मेरा नाम जिया खान है. वैसे तो मै जब से जवान हुयी हूँ मस्ताराम की कहानियां पढ़ती आ रही हु | पहले मस्ताराम की किताबे मिलती थी लेकिन करीब २ साल से ऑनलाइन मस्ताराम.नेट की कहानिया पढ़ती आ रही हूँ आज मै आपको अपनी सच्ची कहानी बताऊंगी जिसमे मैंने बताया है की मैंने बड़ी बेटी होने का किस तरह से फ़र्ज़ निभाया है.
मेरी जिन्दगी का सबसे काला दिन वो था जब मेरी अम्मी का इंतकाल हो गया . मेरे लिए अब अधिक पढ़ना मुश्किल हो गया . किसी तरह से घर चल रहा था . लेकिन हम लोग इसमें खुश रहा करते थे .अम्मी की मौत के 3 महीने के बाद एक दिन मेरी दूर की रिश्ते की मौसी मेरे यहाँ आई . वो बगल के ही मोहल्ले में रहती थी . मौसी ने मुझसे कहा – तुम्हारे अब्बा दुबारा शादी करना चाहते हैं .ये सुन कर मेरे तो होश उड़ गए . अब्बा की उम्र लगभग 45 साल थी . इस उम्र में वो शादी क्यों करेंगे ? शादी करने के बाद परिवार में और भी खर्च बढ़ जाएगा . सौतेली माँ आने के बाद मेरा और मेरी दो छोटी बहनों का क्या होगा . उन्हें तो स्कूल भी नहीं जाने दिया जाएगा . ये सभी बातें सोच कर मै परेशान हो गयी .मैंने मौसी से पूछा – मौसी घर का काम तो मै कर ही देती हूँ . खाना -पीना से लेकर अपनी बहनों की देख भाल भी कर देती हूँ . फिर अब्बा दूसरी शादी क्यों कर रहे हैं ?मौसी ने कहा – मर्द को सिर्फ खाना -पीना ही नहीं चाहिए . उसे शारीरिक सुख यानी सम्भोग सुख भी चाहिए . तुम सम्भोग का मतलब तो जानती हो ना ?मौसी से मुझे इस तरह के खुले शब्दों में उत्तर की आशा नहीं थी | दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
लेकिन मौसी ने वही कहा जो हकीकत था.मैंने धीरे से सर झुका कर कहा – हाँ जानती हूँ .मौसी ने कहा – सम्भोग का सुख तो केवल औरत का शरीर ही दे सकता है ना ?.मैंने कहा – हाँ .मौसी ने कहा – इसलिए तुम्हारे अब्बा शादी करना चाहते हैं .कह के मौसी मेरी दोनों बहनों को ले कर अपने घर चली गयी .जाते जाते बोली – कल शाम तक दोनों को वापस छोड़ आऊँगी . वैसे भी कल रविवार है. कल स्कूल भी बंद है.मेरे दिमाग में मौसी के द्वारा मेरे अब्बा की शादी की बातों से काफी चिंता उमड़ पड़ी . मै नहीं चाहती थी की अब्बा शारीरिक सुख के लिए दूसरी शादी करें , जिसके कारण हम तीन बहनों की जिंदगी खराब हो जाए और घर में हमेशा झंझट बना रहे . लेकिन एक मर्द को शारीरिक सुख भी तो चाहिए. यदि मैं जोर जबरदस्ती कर के अपने अब्बा को शादी से रुकवा भी दूँ तो क्या गर्म मर्द का भरोसा ? हो सकता है कि अब्बा किसी बाजारू औरत के चक्कर में पड़ जाएँ. तब तो और भी खराबी होगी. इसलिए मैंने एक कठोर फैसला लिया कि अगर अब्बा को शारीरिक सुख चाहिए तो वो मै उन्हें दूंगी लेकिन उन्हें शादी नहीं करने दूँगी .
मैंने ठान लिया कि मै आज की ही रात अपनी कुर्बानी दूंगी ताकि ये घर और मेरी बहनों की जिंदगी तबाह होने से बच जाए .रात को अब्बा घर पर आये . सभी का हाल चाल पूछ कर खाना पीना खा कर वो अपने कमरे में सोने चले गए . रोज़ रात को सोने से पहले उन्हें एक गिलास दूध पीने की आदत थी . पहले माँ रोज़ एक गिलास दूध दिया करती थी . माँ की मौत के बाद दूध देने की ज़िम्मेदारी मेरी थी . मुझे आज अपनी कुर्बानी देनी थी . इसकी पूरी तयारी मैंने कर ली थी . जब अब्बा घर में नहीं थे तो मैंने शाम में ही उनके कमरे में से वियाग्रा की गोली चुरा कर अपने पास रख ली थी . शायद वो इस गोली का इस्तेमाल मेरी अम्मी के साथ सम्भोग करने के लिए किया करते थे . मै इतनी भी बच्ची नहीं थी कि इस वियाग्रा का मतलब ना समझूं | दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
लड़कियों को दसवीं पास करते करते इन सभी बातों का भी ज्ञान हो जाता है. खैर ! मैंने उस वियाग्रा की गोली पीस कर दूध में मिला दिया और चम्मच से अच्छी तरह से मिला दिया . घर के सभी बत्ती बंद कर के मैंने अपने कपडे बदले और पतली सी नाईटी पहन कर दूध का गिलास ले कर अब्बा के पास पहुची . अब्बा भी अपने कपडे बदल चुके थे और वो सिर्फ लुंगी पहने हुए थे |
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