मैं नर्गिस हूँ और मेरी शादी अनिश के साथ हुई है. मेरी एक छोटी बहन जिसका नाम पिंकी है उसकी शादी गिरीश के साथ हुई है. वो मुझसे 1 साल छोटी है. हम दोनो की शादी एक साथ ही हुई थी. हमारी शादी हुए अभी 6 मंत्स ही हुए थे कि पिंकी 10 दीनो के लिए मेरे घर आई. मेरे घर में मेरे अलावा मेरे पति, अनिश और मेरा एक देवर अमर ही हैं. अमर 20 साल का है. वो दिखने में बहुत ही स्मार्ट है. वो बहुत ही चंचल है और मुझे हमेशा छेड़ता रहता है. उसके छेड़ने में मुझे बहुत मज़ा आता है और मैं भी उसे छेड़ती हूँ. अनिश उसे बहुत मानते हैं और मैं भी. जब पिंकी हमारे घर आई तो अमर ने पिंकी को भी उसी तरह छेड़ना शुरू किया जैसे वो मुझे छेड़ना है. पिंकी को भी उसका छेड़ना अच्च्छा लगने लगा और वो भी अमर को छेड़ने लगी. पिंकी के आने के दूसरे ही दिन अनिश को ऑफीस के काम से 15 दीनो के लिए बाहर जाना पड़ा. दूसरे दिन सुबह 5 बजे अनिश बाहर चले गये. अनिश के जाने के बाद मैं और पिंकी आपस में बातें करने लगे. बातों हो बातों में पिंकी ने कहा अमर बड़ा हॅंडसम है. मैं और पिंकी दोनो बहुत ही सेक्सी भी हैं. मैने उस से पूछा इस से तेरा क्या मतलब है. कहीं तू उस से चुदवाने की तो नहीं सोच रही है. वो बोली इसमें क्या बुराई है. अनिश भी तो बाहर गये हैं और घर में हम दोनोके अलावा केवल अमर ही है. मैने कहा लेकिन उसे पटाया कैसे जाए. कहीं उसने अनिश से बता दिया तो क्या होगा. पिंकी बोली अगर वो अनिश से कुच्छ कहेगा तो हम कह देंगे कि हम उसे छेड़ रहे थे. मैने कहा ठीक है. चलो उसके बेडरूम में चलते हैं. अमर की आदत थी कि वो अपने सारे कपड़े उतार कर केवल एक लूँगी पहन कर सोता था. जब हम उसके रूम में पहुचे तो पिंकी ने अमर पर नज़र पड़ते ही अपने मूह पर हाथ रख लिया. पिंकी आगे आगे थी और मैं उसके पिछे. मैने पिंकी से पूछा क्या हुआ तो वो बोली खुद ही देख लो. जैसे ही मैने अमर की तरफ देखा तो मैने भी अपने मूह पर हाथ रख लिया. अमर की लूँगी खुल कर अलग पड़ी हुई थी और उसका लंड एक दम खड़ा था. हम दोनो उसके लंड के साइज़ को देखकर हैरान रह गयी. अमर का लंड 9″ लंबा और बहुत ही मोटा था. उसका लंड एक दम गोरा था और उसके लंड का सूपड़ा एक दम गुलाबी था. ऐसा लंड मैने आज तक नही देखा था. अमर गहरी नींद में सो रहा था. हम दोनो उसके लंड को बहुत देर तक देखते रहे. मेरी चूत उसके लंड को देखकर गीली हो चुकी थी. मैने पिंकी से पूछा अमर से चुदवाने के बारे में क्या ख़याल है. पिंकी बोली दर्द तो बहुत होगा लेकिन मज़ा भी खूब आएगा. थोड़ी देर तक उसका लंड देखने के बाद हम दोनो ने उसे जगाया. वो उठा तो अपना लंड खुला देख कर शर्मा गया. उसने अपनी लुगी उठानी चाही तो पिंकी ने झपट कर उसकी लूँगी उठा ली. वो अपना सिर नीचे किए हुए मुझसे बोला भाभी लूँगी दे दो प्ल्ज़. मैने कहा तुम ऐसे ही बहुत अच्छे लग रहे हो. पिंकी ने अमर से कहा मुझे तुम्हारा लंड बहुत अच्च्छा लग रहा है. मैं इसे पकड़ कर देख लूँ. वो कुच्छ नही बोला. पिंकी उसके बगल में बैठ गयी और उसने अमर का लंड अपने हाथो में ले लिया. थोड़ी देर तक पिंकी अमर के लंड को देखती रही फिर उसने अमर का लंड सहलाना शुरू कर दिया. अमर जोश के मारे पागल सा हुआ जा रहा था. पिंकी ने अमर से पूछा तुमने आज तक किसी लड़की के साथ किया है. वो शरम के मारे चुप रहा. पिंकी ने उस से फिर से पूछा तो वो शरमाते हुए बोला एक बार किया है. पिंकी ने पूछा उस लड़की को तकलीफ़ नहीं हुई थी. वो बोला वो बहुत चिल्ला रही थी और पूरा अंदर नहीं ले पाई थी. पिंकी ने कहा ठीक है. मैं इसे पूरा अंदर लेकर देखूँगी कि कैसा लगता है. मैने आज तक इतना बड़ा लंड नहीं देखा था. अमर बहुत ही ज़्यादा जोश में आ गया था और झड़ने वाला था. वो पिंकी से बोला प्ल्ज़. अपना हाथ हटा लो नहीं तो ये गंदा हो जाएगा. मेरा जूस निकलने वाला है. पिंकी बोली मैं तुम्हारा जूस अपने मूह में लेना चाहती हूँ. इतना कह कर पिंकी ने अमर का लंड अपने मूह में ले लिया और चूसने लगी. मैं खड़ी होकर सब देख रही थी. पिंकी को अमर का लंड मूह में लेते हुए देखकर मैं जोश से एक दम पागल सी हो रही थी और थोड़ी ही देर में मेरी चूत से पानी निकलने लगा. पिंकी अमर का लंड चूस रही थी. थोड़ी देर बाद अमर के लंड से भी पिंकी के मूह में पानी निकलने लगा. पिंकी ने सारा पानी निगल लिया और फिर उसका लंड चट चट कर सॉफ कर दिया. उसके बाद हम अमर को साथ लेकर नहाने के लिए बाथरूम चले गये. मैने और पिंकी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नहाने लगी. अमर को पिंकी ने लूँगी नहीं पहन ने दिया था और वो भी एक दम नंगा था. उसका लंड अब ढीला पड़ चुका था. पिंकी ने अमर से कहा मेरे सारे बदन पर साबुन लगाओ. वो पिंकी के बदन पर साबुन लगाने लगा. जब वो पिंकी के बदन पर साबुन लगाने लगा तो उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. जब वो पिंकी के सारे बदन पर साबुन लगा चुका तो पिंकी ने कहा अब तुम अपनी भाभी के बदन पर भी साबुन लगाओ. उसने शरमाते हुए मेरे बदन पर भी साबुन लगाना शुरू किया. मेरे बदन पर साबुन लगाते समय उसके हाथ कांप रहे थे. मैने अमर से कहा देवर जी ज़रा ठीक से साबुन लगाओ तो वो तेज़ी से साबुन लगाने लगा. अब तक अमर का लंड पूरी तरह से खड़ा हो कर एक दम टाइट हो चुका था. जब वो मेरे बदन पर साबुन लगा चुका तो पिंकी ने अमर से कहा अब हम दोनो तुम्हारे बदन पर साबुन लगाएँगे. मैने और पिंकी ने अमर के बदन पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. पिंकी ने उसके लंड को साबुन लगा लगा कर खूब रगड़ा. पिंकी का हाथ लंड पर लगने से अमर जोश से पागल हुआ जा रहा था. मैं भी पिंकी को उसके लंड पर साबुन लगाता हुआ देख रही थी और मेरा चेहरे अमर के लंड के ठीक सामने था. थोड़ी देर में ही उसके लंड ने पिचकारी चला दी तो उसके लंड का जूस मेरे चेहरे पर आ कर गिरने लगा. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | पिंकी ने कहा अमर तुमने तो अपनी भाभी के साथ लंड की पिचकारी से होली मना ली. उसके बाद पिंकी ने मेरे चेहरे पर से अमर के लंड का सारा जूस चॅट लिया. फिर पिंकी ने अमर से कहा अब तुम अपनी भाभी की चूत पर साबुन लगा लगा कर रागडो. अमर थोड़ा शरमाते हुए मेरी चूत पर साबुन लगाने लगा. वो साबुन लगा लगा कर मेरी चूत को खूब रगड़ रहा था. उसके साबुन लगाने से मैं बहुत ज़्यादा जोश में आ गयी और झड़ गयी. उधर पिंकी भी पूरे जोश में आ चुकी थी. जब मैं पूरी तरह से झड़ चुकी तो उसने अमर से कहा अब तुम मेरी चूत पर साबुन लगा लगा कर रागडो. अमर अब पिंकी की चूत पर साबुन लगा कर रगड़ने लगा. थोड़ी देर रगड़ने के बाद पिंकी भी झड़ गयी. उसके बाद हम दोनो ने अमर के लंड को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया. हम दोनो के चूसने से अमर का लंड एक दम टाइट हो गया और थोड़ी देर में वो झड़ गया. हम दोनो ने उसके लंड का सारा पानी चट लिया. अब तक अमर की शरम बहुत हद तक कम हो चुकी थी. वो बोला मुझे आज तक ऐसा मज़ा नहीं मिला था. उसके बाद हम सब नहाने लगे. नहाने के बाद हम नंगे ही बाहर आ गये. अमर ने जब कपड़ा पहन ना चाहा तो पिंकी ने कहा आज तुम ऐसे ही एक दम नंगे रहोगे. उसके बाद मैं पिंकी के साथ नाश्ता बनाने किचन में चली गयी. अमर भी हम दोनो के साथ किचन में आ गया. हम दोनो नाश्ता बना रहे थे और वो हम दोनो के पिछे खड़ा हो कर अपने दोनो हाथों से मेरी और पिंकी के चूतड़ को सहलाने लगा. हम दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था. वो भी अब पूरी तरह से हम दोनो की चुदाई के लिए तय्यार था. नाश्ता बनाने के बाद हम नाश्ता ले कर बाहर आए और हम सबने नाश्ता किया. नाश्ता करने के बाद मैने अमर से पूछा कि तुम हम दोनो में से किसे पहले चोदना चाहोगे. वो बोला मैं तो पहले पिंकी को ही चोदुन्गा. आप तो घर में ही रहती हैं. आप को जब चाहूँगा चोद दूँगा. पिंकी ने कहा ठीक है. पिंकी ने अमर से कहा अब तुम कालीन पर लेट जाओ. अमर लेट गया. पिंकी ने उसका लंड अपने हाथ में ले लिया और सहलाना शुरू कर दिया. अमर जोश में आने लगा और थोड़ी ही देर में उसका लंड एक दम लोहे जैसा हो गया. उसके बाद पिंकी लेट गयी और उसने अमर से अपने उपर 69 की पोज़िशन में होने को कहा. अमर 69 की पोज़िशन में हो गया. पिंकी ने अमर से अपनी चूत चाटने को कहा और खुद उसका लंड मूह में ले कर चूसने लगी. अमर ने पिंकी की चूत को चाटना शुरू कर दिया. पिंकी बहुत जोश में आ गयी और सिसकारियाँ भरते हुए अमर का लंड चूस रही थी. 5 मिनट बाद पिंकी ने अमर से कहा, अब मुझे बर्दस्त नहीं हो रहा है. अब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल कर खूब ज़ोर ज़ोर से चोदो मुझे. अमर पिंकी की टांगो के बीच आ गया और उसने पिंकी की चूत की लिप्स को फैला कर अपने लंड का सूपड़ा बीच में रख दिया. मैं भी पिंकी के पास बैठी थी. अमर ने पिंकी की टाँगो को पकड़ कर दूर दूर फैला दिया और अपना लंड पिंकी की चूत में डालने लगा. पिंकी इतने बड़े लंड से चुदवाने की आदि नहीं थी. जैसे ही अमर के लंड का सूपड़ा पिंकी की चूत में घुसा तो दर्द के मारे उसके मूह से एक सिसकारी सी निकल पड़ी. अमर ने थोड़ा और ज़ोर लगाया तो उसका लंड पिंकी की चूत में 3″ तक घुस गया. इस बार पिंकी को ज़्यादा दर्द हुआ और वो चिल्लाने लगी. अमर रुक गया और बोला तुम मुझसे चुदवाने के लिए तड़प रही थी और अब चिल्ला रही हो. अभी तो मेरा आधा लंड भी तुम्हारी चूत में नहीं घुसा है. मैं तो आज तुम्हारी चूत में पूरा लंड डाल कर ही रहूँगा. पिंकी बोली तुम्हारा लंड बहुत लंबा और मोटा है, मुझे बहुत दर्द हो रहा है इसी लिए मैं चिल्ला रही हूं. तुम मेरी चिंता मत करो और अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दो. मुझे तो तुमसे खूब चुदवाना है.
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