आज मैं आपको दोस्तों कविता की कहानी सुनने जा रहा हूँ जिसे हम और आप सभी की तरह सेक्स कहानियाँ पढ़ने का खूब शौक था | दोस्तों अब जो बंद सेक्स कहानियाँ पढता है लाज़मी की बात है उसे सेक्स का भी उतना ही शौक हो जाता है और मुझे तो लगता है वो सेक्सी भी लगने लग जाता है क्यूंकि मुझे कविता भी जो इतनी सेक्सी लगा करती थी | दोस्तों वो मेरे अंकल की बेटी थी जिसके यहाँ मैं एक कंपनी की परीक्षा के लिए आया था और मेरी नौकरी लग सकती थी अगर मैं पास हो जाता तो . .!! दोस्तों मेरा वहाँ कोई जानने पहचानने वाला कोई न था इसीलिए मैं कुछ दिनों के अपने अंकल के यहाँ ही रुका हुआ था | उन्होंने घर में तीन कमरे बनाए हुए थे एक वो कमरा जिसमें वो अपनी बीवी के साथ रहते थे या सोते थे और दूसरे में कविता और तीसरा मुझे दिया होता था |
अंकल अक्सर रात को सोते हुए अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया करते थे शायद अपनी बीवी की चुत मारता करते होंगे | मैं उनकी बेटी कविता को चोदने के सपने देखता हुआ रात भर पढाई करता रहता था और वो भी कोई न कोई मेगजीन पढ़ती रहती थी | एक रात जब मैं पानी पीने के लिए उठा तो मेरी नज़र उस मेगजीन पर पड़ी कविता के हाथ में थी | कविता मुझे देख डर गयी और मैंने कहा मैं अंक को बता रहा हूँ. . !! कविता डर गयी, प्ल्ज्ज़ नहीं . . मैंने कहा एक शर्ट पर. .?? वो बोली, कैसी शर्ट. .?? मैंने कहा, मुझे आगरा ठंडा कर सको तो. . .!! वो समझ गयी और कुछ कहने की हालत में नहीं थी | मन तो उसका भी था पर ऐसे कैसे अपनी चुत चुदाई के हाँ करदे |
मैंने कहा डरो मत. .मज़ा तुम्हे भी खूब आएगा बिलकुल इन सेक्स कहानियों को पढते वक्त जो आता है . .!! मैंने कविता को अपनी बाहों में जकड लिया और गले ही पल उसके पजामे और टॉप को उतरने लगा | कविता शुरुआत में थोड़ी बहुत दरी सी सहमी हुई थी |अब जम मैंने उसे नंगी कर उसके चुचों की सेवा चालू कर दी तो वो भी मद्धम कामवासना के मज़े लेने लगी | मैं खुद भी नंगा होकर उसकी चुत पर अपनी उँगलियों धंसाने लगा | कविता और गरम होने लगी और मैं और तेज ऊँगलीबाज़ी करने लगा उसकी चुत में | कविता पढाव आया जब मुझे उसकी चुदाई करनी थी और मैंने अपने लंड को उसकी चुत पर टिका और धक्कों से उसकी चुत में देने लगा | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | कविता चिला रही थी पर मैंने अपने हताह से उसके मुंह को बदन कर रखा था नहीं तो उसके पापा यानी मेरे अंकल मेरी ही गांड मार लेते | उसकी चुत की झिल्ली फट चुकी थी और मैं अब भी लंड उसकी चुत में बड़ी तेज़ी से चलाए जा हरा था | मैं उसकी चुदाई की कहानी में और इतनी हवस के आगे ज्यादा देर अपने होश नहीं संभाल पाया और अपने वीर्य को झड़ने की हालत में आ चूका था | मैं जब चैन भरी सिसकियाँ ले रहा था तो वो भी कहने लगी लंड को निकालकर ही थकना नहीं तो तो मैं तुम्हारे बच्चों की मजाक मस्ती में अम्मा बन जाउंगी. .!! मैं भी हंसी की एक मुस्कान लेते हुए झड गया और उसे पागलों की तरह पुरे बदन पर चूमने लगा गया | अगले दिन मैं परीक्षा में भी पास हो गया और अब उसी की नौकरी कर रहा हूँ और मुझे पूरी उम्मीद है की अब कविता हमारी सेक्स कहानी पढ़ती होगी |