चूचियाँ फदक रही थी. मैं आज बहुत मस्त थी. रात के 9 बज चुके थे और हम्दोनो एकदम रेडी थे. संजना की चूत चिकनी थी पर उसके पापा ने चोद्कर फैला दिया था. तभी उसके पापा रोज़ की तरह मज़ा लेने की नियत से नीचे से तैय्यार हो लूँगी पहन कर ऊपर आए. वो जानते थे कि संजना ऊपर कमरे मे होगी ही. आहट पाने पर संजना मेरी लेफ्ट चूची को मसल्ति बोली, “पापा आ रहे हैं.” और खुद नंगी ही दरवाज़े से बाहर निकल गयी. ईस बात से मेरा नंगा बदन सनसना गया . चूत की फाँक खुलने लगी. संजना के पापा के साथ आने वाले मज़े की बात सोच पूरा बदन सनसना गया . मैं चूत को हाथ से ढके कुर्सी पर बैठी रही. तभी संजना अपने पापा के साथ कमरे मे आई. जिस तरह दोनो अंदर आए थे, उसे देख और भी मस्त हुई. सहेली के पापा संजना की पीठ के पीछे से लेफ्ट हॅंड डाले उसकी लेफ्ट चूची को पकड़े थे और संजना राइट हॅंड से अपने पापा का लंड पकड़ लूँगी से बाहर किए. लंड अभी पूरी तरह खड़ा नही था. दोनो को इस तरह देख तो कोई 60 साल की भी चुदवाने को मचल जाती, मैं तो फिर 16 साल की थी. देखते ही मस्ती जवान हुई और चूत मे लहर उठने लगी. चूचियाँ गुदगुदा उठी. लंड पहली बार देख रही थी. संजना अपने पापा के लंड को पकड़े थी इसलिए केवल आगे का सूपड़ा ही दिख रहा था. मुझे नशा सा हो गया और संजना की तरह मैं भी लंड पकड़ने को बेताब हुई. मेरी ओर उंगली से इशारा करती संजना बोली, “पापा यह मेरी सहेली है.” संजना के चोदु पापा मेरी तनी-तनी कुँवारी चूचियों को देखकर मस्ती से भरे और उनका लंड तनाव लेने लगा. अपनी लड़की की नंगी चूची को एक हाथ से दबाए वह मेरी ओर बड़ी मस्त नज़रो से देख रहे थे. मैं भी उनको अपनी लड़की की नंगी चूची को दबाते हुवे हाथ मे लंड थमाए देखकर बुरी तरह से बेचैन हो गयी थी. वो उसी तरह मेरी दोनो चूचियों को घूरते मेरी कुर्सी के पास आए. कमरे मे बहुत उजाला था इसलिए सब साफ-साफ दिख रहा था. मेरे बदन की झुनझुनी संजना के मुठ्ठी के लंड को देख तेज़ हो गयी. पहले जो सिक्युडा था अब काफ़ी खड़ा हो गया था. मेरे पास आ मुझे देखते हुए संजना से बोले, ” बेटी तुम्हारी पक्की सहेली है?” “हाँ पापा इसी की बात तो आपसे कर रही थी. पापा इसे भी मेरी तरह जवान कर दीजिए ना?” संजना ने बड़े प्यार से अपने पापा के लंड को छ्चोड़ अपना हाथ मेरी चूचियों पर हाथ लगाया. अब मैं उसके बाप के लंड को आँखे नीची कर देख रही थी. वह बहुत मोटा लंबा नही था पर हमलोगो के लिए एकदम सही साइज़ का था. सूपड़ा लाल था. मैं संजना की बात सुन थोड़ा शरमाई तो उसके पापा ने मेरी एक चूची पर हाथ लगा पूछा, “चुदी नही हो क्या बेटी?” सहेली के पापा के हाथ मे करेंट था. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं सनसना उठी. चूत ने फल्ल से पानी बाहर फेंका और चूचियाँ मचल उठी. पापा ने नीचे से चूची पर हाथ लगाया था. मेरी चूची पर हाथ लगाने से उनका लंड और भी खड़ा हुवा. मेरी चूत संजना के पापा की च्छेड़च्छाद से मस्ती से भरने लगी. मैं चूत को हाथ से च्छुपाए थी. उनके सवाल पर शर्मा गयी तो संजना मेरे गाल को हाथ से सहलाकर बोली, “बताओ ना पापा को शरमाती क्यों हो?” “बोलो बेटी चुदी हो या नही?” संजना के पापा ने पूरी चूची को पकड़ फिर पूछा तो मैं शरमाती हुई कुर्सी से लगकर धीरे से बोली, “जी अभी नही.” “संजना से कम उमर की हो?” और चूची को धीरे से दबाया तो मेरी जवानी दीवानी हो गयी. संजना के पापा से चूची डबवाने मे अनोखा मज़ा आया. चूत की धड़कन तेज़ हुई और अपने लंड को मेरे सामने कर कुर्सी पर बैठे ही मेरी दोनो चूचियों को एक साथ मसल्ते हुवे पूछा, “बताओ संजना के बराबर की हो?” “जी पापा.” मैं मस्त हो चूचियों को उचकाकर सहेली के बाप से बोली. मुझे इस समय जन्नत सा मज़ा आ रहा था. दोनो चूचियों को एक साथ हाथ से पकड़ संजना के पापा ने मेरी शरम को धो दिया था. मैने मस्त हो उनको देखा तो वो बोले, “तुम्हारे पापा तुमसे मज़ा नही लेते क्या?” “जी नही.” “तभी तो छ्होटी-छ्होटी हैं तुम्हारी. कोई बात नही मैं बड़ी कर दूँगा. बहुत मज़ा आता है लड़कियों को. अभी तुम एकदम नादान हो. तुमको सब सीखना होगा. अब बराबर आओगी ना?” “जी पापा.” अब मेरे बदन मे 440 वॉल्ट का करेंट सा दौड़ रहा था. चूत के दोनो फाँक खड़े थे. तभी मैने अपने हाथ को अपनी चूत से अलग कर अपनी चूत को संजना के पापा के सामने कर दिया. मेरी गदराई सोलह साल की अनचूदी चूत थी, देखकर भला कौन ना मस्त होता. संजना के पापा का लंड मेरी चूत देखते ही झटके खाने लगा. वह मेरी चूत को नशीली नज़रो से ऐसे देख रहे थे जैसे पहली बार चूत देख रहे हो. नंगी चूत को इक मर्द को दिखाने मे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी नंगी चूत पर हाथ फेरते हुवे बोले, “चूत तो तुम्हारी बहुत खूबसूरत है. चोदने लायक है, खूब मज़ा आएगा तुमको.” और जब उंगली से गुलाबी कलर की फाँक को मसला तो मैं गुदगुदते हुवे सिसककर रानो को कस सिसक उठी. तभी मेरे गाल को सहलाते दूसरे हाथ से चूत के लिप्स को मसल्ते कहा, “ईस्को छ्छूने मे मज़ा आ रहा है ना?” हाए पापा बहुत.” संजना के पापा का लंड एकदम खड़ा हो गया था. मेरी चूत की लंबी- लंबी फाँक देख वो बहुत खुश थे. समझ गये कि संजना से ज़्यादा मज़ा इस नये माल मे है. वो बोले, “तुमको भगवान ने बहुत प्यारी चूत दी है. ऐसी चूत बहुत कम लड़कियों के पास होती है. मेरी बेटी संजना की चूत की फाँक बहुत छ्होटी हैं और चुदवाते-चुदवाते अंदर घुस गयी हैं इसीलिए लंड को पूरा मज़ा नही मिलता. तुम्हारी फाँक बड़ी हैं.” मेरी चूत की कीमत संजना के चोदु पापा देखकर ही जान गये थे. जब संजना के पापा ने मेरी चूत पर हाथ लगाकर बड़ी-बड़ी फाँक को उंगली से मसला तो मैं बुरी तरहबेचैन हो गयी थी और मेरी सारी शरम जाती रही. बदन का रोया-रोया खड़ा था. पहले रानो को कस लिया था पर अब मज़ा मिलने के बाद खोलकर उनके कड़े लंड को देखती सोच रही थी कि यह मेरी चूत मे कैसे जाएगा. चूत फटने या दर्द होने का डर नही था क्योंकि मेरी सहेली के पापा का लंड छ्होटा और पतला था. उंगली से चूत मसलवाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरी नंगी सहेली संजना पास खड़ी चुपचाप देख रही थी. मेरी जैसी अनोखी चूत देख संजना के पापा बहुत खुश थे. अब शायद उन्हे अपनी बेटी की पुरानी छ्होटी फाँक वाली चुदी चूत मे दिलचस्पी नही रह गयी थी. मेरी गोरी-गोरी गुदाज़ चूत को सहला संजना से बोले, “संजना बेटी अपनी सहेली की झाँटे तो सॉफ कर दिया होता?. चूत पर बाल नही हो तभी पूरा मज़ा आता है.” “पापा मैने सोचा आप खुद सॉफ करके चोदेगे.” संजना मेरी झांतो को देख बोली. “बेटी.” “जी पापा.” “कभी किसी को चुद्ते देखा है?” “नही पापा.” “बेटी तुम्हारी सहेली की चूत तो चोदने लायक है पर पहले तुम चुदवाकर इसे मज़ा लेना सिख़ाओ. मैं पेशाब करके आता हूँ तब तक तुम इसकी चूत पर हेर रिमूवर क्रीम लगाकर ऊपर से कपड़ा लगा दो.” संजना अपने पापा की बात सुन मस्ती से भर उठी. वह मेरी चूत मे अपने पापा को उंगली करते देख चुदवाने को बेचैन थी. वह चुदवाकर मज़ा ले चुकी थी इसलिए फ़ौरन रेडी हो जाती थी. दोनो बाप-बेटी के नये रिश्ते को देख मैं बहुत खुश थी. चोदने और चुदवाने की बात ऐसे खुलकर कर रहे थे जैसे पति-पत्नी हो. मेरी तनी-तनी चूचियों को हाथ मे ले दबाते हुवे कुर्सी से नीचे उतरने का इशारा करते बोले, “जाओ संजना से क्रीम लगवाकर चूत को चिकनी करो.” अब मैं पूरी तरह मस्त थी. कमरा मेरे लिए जन्नत बना था. मेरी फाँक खुली थी और चूत से हल्का सा रस निकल रहा था. वह मूतने गया तो संजना ने क्रीम को मेरी गरमाई चूत पर लगा ऊपर से कपड़ा चिपका दिया और बोली, “ईस्को थोड़ी देर बाद हटाना तो मेरी तरह चिकनी हो जाएगी. अब शरमाने की ज़रूरत नही. मैं पापा से चुदवाकर मज़ा लूँगी तुम देखना.” “ठीक है संजना.” मैं चूत पर क्रीम लगवाकर बोली. संजना के पापा को मेरे जैसी जवान मस्त लड़की पहली बार मिली थी शायद. वह मेरी खूबसूरत चूत के दीवाने हो गये थे. मूटकर अपने लंड को लूँगी से पूछ्ते आए वापस आए और लूँगी अलगकर पूरे नंगे हो गये. मेरी नज़रे बार-बार उनके फँफनाए लंड को देख रही थी. मेरे पास आ मेरी गांद पर हाथ फेरते बोले, “क्रीम लगवाया?”
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