दोस्तों मेरे स्कूल में एक लड़का और एक लड़की नये नये एड्मिसन लिए. अंकित और रजनी दोनो भाई बहन थे. वो हमारी एमएलए शीला देवी के बच्चे थे. शीला देवी को सब जानते थे. वो प्रेम और ममता की तस्वीर मानी जाती थी. शीला देवी कोई ४६ साल की थी. हमेशा सफेद सारी में रहती क्यों की उसका पति मर चुका था. सभी उसको मा कह कर बुलाते थे. अंकित, मेरी क्लास में था. वो बिल्कुल लडको जैसा दिखता था, गोरा चिटठा, और कोमल. सभी लड़के उसको प्यारा लौंडा कहते और प्यार से या ज़ोर से उसकी गांड को चिकोटी काटने की कोशिस करते. अंकित की छाती भी औरतों जैसी सॉफ्ट थी. वो लड़का कम और लड़की अधिक लगता था. उसकी बहन रजनी मुझ से दो क्लास आगे थी. लंबी, सुंदर और सेक्सी. उसकी छाती का उठान देखते ही बनता. पैंट में उसके चूतड़ बहुत उभरे हुए दिखते. काले कटे हुए बाल और तेज़ आँखें देख कर मैं पहली नज़र में रजनी से प्यार कर बैठा. उस रात से मैं रजनी को नंगी कल्पना करके मूठ मारने लगा. कल्पना में मैं अपने आप को किशन और रजनी को मालकिन के रूप में देखने लगा. कुछ दिन बाद अर्जुन (स्कूल का एक बदमाश लड़का) ने अंकित को ग्राउंड में दबोच लिया और उसकी पैंट उतारने लगा. बेचारा अंकित रोने लगा.” चल साले लोंडे, मैं तुझे चोद कर अपना पर्सनल लोंदा बना कर रखूँगा. बहनचोड़, वेर्ना सारा स्कूल तुझे चोदने को तैयार बैठा है. अगर मेरे साथ दे गा तो तेरी बहन को भी प्रलोभन दूँगा. साली माल तो बहुत बढ़िया है | तेरी बहन. अगर मेरे बिस्तर में आ जाए तो तेरी चाँदी लगवा दूँगा, मेरे साले” मैं सब कुछ देख कर वहाँ चला गया. अंकित की पैंट उतर चुकी थी और उसके गोरे चूतड़ एक काले अंडरवेर में झाँक रही थी. साली उसकी गांड भी बहुत सेक्सी दिख रही थी. लेकिन उसका रोना देख कर मैं अपने आप को रोक ना सका और अर्जुन से बोला,” अर्जुन, अंकित को छोड़ दे, वेर्ना अच्छा ना होगा.”अर्जुन भी भड़क उठा और बोला”बहनचोड़, ये लोंदा मेरा माल है और उसकी बहन भी मेरा माल है. चल फुट यहाँ से वेर्ना तेरी भी गांड मार लूँगा.”
मेरा गुस्सा भड़क उठा. अर्जुन माधरचोद मेरी रजनी के बारे ग़लत बोल रहा था. मैं दिल से रजनी को प्यार करता था. मैने अर्जुन को गले से पकड़ कर खूब मारा. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैने चाकू निकाल लिया जब उसके दोस्त वहाँ पहुँच गये. चाकू मैने अर्जुन की गांड पर मारा जहाँ से खून निकलने लगा. सभी लड़के भाग गये. अंकित मुझे थॅंक्स कहने लगा. तभी रजनी वहाँ आई और अपने भाई से सारी बात पूछने लगी. अंकित उसको बताने लगा. तभी रजनी की नज़र मेरे चाकू पर गयी और वो मुझे नफ़रत से देखती हुई बोली,” चलो भैया, यहाँ तो लोग चाकू लिए घूमते हैं.” मेरा दिल टूट गया. अगले दिन अंकित मुझ से हंस कर बात करने लगा और मुझे अपने घर भी बुलाया. मैं शाम को उसके घर गया तो शीला देवी ने मुझे शाबाशी दी की मैं बहादुरी से उसके बेटे की रक्षा करता हूँ. शीला देवी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और उसका गदगद सीना मेरी कठोरे छाती से चिपक गया. आख़िर औरत का नरम सीना मर्द के दिल में आग लगा ही देता है. बेशक शीला देवी का रूप एक मा की याद दिलाता है फिर भी उसकी नरम चुचि अपने सीने में महसूस कर के मेरे दिल में आग लग गयी.”राजपाल बेटा, तुम रहते कहाँ हो?” मैने जवाब दिया,” माजी, मैं एक रेस्टोरेंट में काम करता हूँ और वहीं रहता हूँ.” “खैर अब तुझे काम करने की ज़रूरत नहीं है. तुम हमारे घर में रह सकते हो. मेरे ऑफीस वाले हिस्से में एक कमरा खाली है जहाँ तुम रह सकते हो और पूरी आज़ादी भी मिल सकती है, ठीक है, बेटा? तुझे सॅलरी भी मिलेगी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अंधे को क्या चाहिए? दो आँखें? फ्री में कमरा, रोटी, और घर जैसा माहौल. उस दिन से मैं उनके घर में रहने लगा. रहने क्या लगा, मेरी तो लॉटरी निकल पड़ी. स्कूल में अंकित की तरफ कोई आँख ना उठाता और रजनी भी मुझे अब नफ़रत नहीं करती थी. लेकिन अभी प्यार भी नहीं करती थी. खैर सब कुछ एक दम नहीं हो जाता. देखा जाएगा. घर में सभी मुझे बहुत प्यार करने लगे और शीला देवी को अपने बच्चो की सेफ्टी का कोई डर ना था. सब से पहले मुझे खाना पकाने वालों से मिलवाया गया. रसोई में दो लोग काम करते थे. रामलाल, एक बुजुर्ग आदमी और शबीना, एक 25 साल की औरत जो कि घर में ही रहती थी. शबीना का कमरा मेरे कमरे से साथ ही था. बस बीच में एक बाथरूम था जो हम दोनो का सांझा था. शबीना का रंग सांवला था, नैन नक्श तीखे, जिस्म भरा हुआ, आँखें चमकीली. उसकी चुचि का साइज़ ज़रूर 36 इंच रहा होगा और चूतड़ काफ़ी गद्दे दार. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसको देख कर मुझे अपनी मालकिन की याद आ गयी. शबीना जब चलती तो कूल्हे मटकाती और मेरा लंड खड़ा कर देती. शबीना देख सकती थी कि उसका जवान जिस्म मुझ पर क्या असर कर रहा है. जब भी मौका मिलता तो वो मेरे सामने झुक कर मुझे अपनी मस्त चुचि की झलक दिखा ही देती. एक दिन मैने हौसला कर के उसकी चुचि को टच कर लिया जब वो मुझे ग्लास पकड़ा रही थी, वो मुझे बोली,” बच्चू, अभी छ्होटे हो, ऐसी हरकत तब करना जब मर्द बन जाओ. बेटे, मुझे बच्चो में कोई दिलचस्पी नहीं है. मर्दों का काम बच्चा नहीं कर सकता.” उसकी बात सुन कर मैं जल भुन गया. उस रात मैं शबीना को अपनी पहली औरत बनाने की स्कीम बनाने लगा. अब मैं जवान था, लंड बैचैन था. मुझे भी चोदने के लिए औरत चाहिए थी. शबीना बुरी नहीं थी बस मुझ से उमर में बड़ी थी. दूसरा कारण शबीना को फसाने का ये था कि रजनी के दिल में ईर्षा पैदा हो जाए गी और वो मेरी तरफ आकर्षित हो जाए गी. यानी एक चूत से दूसरी का शिकार. रात को मैं बिस्तर में लेटा हुआ था जब शबीना की आवाज़ मेरे कानो में पड़ी. वो गा रही थी. नहाते हुए गाना आम बात है. लेकिन मेरी कल्पना अब शबीना का नहाता हुआ नंगा जिस्म देखने लगी. मैने अपने कान दीवार से लगा दिए. दीवार में मुझे अचानक एक छेद दिखाई पड़ा. मैने छेद में झाँका. छेद छोटा सा था लेकिन शबीना की नंगी जवानी की झलक दिखाई पड़ ही गयी. उसका भीगा बदन पानी से चमक रहा था और वो मल मल कर नहा रही थी. मेरा लंड तन गया और मैने मूठ मारनी शुरू कर दी. काश शबीना मेरे सामने आ कर चुदवा लेती. तभी उससने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी मखमल जैसी चूत फाड़ फाडा रही थी. उसकी उगली चूत में घुस गयी और वो भी उंगली से अपनी चूत चोदने लगी. शबीना बाथरूम में अपनी उंगली से चूत चोद रही थी और मैं कमरे में मूठ मार रहा था.” ओह….अहह…..” मेरे मूह से निकल गयी एक हल्की सी चीख जब मेरे लंड ने रस छोड़ दिया. शबीना ने शायद मेरी चीख सुन ली. इसी लिए वो घबरा उठी और उससने अपने हाथ को रोक दिया और टवल लपेट कर बाहर चली गयी. मैं घबरा गया और डर रहा था कि शबीना को पता चल गया है की मैं उसको नहाते हुए देख रहा था और वो मेरी शिकायत शीला देवी को लगाएगी. मेरी घर से च्छुटी हो जाएगी. खैर दूसरे दिन शबीना मुझ से आँख नहीं मिला रही थी और ना ही मुझ से बात कर रही थी. एक अजीब बात ये थी कि शबीना और रजनी छुप छुप कर धीमी आवाज़ में आपस में बातें कर रही थी. उस दिन सारा दिन मुझे स्कूल में उदासी लगी रही, लेकिन रह रह कर शबीना का नंगा जिस्म मेरी नज़रों के सामने आ जाता. स्कूल से वापिस आते हुए रजनी मुझे अजीब नज़रों से देख रही थी. दोपहर को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में लेटा हुया था जब क़िस्सी ने दरवाज़ा खाट खाटाया. बाहर शबीना खड़ी थी. वो लाल रंग की सलवार कमीज़ पहने हुए थी और बहुत सीरीयस लग रही थी.” राजपाल, मेरे कमरे में आयो, ज़रूरी बात करनी है.” मेरी गांड फटी जा रही थी. उसके कमरे में रजनी पहले से ही बैठी थी. “तो जनाब, शबीना को छुप कर नहाते हुए देख रहे थे? मैं अगर मा को बता दूँ तो अभी च्छुटी हो जाए तेरी.” रजनी ने मुझे धमकाया.”नही….मैने कुछ नहीं ……मेरा कोई कसूर नही….सच मुझे कुछ नहीं पता….” मैं कुछ बोल ना पा रहा था. रजनी ने मुझे गुस्से से देखा,” शबीना ने तेरी आवाज़ सुनी थी. तुम क्या कर रहे थे? शबीना तो अपनी चूत में उंगली कर रही थी, बेह्न्चोद तुम क्या कर रहे थे? इस तरह एक चुदासी लड़की को देखना अच्छा है? मैं और शबीना कब से एक लंड की तलाश में थी और तू अपना लंड दिखाने की बजाए इसकी चूत देख रहे थे कामीने. तेरी सज़ा ये है कि या तो तू घर से जाएगा और या हमारे सामने अपने लंड का पारदर्शन करेगा. बोल क्या इरादा है?” कहते हुए रजनी हंस पड़ी और शबीना भी मुस्कुराने लगी. मैं समझ गया कि दोनो लड़कियाँ मुझ से चुदवाना चाहती हैं. मेरी लॉटरी निकल पड़ी थी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं अपनी पैंट खोलने लगा. तुम जैसी मस्त लड़कियो से प्यार करने के लिए मैं जनम से तड़प रहा हूँ और तुम मुझ से चुदवाना चाहती हो. तो देखो रजनी, कैसा लगा राजपाल का लौड़ा? शबीना तुम भी देखो रानी, आपकी सेवा में हाज़िर है मेरा कुँवारा लंड. सच में तुम मेरे लिए सुंदरता की देवी हो!” रजनी हंस पड़ी,” बहन्चोद, पहली बात ध्यान से सुन. सब के सामने तुम हुमको दीदी कह कर पुकारो गे और हम तुझे भैया. इस तरह क़िस्सी को शक नहीं होगा और हमारा खेल सेफ्ली चलता रहेगा. चुदाई के खेल को रिश्तों के पर्दे में ढक लिया जाएगा और हम तीनो मज़े करते रहेंगे, ठीक है?”
शबीना अपने कपड़े उतारने लगी और रजनी भी नंगी होने लगी.
कहानी जारी है …. आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे ..|