दिल्ली का टूर

आदरणीय गुरूजी को प्रणाम,

सभी दोस्तों का बहुत बहुत धन्यवाद की आप लोगों ने मेरी कहानी को सराहा | दोस्तों आप लोगों को मैं एक बात क्लियर कर दूँ की मैंने उन पाँचों लड़कियों की सील जरूर तोड़ी थी लेकिन सेम टाइम में नहीं बल्कि पुरे दिन में बारी बारी से तोड़ी थी | दोस्तों मैं कोई हीमैन या हल्क नहीं हूँ हाँ मानता हूँ की मेरे लंड में बहुत दम है लेकिन मैं सेम टाइम में पाँच चूत की सील नहीं तोड़ सकता क्योंकि एक चूत की सील तोड़ने में ही बहुत ताकत लगती है | और हाँ जिस किसी को मेरी कहानी पसंद आये वो मुझे कमेंट्स कमेंट या तो मेल कर दे | खैर मैं आप लोगों को ज्यादा बोर न करते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ| जैसा की मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया था की घर में हम पाँचों लोग नंगे ही रहते हैं कपड़े तब ही पहने जाते थे जब हम या तो घर से बाहर निकलते थे या कोई रिश्तेदार घर आता था अन्यथा हम पाँचों ही बिलकुल नंगे रहते हैं| चारों लड़कियों को सिर्फ एम् सी के समय चड्डी पहन ने की इज़ाज़त थी|जिससे जिस किसी का भी जब मन करता वो मेरे लंड के साथ खेल लेती थी|हाँ शिखा को मेरा बीज पीना बहुत अच्छा लगता था इस वजह से वो मेरा लंड अक्सर चुस्ती थी और उसे अपने मुँह में झाड़ लेती थी|एक बार दिसंबर 2014 में सुबह के समय वो मेरा लंड चूसकर जगा रही थी उसी वक़्त मेरी एक क्लाइंट का फ़ोन आया जो शिखा ने ही रिसीव किया और कहा की जीजू अभी सो रहे हैं थोड़ी देर बाद काल करना | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | जब उसने मेरा बीज पी लिया तो मेरी आँख खुली तो उसने बताया की आपकी एक क्लाइंट का फ़ोन आया था| मैंने उसे समझाया की तुम रोज़ मेरा बीज पियोगी तो मैं कैसे तुम लोगों को चोद पाउँगा क्योंकि बार बार बीज निकलने से लंड की ताक़त कम होती है तो वो बोली जीजू क्या करूँ आपका बीज इतना स्वादिष्ट है की मैं अपने आपको रोक नहीं पाती हूँ| मैंने उससे पूछा की वो क्लाइंट क्या कह रही थी? तो उसने बताया की मैंने कुछ देर बाद फ़ोन करने के लिए कह दिया है|उसके बाद मैं बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला गया | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | फ्रेश होने और ब्रश करने के बाद चारों में से कोई एक लंड की जैतून के तेल से मालिश करती है जिससे लंड की नशें कमजोर नहीं पड़ें और उसमें लंबे समय तक चोदने की स्टैमिना रहे|उसके बाद वो ही लड़की नहाते समय मेरे लंड को साबुन से अच्छी तरह रगड़ कर साफ़ करती है| यह मेरी रोजाना की दिनचर्या थी| मैं जैसे ही नहा धोकर फ्री हुआ वैसे ही दरवाजे की घंटी बजी|मैंने अपने नंगे बदन पर लुंगी लपेटकर और शर्ट पहनकर दरवाजा खोला तो दरवाजे पर गरिमा खड़ी हुई थी|गरिमा मेरी बहुत अच्छी क्लाइंट थी|वो महीने में कम से कम 20 दिन मेरी सर्विस लेती थी|मैंने गरिमा से अंदर आने को कहा और पूछा की कैसे आना हुआ? तो गरिमा ने बताया की मेरी दिल्ली में एक सहेली रहती है|उसकी अभी एक महीने पहले ही शादी हुई है|उसका पती दुबई में नौकरी करता है जो शादी के 10 दिन बाद ही नई नवेली दुल्हन को छोड़ कर दुबई चला गया है|अब वह अपने पती के बिना ऐसे तड़पती है जैसे बिना पानी के मछली|यह बात मेरी सहेली ने मुझे फ़ोन पर बताई तो मैंने अपनी सहेली से कहा की कोई जीगोलो को बुलाकर अपनी चूत शांत करवा ले| तो उसने कहा की मैं तो यहाँ किसी को नहीं जानती तो मैंने उससे कहा की हमारे आगरा में एक है जिसका लंड भी करीब 9″ का है जो तेरी चूत का भुर्ता बना देगा और साथ साथ तेरी प्यास भी भुजा देगा पर उसका खर्चा थोडा ज्यादा होगा| मेरी सहेली ने कहा की तू खर्चे की फिक्र मत कर तू उसे जल्दी से भेज दे| मैं इसीलिए सुबह सुबह तुम्हारे पास आई हूँ|तुम्हें आज ही दिल्ली निकलना है|उसने मुझे फुल एड्रेस और ट्रेन का रिजर्वेशन टिकट दिया|मैंने गरिमा से पूछा की यह दिल्ली का टूर कितने दिन का है? तो उसने जवाब दिया कम से कम तीन दिन का| क्योंकि उसने मुझसे कहा था की यदी उसने मुझे संतुष्ट कर दिया तो मैं उससे 3-4 दिन लगातार चुदुंगी|तो मुझे पता है की तुम्हे कम से कम तीन दिन लगेंगे | मैंने गरिमा से कहा की तुम मेरी पुरानी क्लाइंट हो इसलिए मैं तुम्हारी कोई बात नहीं टालूंगा| गरिमा ने कहा की आप चिंता न करो आपके पैसे मैं दूंगी और कहकर उसने लंड का अपने होंठो से चुम्मा लिया और चली गई|मैंने भी उसके जाने के बाद शिखा से पैकिंग करने के लिए कहा|और करीब 30 मिनट के बाद मैं स्टेशन की और चल पड़ा|शाम के करीब 5 बजे मुझे ट्रेन ने नई दिल्ली छोड़ा|स्टेशन के ऊपर ही रोड वाले पुल पर पहुंचकर मैं उत्तम नगर जाने वाली बस का इंतज़ार करने लगा| बस स्टॉप पर बहुत भीड़ थी|जैसा की आप सभी जानते हैं की सुबह शाम दिल्ली की बसों में कितनी भीड़ चलती है|खैर कुछ देर बाद बस आ गई और मैं उसमें चढ़ गया|मेरे साथ दो तीन लड़कियाँ और कुछ अन्य सवारियां भी चढ़ी|बस में पैर रखने की भी जगह नहीं थी| किसी तरह से धक्का मुक्की करके मैं बस में चढ़ गया | पहाड़गंज थाने वाले स्टॉप तक वो लड़कियाँ भी धक्के की वजह से मेरे पास आ गई|जैसा की मैंने आप लोगों को बता चुका हूँ की मैं नीचे अंडरवियर नहीं पहनता हूँ | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उन लडकियों से टच होते ही मेरा लंड पेंट में ही तन गया और उनकी आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | गाँड में चुभने लगा|लड़की को जब मेरा लंड चुभा तो वह बोली भाई ठीक से खड़ा हो तो मैं थोडा संभल गया लेकिन भीड़ ज्यादा होने के कारण और बस के झटके के कारण कभी उन लड़कियों से मैं टच होता और कभी वो तो उनमें एक लड़की ने मेरा लंड पकड़ लिया|लंड पकड़ते ही उसने मेरी पेंट की ज़िप भीड़ में ही खोल दी और लंड को हाथ से आगे पीछे करने लगी|जिससे मुझे मजा आने लगा|लेकिन मैं मुंह से कुछ भी बोल नहीं सकता था क्योंकि आस पास काफी भीड़ थी|खैर मैं करीब 20 मिनट बाद ही उसके हाथ में झड़ गया|वो तो अच्छा था की मेरे पास वो लड़कियाँ ही थी अन्यथा औरों के भी कपडे ख़राब हो जाते|उसके बाद उन तीनों ने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर लिया और वो रोहिणी उतर गई|उसके कुछ देर बाद मैं सोचने लगा की दिल्ली की बसों में लड़कियाँ ऐसा भी कर सकती हैं| इसी सोच विचार में उत्तम नगर कब आ गया पता ही नहीं चला|बस स्टॉप पर गरिमा की सहेली मुझे लेने आई थी|जैसा की मुझे गरिमा ने आगरा में ही बताया था उत्तम नगर बस स्टॉप पर मेरी सहेली गाड़ी नंबर डी0 एल0 4सी डब्ल्यू 2357 से तुम्हें लेने आएगी|तो बस मैंने वो गाड़ी नंबर देखकर मैं उसके पास खड़ा हो गया|उस गाड़ी में एक 17-18 साल की लड़की और दो करीब 20-21साल की औरतें थी| उनमें से एक ड्राइविंग सीट पर बैठी हुई थी| शायद गरिमा ने अपनी सहेली को मेरा हुलिया बता दिया होगा इसलिए उसने मुझसे पूछा की आपका नाम क्या है? तो मैंने उसे बताया की मेरा नाम विशु कपूर है और मैं आगरा से आया हूँ| उसने झट से मुझे आगे वाली सीट पर बैठने को कहा|मैं उन दोनों को े देखकर झिझक रहा था| उस औरत ने जो ड्राइविंग सीट पर बैठी थी मेरा सभी से परिचय करवाया|मैं गीतांजली, मेरी सहेली कविता और मेरी छोटी बहिन पायल| उसने मुझे रास्ते में बताया की इतने बड़े घर में मैं और मेरी बहन ही रहते हैं|मेरे जेठ जिठानी करोलबाग में रहते हैं|कभी कभी ये सहेली भी आ जाती है क्योंकि इसके और मेरे पती दुबई में साथ काम करते हैं|कुछ समय बाद हम लोग घर पहुँच गए|बहुत ही आलीशान कोठी थी|मैं तो सच में सपना सा देख रहा था की मैं शायद ज़न्नत में हूँ या ज़मीन पर|उसमें हर तरह की सुख सुविधा का साधन मोजूद था|कुछ देर बाद हम सभी ने साथ साथ नाश्ता किया और इधर उधर की बातें की और टीवी देखने लगे|करीब एक घंटे बाद हम चारों ने साथ साथ खाना खाया|खाना खाने के बाद गीतांजली सभी को अपने रूम में ले गई| वहाँ साइड में पड़े एक बड़े सोफे पर गीतांजली ने अपने बगल में मुझे बिठाया और मेरे बगल में कविता को और ेपायल को सोने के लिए उसके कमरे में भेज दिया|हम तीनों में कुछ देर इधर उधर की बातें हुई तभी कविता ने पेंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया|मैं अचानक हुए इस हमले के लिए तैयार नहीं था | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | लेकिन जैसे ही कविता ने मेरा लंड पकड़ा तससे पहले मैं कुछ कहता गीतांजली ने खुद कहा की विशु जी आपको हम दोनों की चुदाई करनी है| मैंने कहा की गरिमा ने तो बताया था की मुझे सिर्फ आपकी चुदाई करनी है तो कविता ने कहा की मैं भी करीब 20 दिन से लंड की प्यासी हूँ मुझे कौन चोदेगा और गीतांजली मुझे यह बता की तेरी सहेली का यार सिर्फ तुझे चोदने के लिए ही आगरा से दिल्ली आया है? क्या मेरी चूत लंबे और मोटे लंड के लिए तरसती रहेगी? कहकर वो दुखी होकर रुआंसी सी हो गयी|मुझसे कविता का रोना देखा नहीं गया तो मैंने कविता से कहा की कविता जी आप रोइये नहीं सबसे पहले मैं आपकी ही चुदाई करूँगा उसके बाद ही मैं गीतांजली जी की चुदाई करूँगा| उसी दौरान उस बस वाली लड़की जिसके हाथ में मैं झड़ा था का फोन आया|नंबर सेव न होने के कारण मैं पहचान न सका और मैंने फोन उठा लिया तो उधर से एक मीठी सी प्यारी सी आवाज़ ने पूछा की विशु जी आप कहाँ हैं? तो मैंने पूछा की आप कौन बोल रही हैं? तो उधर से आवाज़ आई की मैं भावना बोल रही हूँ बस वाली|मैंने कहा की हाँ जी हाँ जी पहचान गया बताइये कैसे याद किया इस वक़्त? तो बोली कोई खास नहीं बस आपकी याद आ रही थी| सच कहूँ आपका वो कितना बड़ा और मोटा है| मैंने आज पहली बार इतना बड़ा और मोटा देखा है|मैंने कहा की मैं इस समय अपनी एक खास मीटिंग में हूँ आप एक काम कीजिये मुझे कल सुबह फोन कीजिये कहकर मैंने फोन काट दिया|तभी गीतांजली ने पूछा की कौन था? मैंने उसे बस वाला सारा किस्सा बता दिया|कुछ देर बाद उन दोनों ने अपने सारे कपडे उतार दिए और नंगी हो गई और मुझे भी बिलकुल नंगा कर दिया और जैसे ही मेरी पेंट उतरी गीतांजली की आँखे फटी सी रह गई और बोली बाप रे कितना बड़ा और मोटा लंड है तुम्हारा? इतने बड़े और मोटे लंड को कैसे सँभालते होगे? मेरे पती का तो बहुत छोटा और छोटा है|कविता ने कहा की मेरे पती का लंड थोडा सा करीब 2.5 इंच छोटा होगा लेकिन आपका रो बहुत मोटा है| कहकर वो दोनों मेरे लंड से खेलने लगी|कभी हाथ से हिलाती तो कभी मुँह में लेकर चूसती| इस क्रिया से मेरा लंड लोहे की गरम रॉड की तरह तन गया|फिर मैं कविता को चूमने लगा और चूमते चूमते हम 69 पोजीशन में आ गए और मैं उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा लंड चूस रही थी|चूत चूसते चूसते मैं कभी कभी कविता की चूत के दाने को भी दाँत से काट लेता था जिससे वो चीखकर अपने कूल्हे ऊपर को उठा देती थी|इस क्रिया को मैंने 5-6 बार किया जिससे वो झड़ने के करीब आ गई और उसने अपने कूल्हे हवा में दो तीन बार उठाये और एक मीठी सी सीत्कार के साथ वो मेरे मुँह पर झड़ गई| मैं उसका सारा गाढ़ा पानी पी गया और लगातार चूत को चाटता रहा|कुछ देर बाद कविता फिर गरम हो गई और चिल्लाने लगी भोसड़ी के मेरी चूत ही चाटता रहेगा या मेरी चुदाई भी करेगा अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा है| मैंने भी देर न करते हुए अपना लंड कविता की चूत पर रख दिया और अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा|उसी दौरान कविता ने नीचे से अपनी कमर उछाली तो उसकी फटी हुई चूत में मेरे लंड का सुपाड़ा फँस गया|फिर मैंने दो तीन धक्के और जोर से लगाये जिससे मेरा पूरा लंड बिना मेहनत के घुस गया| कुछ देर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाये| जब कविता को मजा आने लगा तो मैंने अपने धक्कों की स्पीड तेज कर दी|कविता कुछ ज्यादा उत्तेजित थी इसलिए वो झट से झड़ गई लेकिन मैं अभी झड़ने से बहुत दूर था और लगातार जोर जोर से धक्के लगाता रहा|करीब 40 मिनट तक लगातार चोदने के बाद मेरा लंड अकड़ने लगा तो मैंने कविता से कहा की मैं झड़ने वाला हूँ तो कविता ने कहा की मेरी चूत में ही झड़ जाओ | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उसके बाद मैंने लगभग 8-10 धक्के और मारे की कविता की चूत में ही झड़ गया और धम्म से कविता के ऊपर ही गिर गया|फिर कविता ने मुझे बहुत प्यार किया|उसके करीब 1 घंटे तक मैं कविता के बगल में लेटा रहा| उसके बाद कविता ने मेरा गन्दा लंड चूस कर खड़ा किया और सैम उसी तरह से गीतांजली की चुदाई की लेकिन गीतांजली की चूत ज्यादा चुदी न होने की वजह से काफी टाइट थी|जब मैं गीतांजली को चोद रहा था उसी दौरान वहाँ पायल भी आ गई थी जो काफी देर से कविता और गीतांजली की चुदाई की होल से देख रही थी और अपनी उँगलियों से अपनी चूत को सहला रही थी|लेकिन मैंने पायल को उस रात चोदा नहीं था सिर्फ उसकी कुंवारी चूत चाट कर गाढ़ा पानी पिया था लेकिन दूसरे दिन मैंने सबसे पहले पायल की सील तोड़ी और तीनो को दो दिन में करीब 10 बार चूत मारी और दो दो बार गाँड भी मारी|तीन दिन चुदाई करने के बाद 25-25 हज़ार रूपए और आगरा की ट्रेन का रिजर्वेशन टिकट देकर विदा किया और पूछा की विशु जी अब आगे हमारी चूत को ठंडा करने कब आओगे? तो मैंने उन्हें जवाब दिया की जब कहेंगी तब| तो बताओ दोस्तों आपको मेरी कहानी कैसी लगी? ऐसी ही मेरे पास अनगिनत कहानी हैं|यदी आप मेरी कहानी को ऐसे ही प्यार देते रहेंगे तो मैं आपसे वादा करता हूँ की मैं आप तक अपनी कहानी मस्ताराम.नेट के जरिये पहुँचाता रहूँगा| मेरी ईमेल आई डी है : —[email protected]

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