मेरा नाम शबीना शेख है और मैं ये कहानी मस्ताराम.नेट पर लिख रही हूँ। मेरी उम्र २८ साल की है। गोरा रंग और हाईट ५.६ की है। छरहरा जिस्म, और फिगर ३४-३८-३६ है लोग और मेरी सहेलियाँ कहती हैं कि मैं खूबसूरत हूँ। मेरी शादी को तकरीबन ६ महीने हुए हैं। शौहर के साथ सुहाग रात और बाकी की सैक्स लाईफ कैसे गुज़र रही है वो तो मैं आप को बताऊँगी ही लेकिन मैं आपको उस से पहले की कुछ और बाते बताने जा रही हूँ।
मैं उस वक्त बारहवी के दूसरे साल की परीक्षा दे रही थी। उम्र होगी कोई १६-१७ साल के करीब। मेरे फायनल एग्जाम से पहले प्रिप्रेटरी एग्जाम होने वाले थे। जनवरी का महीना था बे-इंतहा सर्दी पड़ रही थी। मैं दो-दो रज़ाई ओढ़ के पढ़ रही थी।
उन दिनों, मेरे एक कजिन कलीम जिनकी उम्र होगी कोई २५-२६ साल की, उन्होंने अपने शहर में कोई नया नया बिज़नेस शुरू किया हुआ था, तो वो कुछ खरिदारी के लिये यहाँ आये हुए थे और हमारे घर में ही ठहरे थे। हमारा घर एक डबल स्टोरी घर है, ऊपर सिर्फ़ एक मेरा रूम और दूसरा स्टोर रूम है जिस में हमारे घर के स्पेयर बेड, ब्लैंकेट्स, बेड-शीट्स वगैरह रखे रहते हैं। जब उनकी ज़रूरत होती है तो निकाले जाते हैं मौसम के हिसाब से। और एक दूसरा रूम जिस में मैं अकेली रहती हूँ और अपनी पढ़ाई किया करती हूँ। मेरा रूम बहुत बड़ा भी नहीं और बिल्कुल छोटा भी नहीं, बस मीडियम साईज़ का रूम था जिस में मेरा एक बेड पड़ा हुआ था। वो डबल बेड भी नहीं और सिंगल बेड भी नहीं बल्कि डबल से थोड़ा छोटा और सिंगल से थोड़ा बड़ा बेड था। इतना बड़ा तो था ही कि जब कभी-कभी मेरी फ्रैंड रात में मेरे साथ पढ़ने के लिये आती और रात में रुक जाती तो हम दोनों इतमिनान से सो सकते थे। और रूम में एक पढ़ाई की टेबल और चेयर रखी थी। एक मेरी कपबोर्ड और एक मीडियम साईज़ का अटैच्ड बाथरूम था जिस में वाशिंग मशीन भी रखी हुई थी। घर में नीचे तीन कमरे थे। एक मम्मी और डैडी का बड़ा सा बेडरूम, दूसरा एक बड़ा हाल जैसा ड्राईंग रूम जिसके एक कॉर्नर में डायनिंग टेबल भी पड़ी हुई थी। ये ड्राईंग कम डायनिंग रूम था और एक स्पेयर रूम किसी भी गेस्ट वगैरह के लिये था जिस में कलीम को ठहराया गया था।
हाँ तो, मैं पढ़ाई में बिज़ी थी। सर्दी जम के पड़ रही थी। मैं अपना लिहाफ ओढ़े बेड पे बैठे पढ़ रही थी। बॉयलोजी का सब्जेक्ट था और मैं एक ज़ूलोजी की बुक पढ़ रही थी। इत्तेफाक से मैं रीप्रोडक्टिव सिस्टम ही पढ़ रही थी जिस में मेल और फीमेल ऑर्गन्स की डीटेल्स के साथ ट्रांसवर्स सेक्शन की फिगर बनी हुई थी। रात काफी हो चुकी थी और मैं अपनी पढ़ाई को फायनल टचेज़ दे रही थी। नोट्स के लिये कुछ फिगर्स देख के बनाये हुए थे और उस में ही कलरिंग कर रही थी और साथ में लेबलिंग कर रही थी।
रात के शायद ग्यारह बजे होंगे पर सर्दी होने की वजह से सब जल्दी ही सो गये थे जिससे लगाता था कि पता नहीं कितनी रात बीत चुकी हो। घर में मेरी मम्मी और डैडी नीचे ही रहते थे और डिनर के बाद अपनी दवाइयाँ खा के अपने रूम में जा के सो चुके थे। अचानक कलीम मेरे कमरे में अंदर आ गये। मैं देख के हैरान रह गयी और पूछा कि, “क्या बात है?”
तो उसने बताया कि “नींद नहीं आ रही थी और तुम्हारे रूम की लाईट्स जलती देखी तो ऐसे ही चला आया कि देखूँ तो सही कि तुम सच में अपनी पढ़ाई कर रही हो (एक आँख बंद कर के) या कुछ और।“
मैंने कहा कि “देख लो! अपने कोर्स का ही पढ़ रही हूँ, मेरे एक्ज़ाम्स हैं और मैं कोई खेल तमाशा नहीं कर रही हूँ।“
उसने कहा कि “लाओ देखूँ तो सही के तुम क्या पड़ रही हो”, और मेरे नोट्स और रिकोर्ड बुक अपने हाथ में लेकर देखने लगा। सर्दी के मारे उसका भी बुरा हाल हो गया तो वो भी मेरे साथ ही लिहाफ के अंदर घुस आया और मेरे बगल में बैठ गया।
रिकॉर्ड बुक के शुरू में तो मायक्रोस्कोप की फिगर थी और फिर सेल का डायग्राम था। उसके बाद ऐसे हो छोटे मोटे डायग्राम और फिर फायनली उसने वो पेज खोल लिया जिस में मैंने मेल और फीमेल के रीप्रोडक्टिव सिस्टम का डायग्राम बनाया हुआ था। उसने मेरी तरफ़ मुस्कुरा के देखा और बोला कि, “क्या ये भी तुम्हारे कोर्स में है?”
मैंने कहा, “हाँ!” तो उसने कहा कि, “अच्छा! मुझे भी तो समझाओ कि ये सिस्टम कैसे वर्क करता है।“
मैं शरम से पानी-पानी हुई जा रही थी। मैंने कहा कि, “मुझे नहीं पता, तुम खुद भी तो सायंस के स्टूडेंट थे, अपने आप ही पढ़ लो और समझ लो।“
उसने फिर से पूछा कि, “तुम्हारी समझ में नहीं आया क्या ये सिस्टम?” तो मैंने कहा कि, “नहीं!”
उसने फिर पूछा कि “मैं समझा दूँ?” तो मेरे मुँह से अंजाने में “हूँ” निकल गया। उसने कहा, “ठीक है, मैं समझाता हूँ”, और मेरी बुक और मेरी रिकोर्ड बुक को खोल के पकड़ लिया।
हम दोनों बगल बगल में बैठे थे। मैं घुटने मोड़ के बैठी थी और वो पालती मार के बैठा था। अब उसने मुझे समझाना शुरू किया कि, “ये है फीमेल का रीप्रोडक्टिव ऑर्गन, इसे ईंगलिश में वैजायना, पूसी या कंट कहते हैं और हिंदी में चूत कहते हैं। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैं शरम के मारे एक दम से लाल हो गयी पर कुछ कहा नहीं। फिर उसने डिटेल में बताना शुरू किया कि, “ये है लेबिया मजोरा जिसे पूसी के लिप्स कहते हैं और ये उसके अंदर लेबिया मायनोरा…. ये डार्क पिंक कलर का या लाल कलर का होता है और ये उसके ऊपर जो छोटा सा बटन जैसा बना हुआ है वो क्लिटोरिस या हिंदी में घुंडी या चूत का दाना भी कहते हैं और जब इसको धीरे-धीरे से रगड़ा जाता है या मसाज किया जाता है तो ये जो चूत का सुराख नज़र आ रहा है, इस में से पानी निकलना शुरू हो जाता है। या फिर अगर लड़की बहुत ही एक्साईटेड हो जाती है तो ये निकलने वाले जूस से चूत गीली हो जाती है जो कि रिप्रोडक्शन के इनिश्यल काम को आसान बना देती है।“
इतना सुनना था कि मेरी चूत में से समंदर जितना जूस निकलने लगा और चूत भर गयी।
अब ये देखो दूसरी फिगर, “ये मेल रीप्रोडक्टिव ऑर्गन है। इसे ईंगलिश में पेनिस या कॉक कहते हैं और हिंदी में लंड या लौड़ा कहते हैं। ये नॉर्मल हालत में ऐसे ही ढीला पड़ा रहता है जैसे कि पहली पिक्चर में है। और जब ये बेहद एक्साईटेड हो जाता है तो ये दूसरी फिगर की तरह खड़ा हो जाता है। ये पेनिस के अंदर जो ब्लड वैसल्स हैं, इन में लहू का बहाव बढ़ जाता है और उसकी वजह से मसल अकड़ के लंड लंबा मोटा और सख्त हो जाता है”, और उसने मेरा हाथ पकड़ के अपने अकड़े हुए लंड पे रख दिया और कहा, “ऐसे!” अब मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी थी और जिस्म में इतनी गर्मी आ गयी थी कि मुझे लग रहा था मानो मेरा जिस्म किसी आग में जल रहा हो। “और ये देखो!” उसने मेरा हाथ लंड के नीचे किया और कहा, “इसके नीचे जो ये दो बॉल्स दिखायी दे रहे हैं, इन्हें ईंगलिश में टेस्टीकल्स या स्कोरटम और हिंदी में आँडे भी कहते हैं। ये असल में स्पर्म बनने की फ़ैक्ट्री है जहाँ स्पर्म बनते हैं। ये स्पर्म जब मेल के ऑर्गन से ट्राँसफर हो के फीमेल के ऑर्गन में जाता है तो बच्चा पैदा होता है।“
मेरा तो मानो बुरा हाल हो गया था। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ और कलीम था के बस एक प्रोफेसर की तरह से लेक्चर दिये जा रहा था। मैं अंजाने में उसका तना हुआ लंड अपने हाथ में पकड़े बैठी थी। मुझे इतना होश भी नहीं था कि मैं अपना हाथ उसके लंड पे से हटा लूँ।
“जब मेल का ये इरेक्ट लंड फीमेल की चूत के अंदर जाता है और चुदाई करते-करते जब एक्साइटमेंट और मज़ा बढ़ जाता है तो अपना स्पर्म चूत के अंदर ये जो बच्चे दानी दिख रही है, उसके मुँह पे छोड़ देता है जिससे स्पर्म बच्चे दानी के खुले मुँह के अंदर चला जाता है और बच्चा पैदा होता है।“
मुझे पता ही नहीं चला के उसका एक हाथ तो मेरी चूत पे है जिसका वो मसाज कर रहा है और मेरा हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और मैं अंजाने में उसके मोटे लंड को दबा रही थी। ये पहला मौका था कि मैंने किसी के लंड को अपने हाथों में पकड़ा हो। उसने फिर कहा कि “देखो कैसी गीली हो गयी है तुम्हारी चूत, ऐसे ही हो जाती है एक्साइटमेंट के टाईम पे। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
तब मुझे एहसास हुआ कि ये मैं क्या कर रही हूँ और एक दम से अपना हाथ उसके लंड पे से खींच लिया। लेकिन उसने अपने हाथ मेरी चूत पे से नहीं हटाया। मेरी नाइटी में हाथ डाले हुए ही था और मेरी चूत का मसाज करता ही जा रहा था जिससे मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी। इस कहानी का शीर्षक मेरी चुदाई के मजेदार किस्से है | कलीम हंसने लगा और बोला के “डरती क्यों हो, मैं तो तुम्हें थियोरी के साथ प्रैक्टीकल भी बता रहा था ताकि तुम अच्छी तरह से समझ सको।“
बस इतना कहा उसने और बिजली चली गयी और बल्ब बुझ गया और कमरे में अंधेरा छा गया। मैं तो बेतहाशा गरम और गीली हो चुकी थी। साँसें तेज़ी से चल रही थी, दिमाग और जिस्म में सनसनाहट दौड़ रही थी। ब्लड सरक्यूलेशन सौ गुना बढ़ चुका था, चेहरा लाल हो गया था और मैं गहरी-गहरी साँस ले रही थी। उसने मुझे धीरे से पुश किया और मैं बेड पे सीधे लेट गयी। वो मेरी साईड में था और उसका हाथ अभी भी मेरी चूत पे था। मुझे इतना होश भी नहीं था के मैं उसका हाथ पकड़ के हटा दूँ। बस ऐसे ही चित्त लेटी रही और अंजाने में मेरी टाँगें भी खुल गयी थी और वो मेरी चूत का अच्छी तरह से मसाज कर रहा था। मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था। अब उसने फिर मेरा हाथ पकड़ के अपने अकड़े हुए लंड पे रख दिया और मेरे हाथ को अपने हाथों से ऐसे दबाया जैसे मैं उसका लंड दबा रही हूँ। बहुत मोटा, सख्त और गरम था उसका लंड। उसने इलास्टिक वाला जॉगिंग पैंट पहना था जिसको उसने अपने घुटनों तक खिसका दिया था और मेरे हाथ में अपना लंड थमा दिया था और मैंने हमेशा की तरह बिना पैंटी और बिना ब्रेज़ियर के नाइटी पहनी थी। मुझे क्या मालूम था कि ऐसे होने वाला है। मैं तो रोज़ रात को सोने के टाईम पे अपनी पैंटी और ब्रेज़ियर निकाल के ही सोती थी।
उसका हाथ मेरे सर के नीचे था। उसने दूसरे हाथ से मुझे अपनी तरफ़ करवट दिला दी। अब हम दोनों एक दूसरे की तरफ़ मुँह करके करवट से लेटे थे। उसने मुझे किस करना शुरू किया तो मेरा मुँह अपने आप खुल गया और जल्द ही उसकी ज़ुबान मेरे मुँह के अंदर घुस चुकी थी और मैं उसकी ज़ुबान को ऐसे एक्सपर्ट की तरह चूस रही थी जैसे मैं फ्रेंच किसिंग में कोई एक्सपर्ट हूँ। हालांकि ये मेरी ज़िंदगी का पहला टंग सकिंग फ्रेंच किस था। मेरे जिस्म में तो जैसे हल्के-हल्के इलेक्ट्रिक शॉक्स जैसे लग रहे थे। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैं कलीम के राइट साईड पे थी और वो मेरे लेफ़्ट साईड पे। अब उसने अपने पैरों को चलाते हुए अपनी जॉगिंग पैंट भी निकाल दी और अपनी टी-शर्ट भी। वो पूरा का पूरा नंगा हो गया था। उसके सीने के बाल मेरी नाइटी के ऊपर से ही मेरे बूब्स पे लग रहे थे और मेरे निप्पल खड़े हो गये थे। कलीम ने मेरी राइट लेग को उठा के अपने लेफ़्ट जाँघ पे रख लिया। ऐसा करने से मेरी नाइटी थोड़ी सी ऊपर उठ गयी तो उसने मेरी जाँघों पे हाथ फेरते-फेरते नाइटी को ऊपर उठाना शुरू किया और मेरी मदद से पूरी नाइटी निकाल दी। मैं एक दम से अपने होश-ओ-हवास खो चुकी थी और वो जैसे कर रहा था, करने दे रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी।
हम दोनों एक दूसरे की तरफ़ करवट लिये लेटे थे और मेरी एक टाँग उसकी जाँघ पे थी और अब उसने मेरे बूब्स को मसलना शुरू कर दिया और फिर उन्हें मुँह मे लेकर चूसने लगा। बूब्स को मुँह में लेते ही मेरे जिस्म में इलेक्ट्रिक करंट दौड़ गया तो मैंने उसका लंड छोड़ के उसका सर पकड़ के अपने सीने में घुसा दिया। वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूचियों को चूस रहा था और उसका लंड जोश में हिल रहा था। लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के लिप्स को छू रहा था। लंड के सुराख में से प्री-कम भी निकल रहा था।
उसने मेरा हाथ अपने सर से हटाया और फिर से अपने लंड पे रख दिया और मैं खुद-ब-खुद ही उसको दबाने लगी और वो मेरी चूत का ऊपर से नीचे मसाज करने लगा। कभी चूत के सुराख में धीरे से उंगली डाल देता और कभी चूत के लिप्स के अंदर ही ऊपर से नीचे और जब कभी मेरी क्लीटोरिस को मसल देता तो मैं जोश में पागल हो जाती। मेरी एक टाँग उसकी जाँघों पे रखे रहने की वजह से मेरी चूत थोड़ी सी खुल गयी थी और लंड का सुपाड़ा चूत से छू रहा था तो मैंने उसके लंड को पकड़े-पकड़े अपनी चूत के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया। मैं मस्ती से पागल हुई जा रही थी। मुझे लग रहा था जैसे मेरे अंदर कोई लावा उबल रहा है जो बाहर आने को बेचैन है। इसी तरह से मैं उसके लंड को अपनी चूत में रगड़ती रही और लंड में से निक्ल हुआ प्री-कम और मेरी चूत का बहता हुआ जूस मिल के चूत को और ज़्यादा स्लिपरी बना रहे थे और मेरा मस्ती के मारे बुरा हाल हो चुका था। अब मैं चाह रही थी के ये लंड मेरी चूत के अंदर घुस जाये और मुझे चोद डाले। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | कलीम ने मुझे फिर से चित्त लिटा दिया और मेरी टाँगों को खोल के बीच में आ गया और मेरी बे-इंतहा गीली चूत को किस किया तो मैंने अपने चूतड़ उठा के उसके मुँह में अपनी चूत को घुसेड़ना शुरू कर दिया। मेरी आँखें बंद हो गयी थी और मज़े का आलम तो बस ना पूछो। इतना मज़ा आ रहा था जिसको लिखना मुश्किल है। उसका मुँह मेरी चूत पे लगते ही मेरी टाँगें खुद-ब-खुद ऊपर उठ गयी और उसकी गर्दन पे कैंची की तरह लिपट गयी और मैं उसके सर को अपनी टाँगों से अपनी चूत के अंदर घुसेड़ रही थी और मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मेरे अंदर उबलता हुआ लावा अब बाहर निकलने को बेचैन है। मेरी आँखें बंद हो गयी और उसकी ज़ुबान मेरी क्लीटोरिस को लगते ही मेरे जिस्म में सनसनी सी फैल गयी और मेरे मुँह से एक ज़ोर की सिसकरी निकली, “आआआआहहहह सससस”, और मेरी चूत में से गरम-गरम लावा निकलने लगा और पता नहीं कितनी देर तक निकलता रहा। जब मेरा दिमाग ठिकाने पे आया तब देखा कि कलीम अभी भी मेरी चूत में अपनी ज़ुबान घुसेड़ के चाट रहा है और पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से काट रहा है और मेरी चूत में फिर से आग लगने लगी। मैं सोच रही थी के बस अब कलीम मेरी चुदाई कर दे लेकिन उस से बोलने में शरम भी आ रही थी। बस इंतज़ार ही करती रही कि कब ये मुझे चोदेगा।
कलीम के हाथ मेरी गाँड के नीचे थे और वो मेरे चूतड़ों को उठा के चूत को चूस रहा था। मैं अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल के अपनी चूत कलीम के मुँह से रगड़ रही थी। चूत में फिर से गुदगुदी शुरू हो गयी थी। चूत बे इंतहा गीली हो चुकी थी और मस्ती में मेरी आँखें बंद थी और मैं कलीम का सर पकड़े हुए अपनी चूत में घुसेड़ रही थी। अब शायद कलीम से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो वो अपनी जगह से उठा और मेरी टाँगों के बीच में बैठ गया और अपने लौड़े को अपने हाथ से पकड़ के उसके सुपाड़े को मेरी गीली और गरम जलती हुई चूत के अंदर, ऊपर से नीचे कर रहा था। मेरी टाँगें मुड़ी हुई थी। मुझसे भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने अपना हाथ बढ़ा के कलीम का लोहे जैसा सख्त और मोटा तगड़ा लंड अपने हाथों से पकड़ के अपनी ही चूत में घिसना शुरू कर दिया। उसके लंड में से निकलते हुए प्री-कम से उसका लंड चूत के अंदर स्लिप हो रहा था और जब उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के सुराख पे लगाता तो मेरे मुँह से मज़े की एक सिसकरी निकल जाती। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
कलीम अब मेरे ऊपर मुड़ गया और मेरे मुँह में अपनी ज़ुबान को घुसेड़ के फ्रेंच किस कर रहा था और मैं उसके लंड को अपनी चूत में घिस्स रही थी। मेरी टाँगें कलीम की कमर पे लपटी हुई थी और कलीम का लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में सैंडविच बना हुआ था। उसने अपने लंड को चूत के लिप्स के बीच में से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। चूत बहुत ही स्लिपरी हो गयी थी और ऐसे ही ऊपर नीचे करते-करते उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरी छोटी सी चूत के सुराख में अटक गया और मेरा मुँह एक्साइटमेंट में खुला रह गया। उसने अपना लंड थोड़ा सा और पुश किया तो उसके लंड का सुपाड़ा पूरा चूत के अंदर घुस गया और मुझे लगा जैसे मेरी अंदर की साँस अंदर और बाहर की साँस बाहर रह गयी हो। मेरे मुँह से हल्की सी चींख, “ऊऊऊईईई” निकल गयी और मैंने अपने दाँत ज़ोर से बंद कर लिये।
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