दोस्तों आप लोगो ने मम्मी की गदरायी चूत भाग 3 में जो पढ़ा अब उसके आगे लिख रहा हु …. और तो और एक दिन जब वह अपने लंड पर खूब तेल लगा-लगा कर मालिश कर रहा था तब मे उसके कमरे मे जाते-जाते उसके लंड को देख कर एक दम से दरवाजे के पीछे हो गई और धीरे से उसके लंड की ओर झाँका,
तब भी मुझे ऐसा लगा था जैसे वह मुझे अपना मोटा लंड खूब मसल-मसल कर जान बुझ कर दिखा रहा है,
सुषमा की चूत मसल्ने से वह पूरी पानी-पानी हो चुकी थी और पूजा उसकी चूत मे लगातार अपनी दो उंगलिया चलाती हुई उससे बाते कर रही थी. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
पूजा- एक बात कहु मालकिन, मुझे तो ऐसा लगता है जैसे संदीप तुम्हे पूरी नंगी करके चोदना चाहता है,
सुषमा- आह आह यह तू कैसे कह सकती है
पूजा- क्यो कि कल जब तुम नहा रही थी तब वह बाथरूम के उस छेद से तुम्हे पूरी नंगी नहाते हुए देख रहा था,
सुषमा- उसकी और अचरज से देखती हुई, तुझे कैसे पता
पूजा- क्यो कि मे कुछ काम से वापस आई थी और तुम्हारा दरवाजा भी खुला हुआ था, और तो और वह झोपड़ी के पीछे जब अपना लंड हिला रहा था तब भी तुम्हे ही अपने ख्यालो मे पूरी नंगी करके चोद रहा था, तभी तो उसके मुँह से आ मम्मी, आ मम्मी जैसी आवाज़े आ रही थी,
सुषमा- यह तू क्या कह रही है पूजा,
पूजा- मे तो कहती हू मालकिन, घर मे मोटा लंड है उससे अपनी इस मस्तानी चूत को खूब कस कर ठुकवा लो तुम्हारी आग भी शांत हो जाएगी और तुम्हारे बेटे को भी अपनी मम्मी की नंगी जवानी का लुफ्त मिल जाएगा,
सुषमा- यह क्या कह रही है तू पूजा
पूजा- मे सच कहती हू मालकिन, अगर तुमने एक बार अपने बेटे का मोटा लंड अपनी इस मक्खन जैसी चिकनी चूत मे ले लोगि तो फिर तुम्हे किसी की ज़रूरत नही रहेगी और फिर तुम जब चाहोगी तुम्हारा बेटा तुम्हे तबीयत से चोद देगा
सुषमा- अरे तू पागल हो गई है, नही-नही मे ऐसा नही कर सकती
पूजा- अरे मालकिन आप तो बेकार मे डर रही है, मेरे बेटे का ऐसा मोटा लंड होता तो मे तो दिन भर उससे अपनी चूत मरवाती,
सुषमा- पर यह सब कैसे होगा
पूजा- अरे यह सब करने की ज़रूरत ही कहाँ है बस आज रात को उसे प्यार से अपनी गोद मे सुला कर सहलाते हुए अपने बारे मे बात शुरू कर देना वह खूब ही धीरे-धीरे तुम्हे दबोचने लगेगा,
पूजा- अच्छा मालकिन अब मे जा रही हू बहुत देर हो रही है
पूजा के जाने के बाद सुषमा सोचती है पूजा ठीक ही कह रही है और फिर यह तो मे भी जानती हू कि संदीप की नज़रे मेरे उपर कैसी है, पूजा क्या जाने संदीप मेरे साथ क्या-क्या कर चुका है, और संदीप भी सोचता है जैसे उसकी मा कुछ जानती नही है,
सुषमा बैठी-बैठी संदीप की पुरानी हर्कतो को सोचने लगती है और अपने मन मे पूजा से बाते करने लगती है आज सुषमा बहुत गरम हो चुकी थी उसके बदन की आग ठंडी होने का नाम ही नही ले रही थी और उसकी आँखो के सामने उसके बेटे का तगड़ा लंड नज़र आ रहा था,
सुषमा अपने मन मे पूजा से बात करती हुई, अरे पूजा तू क्या जाने इस पूरे गाँव मे मेरी चूत और गान्ड का सबसे बड़ा दीवाना और कोई नही बल्कि मेरा बेटा है, रात को जब मे सो जाती हू तो वह टार्च लेकर मेरे पैरो की ओर बैठ कर मेरी सदी उठा देता था और रात-रात भर मेरी चूत को झाँक-झाँक कर देखता था,
वह सोचता था मे नींद मे हू लेकिन मे जागती रहती थी और उसकी इस हरकत से मेरी चूत पूरी गीली हो जाती थी और मे जानबूझ कर अपनी दोनो जाँघो को और भी ज़्यादा फैला लेती थी ताकि मेरा बेटा अपनी मम्मी की मस्त चूत पूरी तरह देख सके,
मे जानती थी कि वह मेरी चूत और गान्ड का दीवाना है इसलिए कई बार जब वह तक लगाए अपने अंधेरे कमरे से आँगन की ओर देखता रहता था तब मे जानबूझ कर आँगन मे बैठी-बैठी अपनी चूत को साडी के उपर से खुजलने लगती थी,
तब संदीप का मुँह देखने लायक होता था, कई बार तो मे आँगन मे पूरी नंगी होकर ही घूमती थी और अपने बेटे को अपनी चूत और गान्ड खूब उठा-उठा कर दिखती हुई कपड़े पहनती थी, और मे यह भी जानती थी कि जब पूजा मेरे पैरो मे तेल लगा कर मालिश करती है तब संदीप मेरी नंगी जाँघो और चूत को देखने के लिए कितना मरता था और मे पूजा को बातो मे लगा कर जानबूझ कर अपनी पूरी चूत खोल कर दिखती थी, मैने भी कई बार संदीप को मूठ मारते हुए देखा था,
सुषमा अपने ख्यालो मे खोई हुई थी और जब कुछ देर बाद
संदीप वापस आता है तब उसकी मम्मी आँगन मे चटाई बिछा कर बैठ जाती है, संदीप सीधे आकर अपनी मम्मी की जाँघो मे सर रख कर लेट जाता है
सुषमा-आ गया बेटे
संदीप- मम्मी आज मे तुम्हारी गोद मे ही सो जाता हू और संदीप अपना मुँह अपनी मम्मी के नंगे पेट और नाभि से जैसे ही लगता है उसका लंड तन कर खड़ा हो जाता है, संदीप अपने हाथो को अपनी मम्मी के मोटे-मोटे चुतडो पर फेरता हुआ अपने मुँह से उसके नंगे पेट को हल्के-हल्के दबाता रहता है और संदीप को ऐसा लगता है जैसे वह अपनी मम्मी की चूत को अपने मुँह से दबा रहा है.
सुषमा- क्या बात है आज अपनी मम्मी पर बड़ा प्यार आ रहा है
संदीप- प्यार क्यो नही आएगा, आख़िर मेरी मम्मी है जो इतनी अच्छी, लेकिन मुझे तुम्हारी एक बात अच्छी नही लगती,
सुषमा- उसके सर पर हाथ फेरती हुई, वह भला क्या
संदीप- यही कि तुम यह जो अपनी साडी घर के बाहर जब जाती हो तब भी इतनी नीचे तक बाँधती हो, घर मे तो फिर भी ठीक है पर बाहर जब जाती हो तो मुझे अच्छा नही लगता है,
सुषमा- मुस्कुराते हुए, इसमे बुराई क्या है बेटे, मे तो शुरू से ही साडी को अपनी नाभि से बहुत नीचे तक बाँधती हू,
संदीप- मम्मी घर पर जब रहती हो तो इस तरह से कोई दिक्कत नही होती है लेकिन जब तुम बाहर जाती हो तो लोग तुम्हे गंदी नज़रो से देखते है,
सुषमा- लगता है तुझसे किसी ने मेरे बारे मे कुछ कहा है क्या,
संदीप-नही मम्मी ऐसा नही है
सुषमा- तो फिर मे सब को तो अच्छी लगती हू इस तरह साडी बाँधने पर तो क्या तुझे अच्छी नही लगती हू,
संदीप- नही मम्मी मुझे तो आप बहुत अच्छी लगती हो पर सिर्फ़ घर मे ही ऐसे रहा करो ना,
सुषमा- क्यो घर मे भी क्यो रहू, जब मे दूसरे लोगो को नही दिखाउन्गि तो अपने बेटे को क्यो दिखाऊ
संदीप- मम्मी मे तो तुम्हारा बेटा हू मेरे सामने ऐसे रहने मे क्या दिक्कत है
सुषमा- मुस्कुरकर उसके गाल खिचती हुई, क्यो मे तेरी मम्मी हू तो क्या तेरे सामने नंगी हो जाउ,
संदीप- अरे मम्मी तुम्हे वही तो समझाना चाहता हू, तुम ऐसी हालत मे आधी नंगी ही नज़र आती हो और फिर लोग तुम्हारे बारे मे ग़लत बाते करते है,
सुषमा- मुझे मालूम था कि तुझसे किसी ने कुछ कहा है या फिर तूने किसी को मेरे बारे मे बाते करते हुए सुना है
संदीप- उठ कर बैठ जाता है और, अब मम्मी तुम्हे क्या बताऊ बस जाने भी दो,
सुषमा- उसे अपने सीने से चिपकते हुए, अच्छा बाबा कल से मे तेरे सामने ऐसे ही रहूंगी और बाहर जाउन्गि तो अपनी नाभि छुपा लूँगी, पर अब बता भी दे क्या सुना है तूने,
संदीप- अपनी मम्मी के मोटी-मोटी चुचियाँ पर अपना मुँह दबाते हुए, रहने दो मम्मी तुम्हे अच्छा नही लगेगा,
सुषमा- उसे अपने पास लिटा लेती है और बगल मे खुद लेट जाती है और फिर उसके गालो को सहलाते हुए उसके चेहरे को पकड़ कर अपने सीने से दबाते हुए, अच्छा तो तू नही बताएगा अपनी मम्मी से भी भला कोई कुछ छुपाता है क्या, चल अब बता भी दे,
संदीप- अच्छा तुम कहती हो तो बता देता हू पर तुम गुस्सा तो नही हो जाओगी
सुषमा- अरे जब वह बात किसी और ने की है तो मे तुझ पर गुस्सा क्यो हो जाउन्गि
संदीप- अभी जब मे बापू का खाना दे कर लौट रहा था तब दीनू काका और उसके साथ और कोई भी आम के बगीचे के नीचे बैठे थे अंधेरा होने की वजह से मे उन्हे और वह मुझे देख नही पाए बस मैने दीनू काका की आवाज़ सुनी थी , सुषमा- क्या कह रहा था दीनू आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
संदीप- अपनी मम्मी के नंगे पेट और उसकी गहरी नाभि को सहलाते हुए, मम्मी वह कह रहे थे कि यार सुषमा भाभी का उठा हुआ पेट देख कर उनका लंड खड़ा हो जाता है,
सुषमा-संदीप की पीठ सहलाती हुई, और क्या कह रहा था वह
संदीप- अपनी मम्मी की मोटी जाँघो पर अपना एक पाँव लगा कर उसके गदराए पेट पर हाथ फेरता हुआ, मम्मी मैने जब उनकी यह बात सुनी तो मे वही रुक गया और फिर उन्होने तुम्हारे बारे मे बहुत गंदी-गंदी बाते की,
सुषमा की चूत अपने बेटे की बाते सुन कर खूब फूल चुकी थी और संदीप का मोटा लंड भी पूरी तरह तना हुआ था,
सुषमा- और क्या बाते की उन दोनो ने पूरी बात बता
संदीप- मम्मी मुझे शरम आती है
सुषमा- अरे अपनी मम्मी से भी कोई शरमाता है क्या, सब बेटे अपनी मम्मी से हर तरह की बात बता देते है चल बोल और क्या बात की उन दोनो ने
संदीप- मम्मी दीनू काका कह रहे थे कि सुषमा के भारी-भारी चूतड़ उन्हे बहुत अच्छे लगते है, वह तुम्हारे चुतडो को खूब नंगा करके चोदना चाहते है,
और फिर संदीप अपनी मम्मी के मोटी-मोटी चुतडो को धीरे-धीरे दबाने लगता है,
सुषमा- और क्या कहा दीनू ने
संदीप- मम्मी वह कह रहे थे कि उन्हे तुम्हारा पूरा बदन बहुत अच्छा लगता है और वह तुम्हे अपनी गोदी मे अपने लंड के उपर बैठा कर तुम्हारे होंठो को खूब चूसना चाहते है, और कह रहे थे कि तुम एक बार मिल जाओ तो वह तुम्हे पूरी रात नंगी करके चोदना चाहते है,
सुषमा- तुझे बुरा नही लगा उनकी इस तरह की बातो से
संदीप- बुरा तो लगा पर मे क्या करता, जब तक वह बाते करते रहे मे वही खड़ा सुनता रहा और फिर जब वह दूसरी बात करने लगे तो मे वाहा से चुपचाप चला आया,
सुषमा- कितना गंदा आदमी है ये दीनू,
संदीप- अरे मम्मी सिर्फ़ दीनू को ही क्यो कोस्ती हो मुझे तो लगता है पूरा गाँव तुम्हारे बारे मे ऐसी ही बात करता होगा,
सुषमा-अच्छा पहले तू मेरे पास लेट जा और फिर मुझे पूरी बात अच्छे से बता कौन मुझे पूरी नंगी देखना चाहते है
संदीप- मा मैने तो सुना है गाँव के सभी लोग तुम्हे नंगी देखना चाहते है
सुषमा- क्या तेरा मन नही करता मुझे नंगी देखने का
सुषमा की बात सुन कर संदीप उससे एक दम से सॅट जाता है,
सुषमा- अच्छा यह बता तुझसे सबसे ज़्यादा मेरे बारे मे कौन बात करता है
संदीप- मम्मी वो कबीर है ना वही जब देखो मुझसे तुम्हारी बात करता है,
सुषमा- अच्छा तू बैठ कर मेरे पेर दबाते हुए बता क्या-क्या कहता है वह कबीर
संदीप-अपनी मा की मोटी जाँघो को अपने हाथो मे भर कर, मा वह हमेशा मुझसे कहता है कि तेरी मा के चूतड़ बहुत मोटे-मोटे है, वह मुझसे कहता है कि तेरी मा की मोटी गान्ड अगर चाटने को मिल जाए तो सारी रात चाटता रहू
सुषमा- सीस्यते हुए, तो तुझे बुरा लगता था क्या
संदीप- हा मुझे बुरा तो लगता था लेकिन कभी-कभी अच्छा भी लगता था
सुषमा- तो क्या तू भी यही चाहता है कि तुझसे कोई तेरी मा के बारे मे बात करे
संदीप- मा मुझे पता नही क्यो यह सब अच्छा लगने लगा है
सुषमा- तो क्या तू भी मेरे बारे मे ऐसा ही सोचता है
संदीप- का हाथ एक दम से अपनी मम्मी के चुतडो पर रुक जाता है, नही मम्मी मे आपके बारे मे ऐसा क्यो सोचूँगा
सुषमा- तो सारा गाँव मेरे बारे मे ऐसा क्यो सोचता है
संदीप- अब मम्मी तुम इतनी अच्छी लगती हो इसलिए
सुषमा- तो तुझे मे अच्छी नही लगती हू
संदीप- अपनी मम्मी का चेहरा अपने दोनो हाथो मे भर कर, नही मम्मी मुझे तो तुम सबसे अच्छी लगती हो और सबसे सुंदर तुम्हारा यह चेहरा है जिसे मे दिन रात चूमना चाहता हू सुषमा-मुस्कुरकर, क्या सच मच तुझे मेरा चेहरा इतना अच्छा लगता है,
संदीप- हा मम्मी तुम्हारा चेहरा बहुत खूबसूरत है
सुषमा- और तेरा दिल करता होगा कि तू मुझे खूब चूम ले
संदीप- हा मम्मी, और फिर संदीप अपनी मम्मी का चेहरा चूमते हुए उसके रसीले होंठो को अपने मुँह मे भर लेता है,
सुषमा- उसे अपने से पूरी तरह चिपका लेती है, अच्छा बेटा वो दीनू मेरे चुतडो के बारे मे क्या कह रहा था
संदीप का लंड अपनी मम्मी के पेट से चिपका हुआ था और दोनो करवट लेकर एक दूसरे को सहला रहे थे, संदीप अपने मम्मी की बात सुन कर उसके मोटे चुतडो को अपने हाथो मे दबाते हुए, मम्मी दीनू काका कह रहे थे उन्हे तुम्हारे भारी भरकम उठे हुए चूतड़ बहुत अच्छे लगते है, आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
सुषमा- और तुझे मेरे मोटी चूतड़ कैसे लगते है?
संदीप- अपनी मम्मी की गदराई गान्ड को अपने हाथो मे भरकर दबोचते हुए, ओह मम्मी मुझे दुनिया मे सबसे अच्छी गान्ड अपनी मम्मी की ही लगती है,
सुषमा- क्या मन करता है तेरा मेरे चुतडो को देख कर
संदीप- मम्मी मेरा मन करता है कि मे तुम्हारे दोनो चुतडो के पाटो को फैला कर तुम्हारी खूब कस-कस कर गान्ड चाट लू,
दोनो वासना के नशे मे डूब चुके थे और एक दूसरे के जिस्म को बुरी तरह मसल रहे थे
सुषमा- कैसे चाटने का मन होता है बेटा
संदीप- मम्मी तुम्हे घोड़ी बना कर तुम्हारी गान्ड चाटने का मन बहुत करता है,
सुषमा- तो क्या तू अपनी मम्मी की गान्ड चतेगा
संदीप- क्यो नही मम्मी, एक बार बस तुम अपनी गुलाबी गान्ड अपने बेटे से चटवा लो
सुषमा- और उसके बदले मे अपनी मम्मी को क्या चाताएगा
संदीप का अपनी मम्मी के मुँह से इतना सुनना था कि उसने अपनी मम्मी का हाथ पकड़ कर सीधे अपने मोटे लंड पर रख दिया, अपने बेटे का लोहे जैसा सख़्त और गरम लंड का एहसास पाते ही सुषमा पागल हो उठी और अपने बेटे के मोटे लंड को अपने हाथो मे भर-भर कर खूब कस-कस कर दबोचने लगी,
संदीप भी बड़े ही मस्ताने अंदाज मे अपनी मम्मी के चुतडो को पागलो की तरह खूब कस-कस कर मसल्ने लगा था और अपने हाथ को अपनी मम्मी की गान्ड की दरार मे भर कर गहराई तक अपनी मम्मी की गान्ड दबाने लगा
सुषमा अब पागलो की तरह अपने बेटे का लंड मसल रही थी
और संदीप अपनी 46 साल की गदराई मम्मी की उठी हुई गान्ड को खूब अपने हाथ के पंजो से दबोचता हुआ अपनी मम्मी के रसीले होंठो को चूमने लगा था, सुषमा का बदन काफ़ी भरा हुआ और उसकी टाँगे काफ़ी लंबी थी उन कसी हुई लंबी टांगो को सहारा दिए हुए उसकी मोटी मखमली जाँघो और उन जाँघो के उपर से बहुत ज़्यादा उभर कर आने वाले उसके चूतड़,
अपनी मम्मी की उसी मोटी गदराई गान्ड का दीवाना हो चुका था संदीप, उसका मन अब अपनी मम्मी की गान्ड को चाटने का होने लगा था,
दोनो एक दूसरे से पूरी तरह से चिपके हुए थे और एक दूसरे से बाते कर रहे थे
सुषमा- बेटे ये क्या कर रहा है क्या तू अपनी मम्मी को चोदेगा
संदीप- हाँ मम्मी मे तुम्हे खूब कस कर चोदना चाहता हू
सुषमा- अपने बेटे के मोटे लंड को अपने हाथो से मसल्ते हुए, बेटे तेरा लंड तो बहुत मोटा है,
संदीप- अपनी मम्मी की फूली हुई चूत को अपनी हथेली मे भर कर दबोचता हुआ, मम्मी तुम्हारा भोसड़ा भी तो किसी से कमजोर नही है,
सुषमा- संदीप के लंड को दबाते हुए, लगता है तुझे अपनी मम्मी की चूत बहुत अच्छी लग रही है इसी लिए इसे बार-बार छु रहा है
संदीप- मम्मी मे तो तुम्हारी चूत का रस पीना चाहता हू, और फिर संदीप अपनी मम्मी के पैरो की तरफ आ जाता है और सुषमा अपनी दोनो जाँघो को फैला कर अपने बेटे को अपनी गुलाबी रस से भीगी हुई चूत दिखा देती है, संदीप अपने दोनो हाथो को अपनी मम्मी की गान्ड के नीचे लेजा कर उसकी चूत को उभार लेता है और फिर अपनी मम्मी की रसीली चूत की दोनो मोटी-मोटी फांको को फैला कर अपनी जीभ सीधे अपनी मम्मी की चूत के छेद मे डाल देता है और उसकी इस हरकत से सुषमा अपनी गान्ड ज़ोर से अपने बेटे के मुँह पर मारती है और संदीप की जीभ अपनी मम्मी की चूत के गुलाबी छेद मे गहराई तक घुस जाती है, बस फिर क्या था संदीप अपनी मम्मी की रसीली चूत को खूब कस-कस कर पीने लगता है और सुषमा कसमसाती हुई,बेटे अपने पेर मेरी तरफ करले ना, संदीप समझ गया उसकी मम्मी भी उसका मोटा लंड पीना चाहती है,
संदीप और उसकी मम्मी दोनो एक दूसरे की और पेर करके चिपकते हुए संदीप अपनी मम्मी की दोनो मोटी जाँघो को खूब फैला कर उसकी रसीली चूत मे मुँह धर कर पागलो की तरह चाटना शुरू कर देता है और सुषमा अपने बेटे का मोटा लंड खूब अपने हाथो मे कस-कस कर दबोचते हुए चूसने लगती है.
संदीप- मम्मी तुम्हारी चूत बहुत फूली हुई और सुंदर है और यह कितनी बड़ी और गोरी है और इसको मे जितनी बार चाटता हू यह और ज़्यादा लाल हो जाती है और जब मे तुम्हारी चूत को खूब कस कर चूस्ता हू तो और भी लाल हो जाती है और मेरा दिल करता है कि तुम्हारी पूरी चूत को खूब चाटू खूब चुसू,
सुषमा- अपने बेटे के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर हाँ बेटे खूब कस कर चूस अपनी मम्मी की चूत खूब चाट-चाट कर लाल कर दे बेटे आह आह आहह और फिर सुषमा अपने बेटे के मोटे लंड को अपने हाथो से खूब दबाते हुए खूब कस-कस कर चूसने लगती है, दोनो मा बेटे एक दूसरे के लंड और चूत को चाट-चाट कर लाल कर देते है,
संदीप अब अपनी मम्मी को पूरी नंगी करके उल्टी लिटा देता है और अपनी मम्मी की मोटी गान्ड को जब अपने दोनो हाथो से फैला कर देखता है तो अपनी मम्मी की गान्ड की दरार मे कसा हुआ बड़ा सा छेद देख कर वह सीधे अपने मुँह को अपनी मम्मी के दोनो चुतडो के बीच की गहराई मे डाल कर खूब कर कर अपनी मम्मी की गान्ड चाटना शुरू कर देता है
संदीप अपनी मम्मी के भारी भरकम चुतडो को अपने दोनो हाथो से खूब कस कर दबोचते हुए कभी अपने होंठो से उसकी चूत को पकड़ लेता है कभी अपनी जीभ निकाल कर उसकी गान्ड के छेद और चूत के गुलाबी छेद को चूसने लगता है, सुषमा इस तरह की चुसाइ से पागलो की तरह अपने पेर फेकने लगती है, संदीप अपनी मम्मी को सीधी करके उसकी चूत को अपने दोनो हाथो से चौड़ी करके अपनी जीभ से चाटने लगता है और सुषमा आह आह करते हुए सिसकिया भरने लगती है
हाँ बेटा ऐसे ही आह आह और ज़ोर से चूस आ आ संदीप लगातार अपनी मम्मी की बुर को पीता जा रहा था और सुषमा अपने बेटे के सर को अपनी फूली हुई चूत मे दबाए उसे अपना मस्त भोसड़ा चूसाए जा रही थी, जब संदीप अपनी मम्मी की गान्ड और चूत पूरी तरह चाट-चाट कर लाल कर देता है तब सुषमा उसे पकड़ कर अपने उपर खींच लेती है और अपने हाथो से संदीप के मोटी लॅंड को पकड़ कर अपनी चूत के लपलपते छेद मे जैसे ही रखती है संदीप एक ज़ोर का झटका अपनी मम्मी की गुलाबी रस से भरी चूत मे मार देता है और उसका पूरा लंड जड़ तक उसकी मम्मी की रस से भरी चूत मे समा जाता है,
संदीप अपनी मम्मी के मोटी-मोटी चुचियाँ को अपने हाथो मे कस कर थामते हुए अपनी कमर के गहरे और तेज धक्के अपनी मम्मी की चूत मे ठोकने लगता है और बीच-बीच मे अपनी मम्मी के होंठो और जीभ को पीते हुए अपने मोटे लंड से अपनी मम्मी की चूत मारने लगता है, आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
सुषमा आह आह करती हुई अपनी मोटी गान्ड को उठा-उठा कर अपने बेटे के लंड मे मारने लगती है, संदीप की स्पीड लगातार बढ़ती ही जा रही थी और वह पागलो की तरह अपनी गदराई मम्मी की जवान चूत को खूब हुमच-हुमच कर चोद रहा था और सुषमा अपनी दोनो जाँघो को खूब फैलाए हुए अपने बेटे का मोटा लंड अपनी चूत मे ले रही थी, दोनो तरफ से धक्के बड़ी तेज़ी से पड़ रहे थे जिससे दोनो को बहुत ही मज़ा आ रहा था,
संदीप उपर से जब तेज झटका अपनी मम्मी की चूत मे मारता तब नीचे से सुषमा अपनी मोटी गान्ड उठा कर अपने बेटे के मोटे लंड पर मार देती और इस तरह उनकी रफ़्तार बढ़ने लगी और फिर संदीप ने जब देखा कि उसकी मम्मी उसके बदन से बुरी तरफ चिपकने लगी थी तब संदीप ने अपनी मम्मी की गान्ड के नीचे अपने हाथ को भर कर अपनी मम्मी के चुतडो को कस कर दबोचा और फिर उसे थोड़ा उपर उठा कर सतसट खूब तगड़े झटके अपनी मम्मी की चूत मे मारने लगा और जब उसने 10-15 तेज-तेज धक्के अपनी मम्मी की रसीली चूत मे मार दिए तब दोनो का पानी बह निकला और
दोनो ने अपने चूत और लंड को एक दूसरे से बुरी तरह से जाकड़ लिया,
संदीप अपनी मम्मी की गान्ड को दबाता हुआ अपने लंड को अपनी मम्मी की चूत मे जड़ तक पेलता हुआ झड़ने लगा था और सुषमा अपने बेटे से पूरी तरह चिपकी हुई थी और उसकी चूत का दाना बुरी तरह फदाक रहा था,
अपनी चूत मरवाने के बाद सुषमा जब नंगी उठ कर खड़ी हो गई और बाथरूम की तरफ जाने लगी तब अपनी मम्मी के भारी भरकम गोरे-गोरे नंगे फैले हुए चूतड़ देख कर संदीप का लंड फिर से झटके मारने लगा था
सुषमा अपने बेटे के सामने खूब अपने भारी-भारी चुतडो को मटका कर गई थी, संदीप जल्दी से उठा और अपनी मम्मी के पीछे बाथरूम मे चला गया जहाँ सुषमा बैठ कर मूत रही थी, संदीप ने अपनी मम्मी के पीछे जाकर बैठ गया और अपना हाथ उसकी गान्ड की ओर से भर कर उसकी मुतती चूत को पकड़ लिया और सुषमा का मूत एक दम से रुक गया,
सुषमा- ये क्या कर रहा है बेटे
संदीप- कुछ नही मम्मी, तुम मुतती जाओ मे तुम्हारी चूत सहलाता जाता हू, सुषमा सिसकिया लेते हुए मूतने लगती है और संदीप अपनी मम्मी की चूत को सहलाता जाता है सुषमा रुक-रुक कर मुतती है और संदीप उसकी पूरी चूत को अपने हाथ से सहलाता जाता है,
कुछ देर तक संदीप अपनी मम्मी की गान्ड और चूत को सहलाता रहता है उसके बाद संदीप खूब सारा थूक अपने लंड पर लगा कर अपने लंड के सूपदे को अपनी मम्मी की मोटी गान्ड के छेद मे लगा कर बड़े प्यार से उसकी कमर को अपने हाथो से थाम लेता है और फिर एक करारा धक्का अपनी मम्मी की मोटी गान्ड मे मार देता है और सुषमा एक दम से सीधी खड़ी होने लगती है लेकिन संदीप अपनी मम्मी की कमर को कस कर दबोच लेता है और बहुत ताक़त से उसकी मोटी गान्ड मे अपने लंड को अंदर तक पेल देता है और सुषमा आह आह मर गई रे कहती हुई फिर से झुक जाती है,
संदीप धीरे-धीरे लेकिन गहराई तक अपनी मम्मी की गान्ड को अपने मोटे लंड से चोदने लगता है और सुषमा की गान्ड का छेद संदीप के मोटी लंड की मोटाई के बराबर नज़र आने लगता है, संदीप अब अपने लंड से खूब करारे धक्के अपनी मम्मी की मोटी गान्ड के छेद मे मारते हुए अपना एक हाथ आगे लेजा कर अपनी मम्मी की फूली हुई चूत को सहलाने लग जाता है, संदीप को जैसे-जैसे मज़ा आने लगता है वह अपने लंड से खूब कस-कस कर अपनी मम्मी की मोटी गान्ड को चोदने लगता है,
कुछ देर बाद सुषमा भी अपनी मोटी गान्ड को अपने बेटे के लंड पर मारने लग जाती है, संदीप एक बार जब अपने लंड को बाहर निकाल कर अपनी मम्मी की गान्ड का छेद देखता है तो उसे अपनी मम्मी की गुदा चुद-चुद कर पूरी गुलाबी नज़र आने लगी थी और वह अपनी मम्मी की ऐसी गुलाबी गुदा देख कर पागल हो जाता है और अपने लंड को अपनी मम्मी की गान्ड मे डाल कर खूब कस-कस कर चोदना शुरू कर देता है,
संदीप बार-बार अपने लंड को अपनी मम्मी की गुदा से बाहर निकाल कर अपनी मम्मी की गुदा को फैला-फैला कर देखता है और जब अपनी मम्मी की गुलाबी गुदा देखता है तब और भी जोश मे आकर खूब कस-कस कर अपनी मम्मी की गान्ड की ठुकाई करता है, संदीप ने जितना समय अपनी मम्मी की चूत मारने मे लिया था उससे डबल समय तक वह अपनी मम्मी की मोटी गान्ड मारने मे ले चुका था,
उस रात संदीप रात भर अपनी जवान गदराई 46 बरस की मस्तानी मम्मी को चोदता रहा, कभी आगे से कभी पीछे से सारी रात उसने कभी अपनी मम्मी की चूत मारी कभी गान्ड मारी और जब वह दोनो तक जाते तब दोनो मा बेटे एक दूसरे का लंड और चूत चाटने लगते थे, इस तरह संदीप ने पूरी रात अपनी मम्मी को खूब जी भर कर चोदा.
भाई लोगो इस तरह दोनो जिंदगी का मज़ा लेने लगे दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना