दोस्तों, मेरा नाम है जन्नत खान है और मेरी माँ का नाम है मिसेस सबीना हम दोनों दोस्त बन कर रहती है . एक दूसरे के सामने नंगी रहती है . एक दूसरे के सामने भकाभक चुदवाती है . एक दूसरे की बुर में लण्ड पेलती है . लण्ड अदल बदल कर चुदवाती है . कभी कभी लण्ड एक साथ मिलकर चूसती हूँ . मैं बड़ा मज़ा करती हूँ माँ के साथ और माँ भी खूब एन्जॉय करती है मेरे साथ . माँ मेरे लिए “लन्ड” लाती है और मैं माँ के लिए “लन्ड” लाती हूँ . ऐसा कैसे हुआ ? कब हुआ ? इसकी एक लम्बी कहानी है . फिर कभी मौका मिलेगा तो आपको सुनाऊंगी . अभी तो देखो कोई दरवाजा खटखटा रहा है . मैं खोल कर देखती हूँ की कौन है ? हां हां दरवाजा खोल कर बुर खोल कर नहीं ?
दोस्तों, मैं जानती हूँ की इस समय आपका हाथ आपके “लन्ड” पर होगा . आपका “लन्ड” खड़ा है .टन टना रहा है मेरी कहानी पढ़ कर . तो फिर पूरा मज़ा लीजिये न ? कमरे का दरवाजा बंद कर दो और पूरे नंगे होकर पढो मेरी सच्ची कहानी . तुम्हे भी मज़ा आएगा और तुम्हारे “लन्ड” को भी . अगर कोई मिले तो चोदना भी शुरू कर सकते हो ? यदि आप पढ़ रही है तो आपका हाथ चूंची पर होगा या फिर चूत पर आप खूब मज़ा कीजिये और कोई साथी ढूंढ लीजिये . अपने पति को साथ लेकर सेक्स कीजिये . पति न हो तो बॉय फ्रेंड का साथ लीजिये . जवानी का मज़ा पूरा लीजिये . मेरे पास कई सन्देश आये है . जिन लोगों ने सेक्स करना छोड़ दिया था वे मेरी कहानी पढ़ पढ़ कर फिर से सेक्स करने लगे है . लोगों के “लन्ड” दुगुना खड़े होने लगे है . बड़े सख्त ही जाते है “लन्ड” मेरी कहानियां पढ़ कर .
हां तो मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो देखा की मेरे सामने अनवर अंकल खड़े है . हां हां वही अनवर अंकल जिनसे मैं अभी अभी चुदवा कर आयी हूँ . जिसके “लन्ड” के बारे में मैंने आपको बताया ? मेरी माँ को अंकल के “लन्ड” का बड़ा इंतज़ार था . अब मैं माँ को बुलाकर अंकल से मिलवा देती हूँ . मैंने अंकल को बैठाया और माँ को आवाज़ दी . माँ आ गयी . मैंने कहा अनवर अंकल ये है मेरी माँ सबीना और माँ ये है अनवर अंकल जिनके “लन्ड” के बार में मैंने तुम्हे बताया है . अंकल को भी भोषडा चोदने का शौक है . मैंने इसीलिए इसे यहाँ बुलाया है . अम्मी मुझे यकीं है की तुम्हे अंकल का “लन्ड” जरुर पसंद आएगा ? आज तेरे भोषडा को सही सही पता चलेगा की “लन्ड” क्या होता है ?
मेरी माँ बोली :- अरी मेरी जन्नत बिटिया मैंने इतनी बड़ी ज़िन्दगी में सैकड़ों “लन्ड” देखे है . जाने कितने “लन्ड” मेरी चूत की सैर कर चुके है .सैकड़ों तरह के “लन्ड” मुझे चोद चुके है . हां पर हर एक “लण्ड” का अपना अलग ही मज़ा होता है . आज मैं अनवर के “लन्ड” का मज़ा लूंगी . माँ ने अंकल के “लन्ड” पर हाथ रख कहा . अंकल की लुंगी के अन्दर हाथ दाल दिया माँ ने . अंकल लुंगी के अन्दर कुछ भी पहन कर नहीं आया था . माँ का हाथ सीधे अंकल के “लन्ड” से टकरा गया . माँ ने फ़ौरन लुंगी की गाँठ खोली तो “लन्ड” फनफना कर बाहर आ गया .
माँ बोली :- हाय अल्ला, इतना बड़ा “लन्ड” मेरी बेटी की बुर में घुसा था ? बाप रे बाप ये आदमी का “लन्ड” है की घोड़े का “लन्ड” ? अरी जन्नत मैं तेरी बुर की तारीफ करूंगी . जिस बुर ने इतने बड़े “लन्ड” को अपने अन्दर पेलव लिया वह कोई छोटी मोटी बुर नहीं है . आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
बड़ी सालिड बुर है मेरी बेटी की और ऐसी बुर बड़ी नसीब वालों को देता है खुदा ?
माँ झुकी और “लन्ड” चूमने लगी . तब तक मैंने माँ के सारे कपडे उतार दिया . माँ बिलकुल नंगी हो गयी और अंकल भी बिलकुल नंगे हो चुके थे . इतने में फिर किसी ने दरवाजा खटखटाया . मैंने खोला तो देखा की सामने दो जवान लड़के खड़े है . मैंने उनके ना पूंछे और माँ से कहा माँ साजिद और इकरार आये है . माँ ने कहा उन्हें अन्दर बुला लाओ . ये दोनों तुम्हे चोदने आये है जन्नत ? तेरी चूत आज रात इनके लिए बुक है . मैंने उन्हें अन्दर बुला लिया . वे दोनों आ गए माँ ने मुझे इशारा किया तो मैं ट्रे लेकर कमरे में आ गए उसमे पांच पैग शराब थी . एक अंकल के लिए, एक माँ के लिए दो साजिद और इकरार के लिए और एक मेरे लिए . हम सबने एक एक पैग एक ही बार में पी लिया .
माँ बोली :- साजिद और क्या पियोगे ?
साजिद :- अब मैं जन्नत की चूंची पियूँगा
इकरार :- और मैं जन्नत की चूत पियूँगा .
वे दोनों मेरी ओर लपके और मुझे देखते ही देखते सबके सामने नंगी कर दिया . साजिद मेरी दोनों चूचियां मसलने लगा और इकरार मेरी चूत चाटने लगा . थोड़ी देर में मैंने उन दोनों को आमने सामने ऐसा लिटा दिया की लंड के सामने लन्ड और पेल्हड़ से पेल्हड़ हो गए . मैंने झुक कर दोनों लन्ड अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया . मैं लन्ड मुठीयाने लगी . कभी यह लन्ड कभी वह लन्ड चूमने लेगी चाटने लगी . उधर अनवर अंकल मेरी गांड सहलाने लगा . माँ उसका लन्ड पी रही थी . अंकल दूसरे हाथ से माँ की भोषडा सहला रहा था . मैंने देखा की सजिद और इकरार के लन्ड बहुत सख्त है . अंकल का लन्ड बड़ा जरुर है लेकिन इतना सख्त नहीं है . थोड़ी देर के बाद मैं घूम गयी और साजिद के लन्ड पर बैठ गयी . लन्ड मेरी बुर में घुस गया और कूद कूद कर चुदाने लगी . इकरार का लन्ड हाथ में लेकर चाटने लगी . इकरार मेरे सामने खड़ा था और खड़ा था उसका लन्ड मेरे मुह में सामने . इकरार भोषड़ी का बीच बीच में लन्ड मेरे मुह में पेल देता था . जैसे की मुह नहीं चूत हो . उधर अंकल ने भी लन्ड मेरी माँ के भोषडा में पेल रखा था . मैं माँ के सामने चुद रही थी और माँ मेरे सामने चुद रही थी . जवानी का असली मज़ा हम पाँचों लेने में जुटे थे . दो चूत और तीन लन्ड का अनोखा खेल चल रहा था . आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | इतने में इकरार ने मुझे अपने लन्ड पर बैठा लिया और मैं साजिद का लन्ड चूसने लगी . उधर सकील अंकल माँ को कुत्ते की तरह पीछे से चोदने लगा .मैंने फिर पैंतरा बदला मैं घूम कर इकरार के लन्ड पे बैठ गयी . मैंने अपनी गांड उठा दी और चुदाने लगी . फिर मैंने साजिद से कहा की तुम मेरी पीछे से गांड मारो . मैं गांड और बुर एक साथ चुदवाने लगी . फचर फचर फच्च फच्च गच्च गच्च भच्च भच्च की आवाजें कमरे में गूँज रही थी . मेरे सामने मेरी माँ सकील अंकल के लन्ड पर बैठ कर चुदवा रही थी धचा धच्च, गचा गच्च, इस झमाझम चुदाई के सारा कमरा महक उठा . लन्ड और चूत की स्मेल से और जोश बढ़ रहा था .
माँ बोली :- हां यार, जन्नत तू तो बड़ी चुदककड़ हो गयी है री ? बड़े बड़े लन्ड गप्प कर जाती है . तेरी बुर तो गधे का भी लन्ड खा जायेगी .?
मैंने कहा :- हां यार सबीना तेरी भोषड़ी का माँ का भोषडा, साला इतना बड़ा सकील का लन्ड खा गया और डकार तक नहीं ली . ऐसा भोषडा तो खाला का भी नहीं है . बुआ का भी भोषडा इतना मस्त नहीं है . तुझे तो लन्ड का बड़ा तजुर्बा है . तेरी गांड भी लन्ड के लिए मुह उठाये रहती है .
माँ बोली :- हां यार, गांड हो चाहे बुर, चूंची हो चाहे मुह हर जगह लन्ड की जरुरत पड़ती है .पहली चुदाई ख़तम हुई सबने खूब मज़ा लिया . अब मेरी माँ की निगाह साजिद और इकरार के लन्ड पर टिक गयी . मैं समझ गयी माँ दूसरी पारी में इन दोनों से चुदवाना चाहती है . हम सब लोग नंगे ही थे . हमने नंगे नंगे ही डिनर लेना शुरू किया .
सकील :- सबीना भाभी, मुझे तेरा भोषडा चोदने में बड़ा मज़ा आया . तेरी बेटी जन्नत भी बिलकुल इसी तरह चुदवाती है . दोनों की चूत मुझे ज़न्नत का मज़ा देती है . आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
माँ बोली :- हाय अल्ला, सकील मेरे देवर राजा तेरा लौड़ा तो खुदा ने इत्मीनान से बनाया है . इतना बड़ा और मोटा लन्ड बहुत कम लोगों का होता है . मैं तो तेरे लन्ड की दीवानी हो गयी हूँ .
इतने में पीछे से एक आवाज़ आयी :- अरे भाभी, मेरे भी देवर का लन्ड पकड़ कर देखो ? बिलकुल सकील भाई जान के लन्ड की तरह लगता है . मैं बड़ी देर से सकील का लन्ड देख रही हूँ . मुझे साजिद और इकरार के भी लन्ड पसंद आ गए है .
माँ बोली :- अरी अमीना तू ऊपर से कैसे आ गयी . क्या दरवाजा खुला रह गया था ? ( अमीना मेरे घर में एक किरायेदार है )
अमीना आंटी :- अरे भाभी, चुदवाने के नाम जब बुर खुल जाती है ये तो दरवाजा ही है . जब लन्ड सामने होता है तो हम बुर वाली सब कुछ भूल जाती है . तुम कहो तो भाभी मैं अपने देवर को बुला लूं . अब तुम उससे चुदवा कर देखो . लन्ड पसंद न आये तो मेरी गांड पर लात मार कर मुझे भगा देना .
मैंने कहा :- आंटी, तुम्हे अपने देवर के लन्ड पर इतना गुमान है ?
आंटी :- हां जब तुम उसके लन्ड को अपनी बुर में पेलोगी तो तुम भी गुमान करोगी .
मैंने कहा :- अच्छा तो बोलो आंटी बदले में तुम किसका लन्ड लोगी ?
अमीना आंटी :- मैं इन तीनो के लन्ड बारी बारी से लूंगी . तुम चिता न करो मैं तुम्हे दुगुना मज़ा लन्ड दे सकती हूँ . मेरे पास विदेशी लन्ड भी है आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | बात तय हो गयी हम सब अमीना आंटी की बात मान गए . करीब आधे घंटे के बाद मैंने देखा की अमीना आंटी एकदम नंगी नंगी अपने देवर का लन्ड हाथ से पकडे हुए हमारी ओर आ रही है . मेरी नज़र उसके लन्ड पर पड़ी तो वाकई मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी . लन्ड एकदम चिकना ? बहुत बड़ा लन्ड ? सकील अंकल के लन्ड से भी बड़ा लग रहा था . चार इंच का तो सुपाड़ा ही था लगभग . एकदम टन टनाता हुआ लन्ड मेरे सामने आकर खड़ा हो गया . मेरा हाथ सीधे लन्ड पर चला गया . नंगी तो मैं थी ही . सभी लोग नंगे थे . हम सबको नंगे देख कर उसका लन्ड और जोश में आ गया . साला बहन चोद लन्ड जोश में अपनी मुंडी हिलाने लगा . आपे से बाहर हुआ जा रहा था लन्ड . मैं हैरान थी की इंसान का इतना बड़ा लन्ड भी हो सकता है क्या ?
मेरी माँ बोली :- हाय अमीना गज़ब है तेरे देवर के लन्ड जैसा लन्ड मैंने आज तक नहीं देखा ? यार क्या खाता है इसका लन्ड ? आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
अमीना आंटी :- तेरी ऐसी औरतों का भोषडा खाता है और जन्नत ऐसी लड़कियों की चूत ?
मैंने कहा :- आंटी, लगता है की इसकी माँ ने किसी गधे से चुदवाया होगा तभी इतने बड़े लन्ड वाला आदमी पैदा हो गया ?
अमीना आंटी :- यार कुछ भी हो मज़ा तो हम लोगों को आएगा न ?
बस मैं उसके लन्ड पर जुट गयी . उसका सुपाड़ा चाटने लगी . मेरे साथ मेरी माँ भी लन्ड चाटने लगी . उधर अमीना आंटी सकील अंकल का लन्ड सहलाने लगी और साजिद व् इकरार के लन्ड मुह में लेकर चाटने लगी . इस तरह रात भर हुई चोदा चोदी | तो कैसी लगी हमारी स्टोरी आप मुझे ईमेल कर सकते है : [email protected]