गतांग से आगे …. मेरा लंड पैंट से सलामी देने लगा. मैं हड़बड़ा गया और दूसरी तरफ देखने लगा. शीला ने मेरी हालत देख ली और मुस्कुरा पड़ी.” क्या बात है बेटा, तुम तो पसीने पसीने हो रहे हो, इतनी गर्मी तो नहीं है….बेटा मेरे बदन पर मेरा टवल लपेटने में मदद कर दो ना…तुम तो घबरा ही गये हो….क्या बात है? क्या कभी क़िस्सी नंगन औरत को नहीं देखा? और मैं तो तेरी मा हूँ…मा से कैसा शरमाना? चल हेल्प कर मेरी” मैं सकपका गया और टवल उठा कर शीला को लपेटने लगा. इश्स वक्त मैं उसके पीछे खड़ा था और मेरा लंड सिर उठाए शीला की गांड से रगड़ रहा था. उससने ज़रूर मेरा खड़ा लंड अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस किया होगा. लेकिन वो बिना शरमाये टवल ले कर बाहर चली गयी. मैं क्या करता? बाथरूम में जा कर शीला को याद कर के मूठ मारने लगा. मेरी पैंट मेरे गुटनो पर गिरी हुई थी और मेरा लंड मेरे हाथ में था जब बाथरूम का दरवाज़ा एक दम खुला और शीला देवी मुझे मूठ मारते देख कर बोली,” बेटे, मुझे तो पहले ही शक था कि तू यही कुछ कर रहा होगा. मैं तो तेरी पैंट मेनबना हुआ तंबू देख कर समझ गयी थी के अब अपना हाथ जगन नाथ होने वाला है. लेकिन इतना बढ़िया रस हाथों पर क्यों वेस्ट कर रहे हो? क्या इस पर मा का हक नहीं है? मेरा बेटा हो कर मेरी चुचि और चूतड़ को घूरते रहते हो लेकिन जब मा की चूत और चुचि पर लंड रगड़ने का टाइम आया तो अपने हाथ इस्तेमाल कर रहे हो…क्या शीला देवी तुझे पसंद नहीं आई?”
शीला बोलते हुए मेरी तरफ बढ़ी और मेरे लंड को देखते हुए आगे झुकी. मैं अब फ़ैसला कर चुका था. जो भी हो जाए आज शीला मुझ से चुदेगी ज़रूर. आज मेरा माधरचोद बनने का दिन आ चुका है. मैने हाथ बढ़ा कर शीला को अपनी तरफ खींच लिया और उसका टवल उतार फेंकते हुए मैने नंगा कर दिया और उसको बाहों में भर कर होंठों पर किस करने लगा. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |शीला का मांसल बदन बहुत मस्त था और उसके रसीले होंठ बहुत नमकीन. मैने उसको उसकी मस्तानी गांड के नीचे से पकड़ कर अपने साथ सटा लिया और आख बंद कर के चूमने लगा.” आप मा हैं, इसी लिए इतनी देर लग गयी वरना आप जैसी मस्त औरत को कब का चोद चुका होता. सच कहता हूँ मैने आप जैसी सेक्स औरत नहीं देखी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | आप फ़िरोज़ जैसे बूढ़े से क्या चुदवा रही हैं, मेरे लंड का स्वाद ले कर तो देखो, मस्त कर दूँगा.” शीला कुछ समझती हुई बोली,” तो तुमने मोहन जी के साथ मुझे देख लिया है? क्या करूँ बेटा, मुझे बड़ी उमर के मर्दों से चुदवाने का शौक बचपन से ही है. और फिर एमएलए का टिकेट भी तो लेना है, खैर अब मेरे पास एक जवान लंड भी आ गया है अपने बेटे के रूप में जो पहले अपनी मा की चुदाई देखता है और फिर माधरचोद बन जाने को तैयार हो जाता है | ना केवल फ़िरोज़ के साथ देखा, आप को अपने पापा के साथ चुदाई की बात करते भी सुना. क्या आप अपने सगे बाप के साथ भी….मेरा मन नहीं मानता कि बाप बेटी भी…..सच बतायो, मेरा लंड बेकाबू हो रहा है ये सब की कल्पना से ही.” मेरे दिल में कई किस्म के सवाल उठ रहे थे. शीला बे-झिझक बोली,” मेरी मा की मौत जब हुई तो मैं 17 साल की थी और मेरी चूत में आग लगी हुई थी. उधर मेरे पापा नयी नयी लड़कियो से इश्क लड़ा रहे थे. एक दिन तो हद हो गयी. मेरे पापा ने मेरी ही सहेली पर हाथ डाल दिया. जब मैं बाज़ार से वापिस आई तो मेरे पापा मेरी सहेली अनु की चुदाई उस बिस्तर पर कर रहे थे जिस पर मेरी मा की चुदाई होती थी. मैने सोच लिए की मर्द नाम का जानवर चूत के बिना नहीं रह सकता तो औरत भी तो जानवर ही है. और वैसे भी अनु की जगह लेने के लिए मेरा मन तड़प रहा था. पापा से अपनी सील तुड़वाने का फ़ैसला कर ही लिया और उस रात पापा को मैं खूबशराब पिलाई. नशे की हालत में पापा बेटी और पत्नी का फरक भूल कर मेरे साथ सुहागरात मनाने लगे. वो मेरी पहली चुदाई थी, तब से दुनिया से छुप कर ना जाने कितने मर्दों से हर तरह चुदवा चुकी हूँ. और हां, आज तुझ से भी तो चूड़ने जा रही हूँ. तुम भी तो मेरे बेटे ही हो. जब बेटा मा को चोद सकता है तो बाप क्यों नहीं?”
“लेकिन आप तो मेरी मुहबोली मा हैं?” मेरा स्वाल था.” बात रिश्ते की है और उसकी असलियत की है. मेरा बाप मेरा ख़सम तब बना जब उसने मुझे चोद लिया. जब तुम मुझे चोद लोगे तुम भी मेरे पति के बराबर हो जयोगे, बेशक दुनिया हुमको मा बेटा ही समझेंगे. जब मुझे नंगी देख कर तेरा लंड खड़ा हो जाता है तो मा बेटे के रिश्ते की वॅल्यू रह जाती है. दुनिया में बस औरत मर्द का ही रिश्ता रह जाता है, बाकी सब बेकार हैं, बेटे.” शीला देवी सच में एक कामुक औरत थी जिसने सभी तरह से सोच रखा था और मैं तो अब चुदाई के खेल में एक अनुभवी औरत से कयि सबक सीखने वाला था.
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