हेल्लो आइ आम प्रकाश ( नेम चेंज्ड) फ्रॉम मुंबई,में अपने बारे में आप को बता दू, मेरे फॅमिली में में और मेरी मा और पिताजी है, हम घर में सिर्फ़ तीन लोग ही है. ये उस वक़्त की बात है जब में 10th में था,मेरी एज 17 है. मेरे और भी रिस्तेदार है मगर बहुत कम. सभी रिस्तेदारों के बारे में मैं नहीं जाता, क्यूँ कि हम लोग वैसे भी किसी के पास आते ? जाते नहीं है. उनमें से एक घर है हमारी मा के माता-पिता का, उस घर में एक और मेंबर है जो मेरी मौसी है, उसका नाम रूपा है. एज 22 है, वो अकाउंट्स में है और जॉब करती है. एक दिन अचानक वो हमारे घर आ गई कुछ दिन रहने के लिए, में उस वक़्त घर पर ही था. वैसे तो हमारे एज में सिर्फ़ 6 साल का डिफरेन्स था मगर में उसे मौसी कहकर बुलाता था.रूपा मौसी यंग स्मार्ट गुड लुकिंग लड़की है, वो आज भी बहुत स्मार्ट है.जब वो घर पर आई उस दिन में मेद्स के सम्स के प्राब्लम में फँसा हुआ था तो उसने मेरा ये प्राब्लम सॉल्व किया. रूपा : क्या बात है प्रकाश बहुत देर से देख रही हूँ तुम कुछ सोच रहे हो, प्रकाश : रूपा मौसी मेद्स के सम ने मेरा दिमाग़ खराब कर दिया है, रूपा : ये तो बहुत ईज़ी है प्रकाश : तुम्हारे लिए, क्यूंकी तुम अकाउंट्स में हो और मेद्स तुम्हे ईज़ी लगता है मेरे लिए तो सरदर्द है, रूपा : सरदर्द कैसा तुम बाकी के पेपर कैसे सॉल्व करते हो, प्रकाश : क्वेस्चन्स तो पुच्छे जाते है, तो पता चल जाता है. रूपा : वैसे ही मेद्स के सम्स भी सॉल्व करते है सिर्फ़ हमें फ़ॉर्मूला और मेतड्स याद रखने पड़ते है. मा : इसके पिताजी भी इसे यही समझाते है, रूपा : दीदी कुछ लोग नहीं संमझ पाते है मेद्स को , में भी किसी और सब्जेक्ट में शाआYआड कमज़ोर हो, मा : अब तू ही समझा इसे, रूपा : ठीक है मैं हूँ ना कुछ दिन तो समझा देती हूँ,कल से हम लोग पढ़ने बैठेंगे, प्रकाश : लेकिन किस वक़्त रूपा : दोपहार में नहीं मेरा ऑफीस भी तो है, में ऑफीस से आने के बाद शाम के वक़्त 7 बजे ठीक है. प्रकाश : नहीं रूपा : क्यूँ नहीं, मा : इसके दोस्तों के साथ घूमने का जो वक़्त है रूपा : घूमना ठीक है लेकिन पड़ाई पर भी ध्यान देना चाहिए, रात में 9 से 11 नहीं ज़्यादा लेट हो जाएगा, फिर खाना भी खाना है.रात 8 बजे से तुम्हारी पड़ाई शुरू प्रकाश : कितने समय रूपा : 8 से 10, या फिर 8 से 9, 9:30 बजे तक.आज मज़े कर लो नेक्स्ट डे नेक्स्ट डे मौसी ऑफीस से लेट होगयि आने में वो रात 8 बजे घर पहुची और में उनका इंतेज़ार कर रहा था. प्रकाश : क्या मौसी मुझे 8 बजे बोलकर तुम खुद लेट होगयि रूपा : आज थोड़ा काम ज़्यादा था इस लिए लेट होगयि प्रकाश : तो फिर हम कल से स्टार्ट करते है रूपा : नहीं बेटा में 10 मिनिट में फ्रेश होकर आती हूँ हम आज ही पढ़ेंगे समझे, बेटा बचना चाहते थे प्रकाश : कल से शुरू करे तो क्या है तुम अभी अभी तो आई हो रूपा : में जानती हूँ तुम्हारा मूड नहीं है पढ़ने का मुझे क्या बेवक़ूफ़ समझा है मौसी फ्रेश होने के लिए चली गयी टाय्लेट में और में अपनी बुक लेने के लिए अपने दोस्त के पास चला गया, जो मेरे घर के पास में ही रहता था. मैं बुक लेकर आया और अपने कमरे में घुस गया, जैसे ही अपने कमरे में गया तो मैने क्या देखा,मैं देखता ही रह गया.रूपा मौसी टाय्लेट से फ्रेश होकर मेरे कमरे में अपने कपड़े बदल रही थी, दोस्तों हम दोनो एक ही रूम शेर करते थे.कमरे में कपड़े चेंज कर रही थी उस वक़्त उन्होने सिर्फ़ ब्रा पॅंटी पहनी थी और अपना गाउन (मक्षसी) पहेन रही थी. रूपा : तुम मौसी ने गाउन अपने ऊपर ढक लिया रूपा : तुम , तुम अंदर कैसे आगाए प्रकाश : दरवाज़े से रूपा : चलो बाहर निकलो मुझे कपड़े पहनने दो प्रकाश : सब कुछ तो देख लिया अब छुपा के क्या फ़ायदा, मेरे सामने ही पहेन लो रूपा : क्या चलो बाहर जाओ, तुम अब क्या छोटे नहीं हो, प्रकाश : ठीक है मैं घूम जाता हूँ रूपा ; मैं जानती हूँ तुम्हे चलो बाहर जाओ मैं बाहर चला गया और उन्होने मैक्सी पहेन कर मुझे अंदर बुलाया और फिर हम मेद्स पढ़ने बैठ गये, लेकिन जब हम बैठे थे तो मेरे ध्यान रूपा मौसी के चेस्ट पर था, उन्होने देख लिया और मुझपर गुस्सा हुई. रूपा : फिर से ये सम भी रॉंग कर दिया प्रकाश तुम्हारा ध्यान किधर है. मैं उनके चेस्ट पर देख रहा था रूपा : प्रकाश क्या देख रहे हो प्रकाश : कुछ नहीं रूपा : तुम पढ़ाई पर ध्यान देने का छोड़कर मुझे क्या देख रहे हो, कभी देखा नहीं क्या प्रकाश : नहीं इस लिए तो देख रहा था रूपा : प्रकाश जितना ध्यान इन सभी चीज़ों में देते हो उतना ही सम्स सॉल्व करने पर दोगे तो अच्छे मार्क्स मिलेंगे, मुझे देखने से कुछ नहीं मिलेगा | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मुझमे और तुम में बहुत डिफरेन्स है. प्रकाश : रूपा मौसी आप से एक बात कहु रूपा : हां कहो.. प्रकाश : आप बहुत खूबसूरत हो,स्मार्ट भी हो,और बिना कपड़ों के आप का फिगर तो बहुत ही अच्छा दिखता है रूपा : ईडियट तुम मेरे बारे में ये सब सोचते हो, में तुम्हारी मौसी हूँ और तुमसे 6 साल बड़ी हो, प्रकाश : लेकिन मौसी तुम और में दोनो दोस्त भी है जानती हो ना, रूपा : हां हूँ इस लिए तो तुमें अभी तक कुछ नहीं कहा, प्रकाश हमारे रिस्ते को याद रखो प्रकाश : ठीक है लेकिन एक बात कहु आप हो बहुत खूबसूरत रूपा ; तुम नहीं सुधरने वाले हैं ना, चलो सम सॉल्व करो याद करो कि इस सम केलिए कौन सा फ़ॉर्मूला यूज़ करना चाहिए हमने पढ़ाई करली और खाना खाने चले गये मा : क्या बात है तुम दोनो के चेहरे इतने उदास क्यूँ है, कोई बात है क्या रूपा : दीदी मैं इसे सीखाना चाहती हूँ और ये हर सम को ग़लत कर देता है, पिताजी : प्रकाश अगर तुम एक भी सब्जेक्ट में फैल होगआय तो सोच लो इस घर से बाहर निकल जाओ गे खाना खाकर में आपने कमरे में आकर सो गया और थोड़ी देर बाद मौसी आई मेरी रोने की आवाज़ सुनकर वो मेरे पास आई रूपा : प्रकाश, प्रकाश, तुम रो रहे हो, अर्रे ये क्या लड़की की तरह रो रहे हो, किस लिए प्रकाश : तुम्हे हमारे कमरे की बातें बाहर मा को पिताजी को बताने की क्या ज़रूरत थी रूपा : बेटा आइ एम सॉरी प्ल्स रोना बंद कर दो आइ एम सॉरी यार आज के बाद इस कमरे की कोई भी बात बाहर नहीं जाएगी, सो जाओ प्रकाश : तुम जाओ, हम दोनो अपने अपने बेड पर सो रहे थे लेकिन नींद नहीं आ रही थी रूपा : प्रकाश तुम सो गये क्या प्रकाश : नहीं रूपा : तुम नाराज़ हो मुझसे ना, माफ़ कर दो ना प्रकाश : नहीं, एक किस दे दो माफ़ कर दूँगा रूपा : क्या प्रकाश : हां! फिर वो मेरे पास आई और मुझे समझाने लगी,मेरे बेड पर बैठ कर रूपा : प्रकाश तुम ऐसा कैसे कर सकते हो में तुम्हारी मौसी हूँ..
कहानी जारी है…. आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गये पेज नंबर को क्लिक करे …..