गतांग से आगे ….
“लगता है , रंग काट रहा है..इतना देर तक रंग शरीर पर लगा रहेगा तो काटेगा ही..” दादाजी ने फिर कहा.. ”अछ्छा होगा कि तुम रंग साफ कर लो..नही तो कही कुछ दाग –उग ना रह जाये, “
दादाजी ने अपनी बहु से कहा , “ बेटी तेरी मस्त गदरायी जवानी पर कोई भी दाग अछा नही लगेगा….जा रानी तु रंग साफ कर ले…हम सब ये बरतन बासन साफ कर लेंगे…” आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | हम सब ने खाना खतम किया और सब बरतन उठाकर किचन मे ले गये. दादाजी ने फिर कहा, “जा बेटी रंग साफ कर ले…और ऐसा कर आंगन में ही नहा …”
“ठीक है बाबुजी…आप जैसा बोलीये…” मां ने मेरी ओर देख और कहा ,
“चल बेटा, तीन चार बालटी पानी आंगन मे रख दे…”
मां बीच आंगन मे बैठ् गयी और मै फटा फट चार बालटी पानी लाकर मां के पास रख दिया. मां ने नहाना शुरु किया और अपने बॉडी पर साबुन रगड रगड कर नहाने लगी..लेकिन बल्लु का रंग बहुत पक्का था.
“लगता है, मै ये सब रंग साफ नही कर पाउंगी …आप लोग भी मुझे साफ करो. “ मां ने कहा . हम तीनो तो इसी इंतजार मे थे. हम अपने कपडे उतारने लगे तो मां ने मना कर दिया और कहा,
“अगर आप लोग नंगे होईयेगा तो मै सारे कपडे पहन लुंगी.” वो खडी हो गयी और अपनी चूत को ढंक लिया.
“ठीक है रानी, हम नंगे नही होगे.. तुम ही अपना जवानी हमें दीखाती रहो.. “ दादाजी ने कहा. वो मां के सामने गये और एक साबुन हाथ मे लेकर दोनो हाथो से मां की पीठ और चुत्तर पर रगडने लगे. मां खडी थी और दादाजी आराम से नंगे शरीर पर साबुन लगा रहे थे और पानी भी डाल रहे थे.
“तुम दोनो क्या देख रहे हो? तुम लोग भी लगाओगे तो जल्दी साफ हो जायेगा..” मां ने हमारी ओर देखते हुये कहा. मैने और बाबुजी ने दादाजी कि तरह सिर्फ जांघिया पहन कर मां के पास गये और मै मा की चूत और जांघ पर साबुन लगाने लगा और बाबुजी ने चुची को साफ करना शुरु किया. करीब आधे घंटे से ज्यादा समय तक हम तीनो मां की एक एक माल को रगडते रहे और आखिरकार मां बिल्कुल साफ हो गयी. पहले की तरह उनका अंग अंग चमकने लगा . हम तीनो ने साबुन लगाते लगाते और पानी से साफ करते करते कई बार बूर और गांड मे अंगुली पेल कर मां की जमकर चुदाई की. मां भी इतनी गरम हो गयी थी की हम तीनो उसको रगड रहे थे और वो रंडी सिसकारती मारती हुई मजा ले रही थी. अपने को समभालने के बहाने उस कुतिया ने कई बार जांघिया के उपर से हमारा लौडा सहलाया. हम तीनो का लौडा जांघिया को फाड कर निकलने को तैयार था | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | नहाने के बाद मां और भी हसीन और मालदार लग रही थी. मेरा तो मन कर रहा था कि साली रंडी को वही बाबुजी और दादा के सामने पटक कर चोद दालुं. शायद दादा भी यही चाह रहे थे तभी वो बहुत प्यार और आराम से अपनी बहु के सुडौल बदन को तौलियी से पोंछ रहे थे. पोंछते पोंछते दादा ने कहा , “बेटी, तेरी प्यारी सी चूत इन झांटों ने ढक कर रख्खी है.. कुछ भी नही दीखता है.. तेरा घरवाला कुछ बोलता नही…..मैने तो तेरी सास ( दादीजी) को कभी भी झांट बढाने नही दिया और दादाजी ने मां के पैंरो के पास बैठ कर चूत को चूमा और दोनो हाथो से झांट अलग कर बूर की फांक को फैलाया कहा,
“ कितना प्यारा माल है…चुमने और चाट्ने का मन करता है… लेकिन इन झांटो के बीच बूर चुसने और चाट्ने मे मजा नही आयेगा. “
दादा ने फिर बूर को फैलाया और अन्दर के गुलाबी माल को चुमा. दादा खडे हो गये और मां के दोनो गालो को अपने हाथों मे दबाया और खुब प्यार से चुची मसल मसल कर चुमा. मां को सहलाते हुये दादा ने कहा ,
“लगता है तेरा घरवाला कभी तेरी चूत को चुसता नही है… तो फिर तुम्हे चूत का मजा तो अभी तक मिला ही नही होगा…रानी चुदाई से ज्यादा मजा चूत चटवाने मे आता है… चूत साफ कर ले फिर तुझे ऐसा मजा दुंगा कि बूर चाटने के लीये लोगों से खुशामद करती रहेगी.”
दादा ने मां को फिर से चुमा और अलग हट गये. मां हम लोगों के सामने पैर चियार कर बैठ गयी. कुछ देर हम तीनो की तरफ देख कर कहा..
“आप लोग अपने को मर्द कहते हो ! दो घंटे से एक रंडी नंगी घर मे घुम रही है..लंड के लीये तरस रही है और तुम नामर्द लोग बस उपर उपर मजा ले रहो हो..”
मां ने अपनी चूची मसलते हुये कहा, “ कि मै बेबकूफ हुं कि बल्लु और उसके दोस्तो से नही चुदवाया यह सोच कर कि उनके जाने के बाद मुझे नंगा देख कर तुम लोग मुझे एक के बाद एक चोदते रहोगे….”
मां ने घुंडी को रगडा और कहा ,” अब कोई दुसरा मर्द ढुंढना पडेगा जो मुझे चोद चोद कर थका डाले..”
मां का इतना कहना था कि दादा ने अपना जांघिया उतारा और मां को गोदी मे उठा कर बेड रुम मे ले जा कर बेड पर पट्का और बिना कोई चुम्मा चाटी के अपना तनतनाया हुआ लौडा बूर मे पेल दिया…एक बार मां भी कराह उठी.. “राजा धीरे… आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उसके बाद करीब 15 मिनत तक दादा जी दना दन अपनी बहु कि चुदाई करते रहे और उस रंडी का बेटा और घरवाला चुदाई देखता रहा. जब मुझे लगा कि दादाजी झरने बाले है मैने बाबुजी से कहा कि दादाजी के लंड बाहर निकालने के बाद वो अपनी बीबी को चोदे . मैने कहा कि मै बाद मे चोदुंगा.. दादाजी ने अपना पानी बूर मे गिराया और कुछ देर के बाद लंड बाहर खींच लिया .. झांतो के बीच रंडी की खुली हुई चूत दीख रही थी. मैने बाबुजी को धक्का दिया,
“बाबुजी, रंडी आपका लंड का इंतजार कर रही है…”
बाबुजी खडे हुये और जाकर अपनी बीबी को चोदने लगे…
दादाजी मेरे बगल में बैठे थे . उनका लौडा थोडा ढीला हो गया था.
“दादाजी कैसा है रंडी का चूत, मजा आया चोदने मे..?.” मैने पुछा.
“अरे, कुछ मत पुछ बेटा, तेरी मां बहुत मस्त माल है.. जब भी मौका मिले कुतिया को खुब चोद…बहुत गरमी है साली के चूत मे… “ दादा ने अपना लौडा सहलाते हुये कहा,
“पहले तो सोचा था कि कल चला जाउंगा लेकिन नही अभी 8-10 दिन और रहुंगा और रंडी कि जम कर चुदाई करुंगा. आज या कल साली का झांट साफ कर दिन भर बूर चुसता रहुंगा ..और कुतिया को लौडा चुसाउंगा …..दादा ने जांघिया के उपर से मेरा लौडा सहलाया और कहते रहे ,
“ मादरचोद को तु भी खुब चोद और कल जा कर बल्लु और उसके दोस्तो को बुला कर ला.. सब मिल कर इस माल का मज़ा लेंगे.. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | दादा मेरा लौडा सहला रहे थे मुझे बहुत अछा लगा, और मैने जांघिया उतार दिया. मेरा लौडा भी मां को चोदने को बेकरार था.
दादा ने लंड अपनी मुठ्ठी मे लेकर दबाया और कहा कि मै किसी तरह से बल्लु और उसके घर मे कोई जवान लडकी हो या उसकी मां हो या बहन हो तो उसे भी साथ लाउं जिससे हमें भी बल्लु कि तरह नया माल का मजा मिले. दादा मेरे लंड को मसल रहे थे तो अचानक मैने भी दादा का लंड लेकर मसलने लगा.. ये पहला मौका था कि मैने किसी और का लंड पकडा था और आशचर्य मुझे लंड पकडना अछा लग रहा था . मुझे ध्यान आया कि बल्लु कि एक छोटी और एक बडी बहन है.. और शायद दोनो कि शादी हो चूकि है…मुझे ये सोचकर बहुत आनन्द आया कि कल या परसो मां मेरे और दादा के सामने बल्लु और उसके दोस्तो से मरवायेगी और मै और दादा बल्लु की बहन और मां को चोदेंगें. तभी देखा की बाबुजी रंडी की बूर से लंड नीकाल कर उठ गये है. बाबुजी ने मेरा लौडा दबाया और कहा ,
“जा बेटा , अपनी कुतिया मां को इतना चोद कि साली चुदाना भुल जाये …
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