने लंड को अपनी जबान से चाट चाट के एकदम साफ़ कर डाला. आंटी: देखों पहला लेसन, पहली बार झड़ जाओ तो दूसरी चुदाई लंबी होती हैं. आओ अब फिर से मुझे चुंचो में चुम्मे दो थोड़ी देर तब तक तुम्हारा लंड भी टाईट हो जायेंगा. मैंने आंटी की बात को मानते हुए अपने मुहं को वापस उसके चुंचो में घुसेड दिया. आंटी ने अपने चुंचे खड़े कर के सही तरह से चुसाए. फिर उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ के मलना चालू कर दिया. लंड ढीला पड़ा था जैसे की उसमे जान नहीं थी. लेकिन आंटी ने दो चार बार हाथ चलाये और उसमे जैसे की धीरे धीरे जान आने लगी. आंटी ने अब लंड को जोर जोर से हिलाना चालू कर दिया और मैं भी आंटी के चुंचे जोर से चूस रहा था. आंटी ने लंड को फिर से टाईट कर दिया. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तभी उसके मुन्ने ने नींद में रोना चालू कर दिया. आंटी मेरे लंड को छोड़ के उसके मुन्ने के पास गई और उसे ठपठपा के सुलाने लगी. उस वक्त आंटी आगे झुकी थी और उसकी मस्त चौड़ी गांड पीछे से दिख रही थी. मैंने अपनी टांग लंबी कर के उसके छेद पे पीछे से पाँव का ऊँगल मारा. आंटी ने मुड के देखा और वो हंसने लगी. मैंने ऊँगली को उसकी चूत के छेद पे रख के हिलाई और देखा की आंटी की चूत गीली हो चुकी थी और उसमे से पानी निकल के होंठो में आ चूका था. आंटी ने मुन्ने को छोड़ के अब वापिस मेरे लंड के ऊपर हमला कर दिया. उसने अब लंड पकड के खिंचा और बोली, “मुन्ना मुश्किल से सोया हैं, चलो किचन में ही चलते हैं.” भला मुझे क्या दिक्कत हो सकती थी, यह गरम पड़ोसन चूत दे दे बस फिर जो कहें मैं करने के लिए राजी था. कहें तो मैं आंटी का गुलाम भी बन सकता था. आंटी अपनी गांड को मटकाते हुए चल पड़ी मेरे लंड को हाथ में लिए. किचन में आते ही आंटी ने प्लेटफोर्म पकड लिया और वो थोड़ी आगे झुकी. मैंने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और आंटी के छेद पे सेट कर दिया. आंटी ने भी मेरी मदद की और खुद अपने हाथ से छेद मिलाया. आंटी: रजत मार दो अपनी इस प्यासी आंटी की चूत को. ठोको अंदर अपना लंड, पुरे 3 महीने के बाद मुझे आज यह सुख मिलेंगा. आंटी की बात सुन के मैं तान में आ गया. मैंने जैसे ही एक जोर का झटका मारा आंटी की चूत में मेरा लंड पूरा घुस गया. आंटी की चूत बहुत ही चौड़ी थी लेकिन लंड को अंदर बड़ा ही मजा आ रहा था. जैसे ही लौड़ा अंदर गया आंटी ने फट से अपनी चूत को कस लिया. मेरा लंड आंटी के बूर में टाईट हो गया. मैंने एक हाथ से आंटी के चुंचे पकडे और दुसरे हाथ से प्लेटफोर्म, और लग गया अपने लंड को चूत के अंदर बहार करने. आंटी और थोड़ी झुकी और बोली, “रजत पहले आराम आराम से करो, जल्दी करोंगे तो निकल जायेंगा वीर्य. मुझे आज लंबी चुदाई करनी हैं तुम्हारें साथ.” मैंने आंटी ने जैसे कहा वैसे पहले धीरे धीरे झटके मारे और अपने लंड को चूत की गर्मी के सामने एडजस्ट किया. 5 मिनिट हौले हौले हुई चुदाई के बाद आंटी बोली, “बस रजत अब चोदो जितना जोर से मुझे चोदना चाहों. फाड़ दो मेरी चूत को आज अपने आठ इंच के लौड़े से. और खबरदार एक भी बूंद बहार मत निकालना मेरी चूत में अपने पानी की सिंचाई कर डालो.” बस इतना सुनना था की मैंने अपने लंड को आंटी की चूत के अंदर जोर जोर से मारना चालू कर दिया. आंटी भी जोर जोर से अपनी गांड को हिला के लंड का सामना कर रही थी. आंटी की हिलती गांड देख के मैंने चुंचे छोड़ दोनों हाथ से गांड पकड ली. मैं गांड को आगे पीछे कर के अपने लंड को चूत में अंदर बहार दे रहा था. आंटी के मुहं से आह ह्ह्ह्ह ओह ओह रजत्य्य्यय्य्य्य जोर स्स्स्से और जोर जोर से चोदो मुझे….आह तेराआआआअ लंड कित्नाआआआआ बड़ा हैं…….आह्ह्हह्ह आह्ह्हह्ह ह्ह्हह्ह्ह्….ऐसी आवाजें निकलने लगी. मैं अपने लंड को पूरा निकाल के फिर से आंटी की चूत में डालने लगा. आंटी जोर जोर से अपनी गांड को हिला हिला के मुझ से ऐसे ही 20 मिनिट तक चुदती रही. आंटी की गांड की भी बारी आई फिर मैंने अपने लंड को स्लो किया और बोला, “रितिका आंटी मुझे आप की गांड मारनी हैं…!” रितिका: कोई बात नहीं आज तेरे लिए सब छेद खुलें हैं मेरे जहाँ चाहें डाल दे. लेकिन पूरी रात मुझे चोदना पड़ेंगा. आंटी ने प्लेटफोर्म को छोड़ा और वो निचे लेट गई. आंटी की गांड को मैंने अपने दोनों हाथों से फैलाया और अपने लंड को धीरे से उसमे रख दिया. आंटी की गांड के छेद पे लंड सेट था. गांड का छेद बड़ा सख्त था. आंटी ने अपने हाथ में थोडा सा थूंक लिया और उसे गांड पे मला. फिर उसने अपने हाथ से लंड को छेद पे पकडे रखा. मैंने एक झटका मारा लेकिन लंड का केवल सुपाडा अंदर घुस पाया. और उतने में ही आंटी की चीख सी निकल पड़ी. मैंने सुपाडे को ऐसे ही रहने दिया और पड़ा रहा. पूरी दो मिनिट के बाद फिर मैंने एक झटका दिया और अन की आधा लंड गांड में पेल दिया. आंटी ने अब गांड को छोड़ा और बोली, “रजत पीछे धीरे धीरे ही करना नहीं तो मुझे बहुत दर्द होंगा.” मैंने आंटी की गांड में अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बहार करना चालू किया. अभी भी मैं आधे से ज्यादा लंड को अंदर नहीं डाल रहा था. रितिका आंटी आह आह करते हुए लंड के झटके ले रही थी. एक मिनिट और ऐसे आधे लंड से पेलने के बाद मैंने एक झटके में आंटी की गांड में पूरा लंड भर दिया. आंटी की आह निकल पड़ी. एक मिनिट ऐसे ही पड़ा रहा फिर से मैं अंदर लंड रखे हुए. और फिर आंटी बोली, “चल रजत अब हिला अपना लंड मैं रेडी हूँ.” फिर क्या कहना बाकी था. मैंने अपने लंड को आगे पीछे करना चालू कर डाला आंटी की बुंड में. आंटी आह आह कर के धीरे से अपने कूल्हों को हिलाती रही और मैं अपने लंड को उसके छेद में ठेलता रहा. बस दो मिनिट ही चल सका यह खेल; मेरा लंड फिर से जवाब जो दे गया. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | ढेर सारा वीर्य इस गरम पड़ोसन की गांड में ही निकल गया. जैसे मैं अपने लंड को निकाला मैं देखा की उसकी गांड से वीर्य की बुँदे टपक रही थी. मैं अब घर जाना चाहता था क्यूंकि मैं दो बार के स्खलन से थक चूका था. मैं: चलिए आंटी मैं जाता हूँ, फिर आ जाऊँगा कभी मैका मिला तो. रितिका आंटी: और जो मौका अभी हैं उसे क्यूँ ठोकर मार रहे हो. तुम यही रात रुक जाओ ना. मैं: आंटी मेरी मोम फ़िक्र करेंगी. आंटी: अरे जा के कह दो की दोस्त के वहां जा रहा हूँ, सुबह आऊंगा. फिर मेडिकल से जा के एक गोली वाएग्रा की ले आओ. तुम्हे रात में मजा ना कराऊँ तो कह देना. और जैसे इस आंटी ने कहा मैं घर जा के बहाना बना के मेडिकल गया. वहां से मैंने गोली ली और वापिस आंटी के घर आया. उस रात इस गरम पड़ोसन ने मुझे सच में बड़े मजे करवाएं. तिन बार चुदाई हुई और दो बार मैंने इस हॉट पड़ोसन की गांड में डंडा किया. जल्दी सुबह उसने मुझे उठा के अपने घर से निकाला. और उस रात के बाद तो मैं रितिका आंटी के घर अक्सर रात बिताने लगा हूँ. आंटी सच में मुझे चुदाई के नितनए तरीके बताती हैं. तो आप को कैसी लगी मेरी गरम पड़ोसन?