प्रेषिका: रोली सेठ
दोस्तों मेरा नाम रोली है मेरी उम्र 26 साल की है, मेरे घर मे मेरे मम्मी पापा और मेरा एक भाई जिसकी उम्र ३६ साल की है। उनकी शादी हो चुकी है, उनकी बीवी दिखने मे कुछ खास नहीं है और थोड़ी मोटी भी हैं। पर मेरे भाई ने उनसे इसलिए शादी की है, क्योंकि वो अपने घर मे इकलौती लड़की है और उनकी बहुत प्रॉपर्टी भी है। भैया के ससुराल वालों ने भैया के लिए अलग से बिज़नस के लिए पैसे दिए थे। इसलिए भैया हमारे साथ घर मे नहीं रहते है और ना ही अपने ससुराल मे रहते हैं, बल्कि वो हमारे ही शहर में अलग घर में भाभी के साथ रहते हैं। अब मैं आपको अपने बारे मे बताती हूँ। दोस्तों मैं देखने मे बहुत सुंदर पतले बदन की मालकिन हूँ, मेरे चेहरे पर होंठों के नीचे एक मस्सा है, मैं हमेशा साड़ी ही पहनती हूँ। क्योंकि मेरी सहेली कहती है कि में साड़ी पहनकर बहुत सुंदर दिखती हूँ और मुझे भी साड़ी पहनना पसंद है मेरे मोहल्ले के लड़के मेरे पीछे मेरे बारे मे गंदी गंदी बाते करते हैं। ये बात मेरी सहेलियों ने मुझे कई बार बताई है और दो चार बार तो मैने खुद चुप के उनकी बातें सुनी है, पर मैं उनकी बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं देती। मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके एक मोबाइल कॉम्पनी मे एक कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करती हूँ। मेरे साथ काम करने वाले सारे लड़के और मेरे बॉस भी मुझसे बात करने का बहाना ढूँढते हैं। सभी मुझे मज़ाक मज़ाक मे छेड़ते रहते है और हमेशा मेरी तारीफ करते हैं। ये सभी बातें मुझे भी अच्छी लगती हैं क्योंकि कौन लड़की अपनी तारीफ़ नहीं सुनना चाहती है। मेरे पापा पोस्ट ऑफीस मे बाबू हैं और मेरी माँ हाउसवाईफ। मैं अपने घर मे शुरू से ही बहुत प्यार से पली बढ़ी हूँ। मेरे भैया और भाभी भी मुझे बहुत चाहते है और भैया खर्चे के लिए आए दिन पैसे देते रहते हैं। भाभी भी अक्सर घर आती है और मेरे लिए कुछ ना कुछ लाती ही हैं मेरी भी भाभी से खूब बनती है मेरी भाभी काफ़ी मजाकिया है। मैं उनके साथ घंटों बैठ के बातें किया करती हूँ खाली समय पर मैं भैया भाभी के घर जाकर भाभी से गप्पे लड़ाती हूँ। मैं घर पर खुले माहौल मे रही हूँ। घर पर मेरी सारी जायज़ या नाजायज़ माँगों को माना जाता है। मेरी जिंदगी मे मुझे सब कुछ मिला, मोबाइल कॉम्पनी मे जॉब करने का आइडिया भी मेरा था। शुरू मे जब मैने ये बात बताई तो माँ ने कहा बेटी तेरी शादी की उम्र निकलती जा रही है, तेरे लिए कई रिश्ते आ रहे है, एक तो तू शादी नहीं करना चाहती और अब तू जॉब करना चाहती है। तुझे किसी चीज़ की कमी तो है नहीं, फिर तू जॉब क्यों करना चाहती है? तो मैने उनकी बात पर ज़्यादा ध्यान ना देते हुए अपनी मर्ज़ी से जॉब कर लिया। फिर माँ भी चुप हो गयी पर सच्चाई तो यही थी की मेरे साथ की लगभग सभी लड़कियों की शादी हो चुकी थी और जो भी लड़कियाँ बची थी उनकी शादी की बात चल रही थी ये बात कहीं ना कहीं मेरे मन मे भी थी। पर ये बात भी सच थी कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती थी। मैं तो जिन्दगी को और बहुत अच्छे से जीना चाहती थी। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | लेकिन मेरे जज्बात अंदर से अंगड़ाई लेने लगे थे और में मन ही मन में वो सब करके देखना चाहती थी, जो एक औरत और एक मर्द आपस में करते हैं। मेरे ऑफीस मे हम तीन लड़कियाँ थी और बाकी सभी लड़के मेरे साथ की एक लड़की रोजा का अफेयर हमारे बॉस से था। वैसे तो हमारे बॉस की नज़र मुझ पर थी, पर वो मुझे कभी भी ऐसे नहीं लगे। जिस पर मैं अपना दिल हार जाऊं इसलिए मैं उन्हे हमेशा उन्हे अनदेखा करती थी। मेरे साथ काम करने वाली लड़की रोजा ने भी मुझे बॉस के मेरे बारे मे उनकी गंदी सोंच को बताया, पर मैने कभी भी ध्यान नहीं दिया, पर रोजा ने मुझे अपने और बॉस के बीच में हुए सेक्स के बारे मे कई बार बताया था। जिसे सुनकर मेरे अंदर भी एक हलचल सी मच गयी और मेरे मन मे भी सेक्स करने की बहुत इच्छा हुई। हमारे ऑफीस मे मेरे साथ एक लड़का और काम करता था उसका नाम था राजकमल वो कम बोलता था और देखने मे भी सीधा साधा था। ऑफीस के लड़को मे वो ही एक ऐसा था जो कि मुझसे कम बात करता था। हाँ लेकिन एक बार उसने मुझे चाय के लिए बाहर होटल मे जाने को ज़रूर बोला था। लेकिन मुझे अच्छे से याद है कि उस वक़्त भी उसके पसीने छूट गये थे। मुझे उसकी मासूमियत भा गयी थी और मैं उसे मन ही मन चाहने लगी थी और अब जबकि रोजा की बातों से मेरा मन मचल गया था। उस समय मेरे मन मे सिर्फ़ राजकमल ही घूम रहा था मेरा मन राजकमल के साथ में सेक्स करने को उतावला हो गया और मैं राजकमल को पाटने के तरीके सोचने लगी और शाम को जब ऑफीस की छुट्टी हुई तो मैं राजकमल के पास गयी और उससे बात करने लगी। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैं : हाय राजकमल क्या काम खत्म कर लिया तुमने?
राजकमल- हाँ काम पूरा हो गया अब में घर पर ही निकल रहा था।
मैं : तो तुम घर जाकर टाइम पास के लिए क्या करते हो ?(यहाँ मैं आपको एक बात बता दूं की राजकमल का परिवार दूसरे शहर का रहने वाला है और राजकमल यहाँ पर एक किराए के कमरे मे अकेला रहता है।
राजकमल : कुछ नहीं घूम फिर के या किताबें पढ़कर जैसे तैसे टाईम कट जाता है।
मैं : क्या कभी तुम्हे घर वालों की याद तो आती होगी?
राजकमल : हाँ आती तो है पर क्या करूँ काम के कारण साल मे दो या तीन बार ही जा पता हूँ।
मैं : अरे लगता है मैने तुम्हे घरवालों की याद दिलाकर तुम्हे दुखी कर दिया है मुझे माफ़ कर दो प्लीज।
राजकमल : ठीक है लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है।
मैं : अच्छा चलो आज हम कहीं चाय पीने चलते है, मेरी ये बात सुनकर राजकमल मेरी ओर एकटक देखने लगा, जैसे की मेरा चेहरा पढ़ रहा हो, उसका मेरी ओर इस तरह देखना अजीब सा लगा और मैने उसे टोकटे हुए कहा क्या हुआ, मेरी बात सुनकर वो हड़बड़ाते हुए बोला हाँ कुछ नहीं, फिर मैने कहा तो चाय पर चलें उसने मुस्कुराते हुए हाँ मे सर हिला दिया और बोला कहाँ चलें उसकी बात सुनकर मैं सोच मे पड़ गई फिर कुछ देर सोचने के बाद कहा क्यों ना तुम्हारे घर पर चलें एक बार फिर हैरत से मुझे देखने लगा मैं आज तक उसके घर नहीं गयी थी।
कुछ देर तक मुझे देखने के बाद उसने बिना कुछ बोले अपना बैग उठाया और हम ऑफीस से बाहर आ गये, मेरे इस तरह से खुलने के कारण ही शायद अब वो पूरे रास्ते मुझसे खुल के बातें करने लगा और हम इधर-उधर की बातें करते हुए उसके रूम पहुँचे उसका कमरा शहर के बीच मे दूसरी मंज़िल पर था। शहर के बीच मे होने के बावजूद भी मुझे उसके कमरे मे सन्नाटा सा लगा। रूम मे बैठ कर हम बातें करते रहे, फिर मैंने कहा चाय पीने तो आ गये, पर क्या तुम्हे चाय बनानी आती है। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तो जवाब मे उसने मुस्कुरा कर कहा तुम पी कर बताना और उठ कर चाय बनाने चला गया और इस बीच मैं सोचने लगी कि अब आगे क्या करूँ। राजकमल चाय बनाकर ले आया और उसने एक कप मेरे हाथ मे थमा दिया और हम चाय पीने लगे फिर मैने कुछ सोचकर कहा तुम बहुत प्यारे हो राजकमल, वरना आज कल के लड़के तो बस लड़कियों के पीछे ही लगे रहते हैं, तुम्हारी ये मासूमियत मुझे भा गयी है, ये सुनकर राजकमल खुश होता हुआ बोला अगर तुम बुरा ना मानो तो में भी एक बात कहूँ तुम बुरा तो नहीं मानोगी। मैने कहा अरे तुम तो बोलो ना मैं कभी बुरा नहीं मानूँगी। राजकमल बात ये है कि तुम हो ही इतनी सुंदर की कोई भी तुम्हारे पीछे पड़ जाए, मन तो मेरा भी करता है कि तुम्हारे जैसी मेरी भी गर्लफ्रेंड हो, पर डरता हूँ की तुम बुरा ना मान जाओ। आज राजकमल के मुहं से ये बातें सुनकर मैं थोड़ो हैरान हो गयी कि क्या ये वही राजकमल है, जो मुझसे बात करने मे हमेशा कतराता था और आज इतना कुछ बिना किसी झिझक के बोल रहा है। खैर मैं भी यही चाह रही थी। मुझे आज मेरी मंज़िल दिखाई दे रही थी और मैने कहा राजकमल सच तो यह है कि में भी तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ। ये सुनकर राजकमल कहा की सच और मेरे हाथों को अपने हाथों मे लेकर सहलाने लगा और मैने जान बूझकर अपना सर रख के आखें बंद करके खो गयी, जब मैं थोड़ो सम्भल कर सर को ऊपर किया तो मेरी नज़र घड़ी पर गयी। अब आठ बज गये थे और मैने घर पर फोन भी नहीं किया था। मैं हड़बड़ाकर उठी और राजकमल से कहा राजकमल अब मैं चलती हूँ, आज मुझे बहुत देर हो रही है। अभी राजकमल भी गरम होने लगा था उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा प्लीज मत जाओ ना, तुम्हे घर ही तो जाना है। आज कोई बहाना कर दो। मैने हाथ छुडाते हुए कहा राजकमल इतना उतावलापन भी ठीक नहीं है। मैं कहीं भागी थोड़ी ही जा रही हूँ, हम कल फिर मिलेंगे कहते हुए मैं सीढ़ियों से नीचे आ गयी और मुड़कर देखा तो पाया राजकमल मुझे ऊपर से देख रहा था और मैं घर पर आ गयी। घर पर भी मैं ठीक से खाना नहीं खा पाई। मुझे पर एक खुमारी सी छा गयी थी। रात को 10 बजे राजकमल का फोन आया और मैं बेडरूम मे थी। इसलिए मम्मी पापा को पता नहीं चला और हम बातें करते रहे और फोन पर ही प्लान बनाया की कल हम ऑफीस ना जाकर राजकमल के रूम मे मिलेंगे। फिर में सुबह का इंतज़ार करने लगी। मेरे मन मे हज़ारों अरमान मचलने लगे और मुझे आने वाले कल के बारे मे सोचकर नींद नहीं आ रही थी। खैर मैने जैसे तैसे आँखों ही आँखों में रात काटी और सुबह नहाकर अपनी नयी साड़ी जो की पिंक कलर की थी, मेंचिंग ब्लाउस के साथ पहनी। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अंदर ब्लैक कलर की पेंट और ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी और साथ ही मेचिंग पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई और फिर राजकमल के घर की और चल दी जैसे जैसे मैं राजकमल के घर की और बढ़ रही थी मेरी सांसे तेज़ी से चलने लगी और में राजकमल के घर पहुँची। राजकमल का घर खुला हुआ था दरवाजे को धकेल कर मैं अंदर गई तो देखा कि राजकमल घरेलू कपड़े मे पलंग पर लेटा हुआ था। मेरे अंदर आते ही उसने जाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुड़कर मेरी ओर देखने लगा। तो मैने कहा क्या देख रहे हो उसने कहा आज तो तुम स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी बात सुनकर मेरी गर्दन शरम से झुक गयी उसने मुझे हाथों से पकड़कर पलंग पर बिठा दिया और खुद भी पलंग पर बैठ गया और मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामकर अपनी ओर किया और मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिये, मैं जानबूझ कर दिखावे के लिए नाटक करने लगी। राजकमल ने होठों को किस करते हुए मुझे अपने से सटा लिया जिससे मेरे बूब्स राजकमल की छाती से दबने लगे और मेरे मुहं से सिसकारियाँ निकालने लगी, मैं अह्ह्ह की आवाज करने लगी आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जिससे राजकमल की और हिम्मत बढ़ी और उसने अपना एक हाथ मेरे बाई तरफ के बूब्स पर रख दिया और मेरे बूब्स पर अपने हाथ फेरने लगा जिससे मेरी सांसे और तेज़ी से चलने लगी और राजकमल ने अपना हाथ मेरे बूब्स पर जमा दिये और ज़ोर -ज़ोर से दबाने लगा जिससे मुझे दर्द होने लगा। लेकिन साथ ही साथ मैं परम सुख की अनुभूति कर रही थी और मेरे मुहं से जोरो की सिसकारियाँ निकालने लगी और मेरे मुहं से अह्ह्ह्ह की आवाजे निकालने लगी। राजकमल भी मेरी मादक आवाज सुनकर गरम हो गया था। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब उसने मेरी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया और किस करना छोड़ कर मेरी साड़ी को खींचने लगा जल्दी ही उसे कामयाबी मिल गयी और मैं पेटीकोट और ब्लाउस में आ गयी। अब उसने बिना समय गँवाए अब वो मेरे ब्लाउस के बटन खोलने लगा और कुछ समय मे मेरे ब्लाउस को मेरे शरीर से अलग कर दिया और मैं राजकमल के सामने सिर्फ़ ब्लैक ब्रा मे थी। जिसमे से मेरे बूब्स ब्रा को फाड़कर बाहर आने को तड़प रहे थे। उधर राजकमल बिना रुके मेरे पेटीकोट की ओर बढ़ा और देखते ही देखते मैं ब्लैक पेंटी और ब्रा मे थी। अब राजकमल ने ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स को दबाने लगा और में मस्त होकर अह्ह्हन्ह्ह्ह करने लगी और राजकमल ने अपने हाथ मेरी पीठ के पीछे लाकर ब्रा का हुक भी खोल दिया और ब्रा को मेरे शरीर से निकालकर मेरी गुलाबी निप्पल को देखने लगा और फिर मेरे दोनो बूब्स को अपने दोनो हाथों से दबाने लगा और अपने मुहं से एक बूब्स को चूसने लगा मुझे गुदगुदी और उत्तेजना से अब मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मैं आँखें बंद करके अपने दातों से अपने होठों को चबाने लगी थी। मैं अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। फिर राजकमल ने अपना एक हाथ मेरी पेंटी मे डाल कर मेरी चूत मे अपनी उंगली डालने लगा। जैसे ही राजकमल ने अपनी उंगली मेरी चूत मे डाली मैं चीख उठी और कुछ ही देर बाद मैं भी अपना चुतड उठाकर उसका जवाब देने लगी। अब मेरा सब्र का बाँध टूटने लगा था और इसी बेसब्री मे मेरा हाथ राजकमल के लोवर के ऊपर उसके लंड पर चला गया। राजकमल भी शायद मेरी बेताबी को समझ गया और मुझे छोड़कर वो अपने कपड़े उतारने लगा। मैने पहली बार किसी मर्द को पूरा नंगा देखा था। मुझे राजकमल का लंड उस समय बहुत प्यारा लग रहा था और में एकटक उसके लंड को देख रही थी। इसी बीच राजकमल ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया मैं भी उसके लंड को पकड़कर उसकी टोपी को आगे पीछे करने लगी और राजकमल ने मुझे किस करना शुरू किया वो इस बार मेरे सारे चेहरे पर किस करने लगा और अचानक ही उसने मुझे किस करना छोड़ कर मुझसे बोला यार रोली तुम इतनी सुंदर हो लेकिन तुम्हारे होंठों के नीचे ये मस्सा चाँद पर ग्रहण जैसा लग रहा है, प्लीज़ इसे हटा देना। इस पर मैने कहा की अगर तुम्हे पसंद नहीं तो मैं इसे कल ही काट दूँगी। मेरी इस बात को सुनकर राजकमल ने मुझे जोश मे आकर गले से लगा लिया और मुझे उठा कर पलंग पर लिटा दिया और और मेरी चूंचियों को मसलने लगा। मैं अपने जोश के चरम पर थी मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। इसी जोश मे मैने राजकमल से कहा की राजकमल प्लीज़ तुम्हे जो करना है बाद मे कर लेना अभी मुझसे सहा नहीं जा रहा है प्लीज़ मेरी प्यास बुझाओ मेरी बात सुनकर राजकमल ने मेरे पैरों को फैलाया और अपना लंड मेरी चूत मे रगड़ने लगा अब मेरी चूत मे तेज़ खुज़ली होने लगी और मैं राजकमल के लंड अंदर डालने का इंतज़ार करने लगी और मैने आखें बंद कर ली अचानक ही मुझे मेरी चूत के पास कुछ गरम-गरम सा लगने लगा। मैने आखें खोल के देखा तो राजकमल मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ के ठंडा हो गया था शायद वो झड़ चुका था और मेरी बगल मे आखें बंद करके लेटा हुआ था। तभी मैं गुस्से से तिलमिला उठी और बिना कुछ बोले बाथरूम मे जाकर अपनी चूत के पास से राजकमल के वीर्य को साफ किया। वापस आकर जल्दी से मैने कपड़े पहनने लगी तब राजकमल ने आखें खोलकर बोला, सॉरी ज़्यादा जोश की वजह से में जल्दी ही झड़ गया था। लेकिन तुम बिलकुल भी चिंता मत करो। मुझे कुछ देर का समय दो में तुम्हे दोबारा लंड दूँगा। मैने अपने कपड़े पहन लिए थे। मैने राजकमल को गुस्से मे कहा कि तुम क्या मेरी प्यास बुझाओगे तुम तो दो मिनट में ही झड़ गये थे। लेकिन तुम आज के बाद मुझसे किसी भी प्रकार का संबंध रखने की कोशिश मत करना वरना इसका अंजाम तुम सोंच भी नहीं सकते। राजकमल ने पलंग से उठते हुए कहा रोली मेरी बात तो सुनो पर मैंने उसकी एक भी बात बिना सुने ही उसके घर से बाहर आ गयी रोड पर चलते हुए अपने आप झल्लाई हुई सी जाने लगी। फिर मैने सोचा अभी घर जाना ठीक नहीं होगा वैसे भी मैं ऑफीस के नाम से घर से निकली थी, इससे अच्छा है की में भाभी के पास जाती हूँ। इसी बहाने मेरा मन भी बहाल जाएगा, ये सोचकर मैं भैया के घर की ओर चल पड़ी … फिर मैं ऑटो से भैया के घर पहुँची। डोर बेल बजाई तो दरवाज़ा भैया ने खोला। भैया बानियान और लूँगी मे थे। मुझे देखका बोले अरे रोली तुम अभी तो तुम्हारा ऑफीस टाइम है, यहाँ कैसे तो मैने कहा आज भाभी से मिलने की इच्छा हुई तो आ गयी और ऑफीस से छुट्टी ले ली लेकिन आप आज घर पर कैसे? मैने पूछा जवाब मे भैया ने बताया की तुम्हारी भाभी कई दिनों से मायके जाने की ज़िद कर रही थी, तो मैं उसे अभी-अभी छोड़कर आ रहा हूँ मैने आज काम भी बंद कर दिया है, अरे तुम बाहर क्यों खड़ी हो अंदर आओ। भाभी नहीं है तो क्या हुआ भैया से बातें करो और मैं उदास मन से अंदर आई और सोफे पर बैठ गयी और भैया भी सामने बैठ गये फिर भैया ने कहा एक मिनट रूको मुझे एक दो फोन करने हैं मैं अभी आता हूँ। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर हम दोनो बैठकर ढेर सारी बातें करेंगे, मैने भैया से कहा भैया तब तक मैं नहा लेती हूँ। (क्योंकि अभी तक मेरे शरीर मे वासना की आग जल रही थी) और मैं नहाने चली गयी और नहाकर फिर से सोफे पर आकर बैठ गयी। जहाँ भैया बैठकर टीवी पर गाने देख रहे थे और मेरे आते ही उन्होने मुझसे पूछा और बताओ कैसा चल रहा है तो मैने कहा कुछ खास नहीं भैया। भैया : एक बात बताओ रोली अब तुम्हारी शादी की उम्र निकली जा रही है क्या तुम शादी नहीं करोगी।
मैं : नहीं भैया मैं अभी शादी के लिए तैयार नहीं हूँ।
भैया : सही समय मे शादी हो ही जाना चाहिए बाकी फिर तुम्हारी मर्ज़ी।
मैं : भैया एक बात बताओ क्या मेरे चेहरे पर ये मस्सा अच्छा नहीं लगता ?
भैया : हट पगली ये मस्सा तुम पर बहुत खिलता है, जैसे की बच्चे के चेहरे पर काला टीका पर आज तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो।
मैं : मेरे दोस्त कहते हैं की ये मुझ पर अच्छा नहीं लगता और इसे कटा लो। भैया : अच्छा तुम्हारा कोई भरोसा भी नहीं है, तुम इसे कटा भी सकती हो, वैसे भी तुम जो भी चाहती हो कर लेती हो, इतना कहकर भैया अचानक सोफे से उठे और मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामकर मेरे होठों के नीचे मेरे मस्से को किस करने लगे मैं हड़बड़ाकर बोली भैया मत करो ना प्लीज़, ये तुम क्या कर रहे हो। तो भैया ने कहा कल के दिन तुम इस मस्से को काट दोगी, इससे पहले मैं इसे जी भर कर चूम तो लूँ। मैं भैया के पंजे से खुद को छुड़ाते हुए बोली ठीक है भैया मैं इसे नहीं कटाउंगी, ये कहते हुए मैने खुद को उनसे छुड़वाया, भैया ने मुझे अपने हाथो से आज़ाद करते हुए कहा तुम मुझे कितना चाहती हो मेरे कहने पर तुम ये मस्सा नहीं कटवा रही हो, क्या मैं तुम्हे एक बार किस कर लूँ? मैने कहा क्या इससे पहले किस करने से पहले पूछा था। ये सुनकर शायद भैया ने इसे मेरा खुला निमंत्रण समझा और मुझ पर टूट पड़े और मेरे चहरे को अपने दोनो हाथों से पकड़कर सोफे से उठाते हुए मेरे मस्से को छोड़कर अब सीधे मेरे होठों पर हमला कर दिया और मुझे अपनी छाती से चिपका लिया और जो आग मेरे अंदर लगी थी फिर से भड़कने लगी और इसी जोश मे मैने अपने हाथों को उनकी पीठ पर फेरने लगी कुछ देर ऐसे ही किस करते रहे फिर मैने खुद को संभाला और भैया से बोली भैया ये ग़लत है, आप मेरे सगे भाई है, जवाब मे भैया ने कहा भाई वहाँ पर ही भूल जा तू कब तक ऐसे ही अपनी जवानी को लेकर घूमती रहेगी मुझसे तेरी ये हालत नहीं देखी जाती है। अब जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तू मुझसे अपनी इच्छाओ की पूर्ति कर लिया कर और कौन सा हम सबके सामने ऐसा कर रहे है। इस बात का पता किसी को नहीं चलेगा ये बोलते हुए फिर से मुझे किस करने लगे और मैं भी उनका साथ देने लगी फिर भैया ने मेरी चुचियों को मुट्ठी भरकर ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे और मैं मुहं से सिसकारियाँ निकालने लगी। फिर भैया ने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए मेरे, शरीर पर सिर्फ़ पेंटी ही थी और भैया मुझे उठा कर बेडरूम मे लेकर गये और मुझे पलंग पर पटक दिया और खुद अपने कपड़े निकालने लगे जब भैया ने अपना अंडरवियर उतारा तो मैं उनका लंड देखकर में तो डर ही गयी, राजकमल का लंड भैया के लंड के मुक़ाबले छोटा था और उसका लंड देखकर मुझे डर भी नहीं लगा था। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
भैया के लंड को देख कर में सिहर गयी, मैने डरते हुए भैया से कहा भैया ये तो बहुत बड़ा है मुझे नहीं करवाना है। इस पर भैया बोले तू भी पागल है, कभी अपनी भाभी को देखा है, क्या वो तुम्हे दुखी लगती है, वो इसे पाकर ही तो इतनी खुश रहती है और तुम चिंता मत करो अभी में हूँ ना। ये कहकर वो भी पलंग पर चड़ गये और मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगे मेरे मुहं से आ ऊहहाः की आवाज़ आने लगी और मैं भैया के लंड को अनदेखा करने लगी। तभी भैया ने एक हाथ मेरी पेंटी के अंदर डाला और उनका हाथ मेरी चूत के आस पास के बालो पर घूमने लगे और भैया ने मेरी पेंटी उतार दी और मेरी चूत की और देखते हुए कहा क्यों रोली क्या तुम अपने चूत के बाल को साफ नहीं करती हो। जवाब मे मैने कहा नहीं भैया ये सब मुझसे नहीं होता है। तो भैया ने कहा चलो आज मैं ही तेरे बाल साफ कर देता हूँ। मैने कहा भैया अगर कट गया तो? भैया ने कहा तुम चिंता मत करो तुम्हारी भाभी के भी मैं ही साफ करता हूँ। कुछ नहीं होगा और फिर भैया ने मुझे अपनी गोद मे उठाकर बाथरूम मे ले गये और वहाँ मुझे फर्श पर बिठाकर मेरी चूत के बाल मे खूब सारा साबुन लगाया और उस्तरे से मेरे सारे बाल साफ किये। बाल साफ करने के बाद मेरी चूत फूली हुई पवभाजी की तरह लग रही थी। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जिससे कुछ बूंदे पानी की निकल रही थी। भैया ने मेरी चूत को हाथों से सहलाया और कहा रोली तेरी चूत तो बहुत मस्त है। भैया के मुहं से चूत शब्द सुनकर में शरमा गयी फिर मुझे गोद मे लेकर फिर से पलंग पर पटक दिया और मुझ पर चड़ कर मेरे निप्पल को अपने मुहं मे लेकर चूसने लगे बीच बीच मे वो अपने दातों से निप्पल को काट देते थे जिससे मैं चीख जाती थी अब भैया ने निप्पल चूसते हुए अपना एक हाथ मेरी चूत मे ले जाकर अपनी एक उंगली घुसा दी मैं भी चूतड़ उछालकर साथ देने लगी फिर भैया ने निप्पल को छोड़कर अपना मुहं मेरी चूत की तरफ लेकर गये और अपने दोनो हाथों से मेरी चूत के होठों को फैलाकर उसमे अपनी जीभ डाल दी। मेरे सारे शरीर पर मानो हज़ारों चीटियाँ दौड़ने लगी मैं उहाहहाहह ऊ मर गयी भैया और अंदर से जैसे शब्द निकालने लगी कुछ ही देर मे मेरा शरीर अकड़ने लगा मैं खत्म होने के कगार पर थी। भैया ने शायद इस बात को समझ लिया और मेरी चूत को चाटना छोड़ दिया फिर भैया ने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा इसे मुहं मे लो ना। मैने कहा भैया बहुत बड़ा है मुहं दर्द करेगा भैया ने कहा जब मुहं दर्द करेगा तो निकाल लेना। मैने मजबूरी मे हाँ कर दी, फिर भैया ने अपना लंड मेरे होठ पर रख दिए और मैं उसे मुहं मे लेकर चूसने लगी। उनका लंड बड़ी मुश्किल से मेरे मुहं मे आ रहा था। कुछ देर मे भैया गरम हो गये और मेरे सर को पकड़कर मुख चुदाई (ओरल सेक्स) करने लगे, जिससे मेरी साँस अटकने लगी और मुझे खाँसी आने लगी मैं छुड़ाने की कोशिश करने लगी, पर भैया अपना लंड निकालने को तैयार ही नहीं थे। बड़ी मुश्किल से मैने उनके लंड को अपने मुहं से बाहर निकाला और राहत की साँस ली फिर मैने भैया से कहा की भैया अब देर मत करो मुझसे रहा नहीं जा रहा है। ये सुनकर भैया तेल की शीशी ले आए और मेरे पैरो को फैलाकर उनके बीच बैठ गये और मेरी चूत को फैलाकर उसमे ढेर सारा तेल डाल दिया और तेल की शीशी को किनारे रखकर अपना लंड मेरी चूत मे सटा दिया और अपने दोनो हाथ मेरे कंधे पर रखकर एक झटका दिया जिससे मैं उछल गयी और उनका लंड फिसल गया। भैया ने फिर से अपना लंड चूत पर टिकाया और झटका मारा इस बार तेल के कारण लंड सरसरता हुआ चूत के पर्दे को फड़ता हुआ आधा अंदर घुस गया और में दर्द के मारे में चिल्ला उठी उईईईई माआ म्माआरररर दद्दला रे मेरे आँखो से आँसू आने लगे भैया ने मेरे बालों को अपने हाथों से प्यार से सहलाते हुए मेरे आँसू पोंछे और कहा बस एक बार और फिर तुम्हे भरपूर मज़ा मिलेगा पर मैं उनकी बात नहीं सुनना चाहती थी। मैं तो बस यही चाहती रही भैया प्लीज़ नहीं सहा जा रहा है, प्लीज़ उठ जाओ, इस बार भैया ने जैसे मेरी बात अनसुना करते हुए बिना किसी चेतावनी के एक और ज़ोर का झटका दिया ये हमला मेरे लिए खतरनाक था। इस बार पूरा लंड गंगनता हुआ चूत को फाड़कर पूरा अंदर चला गया। मुझे तो लगा कि मेरी साँस ही उखड़ गयी है।आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मुझे असहाय पीड़ा होने लगी थी। मैं भैया को पीछे धकेलने की पूरी कोशिश किए जा रही थी और रोए जा रही थी और भैया समझाए जा रहे थे, कि जो दर्द होना था हो गया अब मज़ा आएगा, ये कहकर वो मेरे बूब्स को दबाने लगे और धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगे। कुछ ही देर बाद चमत्कारिक रूप से दर्द गायब हो गया और दुख सुख मे बदल गया और मुझे स्वर्ग की अनुभूति होने लगी और मैं गांड उछालकर भैया का पूरा साथ देने लगी और साथ ही साथ आआअहह की आवाज़ निकालने लगी थी। कुछ ही देर के बाद में झड़ गयी पर भैया रुकने को तैयार ही नहीं थे। में तीन बार झड़ गयी फिर अचानक भैया ने स्पीड बढ़ा दी और भैया का शरीर अकड़ गया और उनके लंड से वीर्य की पिचकारी निकली, जिससे मेरी चूत भर गयी और दोनो निढाल हो गये कुछ देर बाद हम दोनो बिस्तर से उठे तो देखा बिस्तर मेरी चूत के खून से और भैया के वीर्य से सना हुआ था। मैने बिस्तर को बाथरूम में ले जाकर साफ किया और चूत पर लगे खून को साफ किया पीछे पीछे भैया आ गये तो मैने भैया के लंड को अपने हाथ से रगड़ कर धोया और भैया से कहा भैया तुमने वीर्य अंदर छोड़ दिया है अगर कुछ हो गया तो? तब भैया ने भाभी की एक टेबलेट लाकर दी और कहा इसे खा ले फिर कुछ नहीं होगा। मैंने टेबलेट खा ली और फिर बड़ी मुश्किल से लंगड़ाते हुए बेडरूम तक गयी। चुदाई से मेरा पूरा अंग अंग टूट रहा था। लेकिन मन मे एक सन्तुष्टि भी थी। मैने आज दुनिया की सारी खुशी कुछ ही समय मे पा ली थी और वो भी अपने सगे भाई से। में बेडरूम आकर मैं कपड़े पहनने लगी तो पीछे से भैया ने पकड़ लिया और कहा एक बार और हो जाए, तो मैने पलटकर मुस्कुराते हुए जवाब दिया, अभी नहीं मेरे भैया पहले मुझे सम्भलने तो दो तुमने तो मेरी हालत ही खराब कर दी है। कहकर मैं कपड़े पहनकर पलंग पर लेट गयी पर भैया पर अभी भी खुमारी छाई हुई थी और वो नंगे थे मेरी बगल मे मुझे बाहों में लेकर लेट गये और में भी इस पर मैं भी उनसे लिपट गयी।
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