दोस्तों आज एक मजेदार कहानी पेश कर रहा हु ये कहानी एक परिवार के ग्रुप सेक्स पर आधारित है क्या करे आज का जमाना ही बदल गया है वैसे भी लोग चुदाई के मायने में खुलते जा रहे है एसे लगता है आने वाले कुछ दिनों में कोई भी किसी को भी चोद सकेगा मेरा भी मानना है की यार चूत तो बस एक मशीन की तरह है और लंड भी एक मशीन की तरह है कोई उसे यूज कर ले तो क्या हो जायेगा और ये रिश्ते नाते तो अपनी जगह है तो दोस्तों लीजिये मेरी कहानी पढ़ लीजिये | दिल्ली जैसे बडे शहर मेँ किंजल अपने पति अमोद और अपने एक १८ साल के बेटे निमेश के साथ रहती थी । बडा खुशहाल परिवार था उसका । अमोद का छोटा भाई प्रतिक अपनी पत्नी के साथ बाहर रहता था । एक दिन निर्मला और प्रतिक अपने बडे भाई अमोद और किंजल के घर पर आये हुये थे । उस वक्त सब लोग एक प्यार की कहानी पर आधारित जो इस फिल्म देख रहे थे । आम मसाला फिल्म की तरह इस फिल्म में भी कुछ कामुक दृश्य थें । एक आवेशपूर्ण और गहन प्यार दृश्य आते ही निमेश कमरें को छोड़ कर जा चुका था । अमोद और किंजल दृश्य के आते ही और लड़के के कमरा छोड़ने के कारण जम से गये थे ।
घर के ऊपर और सब सोने के कमरें थे और और शाम को जब से ये लोग आये थे, कोई भी ऊपर नहीं गया था । नौकर सामान लेकर आया था और अमोद, प्रतिक शराब के पैग बना रहे थे । महिलायें भी इस वक्त उनके साथ बैठ कर पी रही थी । हालांकि परिवार को पूरी तरह से माता पिता की रूढ़िवादी चौकस निगाहों के अधीन रखा गया था । बड़ों के आसपास होने पर महिलायें सिंदूर, मंगलसूत्र और साड़ी परंपरागत तरीके से पहनती थी । प्रतिक के बड़े भाई होने के नाते, निर्मला के लिए, अमोद भी बङे थे और वह अपने सिर को उनकी उपस्थिति में ढक कर रखती थी । लेकिन चूंकि, दोनों प्रतिक और अमोद बड़े शहरों में और बड़ी कंपनियों में काम करने वाले है, सो उनके अपने घरों में जीवन शैली जो बड़े पैमाने पर उदार है । निर्मला और किंजल दोनो हो बङे शहरों से थी अतः उनके विचार काफी उन्मुक्त थे । लेकिन ये सब के चलते एक बहुत बडा राज छुपा हुआ था उस घर मेँ जो सिर्फ अमोद और निर्मला को ही मालुम था । दोनों महिलायें हमेशा नये फैशन के कपङे पहन कर ही यात्रा करती थी, खासकर जब घर के माता पिता साथ नहीं होते थे । हालांकि, दोनों की उम्र में दस साल का अंतर है, किंजल अपनी वरिष्ठता का उपयोग करते हुए घर में नये फैशन की सहमति बनाती थी । इस प्रकार, बिना आस्तीन के ब्लाउज, पुश ब्रा, खुली पीठ के ब्लाउज और मेकअप का उपयोग होता था । आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है
हालांकि, यह स्वतंत्रता केवल छुट्टीयां व्यतीत करते समय के लिये ही दी गई है । सामान्य दिनचर्या में ऐसी चीजों के लिये कोई जगह नहीं थी । वे अक्सर सेक्स जीवन की बातें आपस में बाटती थीं और यहाँ से भी दोनों में काफी समानतायें थीं । दोनों ही पुरुष बहुत प्रयोगवादी नहीं थें और सेक्स एक दिनचर्या ही था । लेकिन अगली पीढ़ी का निमेश बहुत अलग था । वह एक और अधिक उदार माहौल में, भारत के बड़े शहरों में बङा हुआ था । लड़का बड़ा हो गया था और बहुत जल्द ही अब एक पुरुष होने वाला था । ये बात भी निर्मला ने इस बार नोट की थी । फिल्म में प्रेम दृश्य आने पर वह कमरा छोड़कर गया था इसी से स्पष्ट था उसें काफी कुछ मालूम था । बचपन में गर्मीयों की छुट्टी निमेश निर्मला के यहां ही बिताता था । आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है एक छोटे लड़के के रूप में निर्मला उसको स्नान भी कराती थी । कई बार प्रतिक की कामोद्दीपक उपन्यास गायब हो जाते थे वह खोजने पर वह उनको निमेश के कमरे में पाती थी । इस बारे में सोच कर ही वह कभी कभी उत्तेजित हो जाती थी पर निमेश के एक सामान्य स्वस्थ लड़का होने के कारण वह इस बारे में चुप रही । निमेश के कमरा छोडने के फौरन बाद, अमोद और
प्रतिक भी थकने का बहाना बना कर जा रहे थे ।
निर्मला को कोई संदेह ना था कि ये क्या हो सकता है । किंजल से उसकी नजरें एक बार मिली थी । पर किंजल अपनी चेहरे पर एक शरारती मुस्कराहट भरी और सीढ़ियों पर चल दी । शराब का नशा होने के बाद भी फिल्म का असर निर्मला पर काफी अच्छा रहा था । फिल्म के उस प्रेम दृश्य में आदमी उस औरत को जानवरों की तरह चौपाया बना कर चोद रहा था । अपने कॉलेज के दिनों में निर्मला ने इस सब के बारें में के बारे में अश्लील साहित्य में पढ़ा था और कुछ अश्लील फिल्मों में देखा भी था लेकिन अपने पति के साथ कभी इस का अनुभव नहीं किया । इस विषय की चर्चा अपने पति से करना उसके लिये बहुत सहज नहीं था । उनके लिए सेक्स शरीर की एक जरूरी गतिविधि थी । निर्मला ने अपने आप को चारों ओर से उसके पल्लू से लपेट लिया । इन मादक द्रुश्य के प्रभाव से उसे एक कंपकंपी महसूस हो रही थी । इस वक्त वह सोच रही थी कि प्रतिक अब कहां हैं? निर्मला को नींद आ रही थी और उसने ऊपर जाकर सोने का निर्णय लिया ।
ऊपर जाते ही न जाने कहाँ से जेठानी आ गयी, “सो, कैसा चल रहा है सब कुछ”, निर्मला ने पूछा । “क्या कैसा चल रहा है?” किंजल ने शंकित स्वर में पूछा । “वहीं सबकुछ, आपके और भाई साहब के बीच में..” निर्मला ने किंजल को कुहनी मारते हुये कहा । दोनों के बीच सालों से चलता आ रहा था इस तरह का मजाक और छेड़खानी । “आह, वो”, किंजल ने दिमाग को झटका सा दिया । “दीदी, क्या हुआ?” निर्मला के स्वर ने किंजल के विचारों को तोड़ा । “नहीं, कुछ नहीं । आओ, हॉल में बैठ कर बातें करते हैं” । साड़ी के पल्लू से अपने हाथ पोंछती हुई किंजल बाहर हॉल की तरफ़ बढ़ गई । हॉल में इस समय कोई नहीं था । दोनों मर्द अपने अपने कमरों मे सोने चले गये थे और निमेश का कहीं अता पता नहीं था । किंजल सोफ़े पर पसर गई और निर्मला उसके बगल में आकर जमीन पर ही बैठ गयी ।
“आपने जवाब नहीं दिया दीदी ।”
“क्या जवाब?” किंजल झुंझला गयी । ये औरत चुप नहीं रह सकती । निर्मला के कन्धे पर दबाव बढ़ाते हुये किंजल ने कहा ।
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