चूत ने फल्ल से पानी बाहर फेंका

“जी पापा.” “पहले संजना को चोद्कर तुमको दिखाते हैं कि लड़कियों को कैसे मज़ा लेना चाहिए उसके बाद तुमको चोदेगे. तुम्हारी चुदी नही है ना बेटी.” “जी पापा.” तभी संजना मस्ती से अपने पापा के लंड को पकड़ बोली, “चोदो ना पापा.” “अभी चोद्ता हूँ बिटिया रानी को. ऐसा है संजना मैं सोच रहा हूँ कि तुम्हारी सहेली को बताता चलूं जिससे इसे भी मज़ा आए. तुम बिस्तर को ज़मीन पर लगाओ. तुम्हारी सहेली को पास बिठाकर समझाते हुवे चोदेगे.” मैं एकदम गरमा गयी थी. संजना ने जिस तरह लंड को अपनी रानो के बीच दबाते हुवे चोदने को कहा था उससे पूरे बदन का वोल्टेज हाइ हो गया था. संजना ज़मीन पर गद्दा लगाने लगी तो उसके पापा मेरे हाथ मे अपना लंड देते बोले, “लो तुम भी इसका मज़ा लो. ईस्को पकड़ने से लड़कियो को चुदास जल्दी लगती है.”  आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं तो खुद खड़े लंड को पकड़ने को बेचैन थी. गरम-गरम लंड को सहेली की तरह पकड़ कर दबाया तो बहुत मज़ा आया. पकड़ने के साथ ही कपड़े के नीचे क्रीम लगी चूत की फाँक खुलने लगी और चूचियों मे हलचल मच गयी. मेरे हाथ मे लंड को झटका देते बोले, “देखो संजना कैसे कह रही है चोदने को. तुम भी ऐसे ही कहना. बताओ जिस को पकड़े हो इसका क्या नाम है?” मैं लंड को पकड़ते ही मस्त हो अपनी शरम खो चुकी थी. लंड को ठीक से दबा बोली, ” लंड कहते हैं पापा.” “शाबास, इसका काम क्या है?” और निपल को चुटकी से दबा मुझे जन्नत की सैर कराया तो मैं बोली, “चोदता है पापा.” “क्या चोद्ता है?” “लड़कियों की चूत को.” मैं मस्त थी. ईस तरह की गंदी बातो के जवाब मे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरे हर जवाब से उनका लंड तेज़ी से झटका ख़ाता था. वह मेरी दोनो चूचियों को आगे खीचते बोले, “बहुत अच्छी हो. लड़कियों को इसी तरह खुलकर मज़ा लेना चाहिए.” और संजना को जो ज़मीन पर बिस्तर लगा चुकी थी, पास बुला हम्दोनो को पंजे के बल बिठा बोले, “बेटी संजना अपनी सहेली को समझाओ फिर आराम से चोदेगे.” और संजना की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबाते मुझे एक तरफ आने को कहा. उनके एक तरफ संजना थी और दूसरी तरफ मैं. मैं उनसे चिपकी तो मेरी एक चूची को भी पीठ के पिछे से हाथ लगा दबाते बोले, “ध्यान से देखो संजना क्या बता रही है. संजना.” “जी पापा.” “सहेली को सन्मझाते हुवे मज़ा लेना. अभी नयी है इसलिए ज़्यादा कडपन नही है तुम्हारी सहेली की चूचियों मैं.” एक साथ दो लड़कियों का मज़ा ले रहे थे वह और दोनो ही सोलह सत्रह साल की. तभी संजना ने आगे के गुलाभी पार्ट को दिखाते कहा, “यह सूपड़ा है और पूरे को लंड कहते हैं. पापा हमारी चूत इसी से चोदेगे तो मज़ा आएगा.” मैं मस्त थी. चूत चुनचुना रही थी. क्रीम लगी थी और ऊपर से कपड़ा भी चिपका था. तभी उन्होने तकिये पर सर रख लेटते हुवे संजना को इशारा किया. संजना अपने पापा की इस पोज़िशन को समझ गयी और फ़ौरन उनके ऊपर आई. मैं संजना को मज़ा लेते देखने लगी. संजना अपने पापा के ऊपर आ उनके दोनो तरफ पैर कर एक हाथ से अपनी चूत को फैलाते हुवे झुकी और मुझे पास बुलाया. उसका छेद चुदवाते-चुदवाते बड़ा हो गया था. गुलाबी छेद को तने लंड पर लगा और दोनो हाथ को कंधे पर रख ज़ोर से नीचे की ओर धक्का मारा तो गच्छ की आवाज़ के साथ आधा लंड संजना की चूत मे चला गया. लंड जाते ही संजना ने एक तेज़ सिसकारी ली और संजना के पापा ने उसकी दोनो चूचियों को मसल्ते हुवे मुझसे कहा, “ध्यान से देखना संजना कैसे मज़ा लेती है. अभी तुमको भी चुदवाना है.” अब तक संजना ने अपनी गांद को नीचे दबा-दबा पूरे लंड को अपनी चूत मे ले लिया था. अब वह ऊपर-नीचे करती हुई चुदाई करने लगी थी और उसके पापा उसकी चूचियों को दबाते हुवे नीचे से अपने लंड को उसकी चूत मे पेल रहे थे. मैं ध्यान से संजना की फैली चूत को देख रही थी जिसमे उसके पापा का लंड तेज़ी से अंदर-बाहर गपगप्प आ जा रहा था. चुद रही थी सहेली पर मज़ा मुझे आ रहा था.संजना स्पीड तेज़ करने लगी और कुछ देर बाद अपने पापा से चिपक गयी. वह दोनो झाड़ गये थे. 5 मिनिट तक दोनो चिपके रहे फिर संजना के पापा ने मेरी चूत से कपड़े को हटा टवल से चूत को रगड़ कर सॉफ किया और मेरी चूत को सहलाते बोले, “अब देखो कितनी चिकनी और मस्त लग रही है.” मैने झुककर अपनी गोरी-गोरी चूत को देखा तो पहचान नही पाई. एकदम मक्खन सी चिकनी थी.  आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वह मुझे अपनी गोद मैंले अपने लंड पर बिठा नयी-नयी बाते कर दोनो चूचियों को बारी-बारी से मुँह मे ले चूस रहे थे. फिर लंड को खड़ा कर सूपदे को चूत पर रगड़ा तो चूत की फाँक मे मस्ती का पानी आ गया . “तुमको चुदवाने मे संजना से ज़्यादा मज़ा आएगा. चूत को अपने हाथ से खोलो.” मैं मस्त थी और बहुत मज़ा आ रहा था. मेरी चूत गीली थी और लंड आराम से घुस सकता था. मौके का फयडा उठाने के लिए संजना के पापा ने फैलाई गयी चूत के डप-डप करते गुलाबी छेद पर अपने मस्त सूपदे को लगा मेरी दोनो चूचियों को मसल्ते हुवे पेलने को कमर चलाई. कुँवारी चूत थी इसलिए दो बार सूपड़ा चूत मे घुसकर बाहर आ गया जिससे संजना के पापा को कुंवारेपन का पूरा मज़ा मिला. फिर उन्होने ज़ोरदार धक्के के साथ सूपड़ा मेरी गरमाई कुँवारी चूत मे पेला तो मैं कसमसा उठी. चूत की कुँवारी झिल्ली फॅट गयी थी. मैं मज़े से भर गयी. दोनो फाँक कसकर उनके लंड से चिपकी थी जिससे संजना के पापा को अनोखी चूत का असली मज़ा मिल रहा था. हल्का सा खून भी बाहर आया था जिसे देख संजना के पापा और मस्त हुवे. अब मैं आराम से आँख बंद कर पूरे लंड को धीरे-धीरे चूत मैं घुसेडवा चुदवाने लगी. मुझे चुदवाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. संजना के पापा प्यार से अपनी लड़की के सामने उसकी सहेली को चोद्कर मज़ा ले रहे थे. बड़ी-बड़ी फाँक दोनो तरफ से लंड को कसे अंदर- बाहर आने-जाने दे रही थी. प्यार से चोद्ते हुवे सहेली के पापा ने कहा, “बराबर आना बेटी.” “जी पापा मौका निकल रोज़ आउन्गि.” “दर्द तो नही हो रहा बेटी?” “हाए नही पापा चोद्ते रहिए बहुत मज़ा आ रहा है.” “मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है. अब तुमको ज़्यादा चोदुन्गा और संजना को कम.” उस रात संजना के पापा ने 4 बार मुझे चोद्कर मस्त कर दिया. ईस चुदाई को पा मैं बराबर संजना के घर जाने लगी. अब मैं अपने पापा को फसाने के बारे मैं सोचने लगी. और आगे की कहानी अपलोगो को जल्दी ही भेजुगी |

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