प्रेषिका: जन्नत खान
रात के 2 बज रहे हैं और मैं कंप्यूटर टेबल के सामने कुर्सी पर “नंगी” बैठ कर, ये कहानी आप लोगों के लिए मस्तराम डॉट नेट पर लिख रही हूँ। कमरे के, सब लाइट्स बंद हैं। क्या कर रही है, जन्नत… मेरे भाई अरहान ने, अपने लण्ड से कंडोम निकालते हुए पूछा.. अपनी कहानी लिख रही हूँ, मेरी सेक्स स्टोरी की अलीशा को भेजने के लिए… मैंने टाइप करते हुए, जवाब दिया.. अरहान मेरे पीछे आ गया और मेरे दोनों कंधों पर हाथ रख के, धीरे धीरे सहलाने लगा और कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते हुए बोला – बढ़िया है… बस, अपने शहर के बारे में मत लिखना… मैंने, हाँ में जवाब दिया। मैं सोने जा रहा हूँ… दरवाज़ा बंद कर ले… भाई ने अपने कमरे में जाते हुए कहा.. ये दरवाज़ा, मेरे और भाई के कमरे के बीच का दरवाज़ा है.. जिसकी कुण्डी, मेरे कमरे में है और दोनों कमरे का मुख्य दरवाजा अलग है.. मम्मी पापा के ख़याल में, ये दरवाजा कभी नहीं खुलता। परंतु असल में, ये दरवाजा किसी किसी रात में कुछ घंटे के लिए खुलता है और कभी मैं भाई के बिस्तर में चली जाती हूँ तो कभी भाई, मेरे बिस्तर में आ जाता है ! उसके बाद का वक़्त, हम “नंगे” एक दूसरे के साथ बिताते है ! इस वक़्त, मैं 23 साल की हूँ और एक इंटरनेशनल कॉल सेंटर में काम करती हूँ। ये मेरी नौकरी का, पहला साल है। मैं एक स्लिम फिगर की गोरी लड़की हूँ.. लंबाई लगभग 5.6.. बाल और आँखें काली और जिसे जानने में मेल रीडर्स को सबसे ज़्यादा दिलचस्पी होगी, यानी मेरा फिगर, वो है लगभग – 32-26-34.. अरहान, मेरा भाई मुझसे एक साल बड़ा है और एक बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी में इंजिनियर है। उसकी लम्बाई है, लगभग 5.9 और बदन सामान्य है। मेरे पापा सरकारी नौकरी में हैं और मम्मी, हाउसवाइफ हैं। यानी कुल मिला कर, एक सामान्य भारतीय मुस्लिम परिवार। हम एक डुप्लेक्स में रहते हैं। ग्राउंड फ्लोर पर, मम्मी पापा का कमरा है और ऊपर मेरा और भाई का.. जो अंदर से, एक दरवाज़े से मिला हुआ है.. आम तौर पर, घर में 10:30 तक सब खाना खा के अपने अपने कमरे में चले जाते हैं। आज रात भी सब नॉर्मल टाइम पर, अपने अपने कमरे में जा चुके थे। मैं आधी नींद में थी की लगभग 11:45 को, मेरे फोन की मैसेज टोन बजी। मूड है… ये, अरहान का मैसेज था.. मैंने मैसेज डिलीट किया और अपनी नाईटी उतार दी। अब मैं ब्रा पैंटी (सफेद रंग की) में थी ! फिर, मैंने दरवाजा खोला तो भाई पूरा नंगा था.. वो मेरे कमरे में आ गया और आते ही, भाई ने मेरे हाथ में कंडोम पकड़ा दिया और मुझसे लिपट गया। मेरे गर्दन पर चुम्मियों की बारिश करने लगा और मैं तुरंत ही, गरम होने लगी। चुम्मियों के साथ साथ ही, उसने ब्रा का हुक खोल दिया और मैंने अपनी पैंटी उतार दी। अपने सगे भाई के सामने पूरी नंगी होकर, मैंने कंडोम का पाउच दाँत से फाडा और कंडोम निकाल के टेबल पर रख दिया। अब अरहान, मुझे लीप किस करने लगा और मैं भी उतेज्जना में उसका बराबर साथ दे रही थी ! अरहान के दोनों हाथ, मेरी नंगी गाण्ड पर थे और उसने मुझे अपनी तरफ दबाया हुआ था। मेरे दोनों हाथ, अरहान की पीठ पर थे और मेरे मम्मे उसके सिने पर। उसका लण्ड, मेरी चूत पर टच हो रहा था, जिससे मैं पागल हो रही थी.. फिर थोड़ी देर, मुझे यूँही होंठों पर चूमने के बाद, उसने मुझे उल्टा कर के खुद से चिपका लिया। अब उसका खड़ा हुआ एकदम कड़क लण्ड, मेरी नरम गाण्ड पर टच हो रहा था और उसका एक हाथ, मेरे एक दूध पर था और दूसरा चूत के मुहाने पर। उसने मेरे कान के पास किस करना शुरू किया और चूत को सहलाने लगा। थोड़ी देर मेरी चूत सहलाने के बाद, उसने मेरा एक पैर पलंग के किनारे पर रख दिया और मुझे आगे की तरफ झुका दिया। मैंने टेबल पर हाथ रख, सहारा लिया और टेबल से कंडोम उठा के उसके लण्ड पर चढ़ाया। दोस्तों आप लोग मेरी कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो तुरंत अपने लण्ड को, मेरी चूत के होंठों में ऊपर नीचे रगड़ने लगा।फिर एक झटके में अंदर डाल दिया ! उमहहस्स… मेरे मुंह से आवाज़ निकल गई.. फिर उसने दोनों हाथों से, मेरी कमर को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत चोदने लगा और मैं उतेज्जना में, सिसकारियाँ लेने लगी – उम्ह अंह अंह इस्स स्स्स्स्स फूः ह ह ह ह ह ह ह याह आ अ अअअ आआहहह… थोड़ी देर बाद, मैंने अपना दूसरा पैर भी बिस्तर पर ले लिया और “डॉगी स्टाइल” में आ गई। भाई ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी और मैंने बिस्तर पर बिछे चादर को, पूरी ताक़त से पकड़ लिया.. कुछ ही पलों में – फिसस इनमह इनयन्ह… की आवाज़, उसके मुंह से आई और वो मेरी चूत में झटके मारता हुआ झड़ गया। मैं तो अब तक, 2-3 बार झड़ चुकी थी.. हम दोनों बिस्तर पर लेट गये और मैंने घड़ी देखी तो 12:15 बज रहे थे। हम गहरी गहरी साँसों के साथ, बिस्तर पर चुपचाप नंगे लेटे हुए थे। अचानक पड़े पड़े, मैं अपने पुराने दिनों के ख़यालो में चली गई और उन दिनों को याद करने लगी, जब मैं एक सीधी साधी, शरीफ लड़की थी। उन दिनों को याद करके, मेरी आँखों में आँसू आ गये। मैंने अपना चेहरा अपने भाई से छुपाया और आँसू पोंछ के, कंप्यूटर चालू करने के लिए उठी। अब तक, 1 बज गये थे और नींद भी अब पता नहीं कहा चली गई थी। मैं पिछले कुछ महीनों से, मेरी सेक्स स्टोरी पर कहानियाँ पढ़ रही थी और मजबूरी या मज़ा, चूत का इंटरव्यू और आँखों के सामने चुदी मेरी माँ, जैसी कहानियाँ पढ़ कर, मेरा मन भी अपनी कहानी लिखने का होने लगा था। एक सीधी सादी, शरीफ लड़की से अपने भाई से चुदने वाली एक रांड़ तक की मेरी आप बीती… … अगस्त, २०१२… मैं बारहवीं में थी, 17 साल की और अरहान 18 का था.. पहले साल, इंजिनियरिंग में.. हम दोनों का रिश्ता भाई बहन के साथ साथ, एक अच्छे दोस्त का भी था। बचपन से ही, हम सारी बातें शेयर किया करते थे (अब भी करते हैं) और काफ़ी हँसी मज़ाक भी करते थे। उन दिनों, भाई का अफेयर उसी की क्लास की एक लड़की के साथ शुरू हुआ – आयशा.. 18 साल की, बहुत सुंदर लड़की थी.. उसने मुझसे, उसकी सारी बातें शेयर की तो मैंने उससे पूछा – सीरीयस है या बस यु ही… उसने कहा – यार, अभी तक कुछ नहीं पता है… धीरे धीरे,
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