प्यारे पाठको आज फिर से मै राहुल आपलोगों के सामने अपनी कहानी का अगला भाग प्रस्तुत कर रहा हूँ | वैसे अभी तक आप लोगो ने पढ़ा … विवेक ने पहली बार ध्यान से शौम्या के नंगे शरीर को सामने से देखा। जो उसने देखा उसे बहुत अच्छा लगा। उसके स्तन छोटे पर बहुत गठीले और गोलनुमा थे जिस से वह एक १६ साल की कमसिन लगती थी। चूचियां हलके कत्थई रंग की थी और स्तन पर तन कर मानो राज कर रही थी। और अब आगे …. यह अंदाज़ लगाना मुश्किल था कि किसको मज़ा ज्यादा आ रहा था। थोड़ी देर मज़े लेने के बाद विवेक ने शौम्या के पेट पर हाथ फेरना शुरू किया। उसके पतले पेट पर तेल का हाथ आसानी से फिसल रहा था। उसने नाभि में ऊँगली घुमा कर मसाज किया और फिर हौले हौले विवेक के हाथ उसके मुख्य आकर्षण की तरफ बढ़ने लगे। शौम्या ने पूर्वानुमान से अपनी टांगें और चौड़ी कर लीं। विवेक ने हाथों में और तेल लगाकर शौम्या की योनि के इर्द गिर्द सहलाना शुरू किया। कुछ देर तक उसने जानबूझ कर योनि को नहीं छुआ। अब शौम्या को तड़पन होने लगी और वह कसमसाने लगी। विवेक के हाथ नाभि से लेकर जांघों तक तो जाते पर योनि और उसके भग को नहीं छूते। थोड़ी देर तड़पाने के बाद जब विवेक की उँगलियाँ पहली बार योनि की पलकों को लगीं तो शौम्या उन्माद से कूक गई और उसका पूरा शरीर एक बार लहर गया। मसाज से ही शायद उसका स्खलन हो गया था, क्योंकि उसकी योनि से एक दूधिया धार बह निकली थी। विवेक ने ज्यादा तडपाना ठीक ना समझते हुए उसकी योनि में ऊँगली से मसाज शुरू किया और दूसरे हाथ से उसकी भगनासा को सहलाने लगा। शौम्या की योनि मानो सम्भोग की भीख मांग रही थी और शौम्या की आँखें भी विवेक से यही प्रार्थना कर रही थीं। उधर विवेक का लिंग भी अंगडाई ले चुका था और धीरे धीरे अपने पूरे यौवन में आ रहा था। विवेक ने शौम्या को बताया कि वह सम्भोग नहीं कर सकता क्योंकि उसको पास कंडोम नहीं है और वह बिना कंडोम के शौम्या को जोखिम में नहीं डालना चाहता, इसलिए वह शौम्या को उँगलियों से ही संतुष्ट कर देगा। पर शौम्या ने विवेक को बिना कंडोम के ही सम्भोग करने को कहा। उसने कहा- अगर कंडोम होता भी तो भी वह उसे इस्तेमाल नहीं करने देती। जबसे उसके बेटे की मौत हुई है उसे बच्चे की लालसा है और अगर बच्चा हो भी जाता है तो उसके घर में खुशियाँ आ जाएँगी। उसने भरोसा दिलाया कि वह कभी भी विवेक को इस के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराएगी और ना ही कभी इसका हर्जाना मांगेगी। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उसने विवेक को कहा कि अगर उसे शौम्या पर भरोसा है तो हमेशा बिना कंडोम के ही सम्भोग करेंगे। उसने यह भी कहा कि जितना सुख उसे आज मिला है उसे १४ साल की शादी में नहीं मिला और वह चाहती है कि यह सुख वह भविष्य में भी लेती रहे। उसने कहा कि शायद वह एक निम्न चरित्र की औरत जैसी लग रही होगी पर ऐसी है नहीं और उसके लिए किसी गैर-मर्द से साथ ऐसा करना पहली बार हुआ है। विवेक ने उसे समझाया कि कई बार जल्दबाजी में लिए हुए निर्णय बाद में पछतावे का कारण बन जाते हैं इस लिए अच्छे से सोच लो। शौम्या ने कहा कि कोई भी औरत ऐसे निर्णय बिना सोचे समझे नहीं लेती। वह पूरे होशो-हवास में है और अपने निर्णय पर अडिग है और शर्मिंदा नहीं है। विवेक को शौम्या के इस निश्चय और आत्मविश्वास पर गर्व हुआ और उसने तेल से सनी हुई शौम्या को उठा कर सीने से लगा लिया। इस दौरान विवेक का लिंग मुरझा गया था। शौम्या ने लिंग की तरफ देखते हुए विवेक को आँखों ही आँखों में आश्वासन दिलाया कि वह उस लिंग में जान डाल देगी। उसने विवेक को लिटा दिया और उसके ऊपर हाथों और घुटनों के बल आ गई। पहले उसने अपने बालों की लटों से उसके मुरझाये लिंग पर लहरा कर गुदगुदी की और फिर अपने स्तनों से लंड को मसलने लगी। अपनी उभरी हुई चूचियों से उसने लंड को ऊपर से नीचे तक गुलगुली की। विवेक का बेचारा लिंग इस तरह के लुभाने का आदि नहीं था और जल्दी ही मरे से अधमरा हो गया। शौम्या ने विवेक के लंड की नींव के चारों तरफ जीभ फिराना शुरू किया और उसकी छड़ चाटने लगी। एक एक करके उसने दोनों अण्डों को मुँह में लेकर चूस लिया। अपनी गीली जीभ को लंड के सुपारे पर घुमाने लगी और फिर उसके अधमरे लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी। इस बार चूसते वक़्त वह लंड को निगलने की कोशिश कर रही थी और हाथों से उसके अण्डों को गुदगुदा रही थी। विवेक को इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था। उसका लंड एक बार फिर अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हो गया। उसके पूरे तरह से तने हुए लंड को शौम्या ने एक बार और पुच्ची दी और विवेक को बिना बताये उसके लंड पर अपनी योनि रखकर बैठ गई। विवेक का मुश्तंड लंड उसकी गीली चूत में आसानी से घुस गया। शौम्या ने अपने कूल्हों को गोल गोल घुमा कर विवेक के लंड की चक्की चलाई और फिर ऊपर नीचे हो कर मैथुन के मज़े लूटने लगी। विवेक भी अपनी गांड ऊपर उछाल उछाल कर शौम्या के धक्कों का जवाब देने लगा। शौम्या के स्तन मस्ती में उछल रहे थे और उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी। थोड़ी देर इस तरह करने के बाद विवेक ने शौम्या को अपनी तरफ खींच कर आलिंगनबद्ध कर लिया और उसे पकड़े हुए और बिना लंड बाहर निकाले हुए पलट गया। अब विवेक ऊपर था शौम्या नीचे और चुदाई लगातार चल रही थी। शौम्या उसके प्रहारों का जमकर जवाब दे रही थी और अपनी तरफ से विवेक के लंड को पूरी तरह अन्दर लेने में सहायता कर रही थी। दोनों बहुत मस्त थे। यकायक शौम्या के मुँह से आवाजें आने लगीं- .. ” ऊऊह आः हाँ हाँ .. और ज़ोर से … हाँ हाँ .. चलते रहो … और .. और …. मुझे मार डालो … मेरे मम्मे नोंचो …. ऊऔउई …” विवेक यह सुन कर और उत्तेजित हो कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। चार पांच छोटे धक्कों के बाद लंड पूरा बाहर निकाल कर पेलने लगा। जब वह ऐसा करता तो शौम्या ख़ुशी से चिल्लाती ” हाँ ऐसे … और करो ….और करो .. ” विवेक का स्खलन आम तौर पर 4-5 मिनटों में हो जाया करता था पर आज चूंकि यह उसका तीसरा वार था और उसे शौम्या जैसी लड़की का सुख प्राप्त हो रहा था, उसका लंड मानो चरमोत्कर्ष तक पहुंचना ही नहीं चाहता था।
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