गतांग से आगे …. मज़ा लेने का मन होने लगा था. बाबा जी के धक्के रुकने पर आँखें खोल कर बाबाजी की तरफ देखा, और प्यासी आवाज़ में कहा, ` बाबा जी चोदो ना, धीरे धीरे, बड़ा अच्छा लगता है, आपका लंड तो मुझे आपकी गुलाम बना देगा. बाबा जी प्लीज़ चोदो मुझे , अब नहीं चीखूँगी. फाड़ दो मेरी चूत, पर चुदाई करो, हाए बाबा जी आप मुझे पहले क्यों नहीं मिले, नरेश तो ख़ास्सी है . आप का लंड तो मस्त है चोदो बाबा जी चोदो. हमेशा चोद्ते रहना . धक्के लगाओ बाबा जी , है आप का लंड है कितना बड़ा है , कितना मोटा है , ऐसा लग रहा है मेरी पूरी चूत आप के लंड से भर गयी है, आप पहले क्यूँ नहीं आए, बाबा जी किस बात की इंतेज़ार कर रहे हो, चोदो, मुझे बाबा जी प्लीज़…… …` और चंदा बड़बड़ाती जा रही थी. बाबा जी खेले खाए थे . जानते थे की ये औरत प्यासी है लेकिन चूत कुँवारी है. मोटा लंबा लंड नही झेल पाएगी इस लिए धीरे धीरे कर रहे थे. वो जानते थे की जैसे ही लंड चूत में सेट हो जाएगा, सब कुछ ठीक हो जाएगा. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | और वो वक़्त आने वाला था. चंदा लंड ले चुकी थी . उसका दरद कम हो गया था . अब उसे धक्के चाहिए थे, मस्त और लंबे धक्के. बाबा जी ने धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किए . हर धक्के के साथ चंदा मस्त हो रहे थे.` हाई बाबा जी….., क्या ये है चुदाई…., नरेश तो साला नमर्द है……है. .. और ज़ोर से बाबाजी …. और थोड़ा …मज़ा आ रहा है…….ऊऊहह. ..क्याआ. ..बात है ……बाबाजी आप महान हो….कसम से…..आप महानहो…. ..आह…आह बड़ा अच्छा लग रहा है. हां हां और अंदर…. आह आह…….बाबा …बाबा आह….. खुद भी घुस जाओ मेरी फुदी में …..आह फाड़ दो बाबा …ओह बाबा….ओह और ज़ोर से ….कसम से …मुझे छोड़ना मत…. आह में तुम्हारी गुलामी करूँगी आह बाबा बाबा….बाबा आह आह….` बाबा जी समझ गये की चंदा झड़ने को है. उन्हों-ने धक्के तेज़ कर दिए, बिल्कुल ऐसे जैसा कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर 100 की स्पीड से धक्के लगाता है. बाबा जी अपनी पूरी मर्दानगी चंदा के अंडर उडेल देना चाहते थे. उनके धक्कों की रफ़्तार बढ़ती गयी और चंदा के सिसकारियाँ बढ़ती गयी.`आआह्ह. … मारो मेरी चूत तुम साले बाबा कहाँ थे…. तुम अब तक….कहाँ थे…. आह….ऊऊहह. … चोदो… फाड़ डालो.. हाआन्न… ईईईई… … आआआ.आ अगया गयी में हाए बाबा ये क्या हो रहा है……आह. …आह स्वायायायामियीयियैयियीयियी. …..स्वायायीययाया मी……एयाया. . ..हबाअस्सस्स. आअहह…. ` चीखने के साथ चंदा ने अपने चूतड़ ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे करने शुरू कर दिए मानो बाबाजी का रत्ती भर भी लंड बाहर ना छोड़ना चाहती हो. बाबा जी को भी मज़ा आ गया . उन्हों-ने धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी. अब वो भी बुदबुदाने लगे,` हाई मेरी जान तेरी चूत तो स्वर्ग का मज़ा दे रही है . साली बड़ा मस्त चुदवाति है तुझे अब कभी नही छोड़ूँगा. हर हफ्ते तेरी चूत को चोदने आऊंगा.` दोनो ही बोल रहे थे . दोनो मस्ती में थे , और अचानक लावा फट गया. बाबाजी के गले से आवाज़ निकली…. आआआहह. …एयाया. …गया… तेरी चूऊऊत में रे एयाया…. गया.` उधर चंदा चिल्ला रही थी,` आअहह… मर गयी में बाबा साले मादर्चोद अब तक कहाँ था भोसड़ी वाले. में तुझ से चुदने के लिए ही तो थी…..आह. ….आह आहह आआआआआ.. …बस बस….बाबा बस….बस बाबा आआहह…बस बाबा आह बाबा सवं सवमी.` बाबा जी ने पूरा मज़ा ले कर और दे कर अपना लंड बाहर निकाल लिया. कम से कम 50 म्ल वीरया तो निकला ही होगा. चंदा की चूत से बाहर भी वीर्या निकल रहा था. बाबा जी का पूरा लंड भी क्रीम से साना पड़ा था. चंदा तो वीर्य सने लंड को देख कर मस्त हो गयी. वो चाट कर उसे सॉफ करने लगी. चाट-ते चाट- ते उसे चूसने लगी. बाबा जी ने उसका सिर पकड़ कर लंड पर दबा दिया. उनका लंड खड़ा होने लगा था. चंदा ने फील किया की बाबा जी फिर से मस्त होने लगे हैं. उसने और ज़ोर से चुसाइ शुरू कर दी. बाबा जी का लंड फिर तन गया. चंदा को अप्नी चूत में खुजली महसूस हुई और वो चूत को खुजलाने लगी. बाबा जी बोले` चंदा यह काम तुम्हारा नही मुझे खुजलाने दो.` बाबा जी की नियत जान कर चंदा बोली,` अभी तो चोद कर हटे हो बाबा जी अब क्या फाड़ ही डालोगे.`बाबा जी ने शरारत से कहा ,` फटनी होती तो फॅट गयी होती, अब तो मस्त चोदने का टाइम है. चंदा अब में तुझे पीछे से चोदुन्गा. पीछे से चुदाई का ज़्यादा मज़ा आता है. सही में चुदाई का असली और नॅचुरल तरीका तो पीछे से ही चूत मारने क़ा है बाबा जी नें चंदा को घुमा कर उसकी पीठ अपन्नी तरफ कर ली सुबूकी नंगी बाहों के नीचे से हाथ डाल कर उसकी चूचियाँ पकड़ कर उन्हें दबाना शुरू कर दिया. चंदा मस्त थी. पूरा स्मर्पण करते हुए उसने अपना सर पीछे झुकाया और बाबा जी की तरफ देखा. बाबा जी उसकी सेक्सी गुलाबी आँखों को देख कर मस्त हो गये. उन्होंने झुक कर चंदा के होंठ अपने होंठो में ले लिए और चूसने लगे. चंदा ने अपने होंठ खोल दिए. बाबा जी नें अपनी जीभ चंदा के मुँह मे डाल दी और घूमने लगे. दोनो की मस्ती बढ़ गयी. अब औ रहा नहीं जा रहा था . बाबा जी नें चंदा को बेड के कॉर्नर पर घुटनों और कुहनियों के बल लिटा दिया. चंदा के कंधों को नीचे झुका दिया और गांड उपेर उठा दी. चंदा की चूत टाँगों के बीच से दिखाई देने लगी. नज़ारा सेक्सी था. चंदा अभी अभी चुद कर हटी थी. बाबाजी का वीर्य चूत केआस पास लगा हुआ था . मोटे लंड के कारण चूत की फाँकें कुछ फैल गयी थी और एक गुलाबी लाइन सी दिखाई दे रही थी. चंदा अपने चूतड़ ऊपेर नीचे करने लगी. बाबाजी समझ गये कि वो लंड लेना चाहती है. बाबाजी नें लंड चंदा की चूत पर रखा और एक ही बार में धीरे से अंडर घुसेड दिया. चंदा के मुँह से एक सिसकारी निकली, दर्द की नहीं ,मस्ती और मज़े की.बाबा जी नें लंड को अंडर बाहर करना शुरू कर दिया.पीछे से चुदाई में लंड पूरा अंडर जा रहा था चंदा सोच रही थी बाबाजी ठीक ही कह रहे थे की पीछे सेचुदाई का मज़ा ही अलग है . सच ही था. चंदा चुदाई के साथ सोच रही थी की कैसे बाबाजी को कहा जाए की जल्दी जल्दी आ कर चुदाई किया करें. चंदा अपनी बहन नेहा- जो उसकी देवरानी बन-ने वाली थी, को भी बाबाजी से चुदाई का मज़ा दिलवाना चाहती थी. वो जानती थी की उसका देवर सुरेश भी नरेश की तरहा ख़ास्सी है और नेहा को नहीं चोद पाएगा. अचानक चंदा का ध्यान टूटा. बाबाजी ज़ोर ज़ोर से चुदाई कर रहे थे. पूरा लंड बाहर निकाल फिर अंडर डालते थे. चंदा मस्त हो चुकी थी. अपने चूतदों को ज़ोर ज़ोर से ऊपेर नीचे कर रही थी. धीरे धीरे उसके दिमाग़ नें काम करना बंद कर दिया. वो कुछ भी सोच नहीं पा रही थी. केवल चूत लंड चुदाई और बाबाजी ही उसके ख़यालों में थे.मस्ती पूरी तरह हावी थी. मज़ा आने वाला था. चंदा के मुँह से सिसकारिया निकलने ल्गी थी. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो मुँहसे कुछ बड़बड़ा रही थी. धीरे धीरे उसकी मस्ती बढ़ती गयी. उसकी आवाज़ ऊँची होती गयी. बाबाजी का हर धक्का उसे स्वर्ग की सैर करा रहा था,` आह बाबा जी……. क्या चीज़ हो आप……. कैसे चोद्ते हो…. आह…..बाबाजी आप और कैसे कैसे चोद सकते हो….सब तरहा से चूत मारो मेरी……मैं कहती थी ना की मेरी चूत फॅट ना जाए…….. अब कहती हूँ फाड़ दो इसे…….धक्के मार कर.` चंदा को पता नही था की वो क्या बोल रही है. मॅन की बातें ज़ुबान पर आ रही थी. बाबाजी उसकी बातें सुन कर और भी सेक्सी हो रहे थे. उनके धक्कों की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी. ` अहह….बाबा जी बाबाजी….. …आअहह. बाबा ……बाबा आह….फाड़ दो ….फाड़ दे बाबा साले…..बाबा मॅदर चोद…….बाबा चूतिया….. .फाड़ दे साले. आह….बाबाजी प्लीज़ और ज़ोर से… और ..हां ऐसे ही…हः… आह…आह बाबा जी मज़ा आने वाला है….सवमीज़ी. …रोज़ चोदना मुझे….कभी जाना मत…..आह. ..बाबाजी मेरी बहन को भी स्वर्ग दिखा दो…..अहहहः. …उसे भी चोदना ` चंदा को मज़ा आने वाला था. वो अपने चूतड़ ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी. बाबाजी नें अप्ना मज़ा रोक लिया और चंदा के बाद झड़ने का फ़ैसला किया. अचानक चंदा को मज़ा आ गया वो ज़ोर से चिल्लाई, ` आह…….मर गयी रे……ये क्या कर दिया बाबा…..इतना मज़ा ? हे भगवा…..ये बाबा क्या चीज़ है ……..हाए ……और क्या चीज़ है ये लंड और चूत…..आह आह आह ….बाबा आह.. मर गयी…..मर गयी. बाबा फाड़ दे साले फाड़ मेरी चूत…. फाड़ ….फा….. आह……. .` और इसके साथ ही वो पस्त हो गयी.अब बाबा जी की बारी थी. बाबाजी नें मज़ा लेने का मॅन बनाया और ज़बरदस्त धक्कों के साथ झाड़ गये. एक ऊँची आवाज़ उनके गले से निकली…..आआआआः हह…. ….आआआगयाआ आ…स उउउब्ब्ब्ुऊउ… ..आअहह. ……..किययाया चूऊत है……..आआहह ह……. ..सुउुबुउउउ. ….सुउुउउ ब्ब्ब्बुउउउ` नीचे चंदा को अपनी चूत में बाबाजी का वीर्य गिरता महसूस हुआ तो उसेफिर मज़ा आने लगा. बाबा जी का वीर्य गिरता ही जा रहा था.थोड़ी देर में सब शांत हो गया. बाबा जी नें लंड बाहर निकाला. चंदा सीधी हुई और बाबाजी का लंड प्यार से चूस चाट कर सॉफ किया. खड़ी हो कर पूछने लगी, `बाबाजी अब कब आओगे`. जल्दी ही आऊंगा, नेहा की कुँवारी चूत जो चोदनि है.` चंदा नें प्यार से उनकी तरफ देखा और उनके गले लग गयी और अगली चुदाई के सपनों में डूब गयी. चंदा की बहन नेहा की चुदाई चंदा बाबाजी से अलग हुई और कपड़े पहनने लगी. बाबाजी ने भी कपड़े पहन लिए. चंदा अंदर गयी और 5000 रुपये ले कर आई और बाबाजी को देने लगी, `बाबाजी , ये लीजीए मेरी तरफ से भेंट.` ` ये क्या है?` `बाबाजी आप ने मेरी इतनी अच्छी चुदाई की, आप इसे ले लीजिए` `नहीं सुबू, में चुदाई के पैसे नहीं लेता, और ना मुझे इनकी ज़रूरत है. हमारे आश्रम के पास बहुत पैसा है. हां अगर तुम इच्छा रखती हो तो में 1000 रुपये रख लेता हूँ , क्यों की हम इस शहर में भी आश्रम खोल रहे हैं.` ` ठीक है बाबाजी, फिर आप बैठिए, में आप के लिए खाना बनाती हूँ`. `ठीक है ` कह कर बाबा जी बैठ गये. चंदा दूध भरा गिलास और ड्राइ फ्रूट लाई और हंस कर बोली, `बाबाजी आप ने बहुत मेहनत की है ये पीलीजिए, तब में खाना बनाती हूँ`बाबाजी भी हँसने लगे. खाना ख़तम हो गया. चंदा और बाबा जी सोफा पर बैठ गये. चंदा नें पूछा, ` अब कब आओगे बाबा जी ?` `जब तुम बुलाओ` ` मेरा क्या में तो कहती हों जाओ ही मत, दिन रात मुझेचोद्ते रहो` `नहीं, पर तुम जब कहो में आ जाऊँगा` `जल्दी से जल्दी कब आ सकते हैं` चंदा की आँखों के सामने बाबाजी का लंड घूमने लगा. `ठीक है आज मँगवार है अगले मंगलवार को आऊंगा` वो बातें कर ही रहे थे की नेहा आ गयी. बाबाजी को देख कर वो रुक गयी. चंदा ने दोनो का परिचाए करवाया,` बाबाजी ये मेरी बहन नेहा है, रस्मी ये बाबाजी हें प्रणाम करो`. नेहा नें प्रणाम किया और बोली,` दीदी में ज़रा फ्रेश हो लूँ`. ` चंदा बोली ठीक है जा. बाबाजी भी जाने वाले हें` रस्मी चली गयी. बाबा जी नें पूछा, ` चंदा तुम इस लड़की की चुदाई की बात कर रही थी?` ` हां बाबाजी`. `मगर क्यूँ, ये तो कुँवारी है. मेने तुम्हें चोदा है इसका मतलब ये नही की में कुँवारी लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद करूँ. चुदाई मेरा पेशा नहीं है. में केवल उनें ही चोद्ता हूँ जो अपने विवाहित जीवन से निराश होती हैं. इसे चोदुन्गा तो इसकी सील टूट जाएगी चूत खुल जाएगी. ये इसके पति के साथ धोका होगा ` बाबाजी में आपकी भावनाओं की कदर करती हूँ मगर ये मेरी बहन मेरी देवरानी बन-ने वाली है और मेरा देवर सुरेश भी मेरे पति नरेश की तरहा नमार्द है. जहाँ तक सील का स्वाल है उसका लंड तो सील तक पहुचेगा भी नहीं फिर जब मेरी तरहा कल भी चुदाई बाहर से ही करवानी है तो आज ही क्यों नहीं.आआप परेशान ना हों और अगली बार इसकी भी चुदाई करें….
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