मेरी मोम की ४ साल पहले एक आक्सिडेंट मैं डेथ हो गई थी. उस वक़्त मैं कोई ११ साल की थी और अपने पापा की अकेली बेटी थी. हम लोग काफ़ी साल पहले चेन्नई से मुंबई शिफ्ट हो गये थे. यहाँ मुंबई मैं सिवई हमारे एक दो फॅमिली फ्रेंड्स के अलावा और कोई रिश्तेदार ना था. बस हम तीनो अकेले रहते थे. मम्मी की डेथ के बाद हम सिर्फ़ 2 रह गये थे. घर क एक कमरे मैं जो की बाहर कमर्षियल स्ट्रीट की तरफ खुलता था, पापा ने बहुत अच्छा जनरल स्टोर खोला हुआ था जिस से हमारी बहुत अच्छी इनकम होती थी. मम्मी के जाने के बाद मुझे भी तन्हाई महसूस नही होती थी. सुबह मैं स्कूल चली जाती. काम वाली सुबह घर की सफाई कर के खाना तैयार कर के चली जाती. स्कूल से वापसी पर हम दोनो बाप बेटी साथ खाना खाते. मम्मी की कमी बहुत महसूस होती थी. इसी तरह एक साल गुज़र गया. और मुझे यह कभी भी एहसास ना हुआ के अगर मुझे मम्मी की कमी महसूस होती है तो पापा का क्या हाल होता होगा. मैं जवानी की हदों को चू रही थी. मेरी छातियाँ अच्छी ख़ासी निकल आई थी. अक्सर मेरी चूत मैं भी मीठी मीठी खारिश होती थी. मगर ना मैं इन सब चीज़ों का मतलब जान सकी और ना यह महसूस कर सकी के पापा मम्मी के बाद सेक्स को कितना मिस करते होगे. फिर एक रात वो हुआ जिसने हम दोनो बाप बेटी की ज़िंदगी बदल दी. जुलाइ की रात थी. गर्मी के बाद बहुत तेज़ बेरिश हो रही थी. बदल बहुत ज़ोर ज़ोर से गरज रहे थे. मैं अपने कमरे मैं सहमी हुई सोने की कोशिश कर रही थी, मगर डर के मारे नींद नही आ रही थी. अचानक जो एक दफ़ा बदल बहुत ज़ोर से गर्जे तो मेरी चीख निकल गई और मैं बेड से उठ कर पापा के बेडरूम की तरफ भागी. जल्दी से मैंने पापा के बेडरूम का डरवाज़ा खोला और पापा के बेड के बिल्कुल सामने जा खड़ी हुई. सब कुछ इतना जल्दी में हुआ की मैं बेडरूम का डरवाज़ा खोलते हुयी यह भी ना देख सकी के मेरे प्यारे पापा उस वक़्त अपने बेड पर बिल्कुल नंगे हो कर अपने तने हुआी सख़्त लंड को अपनी मुठी मैं पकडे, मुठी को लंड पर ऊपर नीचे कर रहे थे. मैंने ज़िंदगी मैं पहली बार लंड को इतना बड़ा (बिग) देखा था. पापा को भी मोक़ा ना मिल सका की मै हू अपने जिस्म पर शीट डाल लेते. उनका मुँह खुला का खुला रह गया. मेरे भी मुँह से सिवाए इसके और कुछ ना निकल सका “सॉरी पापा, मैं डर गयी थी, इस लिये जल्दी मैं डोर पर नॉक नही कर सकी”. पापा ने इतनी देर में अपने ऊपर शीट डाल ली और घबरा कर उठ कर बेड पर बैठ गाए, और बोले: “सॉरी बेटा के तुम ने मुझे इस हालत मैं देख लिया. आ जाओ और यहाँ मेरे पास बैठ जाओ. जब बारिश रुक जाए तो चली जाना अपने बेडरूम में”. “मगर पापा ….. आप डिस्टर्ब होंगे. आप कुछ कर रहे थे अभी?” लेकिन पापा ने जवाब देने की बजाए मुझे हाथ पाकर कर अपने साथ बेड पर बिठा लिया. “पापा आप ने कुछ नही पहना … मुझे शरम आती है.” यह कहते हुए मुझे खुद अपने बारे मैं एहसास हुआ की मैंने भी गर्मी की वजह से सिर्फ़ एक थिन सी, सी-थ्रू क़िसम की टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी. ब्रा भी नही पहनी थी, इस लिये मेरा जिस्म भी बिल्कुल रिवील हो रहा था. टी-शर्ट भागते हुआी ऊपर हो गई ही, जिस की वजह से मेरा पायट और मेरे टिट्स सॉफ नज़र आ रहे थे. एक तरफ पापा को मैं नंगा अपना लंड पकडे देख चुकी थी, और अब वो शीट डाले बैठे थे के पीछे से उनकी कमर नीचे तक नंगी थी. और दूसरी तरफ मैं भी सेमी-नेकेड उनके पास बैठी हुई थी. मेरी साँस फूल रही थी. मुझे उस रात पापा के पास बैठ कर पहली दफ़ा एहसास हुआ के मेरा जिस्म बहुत सेक्सी है. मेरे बूब्स मेरी 13 साल की लड़की के मुक़ाबले मैं ज्यादा बड़े और कड़े हैं और सामने को निकले हुयी हैं. मेरे हिप्स बहुत रौंद, हार्ड और बल्जिंग हैं. मेरा जिस्म भरा भर लगता है. अचानक बारिश का शोर और ज्यादा हो गया और साथ ही बादल एक बार फिर बहुत ज़ोर से गर्जे के मैं डर के मारे एक दम पापा से चिपट गई. इस तरह चिमटने से पापा की शीट हट गई, और पापा फिर से नंगे हो गाए. मैं कोई 10 सेकेंड उन्ही चिमती रही, टब मुझे पता चला के मैं अपने पापा के नंगे जिस्म से लिपटी हुई हूँ. मैंने घबरा कर पापा से अलग होने की कोशिश की तो पापा ने मेरी कमर मैं अपना हाथ डाल कर मुझे मज़बूती से अपने नंगे जिस्म के साथ जकड लिया. “जानू ऐसे ही बैठी रहो” मैं कुछ ना जवाब दे सकी. मैं पापा के लेफ्ट साइड से लिपटी हुई थी. मेरा सर पापा के सीने पर था. शीट हट जाने की वजह से पापा का खड़ा हुआ लंड मेरे फेस से एक फीट के फ़ासले पर था. पापा ने एक बार फिर अपने लंड को रिघ्त हॅंड की मूती मे जकर लिया और हाथ को लंड पर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर नीचे करने लगे. “पापा यह आप काइया कर रहें हैं?” “आज तुम्हारी मम्मी की बहुत याद आ रही हे” पापा ने जवाब दिया. “ची पापा, जुब मम्मी की याद आती हे तो आप ऐसे करते हैं?” “बेटा, वो तुम्हारी मया थी, लेकिन मेरी बीवी थी, और मीयन बीवी का रिश्ता और तरह का होता हे”. “मैं समझी नही पापा!” “बेटी काइया तुम्हे नही पता मीयन बीवी का काइया जिन्सी रिश्ता होता हे?” पापा ने पूछा “नही पापा, आप बताएँ” “अब मैं कैसे तुम्हें बताऊं के मीयन बीवी मैं सेक्स का रिश्ता होता. और इसी रिश्ते की वजह से तुम पायदा हुईं और आज तुम मेरे साथ इस तरह बैठी हो” “हू कैसे पापा?” मेरी समझ मैं अब भी नहीं आ रहा था. “शादी के बाद मीयन अपनी बीवी के साथ सेक्स करता हे, यानी अपनी बीवी तो इस लंड से उसकी चूत को चोद्ता हे. चोदते हुआी जुब लंड से मनी चूत मैं निकलती हे तो फिर 9 मंत बाद बाकचा पैदा होता हे”. लंड और चूत का नाम तो मैंने कहीं सुन रखा था, मगर “चोद्ता” मैंने पहली बार सुना था. “पापा यह “चॉड्टा” काइया होता हे?” पापा की साँस आहिस्ता आहिस्ता फूल रही थी. शिवरिंग सी आवाज़ मैं वो बोले. “अब इस से आगे मैं जो तुम्हाइन बताऊँगा तो उसके लिये तुम्हाइन भी मेरी तरह काप्राय उतार कर नंगी होना परे गा. काइया तुम तय्यार हो.” मैं पापा की बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई और उनकी ग्रिफ़्ट से निकालने की कोशिश करने लगी. लेकिन पापा ने ज़बरदस्ती मेरी शॉर्ट्स और टी-शर्ट उतार दी और हम दोनो बाप बेटी बिल्कुल नंगे होगएय. अब पापा ने मेरा रिघ्त हॅंड पाकर कर अपना लंड मेरे हाथ मैं पकरा दिया, और साथ ही मेरी चिकनी और हेरलेस चूत पर उंगली फेरते हुआी बोले. “यह तुम ने मेरा लंड पकरा हुआ हे और मैं टुमरी चूत पर उंगली फेर रहा हूँ. तुम्हे प्यार करते हुआी अगर मैं अपने इस लंड को अपनी बेटी की चूत मैं डाल कर अपने लंड को तुम्हारी चूत मैं अंडर बाहर करूँ गा तो इसका मतलूब होगा के मैं तुम्हाइन छोड़ रहा हूँ, या तुम मुझ से छुड़वा रही हो, और या मैं तुम्हे छोड़ता हूँ” मेरी चूत पर पापा की उंगली लगते ही मेरी चूत मैं करेंट सा दौर गया. पापा ने जुब मेरी चूत के दाने को उंगली से चेरा तो मैंने बुरी तरह से मचल कर पापा के हाथ को अपनी राणो के डरमियाँ भींच लिया. इस के साथ ही मैंने पापा के लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी. पापा का लंड मेरी मूती मैं किसी ज़िंदा मखलूक़ की तरह मचल रहा था. मुझे अब एहसास हो रहा था के सेक्स काइया होता हे. “पापा लंड मेरी चूत मैं डाल कर मुझे छोड़ के दिखाएँ” मैंने पापा से कहा. “जानू तुम अभी कुँवारी हो, और मेरी सग़ी बेटी हो. पहली बात तो हुमैन ऐसा नहीं करना चाहिये. लेकिन एक साल से मेरा लंड किसी चूत को छोड़ने के लिये तारप रहा हे. बाहर जा कर मैं रंडी को नही छोड़ना चाहता. अगर तुम्हारी मर्ज़ी हो तो फिर मैं अपनी बेटी को छोड़ कर दिखा सकता हूँ” “पापा मैं अभी सिर्फ़ 13 साल की हूँ, लेकिन अभी अभी आप के मेरी चूत को हाट लगाने से जो मेरी हालत हो रही हे, तो मैं आप की हालत भी समझ सकती हूँ .. … पापा छोड़ के दिखाएँ मुझे, ता के मुझे भी पता चले के आप मेरी मम्मी को कैसे छोड़ते थे … और पापा मेरी शकल सूरत भी चूँके मम्मी से बहुत मिलती हे, इस लिये आप को छोड़ते हुआी लगे गा के आप अपनी बीवी को छोड़ रहें हैं…” “उफ़ जानू … मेरी प्यारी बेटी … तूने तो मेरी मुश्किल आसान करदी …”, यह कहते हुआी पापा ने एक दूं से उठा कर मुझे अपनी गौड़ मैं बिता लिया. पापा का लंड मेरी राणो के बीच मैं से बाहर को निकल कर मेरे पायट से टच कर रहा था. पापा के लंड के मुँह से चिकना चिकना लेसडार पानी निकल कर मेरे पायट पर लग रहा तट. पापा ने मुझे अपने से चिंता कर खूब मेरे मुँह पर, मेरे होंतों पर प्यार करना सुरु काइया. मेरी दोनो छातियाँ पापा ने अपने हाथों मे पाकर कर मसलनी सुरु कर्दीन. मेरे पूरे जिस्म मे जैसे आग सी लग गई. मैं भी बे-इकतियार हो कर अपने पापा को उसी तरह चूमने चाटने लगी. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रहीं थी. मेरा पूरा जिस्म शिद्दत-ए-जज़्बात से काँप रहा था. पापा ने प्यार करते करते मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद अपना लंड हाथ मैं ले कर मेरे मुँह के ऊपर आ गाए, और लंड की टोपी को मेरे होंतों से लगते हुआी बोले: “शहला, मेरी प्यारी सी बेटी, अपने पापा का लंड चूसो मुँह मैं ले कर. पापा के लंड से मनी निकालने वाली है, फिर इसके बाद मैं अपनी बेटी को छोड़ूं गा”. “पापा यह मनी काइया होती हे?” “अभी जुब तुम्हारे मुँह मैं निकले गी तो देख लेना. यह वाइट क्रीम या मलाई की तरह होती हे, और बहुत गरम और मज़ेदार होती हे. लो अब चूसो पापा का लंड.” मैंने मुँह पूरा खोल दिया, और पापा ने अपना हड्डी की तरह सख़्त लंड मेरे मुँह मैं डाल दिया. मैं लंड मुँह मैं ले कर लंड को अपने लिप्स से दबा लिया, और पापा होले होले मेरे मुँह को छोड़ने लगे. “उफ़ शहला …. जानू …. मज़ा आरहा है …. छोड़ रहा हूँ अपनी बेटी शहला के मुँह को. उफ़ … …. निकालने वाली हे पापा के लंड से मनी….” और इसके बाद छूँड हे लम्हे मैं पापा के लंड से एक तेज़ पिट्चकारी मेरी मुँह के अंडर निकली, और उसके बाद तो जैसे पिट्चकारीओं की लाइन लग गई. मेरा मुँह पापा की गरम गरम मनी से भर गया. पापा की मनी मुँह से बाहर ना निकल जाई, इस ख़याल से मैं काफ़ी मनी पी गई. पापा घहरी घहरी साँसाइन ले रहे थे और उनका लॉरा मेरे मुँह मैं ढीला परता जा रहा था. पापा ने आख़िर अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकल लिया. मुझे पापा का लंड देख कर हँसी आ गई के वो अब बिकुल सूकर कर लुल्ली बुन गया था. हंस ने की वजह से पापा की बाक़ी मनी मेरे मुँह से बाहर निकल कर मेरी छातियों पर बहने लगी. गारही गारही, सुफैइड क्रीम जैसी लेसडार मनी. मनी मैं से एक अजीब सी खट्टी मीठी खुश्बू उठ रही थी (जैसे आता गूंधने के बाद आती हे). “देखी अपने पापा की मनी? ऐसी होती हे मनी. यह मनी जुब लर्की या औरत की चूत के अंडर निकलती हे तू उस से औरत के पायट मैं बाकचा तहर जाता है.” मैं इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी के मैंने पापा की मनी अपनी टिट्स पर मालनी सुरु करदी. “बेटी मैं अब तुम्हारी चूत को चाटून गा ता के तुम्हारी नून्न्ी मुन्नी चूत पापा के मोटे सख़्त लंड को अंडर लेने के लिये तय्यार हो जाए.” आज मैं अपने पियरे पापा से जो कुछ भी छुड़वाने के नाम पर करवाने जा रही थी, यह मेरी ज़िंदगी का सब से अनोखा तजर्बा था. आअज से पहले मैं अपनी चूत को सिर्फ़ पेशाब करने की जगह समझती थी. मुझे आज पहली बार पता चला के चूत मैं ऐसी खारिश भी होती हे जो सिर्फ़ लंड से मिट ती हे.
कहानी जारी है आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे ….