गतांग से आगे … राकेश —- याआआआआर अभी बाहर जा कर अगर मैं रणडिबाज़ी कर आउ तो तुम्हे पता भी नही चलेगा और अब मैं सीधी बात कर रहा हूँ तो तुम भाव खा रही ज़ाआआआं प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ कोई जुगाड़ करा दो ना प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़.
जैनब— पर ऐसे कैसे भला अभी वो बच्ची है और आपका लंड भी तो कितना बड़ा है बेचारी की नाज़ुक सी चूत होगी खून फेक देगी कहीं कुछ हो गया तो लेने के देने पद जाएँगे और उसकी मा को तो आप जानते ही है कितनी कड़क है अगर उसको ज़रा सी भी भनक लग गयी तो वो खुद तो काम छोड़ेगी ही और वंदना को भी ले जाएगी.
राकेश— ये ज़िम्मेदारी तेरी है और तू कैसे भी उसको पटा मैं नही जानता और हां अगर तूने मेरा ये काम कर दिया तो मैं तुझे और खुश कर दूँगा. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
जैनब— ठीक है मैं कोसिस करूँगी.
2सरे दिन से जैनब ने अपना जाल फेकना सुरू कर दिया वंदना पर बच्चों के कॉलेज जाने के बाद उसने वंदना को आवाज़ दी और कहा सारा काम छोड़ कर पहले मेरी मालिश कर दे अब तेरी मा तो बिल्कुल भी नही आती चल सारा काम बाद मे करना बहुत दर्द हो रहा है कल तेरे मालिक ने कमर का कचूमर निकाल दिया इस उमर मे भी पता नही उनको कितना जोश है कि मुझे बुद्धि को भी जवान समझ कर ही निचोड़ डालते है और कहीं कोई जवान औरत या लड़की मिल जाए तो उसकी तो खैर ही नही ये सब बाते सुन कर वंदना को शरम सी आ गयी अब बच्ची तो वो भी नही थी 17 साल की एज आजकल सब कुछ सीखा देती है.
वंदना— मालकिन मैने तो आज तक कभी किसी की मालिश नही की
जैनब– चल तू तेल की कटोरी ला मैं सब बता दूँगी
और जैनब अपने कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो कर बेड पर लेट गयी जब वंदना रूम मे आई और उसको इस हाल मे देख कर शरमा कर वापस जाने लगी तो जैनब ने आवाज़ दे कर रूम मे बुलाया
जैनब– अररी आ ना मुझसे कैसी शरम तेरे पास भी वही सब है जो मेरे पास मैं कोई लड़का थोड़ी हूँ जो शरमा रही है चल पहले जांघों मे मालिश कर
वंदना तेल लगा कर उसकी जाँघो मे मालिश करने लगी उसके बाद जैनब ने अपने सीने पर भी तेल लगवा कर मालिश कराई और फिर पेट के बल लेट कर अपने गुदाज़ चुतड़ों पर मालिश करवाई वंदना के नाज़ुक हाथों से मालिश करवाना उसको बहुत अच्छा लग रहा था तब ही महॉल को कुछ और रंगीन बनाने क लिए वो बोली
जैनब–वंदना मेरा बदन कैसा है…?
वंदना– जी मालकिन बहुत ही खूबसूरत है
जैनब– अच्छा क्या अच्छा लगता है खुल कर बता शरमा बिल्कुल मत
वंदना– मालकिन मुझे शरम आती है आपकी मालिश हो गयी है अब मैं दूसरा काम करती हूँ
जैनब—- अररी रुक ना जब मैं कह रही हूँ तू बस वही कर जो मैं कहती हूँ ओके बता मेरी चूचियाँ कैसी है …?
वंदना— जी बहुत अच्छी और आपके चूतड़ भी बहुत अच्छे है
जैनब— तू अपने कपड़े उतार मैं तेरी चूची देखूँगी
वंदना— नही मालकिन मुझे शरम आ रही है
जैनब— फिर शरम चल मैं कह रही हूँ तो उतार और जैनब ने वंदना को खीच कर उसकी फ्रॉक उसके बदन से अलग कर दी नीचे वो सिर्फ़ नीली चड्डी पहने थी उसकी छोटी…छोटी चूची बहुत टाइट थी वंदना ने अपनी चूचियों पर झत्त से हाथ रख कर छुपा लिया पर जैनब ने उसका हाथ हटा दिया और उसकी चूची पर अपने हाथ फिराने लगी
जैनब— तेरी चुचि तो कमाल की है कभी दब्वायि है किसी से…? आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वंदना– नही मालकिन
जैनब— देख अभी कितनी छोटी छोटी है तेरी चूचियाँ मेरी देख कितनी बड़ी है छोटी चूचियाँ मर्दों को अच्छी नही लगती इनको दब्वाया कर तो ये बड़ी होंगी नही तो तेरी शादी के बाद तेरा मर्द तुझे बुरा भला कहेगा
वंदना— पर मालकिन मैं भला किससे दब्वाया करूँ मैं खुद भी चाहती हूँ कि ये बड़ी हो जाए अम्मा की कितनी बड़ी चूचियाँ है आपकी भी कितनी अच्छी है पर मेरे देखिए ना कितनी छोटी छोटी है
वो भला मासूम सी नादान बच्ची उसको क्या पता कि मर्दों को असली मज़ा इन कच्ची कलियों मे ही आता है छोटी चूची को खचकचा कर दबाने मे बहुत मज़ा आता है जैनब उसको बहकाने लगी
देख मैं दबाउन्गी तो तुझे बहुत मज़ा आएगा और जैनब उसकी चूचियाँ दबाने लगी कुछ देर मे ही वंदना की सिसकारी निकलने लगी. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
वंदना— आआआआअय्य्यीईइ मालकिन आआआआहह बहुत गुदगुदी लग रही छोड़िईईई आआआआआहह.
जैनब– अररी ये तो कुछ भी नही जब कोई मर्द अपना हाथ लगाएगा तो तुझे और मज़ा आएगा अभी मैं तुझे 1चीज़ और दिखाती हूँ उसके बाद जैनब ने अपनी दोनो जांगे फैला कर वंदना को अपनी झांतों से भरी चूत दिखाई जिसे वंदना बहुत सरमाते हुए देख रही थी.
जैनब– अररी सर्मा क्यों रही है ले मैं ये बॉल हटा रही हूँ काय्दे से देख ले इसी को चूत बुर या भोसड़ी कहते है मर्द इसी मे अपना लंड डाल कर लड़कियों को चोद्ते है.
समाप्त