भाई के लंड पर मम्मी और बहन लट्टू-1
दोस्तों मै राहुल आज भाई के लंड पर मम्मी और बहन लट्टू का दूसरा भाग लिख रहा हूँ | अभी तक आपने पढ़ा … खास कर उसकी एक इच्छा बहुत ज़्यादा थी कि उसका पति उसकी फूली चूत और गांड को नंगी करके खूब चूमे और चाते और अपना लंड खूब चूसाए मतलब संध्या को ओरल सेक्स फ़िल्मो मे देख देख कर काफ़ी अच्छा लगता था और वह शादी के पहले से ही ओरल सेक्स करने के लिए तरस रही थी लेकिन यहा उसका अरमान पूरा नही हुया क्यो कि आकाश सिर्फ़ सदा सिंपल सेक्स ही करता था और शर्म के मारे संध्या अपने पति को बोल भी नही पाती थी इस लिए महीना भर चुदने के बाद भी उसकी प्यास बढ़ती ही गई कम नही हुई…… और अब आगे….. सुबह का नाश्ता करके आकाश और उसके पापा अपने अपने काम पर चले गये सिमरन नहाने बाथरूम मे घुस गई, आकृति और संध्या किचन मे थे और किशन सोफे पर बैठा अपनी किताब पढ़ रहा था संध्या जल्दी ही घर के सभी लोगो से घुल मिल गई खास कर आकृति, सिमरन और किशन से, आकृति भाभी आज आपकी शादी को एक महीना हो गया है अब आपको कैसा लग रहा है.. संध्या क्यो ऐसा क्यो पूछ रही हो आकृति मतलब जब कुवारे और शादीशुदा होने पर कुछ तो अलग लग रहा होगा, संध्या अलग तो कुछ नही है बस एक चीज़ का फ़ायदा हो जाता है, आकृति तपाक से वह क्या अरे सब्जियो का जैसे बेगन, मूली, केले आदि का खर्चा बच जाता है, आकृति झेप्ते हुए तुम भी ना भाभी, संध्या अरे मे क्या ग़लत कह रही हू बता, बोल ना, मुझे नही पता भाभी अच्छा क्या तूने कच्ची सब्जिया कभी नही खाई.. तुम भी ना भाभी कहाँ की बात कहाँ ले गई. मे जाती हू अरे रुक ना आकृति भाग कर अपने कमरे मे आ जाती है थोड़ी देर बाद संध्या भी आकृति के कमरे मे आकर अरे आकृति तू चली क्यो आई, बस ऐसे ही भाभी, संध्या क्यो मेरी बात अच्छी नही लगी, आकृति नही वो बात नही है भाभी, तो तेरा मतलब है तुझे मेरी बात अच्छी लगी, भाभी तुम बहुत मज़ाक करती हो, भाई इसमे मज़ाक की कोन सी बात है मेने तो बहुत बेगन और केले खाए है क्या तू नही खाती, क्या भाभी आप भी, अच्छा सच सच बता, आकृति मे नही जानती, तू अपनी भाभी से सर्माती है, और माल इतने मोटे मोटे छुपा रखे है आकृति के टी-शर्ट के उपर से चुचे मसलती हुई, आकृति आह भाभी क्या कर रही हो जाओ मे तुमसे बात नही करती, अरे मेरी प्यारी ननद तो बुरा मान गई चल अच्छा अब नही करती और दोनो मुस्कुराने लगी. तभी किशन अंदर आते हुए अरे भाभी एक कप चाय मिलेगी क्या, संध्या अरे मेरे प्यारे देवेर जी चाय के बजाय दूध पिया करो तो तुम्हे ताक़त मिलेगी, अरे भाभी मे तो वैसे ही बहुत ताकतवर हू बताओ कहाँ ताक़त लगाना है, अरे देवेर जी जब मोका आएगा तो दूध की ताक़त ही काम आएगी यह कह कर आकृति और संध्या दोनो खिलखिला कर हस पड़ी. सिमरन सुबह सुबह जब किशन को जगाने उसके रूम मे गई तो किशन गहरी नीद मे सो रहा था सिमरन की नज़र किशन के पाजामे पर पड़ी जहा काफ़ी बड़ा तंबू बना हुआ था सिमरन चुदास से भर गई और अपनी रसीली चूत को मसल्ने लगी और धीरे से पाजामे के उपर से किशन के लंड को अपने हाथो से पकड़कर उसकी मोटाई का जयजा लेने लगी किशन के लंड की मोटाई के एहसास ने उसे पागल कर दिया..बाप रे कितना मोटा डंडा है मेरे बेटे का, किशन कसमसाता हुआ सिमरन ने जल्दी से उसका लंड छोड़ा और बोली बेटा उठो सूरज सर पर चढ़ चुक्का है और फिर नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गई, किशन के मोटे लंड के एहसास से सिमरन की चूत मे पानी आ चुक्का था वह चुदास से भर चुकी थी उसने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई और अपने गदराए बदन को शीशे मे देखने लगी और अपने हाथो से अपनी चूत और चुचिया मसल्ने लगी, आज वह बहुत मस्ती मे आ चुकी थी उसने अपनी चूत के बाल साफ कर चूत को बिल्कुल चिकना कर लिया वह मन ही मन सोच रही थी कि किशन को आज अपनी फूली हुई चिकनी चूत के दर्शन करवाएगी यह सोच कर वह फटाफट नाहकार साडी ब्लाउज पहनने लगी और उसने साडी अपने उठे हुए पेट की चौड़ी और गहरी नाभि के काफ़ी नीचे से बाँधी और जानबूझ कर पैंटी नही पहनी. सिमरन जब बाहर निकली तो किशन सोफे पर बैठा था, किशन की नज़र अपनी मा के उठे हुए पेट और गहरी नाभि पर पड़ी तो वह देखता ही रह गया, मन ही मन वह मा कितनी मस्तानी घोड़ी लग रही है तू दिल करता है तेरी गहरी नाभि और गुदाज पेट मे अपना मूह डाल कर पी जाउ, सिमरन वाकई इतनी मस्त और सेक्सी लग रही थी कि किशन एक टक उसके मासल पेट को देखता ही रह गया, सिमरन किशन की नज़रो को समझ गई कि किशन अपनी मा को चोदने की नज़र से उसके नंगे रूप को देख रहा है | दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उसकी चूत तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी फिर उसकी नज़र भी किशन के पाजामे मे सर उठाए उसके मोटे लंड पर पड़ी और वह सनसना गई और अपने बेटे के पास जाने लगी, किशन अपनी मा को धीरे धीरे अपनी और आते देख उसका लंड तन्तनाने लगा, सिमरन किशन के पास आकर सोफे पर बैठ गई, आज पहली बार दोनो मा बेटे के लंड और चूत एक दूसरे मे समा जाने के लिए मचल रहे थे, सिमरन जानती थी कि किशन अब उससे रोज की तरह चिपक कर मा से प्यार का बहाना करके उसके मस्ताने जिस्म के मज़े लेगा और हुआ भी ऐसा ही, सिमरन उठ गया मेरा राजा बेटा, किशन मा के मोटे मोटे चुचियो मे अपना मूह डाल के क्या मा तुम सोने भी नही देती हो, अरे मेरे राजा कितना सोएगा और सिमरन ने भी किशन को अपने बदन से कस कर चिपका लिया और एक जवान मर्द का जिस्म महसूस करके अपने बेटे के गाल और गर्देन को चूमने लगी, मेरा प्यारा बेटा,,,किशन ने भी अपनी मा के गुलाबी गालो और गर्देन पर अपना मूह रगड़ते हुए सिमरन को पूरी अपने बाहो मे भर लिया और अपने हाथ को मा की मोटी गांड पर ले जाकर उसकी गांड को सहलकर महसूस करने लगा, दोनो मा बेटे के चूत और लंड पानी पानी हो चुके थे, दोनो ओर वासना पूरे उफान पर थी दोनो ही आनंद के सागर मे डूबे एक दूसरे के बदन को कस कर दबोच रहे थे, कोई भी किसी को छोड़ने का मन नही कर रहा था, किशन अपनी मा के जिस्म की मादक खुश्बू से मदहोश हो रहा था. मा आप बहुत अच्छी हो और अपनी मा का मूह पकड़ कर उसके गालो को चूम लिया, मन तो कर रहा था कि अपनी मा के रसीले होटो को पी जाए लेकिन वह कर नही सकता था, सिमरन तू भी तो मेरा प्यारा बेटा है और किशन को अपनी मोटी छातियो से लगा लिया और मन ही मन सोचने लगी ले ले बेटा अपनी मम्मी की मदमस्त जवानी का मज़ा, दूसरी ओर किचन से संध्या ने दोनो मा बेटे का मिलाप देख लिया उसे थोड़ा अजीब लगा क्यो कि किशन एक जवान हॅटा कॅटा मर्द लगता था लेकिन फिर उसने माइंड नही किया और चाय लेकर बाहर आ गई, मा जी चाय, और फिर किशन को चाय देते समय संध्या की नज़र किशन के पाजामे पर पड़ी तो उसका मूह खुला का खुला ही रह गया और उसे किशन पर कुछ शंका सी हो गई, संध्या भी अपना चाय का कप लेकर सामने बैठ गई और सोचने लगी क्या किशन का लंड अपनी मा के लिए खड़ा है, क्या किशन अपनी ही मा को चोदना चाहता है यह सब सोच के संध्या भी बैठे बैठे ही सन्सनाने लगी और उसकी चूत मे कुलबुलाहट होने लगी. वह चोर नज़रो से किशन के लंड के उठाव को देख रही थी उसे लगा किशन का लंड उसके पति आकाश से भी काफ़ी मोटा तगड़ा लगता है, किशन भी उसे कामदेव की तरह नज़र आने लगा संध्या ने अपनी शंका के चलते किशन पर नज़र रखना शुरू कर दिया. और सोचा शायद उसका कुछ फ़ायदा हो जाए, दोनो सास बहू खाना बनाने संबंधी बाते करते करते चाय की चुस्किया लेने लगी उधर किशन चोर नज़ारो से अपनी भाभी की मोटी गोलैयो को ललचाई नज़रो से देख रहा था यह बात भी संध्या ने नोटीस कर ली, चाय पीने के बाद संध्या चाय के कप उठा कर जनभुज कर अपनी मोटी गांड हिलाते हुए किचन की ओर जाने लगी और किशन टकटकी लगा कर संध्या के मतवाले चूतादो को घूर्ने लगा तभी संध्या ने पलटकर किशन की ओर देखा वह समझ गई कि किशन उसके मोटे चूतादो को देख रहा है और किशन की ओर देख कर मुस्कुरा दी जिसके कारण किशन एक दम से सकपका गया. रात को किशन अपने बिस्तर मे पड़ा पड़ा अपनी भाभी के चूतादो को याद कर के उत्तेजित होने लगा उसे अपनी भाभी को नंगी देखने की चाहत होने लगी उसकी आँखो के सामने उसकी भाभी के मोटे मोटे चूतड़ नंगे होकर थिरकने लगे और वह बेचैन हो गया और उसने अपनी भाभी के कमरे के दरवाजे से अंदर झाँका, अंदर संध्या और आकाश नंगे एक दूसरे को सहला रहे थे | दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | संध्या पूरी नंगी थी और उसकी पीठ दरवाजे की ओर थी किशन अपनी भाभी की मोटी गांड देखकर पागल हो गया क्या गोरी गोरी मोटी गांड थी संध्या की और बीच की गहरी दरार जहाँ उसका भाई अपनी उंगलिया चला रहा था किशन ने अपनी भाभी को चोदने की कल्पना करते हुए तबीयत से मूठ मारी और आकर बेड पर लेट गया तभी उसकी नज़र अपनी मा और बहन की पैंटी पर पड़ी और उसका मूसल फिर खड़ा हो गया और वह अपनी मा और बहन की पैंटी को शुंघ कर अपना मोटा लंड मसलने लगा .
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