दीदी की कुवारी ननद-2

गतांग से आगे की कहानी…..  यहाँ आने के पहले दिन मुझे पता चला की जीजू के फ़ैमीली में वो और गुडिया दोनो ही थे. कई साल पहले जब उन के माता पिता का देहांत हुआ तब गुडिया छोटी बच्ची थी. उस दिन से जीजू ने गुडिया को अपनी बेटी की तरह पाला पोसा था. उस दिन से ही गुडिया अपने भैया के साथ सोती थी और इतनी लगी हुई थी की दीदी के आने पर भी छूटना नहीं चाहती थी. दीदी की समस्या हल कर ने का कोई प्लान मैने बनाया नहीं था. मैं सोचता था की क्या किया जाय. इतने में जीजू हम सब को छोटी सी ट्रिप पर ले गये और मेरा काम बन गया.शहर से क़रीबन तीस मिल दूर खजुरा नाम की एक जगह है मही सागर नदी किनारे एक सदीओ पुराना शिव मंदिर है आसपास नेचारल सेटिंग है कई लोग पीकनिक के वास्ते यहाँ आते हें. आने जाने में लेकिन सारा दिन लगता है मैने एक अच्छा सा कैमरा ख़रीदा था जो मैं हमेशा साथ रखता था. इस पीकनिक पर वो ख़ूब काम आया. मैने जीजू और दीदी की कई फोटो खिची. मैं जान बुझ कर गुडिया की उपेक्षा करता रहा, उस के जानते हुए उस की एक भी फोटो नहीं ली. हालाँकि मैने उस की चार पिक्चर ली थी जिस का उस को पता नहीं चला था.अचानक मेरी नज़र मंदिर की बाहरी दीवारों पर जो शिल्प था उस पर पड़ी. मैं देखता ही रह गया. वो शिल्प था चुदाई करते हुए कपल्स का. अलग अलग पोज़ीशन में चुदाई करती हुई पुतलियाँ इतनी रियल थी की ऐसा लगे की अभी बोल उठेगी. जीजू से छुपा छुपी मैं फटा फट उन शिल्प के फोटो खींच ने लगा. इतने में दीदी आ गयी चुदाई करते प्रेमी के शिल्प देख वो उदास हो गयी गुडिया मुझ से क़तराती रही. सारा दिन इधर उधर घुमे फिरे और शाम को घर आए दूसरे दिन मैने मेरे दोस्त के स्टूडिओ में फ़िल्म्स दे दी, डेवेलप और प्रिंट निकालने के लिए तीसरे दिन दीदी और जीजू को कुछ काम के वास्ते बाहर जाना पड़ा, सुबह से गये रात को आने वाले थे. ट्यूशन क्लास की वजह से गुडिया साथ जा ना सकी. दोपहर के दो बजे वो क्लास से आई. फ़ोटो स्टूडिओ रास्ते में आता था इस लिए वो पिक्चर्स लेते आई. आते ही उस ने पेकेट मेरे तरफ़ फेंका और रसोईघर में चली गयी चाय बनाने. मैं उस के पीछे पीछे गया. अकडी हुई मेरी ओर पीठ कर के वो खड़ी थी. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैने कहा : मेरे लिए भी चाय बनाना.ग़ुस्से में वो बोली : ख़ुद बना लेना. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | नौकर नहीं हूँ तुमारी.मैने पास जा कर उस के कंधे पर हाथ रक्खा. तुरंत उस ने छिड़क दिया और बोली : दूर रहो मुझ से. छुओ मत. मुझे ऐसी हरकतें पसंद नहीं.मैने धीरे से कहा : अच्छा बाबा, माफ़ करना. लेकिन ये तो बताओ की तुम मुझ से इतनी नाराज़ क्यूं हो ? क्या किया है मैने ?गुडिया : अपने आप से पूछिए क्या नहीं किया है आप ने.में : अच्छा बाबा, क्या नहीं किया है मैंने?अब तक वो मुज़ से मुँह फेरे खड़ी थी. पलट कर बोली : बड़े भोले बनते हो. सारी दुनिया के फोटो निकाल ते हो, यहाँ तक की वो मंदिर के पत्थरों भी बाक़ी ना रहे. एक में हूँ जिस को तुम टालते रहे हो. मेरी एक भी फोटो नहीं खींची तुमने. आप का क़ीमती कैमरा बिगड़ जाय इतनी बद सूरत हूँ ना मै ?मै : कौन कहता है की मैंने तुमारी तस्वीर नहीं खींची ? भला, इतनी सुंदर लड़की पास हो और फोटो ना निकाले ऐसा कौन मूर्ख होगा ?गुडिया : मुज़े उल्लू मत बनाईए. दिखाइए मेरी फ़ोटो में : पहले चाय पीलाओ. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उस ने दोनो के लिए चाय बनाई. चाय पी कर हम मेरे कमरे में गये और फ़ोटो देखने बैठे. में पलंग पर बैठा था. वो मेरी बगल में आ बैठी, थोड़ी सी दूर. उस ने पतले कपड़े का फ़्रॉक पहना था जिस के आरपार अंदर की ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी. उस के बदन से मस्त ख़ुश्बू आ रही थी. सूंघ कर मेरा लौड़ा जाग ने लगा.पहले हम ने दीदी और जीजू की फोटो देखी. बाद में गुडिया की चार फोटो निकली. अपनी पिक्चर देखने के लिए वो नज़दीक सरकी. मेरे कंधे पर हाथ रख वो ऐसे बैठी की हमारी जांघें एक दूजे से सट गयी मैं मेरी पीठ पर उस के स्तन का दबाव महसूस करने लगा. बेचारा मेरा लंड, क्या करे वो ? खड़ा हो कर सलामी दे रहा था और लार टपका रहा था. बड़ी मुश्किल से मैने उसे छुपाए रक्खा.गुडिया की चार फ़ोटो में से तीन सीधी सादी थी जिस में वो हसती हुई पकड़ी गयी थी. बड़ी प्यारी लगती थी. चौथी फोटो में वो नीचे झुकी हुई थी और पवन से दुपट्टा सीने से हट गया था. उस की चुचियाँ साफ़ दिखाई दे रही थी. पिक्चर देख वो शरमा गयी और बोली : तुम बड़े शैतान हो.मैं : पसंद आया मेरा काम ?मेरी जाँघ पर हाथ रख कर उस ने कहा : जी, पसंद आया.मैं : तो ओर फोटो खींच ने दो गी ?गुडिया : हाँ हाँ लेकिन ये बाक़ी की फोटो किस की है ?मैं : रहने दे. ये फोटो तेरे देखने लायक नहीं हैगुडिया : क्या मतलब ? नंगी फोटो है क्या ? देखूं तो मैंइतना कह कर अचानक वो फोटो लेने के लिए झपटी. मैने हाथ हटा दिया. इस छीना झपटी में वो गिर पड़ी मेरी बाहों में. वो संभल जाए इस से पहले मैने उसे सीने से लगा लिया. झटपट वो संभल गयी शर्म से उस का चहेरा लाल लाल हो गया और उस ने सर झुका दिया. मेरे पहलू से लेकिन वो हटी नहीं. मैने मेरा हाथ उस की कमर में डाल दिया. उंगलियाँ मलते मलते दबे आवाज़ से वो बोली : क्यूं सताते हो ? दिखाओ ना.मेरे पास कोई चारा नहीं था. चुदाई करते हुए शिल्प की पिक्चर्स मैं दिखाने लगा. मुस्कराती हुई, दाँतों में उंगली चबा ती हुई वो देखती रही.अंत में बोली : बस ? यही था ? ये तो कुछ नहीं है भैया के पास एक किताब है जिस में सच्चे आदमी और औरतों के फोटो हैमैं : तुझे कैसे मालूम ?गुडिया : मैने किताब देखी है देखनी ही तुझे ?मैं : हाँ — हाँ —-ज़रूर.खड़ी हो कर वो बोली : चलो मेरे साथ.अब दिक्कत क्या थी की मेरा लंड पूरा तन गया था. निकार के बावजूद उस ने मेरे पाजामा का तंबू बना रक्खा था. इस हालत में मैं कैसे चल सकूँ ?मैने कहा : मैं बैठा हूँ तू किताब ले आवो किताब ले आई और बोली : एक दिन जब मैं भैया के कमरे की सफ़ाई कर ररही टी तब मैने पलंग नीचे ये पाई. मेरे ख़याल से भाभी ने भी देखी हैमें : दीदी देखे या ना देखे, क्या फ़र्क पड़ेगा ? तू जो उन के बीच आ रही हो.गुडिया : में उन के बीच नहीं आ रही हूँ देख मनीष, भैया मेरे सर्वस्व है कोई मुज़ से उन्हें छीन ले ये में बरदास्त नहीं करूंगी, चाहे वो भाभी हो या ओर कोई.मैं : अरी पगली, दीदी कहाँ जाएगी तेरे भैया को छीन ले कर ? भैया के साथ वो भी तेरी हो जाएगी. कब तक तू कबाब में हड्डी बनी रहेगी ?गुडिया : मैं जानती हूँमैं : क्या जानती होगुडिया : की मेरी वजह से भैया वो नहीं कर पाए हें.मैं : वो माइने क्या ? मैं समझा नहीं.गुडिया : ख़ूब समझते हो और भोले बन रहे हो.मैं : मैं तो बुद्धू हूँ मुझे क्या पता ?वो शरमा राही थी फिर भी बोली : मज़ाक छोड़ो. देखो, भैया से मैने सिर्फ़ एक चीज़ माँगी हैमें : वो क्या ?उस ने नज़रें फेर ली और बोली : मैने कहा, एक बार, सिर्फ़ एक बार मुझे देखने दे —- .में : क्या देखने दे ?पाओ : शैतान, जानते हुए भी पूछते हो.मैं : नहीं जानता मैं साफ़ साफ़ बताओ ना.गुडिया : वो, वो जो हर दूल्हा दुल्हन करते हें सुहाग रात कोमैं : मुझे ये भी नहीं पता. क्या करते हें ?गुडिया : हाय राम, चु — चु — मुझ से नहीं बोला जातामैं : ओह, ओ, चुदाई की कह रही हो ?अपना चहेरा छुपा कर सिर हिला कर उस ने हा कही.मैं : तुझे दीदी और जीजू की चुदाई देखनी है एक बार, इतना ही ?उस ने मुँह फेर लिया और हाँ बोली.मैं : जीजू ने क्या कहा ?गुडिया : भाभी ना बोलती हैमैं : मैं उन को समझा उंगा. लेकिन एक ही बार, ज़्यादा नहीं. और एक बात पूछु ? उन को चोद ते देख कर तुम एक्साइट हो जाओ गी तो क्या करोगी ?गुडिया : नहीं बता उगी तुझे.

कहानी जारी है ………… अगला भाग पढने के लिए पढ़ते रहिये मस्तराम डॉट नेट …. |

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गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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