अमृता- नही, हम फ्रेंड हैं, ये बात हम दोनो के बीच रहेगी.
मे- तो सुन, मैंने लड़को के लिंग, जिसको वो लंड बोलते हैं, अपने हाथो से पकड़े हैं. उनको लिया भी है.
अमृता- वाउ काजल, यू आर लकी गर्ल, कैसा लगता है?
मे- बहुत मज़ा आता है.
अमृता- उसमे से सफेद जूस भी निकलता है?
मे- तुझे कैसे मालूम?
अमृता- बता ना प्ल्ज़.
मे- हां निकलता है, अब बोल तुझे कैसे मालूम.
अमृता- वो जब घोड़े का सहलाती हू ना तब उसमे से सफेद जूस निकलता हे, बहुर सारा.
मे- अच्छा आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अमृता – हां, फिर जब हाथ उसमे सन जाते हैं तो कपड़े उतार कर वही नहा लेती हूँ.
मे- अच्छा, अब मुझे कब दिखाएगी?
अमृता- आज शाम को देख लो.
मे- ओके, कितने बजे?
अमृता- 4 बजे करीब चाय पीने क बाद चलना.
मे- ओके.
4 बजे चाय पीने के बाद हम दोनो वाहा अस्तबल की तरफ चल दी. हम दोनो ने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था. मैंने कहा कि अपनी ड्रेस उतार दो, अगर वो खराब हो गयी तो मुस्किल होगी. वो समझ गयी. उसने अपने सारे कपड़े खोल के साइड मे रखे और घोड़े को सहलाने लगी.
जब घोड़े का लिंग बड़ा हो गया तो मुझे भी उसने बुलाया. फिर हम दोनो ने अपने हाथो से उसके लिंग को खूब मसला. थोड़ी देर बाद उसका जूस निकल गया. बाप रे, इतना सारा जूस.. इतना जूस तो नाना के गावं मे मेरी 4 दिन की चुदाई मे भी नही मिला होगा मुझे.
फिर हम दोनो ने एक दूसरे को पानी से नहलाया. हम दोनो ने एक दूसरे के बूब दबाए.. मैंने उसकी चूत मे उंगली डाली, उसने भी मेरी मे डाली.. पानी से बाहर निकल के एक दूसरे की चूत चॅटी. हम दोनो को मज़ा आया.
मे- अमृता, तुझे किसी ने चोदा है?
अमृता- हां, क्लास के 2 लड़को ने और मेरे मास्टर जी ने.
मे- लड़को का लंड कैसा था?
अमृता- वो तीन इंच का था, पतला सा. पर मास्टर जी का उनसे बड़ा था.
मे- मास्टर जी ने क्यू चोदा?
अमृता- एक दिन जब लड़के मुझे बाथरूम मे चोद रहे थे, तब मास्टर जी ने देख लिया.
मे- पूरी बात बता ना.
अमृता- सुन, वो तो मुझे बाद मे मालूम हुआ कि मास्टर ने देख लिया.
एक दिन मास्टर जी ने मुझे घर पर बुलाया . वो मुझे कुछ गाइड बुक देना चाहते थे, मेद्स की. मे वहाँ गयी. मास्टर जी अकेले थे. उन्होने दरवाजा बंद कर दिया. उनकी बीबी घर मे नहीं थी. मुझे पलंग पर बिठा कर वो दूसरे रूम मे गये.. जब वो वापस आए तो उनके एक हाथ मे एक पतली सी किताब थी. और वो गमछा पहने हुए थे. जब वो पलंग पर पालती लगा के बैठे तो उनका गमछा सामने से खुल गया. मैं ठीक उनके सामने थी. मुझे उनका लंड दिख रहा था. मास्टर जी ने पालती चौड़ी कर ली. उनका गमछा कमर तक उपर उठ गया. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मे- फिर?
अमृता- मैं सिर झुका के बैठी रही, पर चोर नज़रो से उनका लंड देख रही थी. मुझाया हुआ था, करीब 4 इंच का होगा. मास्टर जी समझ रहे थे कि मैं उनका लंड देख रही हू. मास्टर जी ने किताब अपने पीछे रख दी. और अपने लंड की नीचे की बॉल को सहलाया. उनका लंड बड़ा होने लगा.
मैं चोर नज़रो से देखती रही. जब उनका लंड टाइट हो गया तो करीब 6 इंच का हो गया. मे सोचने लगी कि उन लड़को से डबल है मास्टर जी का लंड. मेरे सरीर मे सनसनी होने लगी, पता नहीं मास्टर जी क्या चाहते हैं. मैंने मास्टर जी कहा- मास्टर जी किताब दीजिए, मुझे घर जाना हे.
मास्टर जी ने कहा कि किताब उनके पीछे है आकर ले लो.. उस वक़्त वो अपने लंड की स्किन को आगे पीछे कर रहे थे, जब वो स्किन पीछे जाती थी तो उनके लंड का सूपड़ा पूरा दिखता था,, पिंक कलर का , गोल गोल. मैं उठी और घुटनो के बल चल कर मास्टर की पीछे रखी किताब ले ली. जब मैं मूडी तो मास्टर जे ने मुझे कमर से पकड़ लिया और अपनी गोदी मे बैठा लिया.
मे घबरा गयी- मास्टर जी, आप क्या कर रहे हैं, मुझे छोड़िए. पर उसने जैसे कुछ सुना नही. उसने मुझे अपनी गोदी मे फ़सा के मेरी स्कर्ट उपर कर दी और पॅंटी के उपर से मेरी चूत पर हाथ रख दिया और सहलाने लगे.
मैंने छ्छूटने की नाकाम कोसिस की.
इसी बीच मास्टर जी ने कब मेरा हाथ पीछे करके अपने लंड पर रख दिया, मालूम नही पड़ा. मालूम तब पड़ा जब मास्टर जी ने उनके लंड पे मेरा हाथ रख कर, मेरे हाथ पर अपने हाथ रखा और आगे पीछे करने लगे. मैं पलट गयी पर मेरा हाथ उनके लंड से नही च्छुटा.
मास्टर जी ने कहा कि थोड़ी देर इसको सहला दो फिर चली जाना. मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था. मास्टर जी ने अपने टांगे फैला दी और मुझे अपने सामने पेट के बल लेटा दिया और मैं उनका लंड सहलाने लगी. थोड़ी देर बाद मैंने कहा कि अब मैं जाउ?
मास्टर जी ने कहा थोडा रुक और घूम जा. मैं घूमने लगी तो मास्टर जी ने मुझे चित लिटा दिया और स्कर्ट उपर करके मेरी पॅंटी खीच के उतार दी. मैंने अपने हाथो से अपनी चूत धक ली. मास्टर ने कहा, तुमने तो मेरा लंड देख लिया छु भी लिया, तुम्हे भी अपनी चूत दिखानी पड़ेगी.
मरती क्या ना करती. मैंने अपने हाथ हटा लिए. मास्टर जी ने मेरी टाँग फैला दी और चूत सहलाने लगे. उंगली भी घुसाइ. थोड़ी देर तक ये सब करने क बाद वो बोले, बेटी अब मेरी गोदी मे बैठ जाओ. मैं उनके पैरो पर जाँघ के उपर बैठ गयी. मेरे दोनो पैर बाहर की तरफ थे. नीचे से मास्टर जी का लंड मेरी चूत से टच हो रहा था. मास्टर जी ने अपने हाथो से मेरी चूत को फैलाया और अपने लंड का सुपरा मेरी चूत पर रखा. मैं समझ गयी कि वो क्या करना चाहते हैं. मैं उनकी गोदी से उच्छल कर खड़ी हो गयी.
मे- ओह फिर क्या हुआ? आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अमृता- मास्टर जी ने कहा, मे तो आज तुझे चोदुन्गा बेटी. मैंने कहा प्ल्ज़ ऐसा मत कीजिए, मैं कुवारि हू. मास्टर जी हस्ने लगे.. कहा , स्कूल के बाथरूम मे तू जो रोज चुदवाती है वो सब मैंने देखा है. अगर आज मुझसे नहीं चुदवाओगि तो कल स्कूल मे सबको बता दूँगा कि क्लास के लड़को से तुम क्या करवाती हो.
मेरा दिमाग़ सन्न्न हो गया.. मास्टर इसी का फयडा उठा रहा है. मास्टर जी ने कहा , सोच लो.. नही चुदवाना है तो जाओ और स्कूल मे ये बात किसी को पता ना लगे तो आकर मेरा लंड चूसो. मेरे पास और कोई रास्ता ना था. मैं आगे बढ़ी, मास्टर जी पलंग पर थे. मैं नीचे. मैंने वही से खड़े खड़े उनका लंड मूह मे ले लिया.
पहली बार लिया था. मास्टर जी ने मेरा सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबाया और इसी तरह करने को बोला. मैं चुपचाप करती रही, सोचा इनका जूस निकल जाए और मेरी छुट्टी हो. पर ये क्या, मास्टर जी ने मेरे सारे कपड़े एक एक करके उतार दिए.
मैं उनके सामने नंगी हो गयी. थोड़ी देर बाद मास्टर जी ने मुझे पलंग पर खिछा. अब वो चुदाई की तैयारी कर रहे थे. मैंने कहा मास्टर जी प्ल्ज़ मत चोदो. मास्टर ने कहा, लड़को से तो खूब चुद्वति है, मुझसे क्यू नही. मैंने कहा, उनका इतना बड़ा और मोटा नहीं है जितना आपका. मैं ले नहीं पाउन्गि.
मास्टर जी ने नारियल तेल की बॉटल उठाई और थोड़ा तेल अपने लंड पर लगाया और थोड़ा मेरी चूत पर. बोले अब हो जाएगा, बस तुम मूह बंद रखना वरना….. फिर उन्होने मुझे लिटाया, मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया , मेरी टाँग उपर की ओर फैला दी.
मेरी चूत एकदाम उपर उठ गयी. मुझे अपनी चूत दिख रही थी, मास्टर जी ने अपना लंड मेरी चूत पर लगाया और थोड़ा प्रेशर दिया. उनके लंड का सुपरा मुझे अपनी चूत मे जाता हुआ दिखाई दिया.. मुझे दर्द हुआ पर कोई उपाय नही था. फिर प्रेशर दिया.
उनका लंड धीरे धीरे मेरी चूत मे घुसता जा रहा था. दर्द के मारे मैं अपना सिर पलंग पर दाए बाए हिला रही थी. पर वो नहीं रुके.. रुके भी तब जब उनका लंड पूरा मेरी चूत मे घुस गया. वो बोले देख अपनी चूत को, मेरा लंड पूरा ले लिया इसने.
मैंने गर्दन उठा के देखा. वाकई उनका लंड नहीं दिख रहा था. अब उन्होने अपना लंड थोडा बाहर र्निकाला और फिर से चूत मे पेल दिया. धीरे धीरे उनकी स्पीड बढ़ने लगी. मेरी चुदाई हो रही थी. लंड सटसात अंदर बाहर हो रहा था.
अमृता- एक बात बोलू काजल? आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मे- हां बोल ना.
अमृता- पहले तो तकलीफ़ हुई पर मज़ा बहुत आ रहा था. उन लड़को के साथ जल्दी जल्दी और छ्होटे लंड से होता था. पर ये तो बड़ा था और इतमीनान से मेरी चुदाई हो रही थी.
मे- फिर आगे बोल क्या हुआ?
अमृता- और क्या, मेरी चुदाई होती रही, वो मेरी चूची अपने हाथो से दबाते रहे, नीचे चूत मार रहे थे. मैं आँख बंद कर कर पड़ी थी. थोड़ी देर बाद शायद उनका जूस निकलने का टाइम हो गया. उन्होने लंड बाहर खिछा और मुझे उठा के मेरे मूह मे घुसा दिया.
कुछ समझू इसके पहले मास्टर जी के लंड का जूस मेरे मूह मे भर गया. मैं थूकने ही वाली थी कि उन्होने उसको पी जाने को कहा.. मुझे सारा जूस पीना पड़ा. उसके बाद उन्होने मुझे कपड़े दिए. कहा कि जब भी बुलाउ आ जाना चुदाई करवाने वरना….
मैंने हां कहा और कपड़े पहन कर बाहर निकल आई किताब ले कर.. वो दिन है और आज का दिन.. वीक मे कम से कम 3 बार तो मेरी चुदाई होती ही है, मास्टर जी से. बस यही मेरी कहानी हे.
मे- ह्म्म्म, इसका मतलब, जितने दिन तुम यहा रहोगी, तुम्हारी चुदाई बंद?
अमृता -और क्या, इसीलिए तो अस्तबल जाती हू, उनका जूस चाटने. अब तुम बताओ तुम्हे किसी ने चोदा है?
मे- हां, कई बार, मैंने तो अपनी गंद भी मरवाई है चूत के साथ.
अमृता- गंद भी?
मे- हां, दोनो जगह बहुत मज़ा आता है.
हम दोनो चुप हो गयी.. दोनो के मन मे एक ही विचार था काश यहा कुछ इंतज़ाम हो जाता.
मे- अमृता, तू तो यहा कई बार आती ही,, हमे 10 दिन रहना है यहाँ,, क्या यहाँ कोई जुगाड़ है?
अमृता- देखना पड़ेगा, यहा कभी ट्राइ नहीं किया. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मे- तो आज किसी को टारगेट करते हैं, अगर कोई मिल गया तो 10 दिन मस्ती से काटेंगे.
अमृता- वेसे एक ही निगाह मे,, वो अस्तबल के पीछे पानी वगेरा का इंतज़ाम करने वाला आदमी.. 35/40 साल का , 6 फीट लंबा, मजबूत. पर कभी ट्राइ नहीं की.
मे- दिखने मे कैसा है?
अमृता- एकदम गोरा.. पहलवान जी कहते हैं हम उनको.
मे- ओके शाम को चलते हैं वहाँ. और हां. स्कर्ट के नीचे पॅंटी नहीं पहनना… देखते हैं क्या होता है.
शाम को हम दोनो ने समीज़ पहनी, टॉप डाला, स्कर्ट पहनी, बिना पॅंटी के और अस्तबल की तरफ गये.. दूर से आइडिया लग गया कि पहलवान अस्तबल मे है. मैंने अमृता को कहा कि तुम अस्तबल मे जाओ, मैं पानी की तरफ जाती हू.. पहलवान जब पानी की तरफ आएगा तब तुम अस्तबल से च्छूप के देखना.
मैं पानी के हौड़े पर उकड़ू हो कर बैठ गयी. मेरी राइट साइड पर अस्तबल था. मैंने अपनी स्कर्ट को जाँघो तक चढ़ा लिया. पॅंटी पहनी नहीं थी. इसलिए चूत पूरी ओपन थी. इतने मे पहलवान जी आते हुए दिखाई दिए.. मैं पानी मे देखने लगी.
वो पानी लेने आया, हाथ मे बाल्टी थी. वो झुक कर पानी उठा ही रहा था कि उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. फिर उसकी नज़र मेरी चूत की तरफ गयी. पर मैं पानी मे देखती रही. मुझे पूछा- कोन हो बेटी. मैंने कहा काजल, शादी मे आई हू. आप कोन है? पहलवान ने कहा कि उसका नाम अनुराग है और वो वहाँ काम करता है.
मे- अनुराग जी, ये पानी बहुत गहरा है ना?
अनुराग- अरे नहीं बेटी, रूको मैं दिखाता हू.
ये कहकर उसने अपनी धोती खोल के हौड़े के कोने पर रखी और पानी मे उतर गया. असल मे उसका मकसद मेरी चूत को पास से देखना था. शाम हो गयी थी, सॉफ नहीं दिख रही होगी दूर से. पानी उसके कमर तक था. वो दो कदम बढ़ा के मेरे सामने आ गया. नज़र उसकी मेरी चूत पर थी पर बात मुझसे कर रहा था. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अनुराग- देखा, मैंने कहा था ना पानी गहरा नहीं है.
कहानी जारी है…. आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गये पेज नंबर को क्लिक करे …..