– मैंने अरहान से कहा.. वो मेरी तरफ पलटा – क्या… उसने झट से पूछा.. देखने के बाद पीसी में कॉपी कर देगा तो जाउंगी… वो हैरत से, मेरी तरफ देखने लगा। ऐसे क्या देख रहा है… सिर्फ़ तू ही देख सकता है… मैं नहीं देख सकती… थोड़ी देर सोचने के बाद, उसने भी हाँ कह दिया.. फिर मैं, अरहान के कमरे में चली गई। जब अरहान वापस आया तो मैंने चिढ़ाते हुए पूछा – कैसी थी, फिल्म… उसने कहा – खुद ही देख ले… और मुस्कुराते हुए, बाथरूम में घुस गया। मैं भी हंसते हुए, अपने कमरे में आ गई और फिल्म देखने लगी। फिल्म में, पाँच लड़के एक लड़की को चोदते हैं.. लड़की बड़ी आसानी से, एक लण्ड अपनी चूत में एक गाण्ड में और एक मुँह में लिए हुई थी। बाकी दोनों लण्ड को वो अपने दोनों हाथों में लेकर, जोर जोर से मूठ मार रही थी और वो दोनों लड़की के एक एक चुचे को चूस रहे थे। मुँह में लण्ड देने वाला लड़का, लड़की के मुँह को उसकी चूत और गाण्ड की ही तरह चोद रहा था। मैंने अभी तक सेक्स स्टोरी तो बहुत पढ़ीं थीं पर ब्लू फिल्म पहली बार देख रही थी। जब इतने बड़े बड़े लण्ड उस लड़की की चूत और गाण्ड में जा रहे थे तो वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी। देखते देखते, मैं काफ़ी उतेज्जित होने लगी और डरने भी लगी क्यूंकी लण्ड इतना बड़ा होता है, मुझे नहीं मालूम था। मैं सोच रही थी, जब लण्ड मेरी चूत में जाएगा तो मेरी छोटी सी चूत का क्या होगा। मैंने तो अभी तक, पेन्सिल या पेन भी चूत में घुसाने की हिम्मत नहीं की थी। पर इस डर के बाद भी, मुझे फिल्म देखने में मज़ा आ रहा था। मेरी चूत फटने पर आ गई थी!! !! मैं बहुत ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत रगड़ने लगी और इस बार हल्की की जगह, बहुत ज़ोर से धार मेरी चूत से निकली और मेरी नंगी जांघों पर बहने लगी। मेरे हाथ पैरों में अकड़न होने लगी और मुझे थोड़ी कमज़ोरी सी आने लगी तो मैंने फिल्म बंद कर दी और सोने चली गई। रात भर, मुझे चुदाई के सपने आते रहे। एक सपने में तो तीन लोग मिल कर, मुझे ब्लू फिल्म वाली लड़की की तरह चोद रहे थे। 25 नवंबर, 2011… मैं अपने रोज़ के टाइम (6 बजे) पर उठ गई और फ्रेश होके और नाश्ता करके घर से निकल गई, कॉलेज जाने के लिए। कॉलेज के बजाय, मैं सीधा बस स्टैंड पहुँची और जैसा राजेश ने बताया था मैं उस बस में बैठ गई। मैंने अपनी क्लास की दोस्त रिया को बता दिया था के आज मैं कॉलेज नहीं आउंगी… तू संभाल लेना… राजेश ने मुझे स्टॉप का नाम, बता दिया था। कुछ आधे घंटे के बाद, बस उस स्टॉप पर रुकी और मैं उतर गई। मैंने आस पास देखा तो एक दम सुन सान एरिया लग रहा था। रोड पर भी बस कुछ ही गाड़ियाँ चल रही थीं। रोड के आस पास घने खेत थे दूर दूर तक। वहीं साइड में राजेश बाइक ले कर, मेरा इंतेज़ार कर रहा था। हमने एक दूसरे को “हाय” किया और फिर राजेश ने बाइक शुरू की और मैं पीछे बैठ गई। मेन रोड से एक कच्चा रास्ता गया हुआ था। राजेश ने बाइक, उसी रोड पर मोड़ ली। मैंने लाल टी-शर्ट और काली जीन्स पहनी थी और अंदर काली ब्रा और काली थोंग। बाइक खेतों के बीच से, कच्चे रास्ते पर चल रही थी। करीब 20 मिनट के बाद, रास्ता ख़त्म हुआ और हम एक छोटे से फार्म हाउस टाइप घर के सामने खड़े थे। उस घर में दो ही फ्लोर थे और घर के बाहर छोटा सा बगीचा था। मेरे पूछने पर राजेश ने बताया के ये उसके एक दोस्त का घर है जहाँ वो लोग कभी कभार ही आते हैं… ज़्यादा टाइम, ये घर खाली रहता है… उसके पापा ने खेतों की रखवाली के लिए बनाया था और जो आदमी खेतों की रखवाली करता है वो यहाँ से आधे घंटे की दूरी पर, अपने परिवार के साथ रहता है… मैंने चारों तरफ देखा तो इसी टाइप के घर, बहुत दूर दूर पर बने हुए थे। उसमें कोई था भी या नहीं, पता नहीं। घर की चाबी, राजेश के पास थी। उसने दरवाज़ा खोला और हम अंदर चले गये। राजेश ने दरवाज़ा, अंदर से बंद कर दिया। ग्राउंड फ्लोर पर किचन, हॉल और एक बेड रूम था और फर्स्ट फ्लोर पर 3 बेड रूम थे। हॉल में एक बड़ा सा टीवी लगा हुआ था। अंदर आते ही, मैंने अपना कॉलेज बैग सोफे पर रख दिया। राजेश अब तक, अपना शर्ट उतार चुका था। उसने अपनी जीन्स के जेब से कंडोम का पैक निकाला और बेड रूम में चला गया। फिर, उसने मुझे भी अंदर बुलाया। मैं अंदर गई। बेड रूम में एक डबल बेड था और दीवार पर, एक बड़ा सा आईना लगा हुआ था। जिसमें, मैं पूरी नज़र आ रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था के ये खेतों की रखवाली के लिए बनाया गया था या उस काम के लिए, जिसके लिए आज मैं यहाँ आई हूँ.. अब राजेश, मेरे करीब आ गया और उसने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और अपनी तरफ खींचा। मैं उसके गले लग गई। उसने मेरी टी-शर्ट को ऊपर सरकाया और फिर हट गया। फिर उसने अपने जीन्स की जेब से अपना मोबाइल निकाला और मेरी वीडियो रिकॉर्डिंग करने लगा। मैं ये देख कर हैरान हुई और फ़ौरन, उसे बंद करने के लिए बोलने लगी। वो रिक्वेस्ट करने लगा और कहने लगा – प्लीज़, रूप… सिर्फ़ मेरे देखने के लिए, कर रहा हूँ… मैं अपनी बात पर अड़ी रही और बोली – अगर, तुम ये सब करने वाले हो तो मैं यहाँ से जा रही हूँ… फिर उसने मोबाइल बंद किया और सॉरी बोलने लगा। मैं भी थोड़ी देर के बाद मान गई। अब एक बार फिर से, राजेश मेरे नज़दीक आया और मेरे पीछे आ गया। उसने दोनों हाथों से, मेरी कमर पकड़ी। मैं आईने के बिल्कुल सामने खड़ी थी और अपने आप को देख रही थी। वो मेरी टी-शर्ट ऊपर करने लगा और कमर और पेट पर हाथ घुमाने लगा। साथ ही, वो मेरी गर्दन पर चुम्मियाँ ले रहा था। उसकी गर्म गर्म साँसों से, मैं मदहोश हो रही थी। अब उसने मेरा टी-शर्ट निकाल दिया। फिर वो मेरी जीन्स की बटन खोलने लगा और थोड़ी ही देर में, मैं सिर्फ़ ब्रा पैंटी में थी। मैंने अपने आप को इससे पहले, इस तरह कभी नहीं देखा था। मुझे अजीब सी शरम आने लगी। मैंने अपनी आँखे बंद कर लीं और राजेश को महसूस करने लगी। दोस्तों आप लोग मेरी कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो मुझे पीछे से, किस किए जा रहा था। थोड़ी देर बाद, उसने मेरी ब्रा खोल दी और कुछ ही देर में पैंटी भी उतार दी। मैं बिल्कुल नंगी हो गई!! !! अपनी जिंदगी में पहली बार, किसी और के सामने.. खास तौर से, किसी लड़के के सामने.. आज तो मेरी चूत से, लगातार हल्की हल्की धार बह रही थी। मेरी जांघें गीली और चिपचिपी महसूस हो रही थीं। राजेश ने अब मुझे गोद में उठा लिया और ले जा कर बिस्तर पर पटक दिया। मेरी आँखे अभी भी बंद थीं। कुछ देर बाद, वो मेरे ऊपर आया तो उसका लण्ड मुझे अपनी चूत के ऊपर महसूस हुआ। वो अपना लण्ड मेरी चूत पर दबा के, मेरे ऊपर लेट गया। इस्सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स… … मैं बस, मचल के रह गई!! !! उसने मुझे किस करना शुरू किया। वो मेरे होठों को चूस रहा था और दोनों हाथों से दूध ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था। मेरे निप्पल इतने कड़क हो चुके थे की उनमें दर्द हो रहा था। फिर उसने मुझे उल्टा लिटाया और मेरी गाण्ड पर चूमने लगा। थोड़ी देर मेरी गाण्ड चूमने के बाद, उसने मेरे दोनों पैर फैला दिए और पीछे से मेरी चूत पर अपना लण्ड रगड़ने लगा। वो ना जाने कब, कंडोम पहन चुका था। अब उसने मुझे सीधा लिटाया और मेरे ऊपर आ गया। पहली बार, मेरी आँखों के सामने “नंगा लण्ड” था!! !! पूरा खड़ा हुआ और साँप की तरह फ़ुफ़कारता हुआ। ये देख कर मुझे थोड़ी तसल्ली हुई की राजेश का लण्ड, ब्लू फिल्म वाले लड़कों से छोटा था। अब मैं बुरी तरह से मचल उठी थी और मेरी चूत इतना पानी निकाल चुकी थी की पूछो मत। मैंने तड़प कर, अपने पैर खुद ही फैला दिए। राजेश ने फिर अपना लण्ड मेरी चूत पर रख के रगड़ना शुरू किया। उफ़फ्फ़!! मैं चाहती थी की बस उसका लण्ड किसी भी तरह, मेरी चूत में घुस जाए। ना जाने वासना में मेरी सारी शरम कहाँ गई और मैंने उसका लण्ड खुद ही अपनी चूत के छेद पर अड्जस्ट किया और उसने एक धक्का दिया। मैं बहुत ज़ोर से चीख पड़ी!! !! इयाः याआः माहआआअ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आहहहह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह… ईयाआः सारी वासना उड़न छू हो गई और मैं दर्द से बिलबिला उठी। मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था। मैं राजेश को धक्का देकर, पीछे करने की कोशिश करने लगी पर उसने मेरे दोनों हाथ ज़ोर से पकड़ लिए और कुछ देर ऐसे ही रुका रहा। जब मैं थोड़ी शांत हुई तो उसने फिर एक झटका दिया और पूरा लण्ड, मेरी चूत में डाल दिया। नहीं हह यन्ह माह स स स स स स स स स स स s s s ss sss sssss… मैं बहुत ज़ोर से चीख पड़ी.. वो फिर थोड़ी देर रुका रहा और फिर मुझे शांत देख कर, उसने धीरे धीरे अपना लण्ड अंदर बाहर करना शुरू किया। मैं पूरी चुदाई में तकलीफ़ में रही और मुझे ज़रा भी मज़ा नहीं आया। मेरी झिल्ली टूट चुकी थी और चादर पर काफ़ी सारा खून लग गया था। मेरी चूत में काफ़ी सूजन आ गई थी और छेद थोड़ा सा छिल गया था। राजेश ने वो चादर जाते वक़्त, बाहर कचरे के डिब्बे में फेंक दिया। अगले कुछ दिनों में गरम पानी से सेकने और पैन किलर खाने से, मेरी चूत ठीक हो गई। उसके बाद, मैं और राजेश यहाँ 4 बार आए। अगली बार, मुझे फिर तकलीफ़ रही पर तीसरी बार से मेरी चूत को चुदने में मज़ा आने लगा। उसके बाद, मेरी चूत राजेश के लण्ड के लिए फ्री हो गई। इस दौरान, पीरियड्स को छोड़ कर मैं रोज़ नंगी ही सो रही थी.. रात को सोने से पहले, उंगली से अपनी चूत चोदना मेरी दिनचर्या बन चुकी थी.. जनवरी, 2010… मेरे सेमेंस्टर एग्ज़ॅम्स ख़त्म हो चुके थे और इस बीच लगभग एक महीने तक मेरे और राजेश के बीच सेक्स नहीं हुआ था। पहली चुदाई के बाद, अगले दो हफ़्तो में मैं राजेश से 4 बार उसी घर में मिल चुकी थी!! !! परीक्षा ख़त्म होने के बाद, वो मुझे फिर से उसी घर में बुलाने लगा और कभी कभी, कुछ दिन उसी के साथ रहने के लिए कहता.. पर मैंने, उससे बोला – यार, खुद सोच मैं घर पर क्या बताउंगी… पर फिर भी, वो ज़िद पकड़े हुए था.. इस बीच, मैं बहुत बार उसी घर में गई.. मैं अक्सर, आख़िर के 2 या 3 लेक्चर्स बंक कर के वहाँ जाने लगी और 3 4 घंटे, उसी के साथ रहती थी। राजेश, चुदाई में काफ़ी “मस्त” था.. महीना ख़त्म होते होते, उसने लगभग सारे पोज़िशन मुझ पर ट्राइ कर लिए थे और मैं भी उसे पूरा सपोर्ट करती थी। हमारे घर में आते ही, हमेशा बिना टाइम गवाय वो मेरे और अपने कपड़े निकाल देता और फिर सारा टाइम, हम दोनों नंगे ही रहते। राजेश ने सब से ज़्यादा मुझे “डॉगी पोज़िशन” में चोदा.. जो बाद में, मेरा भी पसंदीदा पोज़िशन हो गया.. डॉगी के अलावा – मिशनरी, साइड बाइ साइड, लण्ड की राइडिंग, खड़े होकर, शावर के नीचे, और ना जाने कौन कौन सी पोज़िशन्स में भी मेरी चुदाई हुई.. कभी कभी, वो मुझसे उसके सामने मूठ भी मरवाता था। मैं उसके सामने चूत मसलती, फिंगरिंग करती, मोमबति या पेन्सिल डालती!! !! वो मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन्स से, उतेज्जित हो जाता और फिर मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदता.. वो मुझसे घर पर अकेले में, मूठ मारने को कहता और मुझसे उसके बारे में सुनकर एंजाय करता था। अक्सर रात को, हम “फोन-सेक्स” भी किया करते थे। फिर, मेरी गाण्ड में भी चुदाई हुई!! !! मेरी लाइफ अब घर, कॉलेज और चुदाई के बीच चल रही थी। अब, मैं ज़्यादा दिन बिना चुदाई के नहीं रह पाती थी। मूठ तो मैं रोज़ ही, मारती थी और नंगी ही सोती थी। इसी बीच, मेरे कॉलेज में ट्रिप की घोषणा हुई.. फरवरी के आख़िर में.. जब मैंने राजेश को यह बात बताई तो उसे प्लान मिल गया, मुझे अपने साथ कुछ दिन रखने का। मैं भी अब चुड़दकड़ हो चुकी थी और पूरी तरह से तैयार थी। सच कहूँ तो मचल रही थी, पूरा दिन चुदवाने के लिए!! !! ट्रिप 4 दिन की थी और 2 दिन आने जाने के लिए.. यानी पूरे 6 दिन, मैं राजेश के साथ रहने वाली थी.. मैंने घर से, ट्रिप की पर्मिशन ले ली। ट्रिप 23 फरवरी को सुबह निकल रही थी और 28 की शाम में, वापस आने वाली थी। 23 फरवरी, 2010… मैं सुबह 10 बजे के आस पास राजेश के साथ, उस घर में पहुँच गई। राजेश ने घर में, हर चीज़ का अरेंज्मेंट कर दिया था। ढेर सारे फ्रूट्स और खाने पीने का समान फ्रिड्ज में था। कुकिंग का अरेंज्मेंट और हर चीज़ का, पूरा अरेंज्मेंट था। ढेर सारे ब्लू फिल्म्स की सीडी भी थी.. लगभग, सब “ग्रूप सेक्स” की.. आपको तो पता ही है, मैंने पहले ब्लू फिल्म “ग्रूप” की ही देखी थी और उस रात, मैंने सपना भी ग्रूप सेक्स का ही देखा था.. सच पूछिए तो मुझे ग्रूप सेक्स वाली ब्लू फिल्म देखने में ही मज़ा आता था.. सो, मैं बहुत खुश थी.. आते ही, राजेश ने एक सीडी लगाई.. जिसमें, 3 लड़के और एक लड़की थी.. पहले तीनों लड़कों ने, एक एक करके लड़की को चोदा!! !! फिर, तीनों एक साथ उस पर आ गये। एक सीन में तीनों ने लड़की की चूत, गाण्ड और मुंह में लण्ड डाल रखा था। राजेश और मैं, नंगे हो गये। मेरी चूत, अब तक बिना चुदवाये ही पानी छोड़ चुकी थी। फिर उसने, मुझे “डॉगी पोज़िशन” में ताबड़ तोड़ चोदा.. उसे ये पोज़िशन इसलिए पसंद थी.. क्यूंकी, मेरी नरम गाण्ड उसके लण्ड के आस पास टकराती और मुझे इसलिए क्यूंकी, उसका लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में उतर जाता.. मैंने भी अपनी गाण्ड को खूब हिला हिला कर, उसके लण्ड पर मारा। दोपहर में हमने खाना खाया, फिर से एक चुदाई का दौर चला और फिर एक रात में.. चुदाई के बाद, रात में हमने डिन्नर लिया फिर, राजेश ने मुझे एक सॉफ्ट ड्रिंक पिलाया। कुछ देर बाद, मैं बिस्तर पर गई और मुझे कब नींद आ गई मुझे पता भी नहीं चला। 24 फरबरी, 2010… सुबह लगभग 7 बजे, मेरी आँख खुली। मेरे साइड में, राजेश लेटा हुआ था। हम दोनों, नंगे ही थे.. उठने के बाद, मैं फ्रेश हुई फिर ब्रेकफास्ट बनाने लगी। नाश्ता बनाने के बाद, मैंने राजेश को उठाया। लगभग, 10 बज रहे थे। फिर, राजेश भी फ्रेश हुआ और हम दोनों ने ब्रेकफास्ट किया। इस दिन राजेश ने, मुझे दो बार ही चोदा। पहली बार दोपहर के खाने से, पहले बेड रूम में और दूसरी बार, शाम में सीढ़ियों पर.. मैं थोड़ी मायूस थी क्यूंकी मुझे ज़्यादा की अपेक्षा थी, पर मज़ा आया!! !! खैर, शाम में मैंने डिन्नर बनाया और डिन्नर से पहले, उसने मेरी चूत बहुत देर तक चाटी और अपना लण्ड भी खूब चुसवाया। फिर, हमने डिन्नर किया और कल रात की तरह, वो दोनों के लिए एक एक सॉफ्ट ड्रिंक लाया, जिसे मैं पी गई। फिर कुछ देर बाद, मुझे नींद आने लगी और मैं बेडरूम में जा कर सो गई। 25 फरबरी, 2010… आज भी मैं, लगभग 7 बजे उठी। मेरे सिर में, हल्का हल्का दर्द था। फिर मैं नहाने चली गई तो मुझे थोड़ा अच्छा फील हुआ। मैंने कपड़े पहन लिए और फिर ब्रेकफास्ट बनाया। फिर राजेश को उठाया। राजेश भी फ्रेश हुआ और हमने ब्रेकफास्ट लिया। राजेश, आज नंगा ही था। जब मैं किचन में प्लेट्स रखने गई तो राजेश ने मुझे पीछे से आ कर पकड़ लिया और मेरे दूध दबाने लगा। मैंने राजेश से कहा – आज कुछ नहीं… मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है… राजेश भी तुरंत मान गया और पूरा दिन, हमने बातें करते और हँसी मज़ाक करते
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