वो दोनों कॉलेज के बाहर भी मिलने लगे और घूमने फिरने लगे। जब भी अरहान तैयार हो के बाहर जाता तो मैं समझ जाती थी कि वो कहाँ जा रहा है। फिर, उसके आने के बाद मैं उसे चिढ़ाती और पूछती – आज क्या क्या किया, अपनी माशुका के साथ… अक्सर, वो मुझे यु ही टाल देता था। नवंबर, 2011… एक शाम को अरहान लौटा तो मैंने उससे चिढ़ाने के अंदाज़ में पूछा – कहाँ से आ रहा है… और हमेशा की तरह, वो टाल गया। उसी रात, वो मेरे कमरे में आया (मुख्य दरवाज़े से) और मुझसे कहने लगा – रूप, एक घंटे के लिए तू मेरे रूम में चली जा… मुझे कंप्यूटर पर कुछ काम है… मैंने बोला – ऐसा क्या काम है, तुझे जो मेरे सामने नहीं कर सकता… उसने कहा – बाद में बता दूँगा… अभी जा… पर, मैं कहाँ मानने वाली थी.. मैं, फिर बोली – पहले बता… उसने टालने की कोशिश की, पर मैं ज़िद पर अड़ी रही। फाइनली, उसने कहा – देख तू जाएगी तो मैं तुझे बताऊंगा, आज मैंने आयशा के साथ क्या क्या किया… मैं उतेज्जित हो गई और उससे पूछने लगी – बता ना, प्लीज़… वो बोला – आज, मैंने उसको होंठों पर चूमी ली… मुझे सुन कर, बहुत मज़ा आया और मैं पूछने लगी – और बता ना… लेकिन, पर अब वो नहीं बता रहा था और फिर झला कर बोला – मत जा तू… मैं अपने रूम में ही जाता हूँ… मैंने उसे रोका और उसके रूम में चली गई। एक घंटे बाद, वो वापस आया तो मैंने पूछा – अब तो बता दे, ऐसा कौन सा काम कर रहा था… उसने कहा – बोला ना रूप, कुछ नहीं… मैं अपने रूम की तरफ चली पर जैसे ही, दरवाज़े से बाहर निकली तो मुझे कुछ रखने की आवाज़ आई। जब मैंने पलट के देखा तो अरहान ने एक सीडी (एक प्लास्टिक कवर में) अपने शर्ट के अंदर से निकाल कर, टेबल पर रखी थी। मैं दौड़ के गई और तुरंत, वो सीडी उठा के देखने लगी। सीडी के ऊपर, नंगी लड़कियों की तस्वीर थी। मैं उसकी तरफ पलटी और बोली – अरहान, तू ब्लू फिल्म देख रहा था… उसने, हाँ में सिर हिलाया। फिर, मैं बोली – आज ज़रूर चुम्मी से कुछ ज़्यादा ही कर के आया है… तभी उतावला है, इतना… मम्मी पापा को बता देने की धमकी देने पर, उसने बताया की वो लोग एक पार्क में गये थे.. जहाँ, उसने आयशा के मम्मे खोल के दबाए और उसके निप्पल चूसे.. मैंने हैरानी से पूछा – और वो मान गई, इसके लिए… तो उसने कहा – इसमें क्या है… हो तो और भी बहुत कुछ सकता था, पर जगह ठीक नहीं थी… ये उसका फर्स्ट टाइम था और उस दिन क बाद से चुम्मियाँ और दूध दबाना और निप्पल चूसना, उनका रोज़ का काम हो गया। बीच बीच में, अरहान मुझसे ये सब शेयर किया करता था। अब, वो ब्लू फिल्म भी रेग्युलर बेसिस पर देखने लगा था। उसने, हाँ में सिर हिलाया। फिर, मैं बोली – आज ज़रूर चुम्मी से कुछ ज़्यादा ही कर के आया है… तभी उतावला है, इतना… मम्मी पापा को बता देने की धमकी देने पर, उसने बताया की वो लोग एक पार्क में गये थे.. जहाँ, उसने आयशा के मम्मे खोल के दबाए और उसके निप्पल चूसे.. मैंने हैरानी से पूछा – और वो मान गई, इसके लिए… तो उसने कहा – इसमें क्या है… हो तो और भी बहुत कुछ सकता था, पर जगह ठीक नहीं थी… ये उसका फर्स्ट टाइम था और उस दिन क बाद से चुम्मियाँ और दूध दबाना और निप्पल चूसना, उनका रोज़ का काम हो गया। बीच बीच में, अरहान मुझसे ये सब शेयर किया करता था। अब, वो ब्लू फिल्म भी रेग्युलर बेसिस पर देखने लगा था। जनवरी, 2011… एक रात, अरहान मेरे रूम में आया और कहने लगा की उसे मेरी मदद चाहिए। मेरे पूछने पर, उसने बताया की मैं आयशा को अपनी सहेली बना कर, घर में ले आऊँ और पढ़ाई के बहाने से, उसे रात भर घर में रखूं। मैं उसकी नियत समझ गई और बोली – ब्लू फिल्म देख देख के, तेरा दिमाग़ खराब हो गया है… कुछ भी सोचने लगा है… मैं ये काम नहीं करूँगी… पर उसके सिर पर तो भूत सवार था। उसने बताया – आयशा, तैयार है… वो अपने घर से बहाना बना के आ जाएगी… सिर्फ़, तू मान जाए तो काम बन जाएगा, हमारा… पर, मैं नहीं मानी। महीने के आख़िर में, उनके कॉलेज की ट्रिप जा रही थी। अरहान का तो जैकपोट लग गया था। दोनों ने अपने अपने घर से ट्रिप की पर्मिशन ले ली पर ट्रिप पर ना जा कर, कहीं और चले गये और 4 रात, 5 दिन दोनों ने जी भर के चुदाई की। ट्रिप से आने के बाद, अरहान बहुत खुश था और उसने मुझे बताया भी की उसने मैदान मार लिया। मुझे ये पसंद नहीं आया पर मेरे हाथ में था भी क्या। मार्च में, मेरे बारहवीं के बोर्ड के पेपर थे तो मैंने पढ़ाई पर धयान देना ज़रूरी समझा.. मार्च, 2011… मेरे पेपर ख़त्म हो चुके थे और मैं घर में ही रहती थी। ज़्यादा कहीं, आना जाना नहीं होता था।दोस्तों आप लोग मेरी कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अरहान और आयशा का अफेयर ज़ोरो में चल रहा था और दोनों के बीच चुदाई भी। एक बार, मम्मी ने बताया के वो और पापा आउट ऑफ टाउन जा रहे हैं, किसी रिश्तेदार के यहाँ। जब वो चले गये, तब अरहान ने मुझे बताया – आयशा, आज रात यहाँ आने वाली है… मैंने उससे कुछ भी नहीं कहा, क्यूंकि मैं जानती थी के वो यहाँ क्यों आ रही है। करीब 8 बजे, वो आई। अरहान ने, हमारा परिचय करवाया। फिर, हम हॉल में बैठ के बातें करते रहे। थोड़ी देर में, मुझे एहसास होने लगा की मैं दोनों के बीच काँटा बनी हुई हूँ तो मैंने उनसे कहा – मुझे नींद आ रही है और मैं सोने जा रही हूँ… मैं अपने कमरे में आ गई और दरवाजा बंद कर लिया, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी और बुरा भी नहीं लग रहा था, बल्कि मैं उतेज्जित फील कर रही थी। कुछ देर बाद, मैंने अरहान के कमरे का दरवाजा बंद होने की आवाज़ सुनी। मेरा दिल, उनके बारे में सोच सोच के ज़ोरो से धड़कने लगा। मैंने ऐसा इससे पहले, कभी महसूस नहीं किया था। मैं ये देखना चाहती थी के वो दोनों क्या कर रहे हैं पर हमारे बीच के दरवाजा में कोई होल नहीं था और कोई और रास्ता भी नहीं था। दरवाजा खोलने की मेरी हिम्मत नहीं हुई। बस दरवाज़े पर कान लगाने पर, आयशा की सिसकारियों की आवाज़ धीरे धीरे मुझ तक आ रही थी। मैं बिस्तर पर लेट के, उनके बारे में सोचने लगी। मेरा हाथ अपने आप मेरी पैंटी क अंदर चला गया और मैं धीरे धीरे, अपनी चूत सहलाने लगी। आज पहली बार, मुझे लग रहा था चूत का काम सिर्फ़ पेशाब निकालना नहीं है। एक अजीब सा भारीपन था मेरी चूत में.. एक अलग सा, खिचाव था और ऐसा लग रहा था जैसे कुछ मेरी चूत के अंदर चला जाए.. मेरी चूत से पानी सा निकल रहा था पर मैं जानती थी, ये मेरा पेशाब नहीं है। मुझे एक नशा सा छाने लगा और इसी नशे में कब मेरी आँख लग गई, मुझे पता भी नहीं चला। अप्रैल, 2011… आयशा के बड़े भाई को, उसके और अरहान के अफेयर के बारे में पता चल गया। उन्हीं के एक क्लासमेट के ज़रिए। वो ये भी जान गया के आयशा, अरहान के साथ कई बार चुद चुकी है। उसके भाई और उसके दोस्तो में और अरहान और उसके दोस्तो में, मार पीट भी हुई। जिसका परिणाम, ये निकला के अरहान और आयशा का ब्रेकअप हो गया!! !! जुलाई, २०१२… मैं एक कॉलेज में बी कॉम में, दाखिला ले चुकी थी। क्लास में, नये दोस्त बन चुके थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था। रिया नाम की एक लड़की, मेरी बहुत अच्छी दोस्त बन गई थी। उसका अफेयर, फाइनल ईयर के एक लड़के, आशीष के साथ चल रहा था। आशीष देखने में अच्छा स्मार्ट था और उसकी लम्बाई लगभग 6 फीट थी। मैं कॉलेज में, ज़्यादातर रिया के साथ ही रहती थी। जब वो अपने बाय्फ्रेंड से मिलने जाती तो मैं भी उसके साथ जाती। वो पढ़ने में भी अच्छा था और हम दोनों को स्टडी रिलेटेड टिप्स भी दिया करता था और वक़्त बेवक़्त, हम दोनों को रेस्टोरेंट में ले जाता और खिलता पिलाता था। कुल मिला कर, लाइफ अच्छी चल रही थी। ऐसे ही दिन, मस्ती में गुज़र रहे थे। हमारे कॉलेज का वक़्त, सुबह 7 से दोपहर 1 बजे तक था। उसके बाद, हम दो तीन घंटे कॉलेज में ही मटरगस्ती करते या कभी कभी कहीं बाहर चले जाते, घूमने फिरने या मूवी देखने। शाम होने से पहले, मैं घर वापस चली जाती। रिया, मेरे घर आया जाया करती थी और मेरी मम्मी उसे पसंद भी करती थीं। पापा, कभी कभी यूँही पढ़ाई को लेकर डांट दिया करते थे पर मम्मी उन्हें संभाल लेती थीं। अरहान तो हर सही ग़लत में मेरे साथ, बचपन से ही था। सितम्बर, 2011… एक दिन कॉलेज ख़त्म होने के बाद, आशीष ने रिया और मुझे रेस्टोरेंट में बुलाया। हमेशा की तरह, हम दोनों वहाँ पहुँचे और देखा के आज आशीष के साथ एक और लड़का है। हम दोनों, टेबल के पास पहुँचे। आशीष ने हमारा परिचय करवाया – ये मेरा दोस्त है, राजेश… हाय राजेश… रिया ने कह के, उससे हाथ मिलाया और खुद का परिचय दिया। बदले में, उसने “हेलो” कहा। फिर, मैंने राजेश से हाथ मिलाया और खुद का परिचय दिया। फिर, हम टेबल पर बैठ गये और हँसी मज़ाक करने लगे। ऑर्डर भी दे दिया। ऑर्डर आने के बाद, हम खाते रहे और हँसी मज़ाक चलती रही। राजेश, मुझे एक अच्छा लड़का लगा.. उसकी लम्बाई 5।9 थी और दिखने में काफ़ी स्मार्ट था.. उसका “सेन्स ऑफ ह्यूमर” भी बहुत अच्छा था। किसी भी बात में, वो एक मज़ाकिया एंगल निकाल लेता और हम सब हँसने लगते। कुछ दिनों में, राजेश भी हमारे ग्रूप का हिस्सा बन गया। आशीष, रिया से ज़्यादा बातें किया करता था और राजेश, मुझसे। मेरे अंदर राजेश के लिए, फीलिंग्स डेवलप होने लगी। वो फीलिंग, जो मुझे महसूस हुई थी जब आयशा और अरहान, एक ही कमरे में थे!! !! 14 अक्टूबर, 2011… मैं और रिया, कॉलेज के बाद फिर उसी रेस्टोरेंट में गये.. जहाँ, अक्सर जाया करते थे.. मगर, आज कुछ अलग था.. आशीष, अलग टेबल पर बैठा और राजेश अलग टेबल पर। रिया, आशीष के सामने बैठ गई और मुझे राजेश के टेबल पर बैठने को कहा। मैंने कारण पूछा तो उसने बोला – अभी पता चल जाएगा, मेरी बिलो रानी… तू जा तो… मैं राजेश के सामने बैठ गई। राजेश मुझे आज, प्यार भरी नज़रों से देख रहा था। उसकी नज़र से, मैं नज़र नहीं मिला पा रही थी।
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