मित्रो मेरा नाम अजय है आज तक मै हमेशा मस्तराम डॉट नेट पर कहानिया पढता था मेरे मन में इच्छा हुयी क्यों न मै अपनी भी कहानी आप लोगी को भेजू सो आज लीजिये मेरी सच्चाई भी जान लीजिये .. ये कहानी मेरे और मनीषा के सेक्स संबंधो की कहानी है वो मेरे घर के साथ रहती है और चुदाई से कुच्छ दिन पहले ही मैं ने इक़रार मोहब्बत किया था. वो सिर्फ़ १६ साल की है और बिल्कुल ही वर्जिन थी. वाइट कलर स्मार्ट लंबा क़द पतले होन्ट स्माल टिट्स (बूब) छोटी सी गांड टाइट फुददी बस क़ायामत का हुस्न है उस का मतलब बहुत ही क्यूट हर तरफ से.
ऐक दिन वो मेरे घर आई थी जब मैं ने उस को पहली बार देखा और देखते ही उस पर मर मिटा और रात को देर तक उस को चोदने की सोचता रहा. कुच्छ दिन ऐसा चलता रहा और काफ़ी दिनो बाद वो दोबारा मेरे घर आई और इस बार मुझ से रहा ना गया और मैं ने उस से कह दिया के आप मुझे बहुत अच्छी लग’ती हैं. मुझे आप से प्यार हो गया है.
मनीषा: अच्च्छा तो कैसे प्यार हो गया और कब हुआ वैसे सब लड़के ऐक जैसे होते हैं प्यार कुच्छ दिनो बाद ख़तम, जब कोई और मिल जाए तो.
नही डियर ऐसी बात नही है रियली आइ लव यू सो मच.
अच्छा मैं सोच कर बताऊं गी.
फिर उस के बाद मेरी तड़प उस के लिए और भी बढ़ गयी और मैं रात को उस के ख्वाब देखता रहा और अचानक ऐक दिन फिर वो आई और मौका मिलते ही मैं उस के पास गया और जवाब माँगा तो उस ने इशारा कर दिया सिर हिला कर के हां और मेरी खुशी की इंतेहा ना रही. यक़ीन ही नही हो रहा था के उस ने हां कर दी.
थोरी देर बाद मौका बना और मैं उस के क़रीब जा कर खड़ा हो गया और हॅंड शेक किया उस ने फ़ौरन मेरा हाथ पकड़ा और थोरी देर बाद छुड़ा लिया. उस दिन सिर्फ़ इतना ही हुआ ऐक दो बार हाथ पकड़ा और उस से ज़ियादा कुच्छ नही कर सके और ना ही मौका था.
फिर कुच्छ ही दिन गुज़रे और वो दोबारा मेरे घर आई उस दिन संडे था और मैं संडे को देर तक सोता हूँ और वो जल्दी आ गयी और मैं सो रहा था. घर पर सिर्फ़ मोम थी और कोई नही था और मैं अपने रूम मैं सो रहा था. मोम टीवी पर जियो न्यूज़ सुन रही थी. मैं सो रहा था और अचानक ऐक बहुत ही प्यारी आवाज़ मे मैं ने अपना नाम सुना और आँख खोली तो सामने मनीषा खड़ी थी. मैं: अर्रे आप और इतनी सुबह और मेरे रूम मैं आज सूरज कहाँ से निकला जनाब.
मनीषा: मैं ने सोचा आज आप को च्छुटी है इस लिए मिल आऊँ और आप हैं के अभी तक सो रहे हैं. हमारे लिए क्या हुकुम है, हम वेट करे जनाब या चले जाएँ. क्यों के आंटी भी टीवी देख रही हैं और मैं अकेली क्या करूँ गी यहाँ.
मैं: हम जो हैं आप को कंपनी देने के लिए लकिन सिर्फ़ थोरी देर वेट करे. मैं अभी तैयार हो जाता हूँ. और इस दौरान मैं ने उस के हॅंड पर बहुत सारे किस कर लिए उस ने कुच्छ भी नही कहा ना ही मना किया बस आराम से बैठी रही मेरे सामने. थोरी देर हम बाते करते रहे उस के बाद मैं ने उस से कहा के क्या मैं आप को किस कर सकता हूँ तो उस ने कहा इतने तो कर लिए बिना इजाज़त और अब इजाज़त माँग रहे हैं वाह क्या बात है आप की.
मैं: जनाब इस बार हम आप के होन्ट पर किस करना चाहते हैं अगर माइंड ना करे और इजाज़त हो तो.
मनीषा: मैं क्या कह सकती हूँ क्यों के मुझे शरम आती है आप की मेर्ज़ी है.
मैं: हेलो मेडम जब आप यहाँ आया करे उस वक़्त शरम घर पर छ्चोड़ आया करे यहाँ हमारे साथ शरम का कोई काम नही है अंडरस्टॅंड…
मनीषा: ओके एज यू विश जो दिल चाहे कर ले लकिन सिर्फ़ उप्पेर तक ही रहना है नीचे नही जाना अभी.
मैं: अर्रे डरो नही हमारा हक सिर्फ़ आप के पैट (स्टमक) के उप्पेर तक है नीचे हमारा क्या काम. वैसे क्या डर लगता है आप को मुझ से.
मनीषा: जी लगता तो है लकिन बहुत कम मीन 20% डर लगता है और 80% नही लगता. उस के बाद मैं उठा और बाथ गया नहा धो कर तैयार हो कर वापिस आ गया और वो मोम के साथ बैठी थी मैं जब अच्छी तरह तैयार हो गया तो टीवी लाउंज मैं आया और देखा मोम नही थी वो बाथरूम मे थी. मैं ने मौका देखते ही फ़ायडा उठाया और मनीषा को इशारे से कहा के उप्पेर आ जाओ और बाहर जाने का बहाना कर के मोम से पूचछा के मैं बाहर जा रहा हूँ कोई काम है. मोम ने कहा नही कोई काम नही है और मैं खामोशी से उप्पेर चढ़ गया और थोरी देर बाद मनीषा भी आ गयी. अब मोम को यही पता था के मैं बाहर गया हुआ हूँ और मनीषा अपने घर चली गयी है. लकिन उन्हे क्या पता के उन का बेटा क्या गुल खिला रहा है उप्पेर.
उपर जाते ही मैं ने मनीषा से कहा के आओ और मुझे गले मिलो. उस ने कहा नही मुझे शरम आती है.
मैं ने कहा देखो मैं ने पहले कहा था ना के शरम घर रख कर आया करो जब मुझ से मिलने आया करो.
तो वो उठी और नज़दीक आ गयी और उस वक़्त मेरा लंड बिल्कुल ही सख़्त हो गया था और मैं आगे हुआ और उस को गले से लगा कर उस के पूरे चेहरे पर किस्सिंग करने लगा और इस से थोरी देर बाद उस को भी मज़ा आने लगा.
मैं ने उस के कान मे कहा के मनीषा क्या मैं आप के बूब्स को हाथ लगा सकता हूँ क्यों के मुझे आप के बूब बहुत अच्छे लगते हैं और मैं इन के साथ खेलना चाहता हूँ.
उस ने कहा जो दिल कहे वही करो मुझ से कुच्छ मत पुछो क्यों के मुझे शरम आती है और मैं कुच्छ नही कहूँ गी आप ने जो करना है वही करे बस. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
ओके जैसे आप की मेर्ज़ी हम तो हुकुम के गुलाम हैं. उस के बाद मैं ने उस को थोरी देर खरे खरे ही किस किया और गले से लगाए रखा और ऐक हाथ उस की कमर पर फेरता रहा और दूसेरे से उस के बूब को आराम आराम से मसलता रहा ताके उस को ज़ियादा से ज़ियादा मज़ा मिले और जल्दी हॉट हो जाए और आगे कुच्छ भी केरने से मना ना करे.
फिर मैं ने उस को बेड पेर लिटा दिया और उस के साथ लेट गया और ऐक हाथ उस के चेस्ट पर रखा और बड़े प्यार से मसल्ने लगा और साथ साथ बातै भी करता रहा उस का रिक्षन देखने के लिए. अभी तक वो नॉर्मल ही थी और कुच्छ ना बोली मैं ने ये देखा और अपना हाथ उस की कमीज़ के अंदर डालने लगा तो उस ने फ़ौरन मेरा हाथ पकड़ा और मेरी तरफ देखा कर कहा.
देखो जान मुझे तुम पर यक़ीन है लकिन थोड़ा डर भी लगता है कहीं कुच्छ ग़लत ना हो जाए हम से. तुम जो चाहो करो मैं मना नही करूँ गी लकिन ऐसा कुच्छ मत करना जिस से मेरी ज़िंदगी तबाह हो जाए और मैं किसी को मूँह दिखाने के लाइक ही ना रहूं.
मनीषा अगेर मुझ पर यक़ीन है तो सुनो मैं तुम्है बहुत चाहता हूँ और तुम से शादी करने की कोशिश भी करूँ गा लकिन तू किस्मत के फ़ैसले को तो मानती हो ना अगेर किस्मत मैं हुआ तो ज़रूर हो गी हमारी शादी वेर्ना नही और मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ अभी इसी वक़्त क्यों के मुझ से वेट नही होता और रही ज़िंदगी तबाहा होने वाली बात तो आज कल हर दूसरी लड़की ये सब करती है तुम कोई पहली लड़की नही हो और हम किसी को बता थोड़ा रहे हैं जो तुम्हारी ज़िंदगी तबाह हो जाए गी.
मनीषा: हू तो ठीक है लकिन अगर कुच्छ गड़बड़ हो गयी तो मीन बच्चा हो गया तो कैसे च्छूपाऊँ गी. इस लिए डरती हूँ. और दर्द भी होता है उस से भी डर लगता है. क्यों के कुच्छ दिन पहले मैं अपनी कज़िन की शादी पर गयी थी उस ने सब बताया के क्या हुआ था पहली रात.
हां दर्द तो होता है लकिन फिकेर मत करो मैं आराम से करूँ गा कुच्छ भी नही हो गा और बच्चा ऐसे नही होता जब तक कम अंदर ना जाए तब तक कुच्छ नही होता और ना ही किसी को ऐसे पता चले गा.
इस के बाद वो मुस्कुरा कर आन्खै बंद कर के आराम से जैसे थी वैसे ही लेटी रही और मुझे इशारा मिला के उस की तरफ से हां है. मैं अब दिल मे बहुत खुश था.
मैं ने जल्दी से उस को किस करना शुरू कर दिया और उस की कमीज़ उप्पेर कर दी उस ने ब्लॅक ब्रा पहना हुआ था मैं ने पूछा के क्या साइज़ है ब्रा का तो वो बोली 32सी.
फिर मैं ने उस को उठाया और कमीज़ उतार दी और ब्रा मे भी अब वो आधी नंगी थी लकिन मैं कपड़ो मे ही था अभी तक. मैं ने उस के बूब्स को बारी बारी चूसना शुरू कर दिया और अपना ऐक हाथ उस की कमर पर फेरने लगा और दूसेरा उस की फुदी पर ले गया और आराम से उस की फुदी पर हाथ फेरने लगा और जब हाथ शलवार मैं डालना चाहा तो उस ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मनीषा: हाथ अंदर मत डालो मुझे बहुत शरम आ रही है क्यों के आज ही मैं ने शेव की है और कभी किसी को दिखाई भी नही इस लिए शलवार मत उतारो.
मैं: ऐसे कैसे मज़ा आएगा और कैसे चोदून्गा अगेर शलवार नही उतारी तो. फिर मैं ने उस को किस्सिंग करते करते इतना गरम कर दिया कि मैं ने उस की शलवार उतारने की कोशिश की तो उस ने मुझे रोका नही बलके खुद ही अपनी गांड उपेर उठा कर मेरी हेल्प की शलवार उतारने मैं फिर वो एक दम नंगी मेरे सामने थी मैं ने उस के जिस्म पर किस करना सूरू कर दिया वो जोश मैं आहह उउउफफफफफ्फ़ कर रही थी मुझे उस की आवाज़ सुन कर बोहत मज़ा आ रहा था फिर उस ने मुझ से कहा,
प्ल्ज़ जान जो कुच्छ भी करना आराम से करना मुझे दर्द बिल्कुल अच्च्छा नही लगता इस लिए आराम से करना और जितना हो सके मज़ा देना. फिर मैं ने एक फिंगर उस के कंट मे उप्पेर से ही फेरना शुरू कर दी और किस्सिंग भी करता रहा कभी लिप्स पर कभी बूब कभी निपल्स सक करता कभी कहीं मीन पूरे जिस्म पर किस किया और किस करते करते उस की चूत पर ज़ुबान से चाटना शुरू कर दिया. उस को बोहत मज़ा आने लगा और वो ज़ोर ज़ोर से आवाज़े निकालने लगी.
जान प्ल्ज़ और करो बोहत मज़ा आ रहा है मेरी चूत को और चॅटो अपनी पूरी ज़ुबान मेरी चूत मे डाल दो प्ल्ज़ बोहत मज़ा आ रहा है और थोरी देर बाद जब महसूस हुआ के वो हॉट हो रही हैं तो मैं ने अपनी फिंगर उस की फुदी मैं डाली बिल्कुल आराम से.
मनीषा: ऊह जान आराम से करना मुझे बहुत डर लग रहा है लकिन मज़ा भी आ रहा है. बहुत अच्छा फील कर रही हूँ मैं. आज तक ऐसा कभी फील नही हुआ आराम से अंदर करो प्यार से बहुत ही प्यार से आअहह हां मज़ा आ आहा है ऐसे ही अफ ऐसा क्यों हो रहा है मेरे साथ मुझ मे इतनी गर्मी क्यों है आग लगी हुई है जिस्म मे. बुझा दो इस आग को कुच्छ करो बहुत ही गेर्मी लग रही है मुझे. आहह मज़ा बहुत आ रहा है उउंम ऊहह जान आहह ऊहह अभी एक ही फिंगर ठीक है मज़ा आ रहा है….. नही दूसेरी अंदर मत करो ना ऐसे ही अच्च्छा महसूस हो रहा है आहह.
मैं: देखा मनीषा कितना मज़ा है इस काम मैं और जनाब आप के कपड़े तो उतर गये हमारे कौन उतारे गा.
मनीषा: जो करना है खुद करो मुझे बस मज़ा दो जितना हो सके और जल्दी करो कहीं कोई आ ना जाए मेरा पता करने और हम पकड़े ना जाएँ. जल्दी करो जान.
कहानी जारी है…. आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे ….