गतांग से आगे ….
लेकीन मैने बाबुजी और दादा कि तरह सत सत चुदाई श्रु नही की. मै कुछ देर तक मां को चुम्मा लिया, चुची को चुसा , बूर को भी फैला कर उससे खेला और उसके बाद मैने लंड को बुर मे पेला. मै खुब जोर जोर से धक्का मार रहा था. ये पहला मौका नही था कि मै लोगों के सामने चोद रह था. मैने पहले कई बार अपने दोस्तो के साथ एक रंडी की बारी बारी से चुदाई की है…और मै मां को पुरा दम लगा कर चोदता रहा.. मुझे खुश रखने के लिये या मां को सच मुच बहुत मजा आ रहा था , वो जोर जोर से सिसकारी मारने लगी. ”आह्ह्ह….बेटा…आह्ह्ह्ह…और पेलो….फाड दे चूत को…..ठंडा कर दे बूर को…आह्ह्ह्ह….बहुत मजा आ रहा है….चोद अपनी मां को… चोद चोद कर रंडी बना दे.. बहुत मस्त लौडा है तेरा बेटा, रोज चोद..जब मन करें चोद… आह्ह्ह्ह…….
और इस तरह सिसकारी मारते मारते वो ठन्डी हो गयी और पैर फैला कर शांत हो गयी. मै चुदाई कर ही रहा था कि दादाजी मां के बगल मे आकर बैठ गये और चुचि को मसलते हुये पुछा ,
“बोल कुतिया, हम लोग मर्द है कि नही…” ”हां राजा, तुम तीनो मर्द हो…मेरी बूर खुश हो गयी… अब जो बोलो सब करुंगी …” मां ने दादा के लौडे को सहलाते हुये कहा. ळेकिन मैने दादा को टोका .. ”दादाजी आज बहुत हो गया …अभी हम लोग थोडा आराम करते है..क्योंकी घंटे बाद लोग बाग गुलाल खेलने आयेंगे. आप मां के साथ सो जायीये .”
मैने बूर से लंड खींचा और मां के मुह पर लंड रगडते हुये कहा,
“मां मेरा पानी अभी नही निकला है, रात को पहले मै चोदुंगा. “
दादा और मां एक साथ और हम अलग अलग बेड पर सो गये. ऎक घंटे के बाद उठे और सबने साफ , नये सफेद कपडे पहने. मां ने गोटा लगे हुये नये कुर्ता और सलवार् पहना. उनहोने खुब सुन्दर मेक-अप किया. मां को सजा धजा देख कर दादा ने कहा , “रानी, तुमको देखकर सारे मर्द पागल हो जायेंगे..”
बानुजी ने कहा , “ और हां लोगो को कपडे के अन्दर हाथ डालने से मना मत करना … सलवार थोडा ढीला बांधो और कुर्ता का एक बट्न खोल कर रख्हो. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | जैसा बाबुजी ने कहा , मां ने कपडा ठीक किया. बाबुजी ने मुझे और दादा से कहा कि हम हाथ डाल कर देखें कि चूत और चुची तक हाथ पहुचता है कि नही. मैने कुर्ता उठाकर सलवार मे हाथ डाला ..और चूत को मसला. मां ने चड्डी नही पहना था. दादा ने कुर्ते के उपर् और नीचे दोनो ओर से हाथ घुसाया और चुची को दबाया. आराम से लोग चुची दबा सकते हैं…” दादा ने कहा…
हम लोगों का इंतजार करने लगे. बारी बारी से कई लोग अपने अपने परिबार के साथ आये और आपस में गुलाल रगड कर एक दुसरे के गले मिले और चले गये. ऐसा कोई नही आया जिसमे हिम्मत हो कि वो हम सब के सामने मां को चुम सके या कपडो के अन्दर हाथ धुसेड़ कर चुची और चूत का मजा ले सके. उपर उपर तो कई मर्द और औरतों ने मां की चुची को मसला और मजा लिया. करीब 9 बजे एक ऐसा परिवार् आया जिसे देख कर मै बहुत खुश हो गया. ये मेरा स्कूल का दोस्त अमरिंदर था. वो अभी किसी दुसरे शहर में पढ रहा था. हम दोनो करीब दो साल के बाद मिले . और आज के लिए बस इतना ही मेरी माँ को फिर मैंने अपने दोस्त के साथ मिल कर चोदा वो कहानी जल्दी ही भेजुगा |