गतांग से आगे ….
एक दिन रविवार को मैं सुबह जिम से वापिस आया, तो बेड पर लेट कर मुझे सुस्ती सी आ गई और मैं फिर से सो गया। करीब साढ़े सात बजे रिया मंदिर से वापिस आई तो मेरे घर आ गई कि जीजू को चाय बना कर दे दूँ। जब वो आई तो मैं सो रहा था, उसने दरवाज़ा खटखटाया, मैं चड्डी में ही उठा और दरवाज़ा खोल कर फिर से बेड पर लेट गया।
मेरा लंड उस वक़्त पूरा तना हुआ था। मैं लेटा रहा तो रिया किचन में चली गई और चाय बना कर ले आई। जब उसने मुझे दोबारा जगाया तो मैंने आखें खोल कर देखा। वो बला की खूबसूरत लग रही थी, वो मेरे पास ही बेड पर बैठी थी। मैं उठ कर बैठा और उसके हाथ से चाय की प्याली लेकर साइड में रख दी और उसको बांहों से पकड़ कर उसे अपने पास खींचा और बोला, “रिया तुम बहुत सुन्दर लग रही हो, जी करता है तुम्हें कच्चा चबा जाऊँ।”
“हटो जीजू, सुबह-सुबह भगवान का नाम लेते हैं। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
तुम ही मेरी देवी हो, क्यों न आज तुम्हारी ही पूजा कर लूँ !”
“रहने दो, मम्मी ज़ी लोग जा रहे हैं, तैयार हो कर आ जाओ।” वो उठ कर जाने लगी तो मैंने एकदम से उठ कर उसको पकड़ लिया और धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया।
“जीजू, ये क्या कर रहे हो आप?”
“जानेमन, अब और सब्र नहीं होता, 6 महीने हो गए सेक्स किए ! तेरी बहन तो पेट खुलवा कर पड़ी है, मैं कहाँ जाऊँ, मैं तो अब अपनी प्यास तुझसे ही बुझाऊँगा,” मैंने कहा।
“तो मैं क्या करूँ, मुझे छोड़ो।”
“अब तुम ही मेरी आग बुझा सकती हो, रिया।” ये कह कर मैंने उसके होंठ अपने होंठों मे ले लिए।
वो मेरा विरोध तो कर रही थी पर ये विरोध सिर्फ़ एक स्त्री-सुलभ दिखावा भर था। मैंने उसकी चुनरी उतार फेंकी, उसकी कुर्ती और ब्रा ऊपर उठा कर उसके मम्मे बाहर निकाल लिए। बिना उसे बोलने का कुछ मौक़ा दिए, मैंने उसके मम्मे चूसने शुरू कर दिए।
उसके दोनों हाथ मेरे सर पर थे। मम्मे चूसते-चूसते मैं नीचे उसके पेट, कमर और नाभि तक आ गया। वो मेरे नीचे लेटी तड़प रही थी। मैंने बिना कोई समय गंवाए, उसकी स्लेक्स उतार दी। वाह ! एक कुँवारी, अच्छे से शेव की हुई चूत, मेरे सामने थी।
मैंने झट से उसे मुँह में भर लिया और जीभ अंदर डाल कर चाटना शुरू कर दिया। उसके मुँह से मज़े की आवाज़ें निकल रही थीं। चूत चाटते-चाटते मैंने उसकी स्लेक्स और कपड़े उतार कर उसे बिल्कुल नंगी कर दिया। मैंने अपना अंडरवियर उतारा और उसके पेट पर आ बैठा। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
“रिया, चूस अपने यार को !” मैंने कहा।
“नहीं, मैंने ऐसे कभी नहीं किया।”
“तो ट्राई तो कर !”
मेरे कहने पर उसने थोड़ा सा चूसा, पर पहली बार होने के कारण उसे कुछ खास मज़ा नहीं आया। मैंने बिना कोई देर किए, उसे अपने नीचे सैट किया और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया। उसने भी अपनी टाँगें ऊपर उठा कर सहमति जताई। मैंने जब अपना लंड घुसेड़ना चाहा तो उसे तक़लीफ़ हुई, पर ये तो मेरे मज़े की बात थी सो बिना उसकी तक़लीफ़ की परवाह किए मैंने लंड ठेल दिया और मेरा सुपारा उसकी चूत में घुस गया, मगर उसका दर्द से बुरा हाल था।
“जीजू, निकाल लो… प्लीज़ बड़ा दर्द हो रहा, बहुत बड़ा है ये तो !”
“डोन्ट-वरी, जान जब ये एक बार घुसना शुरू करता है तो फिर बाहर नहीं आता, घुसता ही जाता है।”
मैं ठेलता रहा, वो दर्द से तड़पती रही और मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। मेरे आनंद की कोई सीमा नहीं थी, एक तो कच्ची चूत फाड़ दी थी, दूसरी एक घर की सारी चूतें आज मैंने चोद दी थीं। उसके दर्द का कोई छोर नहीं था, एक तो पहली बार की चुदाई, ऊपर से मैं बॉडी बिल्डर। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
खैर… वो दर्द से बिलबिलाती रही और मैं उसे चोदता रहा। 15-20 मिनट की चुदाई में उसकी “हाय-हाय” खत्म नहीं हुई और मैं मज़े से “आहा आहा” करता रहा। उसका हुआ कि नहीं मुझे पता नहीं, पर जब मैं उसके पेट पे झड़ा तो उसका पेट, छातियाँ और मुँह तक माल की पिचकारियाँ मार कर भर दिया।
मैं उसे चोदने के बाद नंगा ही लेट गया, वो उठ कर बाथरूम में चली गई। दोबारा फ्रेश हो कर वो बाहर आई और मेरा मुँह चूम कर वो बोली, “गंदे जीजू !”
और अपनी पूजा की थाली उठा कर वो घर को चली गई। मैं कितनी देर लेटा अपनी किस्मत पे इतराता रहा कि एक घर में तीन औरतें और तीनों मेरे लंड की दीवानी, तीनों को मैंने जी भर के चोदा। समाप्त