अब चूस ले जितना चूसना है

मैं आपको अपने बारे में बता दूँ। मेरा नाम सुभास है और मैं २० साल का हूँ। मेरे घर में ४ सदस्य हैं। मेरी मम्मी और पापा और मैं और मेरी बहन नंदिनी। यह कहानी मेरे और मेरी बहन के बीच हुए सेक्स की कहानी है।
अब मैं आपको अपनी बहन के बारे में थोड़ा बता दूँ। वो २१ साल की है और बहुत सेक्सी है। बिलकुल रान्ड लगती है। उसका फ़िगर 34-26-38 है। मैं जब भी उसे देखता हूँ तो मेरा लन्ड फ़ुदकने लगता है। मेरा लन्ड हमेशा उसको चोदने को तड़पता रहता। लेकिन वो मेरी बहन है इसलिये अपने हमेशा मुठ मार के रह जाता। लेकिन जब से मैंने मस्ताराम.नेट को पढ़ना शुरु किया तो मुझे लगा कि बहनों को चोदने में कोई बुरी बात नहीं है। आखिर वो भी तो लड़की है, उसे भी तो एक लन्ड की जरुरत है, फ़िर चाहे वो लन्ड़ उसके भाई का ही क्यों न हो।
फिर मैंने अपना मन बदला और अपनी बहन को चोदने का मौका खोजने लगा। इसी बीच मुझे जब मौका मिलता तो मैं नंदिनी की ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूमता। ऐसा करने में मुझे बड़ा मजा आता है। (कभी आप भी करना)
एक दिन जब घर पर कोई नहीं था तो मैंने सोचा कि चलो नंदिनी की ब्रा और पैन्टी पहनते हैं। मैं ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूम रहा था कि तभी अचानक नंदिनी आ गई। मैं दो मिनट के लिये स्तब्ध रह गया और मेरे होश उड़ गये थे। नंदिनी मुझे देखती जा रही थी और मुझे लगा कि अब मेरी पोल खुल गई। लेकिन जैसा मैंने सोचा वैसा हुआ नहीं, नंदिनी तो जोर जोर से हँस रही थी।
मुझे थोड़ा अटपटा लगा और मैं कमरे में भाग गया। थोड़ी देर के बाद मैं उसके कमरे में उसकी ब्रा और पैन्टी देने गया। वहा मैंने देखा कि वो अपने कपड़े बदल रही है। नंदिनी की पीठ बिल्कुल नंगी थी।
मुझे देखकर उसने कहा- अच्छा हुआ कि तुम आ गये, मुझे मेरी ब्रा और पैन्टी चाहिये थी !
फिर उसने मुझ रोका और पूछा- तुम मेरी ब्रा और पैन्टी क्यों पहनते हो?
मैंने कहा- बस यूँ ही ! मुझे अच्छा लगता है तुम्हारे कपडे पहनना, लेकिन तुम माँ से कुछ मत कहना !
नंदिनी ने कहा- नहीं कहूँगी, लेकिन मुझे एक बात बताओ- क्या तुम्हें सिर्फ़ मेरी ब्रा-पैंटी ही अच्छी लगती है, मैं नहीं?
मैंने कहा- नहीं ऐसी बात नहीं है, तुम तो मेरी बहन हो, और बहन तो सभी को अच्छी लगती है।
नंदिनी ने कहा- अच्छा, तो तुम मेरा एक काम करोगे?
मैंने कहा- कौन सा काम?
फिर नंदिनी काफ़ी देर तक खामोश रही और थोड़ी देर बाद बोली- यह काम तुम कर सकते हो, लेकिन शायद तुम नहीं करोगे ! मैंने कहा- तुम कहो तो जरा ! तुम मेरी बहन हो और तुम्हारा हर काम मैं करुंगा, मैं तुम्हारी राखी का फ़र्ज निभाउंगा। यह कहकर मैंने माहौल को हल्का करने की कोशिश की। लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ जो उसने कहा।
नंदिनी ने मुझ से कहा- क्या तुम मुझे चोद सकते हो? अभी !  
यह सुनते ही अचानक मैं डर गया और मैं नंदिनी से थोड़ा दूर हो गया।
मैंने कहा- यह क्या कह रही हो तुम? तुम मेरी बहन हो और कोई भी भाई अपनी बहन को नहीं चोदता है !
नंदिनी हँसते हुए बोली- अपनी बहन की ब्रा और पैन्टी पहनते हुए तो तुम्हें यह ख्याल नहीं आया कि मैं तुम्हारी बहन हूँ?
मैंने थोड़ा ठण्डे दिमाग से सोचा कि नंदिनी सही कह रही है और ऐसा मोका मुझे फिर नहीं मिलेगा। फिर भी मैंने यूँ ही कहा कि यह गलत है। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
उसने कहा- इसमें कोई बुराई नहीं है, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, घर में कोई नहीं है, तेरे पास लण्ड है और मेरे पास चूत है ! जल्दी कर मेरे भाई ! लूट ले आज अपनी बहन की इज्जत !
नंदिनी के इतना सब कहने पर भी मैंने उससे कहा- मैं यह नहीं कर सकता, तुम मेरी बहन हो।
और इतना कहने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया और मैं अपने आप को कोसता रहा कि मैंने अपनी बहन को चोदने का सुनहरा मौका खो दिया। लेकिन कुछ देर बाद मेरे कमरे के दरवाजे के नीचे से एक कागज (चिठ्ठी) आया। उस पर कुछ लिखा था, जिसे पढ़कर मुझे बहुत गुस्सा आया।
उस पर लिखा था- मेरे प्यारे भैया सुभास, आज आपने यह साबित कर दिया कि आप कभी किसी लड़की को नहीं चोद सकते, भले ही वो आपकी बहन ही क्यों ना हो ! क्योंकि आप नपुंसक हो। आप में वो ताकत ही नहीं है जिसकी एक लड़की को जरुरत होती है। मुझे यह कहने में ज़रा भी शर्म नहीं कि मेरा भाई नामर्द है। यह पढ़कर मेरे अन्दर का भाई मर गया और एक जानवर जाग गया। मैं नंदिनी के कमरे में गया। नंदिनी अपने बेड पर लेट कर किताब पढ़ रही थी। मुझे देखकर वो खड़ी हो गई और मुझसे पूछा- तुम वापस क्यों आये? मैंने कहा- मैं तुम्हारी चिठ्ठी का जवाब देने आया हूँ!  और इतना कहकर मैं नंदिनी के पास गया और उसके बाल पकड़कर खींचे और जैसे ही वो चिल्लाई तो मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिये। हम दोनों के होंठ आपस में लगभग 10-15 मिनट तक चिपके रहे। हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं अपनी बहन को चूम रहा हूँ और उसके होंठ चूस रहा हूँ।
थोड़ी देर बाद हमारे हम एक दूसरे से अलग हुए। फिर मैंने उसके पीछे जाकर उसकी शर्ट फाड़ दी, अब उसकी काली ब्रा साफ नजर आ रही थी। इतने में नंदिनी ने अपना हाथ मेरे लन्ड पर रख दिया, और मेरा लन्ड निकाल लिया। मेरा लन्ड के बाहर आते ही मैंने कहा- यह ले मेरी प्यारी बहन ! देख ले अपने नामर्द भाई का लन्ड !
इस पर नंदिनी बोली- ऐसा मत कहो भाई, मैंने तो सिर्फ़ तुझे उकसाने के लिये ही ऐसा कहा था, ताकि तू अपनी बहन को चोदे और मुझे मेरे भाई का लन्ड चूसने को मिले ! मैंने कहा- ठीक है, अब चूस ले जितना चूसना है अपने भाई का लन्ड। और नंदिनी मेरे लन्ड को चूसने लग गई। नंदिनी मेरे लन्ड को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई आइसक्रीम खा रही हो। कुछ देर तक वो मेरा लन्ड ही चूसती रही। थोड़ी देर बाद मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया। नंगे होने के बाद नंदिनी मुझसे बोली- भैया, मेरी चूत में खुजली हो रही है, मेरी चूत की खुजली मिटाओ ना !
मैंने कहा- अभी लो बहना ! दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर मैंने उसकी चूत चाटना शुरु किया, आह ! आह क्या मुलायम चूत थी नंदिनी की ! मजा आ गया अपनी बहन की चूत चाटकर तो। चूत चाटने के बाद मैंने उसके स्तन दबाने शुरु किये और उनको चूसने लगा। जब मैं उसकी चूत चाट रहा था और स्तन दबा रहा था तब वो सिसकियाँ ले रही थी कुछ इस तरह से- आहऽऽ ऊ…ऊ…ऊ……ऊ आह … आउच… आह…… ऊ… ऊ…………आउच !  उसकी सिसकियों से पूरा कमरा गूंज रहा था। कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा। लेकिन फिर नंदिनी बोली- भाई, अब बहुत हो गया चाटना-चटाना, अब असली काम शुरु करो !
फिर मैं वो काम करने के लिये तैयार हुआ जो दुनिया का कोई भी भाई करना नहीं चाहता, लेकिन जब आपकी बहन ही आपके सामने अपनी दोनों टांगें खोलकर बैठ जाये तो आप कर ही क्या सकते हैं, इसलिये मैं मजबूर था और मैंने अपना लन्ड डाल दिया अपनी बहन की चूत में ! दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | और नंदिनी जोर चिल्लाई- आह……आउच………आह……………ऊ…। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु किये और वो सिसकियाँ लेने लगी। मैंने नंदिनी से पूछा- मेरी प्यारी बहना, मेरी रन्डी बहना, मजा आ रहा है ना अपने भाई से चुदने में?
नंदिनी बोली- हाँ, मेरे बहनचोद भाई, मजा आ रहा है ! दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | इसी बीच मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी और उसकी सिसकियों की भी।
मैंने नंदिनी से पूछा- रन्डी नंदिनी, लगता है तुम्हें चुदने का काफी अनुभव है। कितनों से चुदवा चुकी हो अब तक?
नंदिनी बोली- 10 या 15 जनो से चुद चुकी हूँ अब तक ! मैंने कहा- 10-15 ? तुम क्या रन्डी बनना चाहती हो?
नंदिनी बोली- हाँ भैया, लेकिन ये बातें बाद में करेगे, अभी तो तुम मुझे जोर-जोर चोदो और फाड़ दो मेरी चूत को ॰
फिर मैंने अपने धक्कों की गति दोगुनी कर दी और नंदिनी को जोर-जोर चोदने लगा। नंदिनी भी जोर-जोर चिल्ला रही थी- चोद, मादरचोद, बहनचोद चोद अपनी बहन को ! आज फाड़ दे अपनी बहन की चूत को, आह… …आउच……… आह…………… ऊ… मेरे प्यारे भैया ! चोद, चोद, चोद, फाड दे…………
फिर लगभग 25-30 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। काफी देर तक हम एक दूसरे से चिपके रहे। थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और हम दोनों ने एक दूसरे को देखा। तभी नंदिनी हँस पड़ी। नंदिनी के हँसने से मेरे दिल का बोझ कम हो गया। नंदिनी ने मेरे होठों पर चूमते हुये कहा- भगवान, मेरे जैसा भाई सभी को दे !
लेकिन फिर उसने मुझे उदास देखते हुये कहा- भैया, इस बारे में ज्यादा मत सोचो, ये तो “घर की बात है।”

The Author

गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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