प्रेषक: अजित
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त अजित अपनी एक और कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी उस समय की है जब मैं 21-22 साल का था शहर मे रूम लेकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था.
और जिनके बारे मे बताने जा रहा हूँ वह एक शादीशुदा मेरी पड़ोसन है और उनका नाम वंदना है. उनकी एज 25 थी और शादी होके 4 साल हुए थे. और उनके 2 बच्चे थे. हज़्बेंड उनका काफ़ी टाइम बाहर रहता था और जब भी आता था तो पीके आता था. घर पे भी उनका इन-लॉस होने के कारण उनको सब परेशान करते थे क्यू कि वह ग़रीब फॅमिली मे से थी और उनका हज़्बेंड घर मे कुछ कमा के देता नही था. तो घरवाले सोचते थे कि वो सब कुछ इनके पास ही देता है और ये अपनी माँ को भेज देती है. यह सब देख के अच्छा नही लगता था. वो उसके घर मे बिल्कुल अकेली पड़ती थी. और उनके बच्चे भी दिनभर मेरे यहाँ पर ही खेलते थे तो वो भी मोस्ट ऑफ टाइम वो मेरे घर मे ही टाइम पास करती थी.
मैं घर पर अकेला ही रहता था. बातचीत के कारण वो मुझे मन ही मन मे चाहने लगी थी और मैं भी. वंदना मुझको बहुत चाहती थी, क्योंकि एक मैं ही तो था जिससे कि वंदना बातचीत कर सकती थी. खास कर जब कोई उनके घर पे नही होता और उनका हज़्बेंड बाहर जाता.
वंदना बहुत प्यार से मेरा ख्याल रखती थे और कभी एह अहसास नही होने देती कि मैं घर पर अकेला हूँ. वो मुझे प्यार से अजित कहकर पुकरती थी और मैं हमेशा उनके पास पास रहना पसंद करता था. वो बहुत ही सुंदर थी, एकदम गोरी चिट्टी लंबे लंबे काले बाल करीब 5′3″ और फिगर 38-28-40 था. मैं उनकी स्माइल और चुची पर फिदा था और हमेशा उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहता था. जब-भी काम करते वक़्त उनका आँचल उनकी छाती पर से फिसल कर नीचे गिरता था या वो नीचे झुकती, मैं उनकी चूंची की एक झलक पाने की कोशिश करता था. वंदना को इस-बात का पता था और वो जानबूझ कर मुझे अपनी चूंची का जलबा दिखा देती थी. (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
ये बात तब हुआ जब उसके हज़्बेंड काम के सिलसिले मे शादी के बाद बाहर गये और उनके घरवाले भी पहले से ही उनके गाओं गये थे और करीब एक महीने बाद लौटने वाले थे. वंदना पर ही घर सम्हालने की ज़िम्मेदारी थी. मेरा उस समय टाइम खराब चल रहा था और साथ ही मे वंदना को भी अकेलापन महसूस हो रहा था.
वंदना उस्दिन बहुत ही खुश थी. जब हम लोग घर पे थे तो उन्होने मुझे अपने कमरे मे बुलाया और कहा कि उन्हे अकेले सोने की आदत नही है और बच्चे भी अकले है तो जब तक वो वापस नही आते, मैं उनके घर मे सोया करूँ. मैं तो खुशी से झूम उठा था
वंदना ने खाना पकाया और हम दोनो ने साथ साथ खाना खाया. आज वो मुझपर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान थी और बार बार किसी ना किसी बहाने से अपनी चूंची का जलवा दिखा रही थी. खाने के बाद वंदना ने मुझे फल खाने को दिए. फल देते वक़्त उन्होने मेरा हाथ मसल दिया और बड़ी ही मादक अदा से मुस्कुरा दिया. मैं शरमा गया क्यूंकी ये मुस्कान कुछ अलग किस्म की थी और उसमे शरारत झलक रही थी. खाने के बाद मैं तो पेपर पढ़ने बैठ गया और वो अपने कपड़े चेंज करने लगी. गर्मी के दिन थे और गर्मी कुछ ज़यादा ही थी. मैं अपनी शर्ट उतार कर केवल बनियान और पॅंट पहन कर पढ़ने बैठ गया. मेरे सामने की टेबल के उपर दीवार पर एक शीशा टंगा था और वंदना को मैं उस शीशे मे देख रहा था. वो मेरी तरफ देख रही थी और अपने कपड़े उतार रही थे. वो सोच भी नही सकती थे कि मैं उनको शीशे के अंदर से देख रहा था. उन्होने अपना ब्लाउज खोल कर उतार दिया. है क्या मदमस्त चूंची थी. मैं पहली बार लेस वाली ब्रा मे बँधी उनकी चुचियों को देख रहा था. उनकी चूंचियाँ काफ़ी बड़ी थी. और वो ब्रा मे समा नही रही थी. आधी चूंची ब्रा के उपर से झलक रही थी. .
कपड़े उतार कर वो बिस्तेर पर चित लेट गयी और अपने सीने मे एक झीनी से चुन्नी ढक लिया. एक पल के लिए तो मेरा मन किया कि मैं उनके पास जा कर उनकी चूंची को देखु, फिर सोचा ये ठीक नही होगा और मैं पढ़ने लग गया. तुरंत ही वो सो गयी और कुछ ही देर मे उनका दुपट्टा उनकी छाती से सरक गया और साँसों के साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसीली चूंची साफ साफ दिख रही थी. (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
रात के बारह बाज चुके थे. मैने पढ़ाई बंद की और बत्ती बुझाने ही वाला था कि वंदना की सुरीली आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी, “अजित यहाँ आओ ना “ मैं उनकी तरफ बढ़ा, अब उन्होने अपनी चूंची को फिरसे दुपट्टे से ढँक लिया था. मैने पूछा, “क्या है वंदना?’ उन्होने कहा, “अजित ज़रा मेरे पास ही लेट जाओ ना, थोड़ी देर बात करेंगे फिर तुम अपने बिस्तेर पर जा कर सो जाना.” (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
पहले तो मैं हिचकिचाया लेकिन फिर मान गया. मैं रात को शॉर्ट्स पहन कर सोता था और अब मुझको जीन्स पहन कर सोने मे दिक्कत हो रही थी. वो मेरी परेशानी समझ गयी और बोली, “अजित कोई बात नही, तुम अपनी पॅंट उतार दो और रोज घर मे जैसे सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जाओ. शरमाओ मत. आओ ना.” मुझे अपने कानों पर यकीन नही हो रहा था. जीन्स उतारकर मैने लाइट बंद कर दी और नाइट लॅंप जला कर मैं बिस्तेर पर उनके पास लेट गया. जिस बदन को महीनो से निहारता था आज मैं उसी के पास लेटा हुआ था. वंदना का अधनंगा शरीर मेरे बिल्कुल पास था. मैं ऐसे लेटा था कि उनकी चूंचियाँ बिल्कुल नंगी मालूम दे रही थीं, क्यू कि थोड़ा सा हिस्सा ही ब्रा मे छुपा था. क्या हसीन नज़ारा था. तब वंदना बोली, “इतने महीने से अकेले नही सोई हूँ और अब आदत नही है अकेले सोने की.
” मैने कहा , “मैं भी कभी किसी के साथ नही सोया.” वो ज़ोर से हँसी और बोली “अनुभव ले लेना चाहिए जब भी मौका मिले, बाद मे टाइम लगेगा ” उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे से खींच कर अपनी उभरी हुए चूंची पर रख दिया और मैं कुछ नही बोल पाया लेकिन अपना हाथ उनके चूंची पर रखे रहने दिया.
“मुझे यहाँ कुछ खुजा रहा है, ज़रा देखो ना ” मैने ब्रा के उपर से ही उनकी चूंची को दबाना शुरू किया. वंदना ने मेरा हाथ ब्रा के अंदर डाल के सहलाने को कहा और मेरा हाथ ब्रा के अंदर कर दिया.
मैने अपना पूरा हाथ अंदर घुसा कर ज़ोर ज़ोर से उनकी चूंची को रगड़ना शुरू कर दिया. मेरी हथेली की रगड़ पा कर वंदना के निपल खड़े हो गये. मुलायम माँस के स्पर्श से मुझे बहुत अक्च्छा लग रहा था लेकिन ब्रा के अंदर हाथ करके मसल्ने मे मुझे दिक्कत हो रही थी. (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ घुमा कर बोली, “अजित यह ब्रा का हूक्क खोल दो और ठीक से करो .”
मैने काँपते हुए हाथों से वंदना की ब्रा की हूक्स को खोल दिया और उन्होने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया.
मेरे दोनो हाथों को अपनी नंगी छाती पर ले जा कर वो बोली, “थोड़ा कस कर करो ना ”
मैं भी काफ़ी एग्ज़ाइट हो गया और जोश मे आकर उनकी रसीली चूंची से जम कर खेलने लगा. क्या बड़ी बड़ी चूंचियाँ थी. ब्राउन कलर की चुचियाँ और काले काले निपल. पहली बार मैं किसी औरत की चूंची को छु रहा था. वंदना को भी मुझसे अपने चूंची की मालिश करवाने मे मज़ा अरहा था. मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था और अंडरवेर से बाहर निकलने के लिए ज़ोर लगा रहा था. मेरा 7″ का लंड पूरे जोश मे आ गया था. वंदना की चूंची मसल्ते मसल्ते हुए मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लंड उनकी जाँघो मे घूमने लगा था. (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
अचानक वो बोली, “अजित ये मेरी टाँगो मे क्या कुछ हिल रहा है?” मैने हिम्मत करके जबाब दिया, “ये मेरा पेनिस है. तुमने अपने उनका तो देखा होगा ना?” मैं हाथ लगा कर देखूं? उन्होने पूछा और मेरे जबाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसको सहलाने लगी. अपनी मुट्ठी मेरे लंड पर कस के बंद कर ली और बोली,
“बाप रे, बहुत कड़क है.” वो मेरी तरफ घूमी और अपना हाथ मेरे अंडरवेर मे घुसा कर मेरे फड़-फडाते हुए लंड को एलास्टिक के उपर निकाल लिया. लंड को कस कर पकड़ते हुए वो अपना हाथ लंड की जड़ तक ले गयी जिस से सुपाडा बाहर आ गया. सुपाडे की साइज़ और आकर देख कर वो बहुत हैरान हो गयी. “अजित कहाँ छुपा रखा था इतने दिन” उन्होने पूछा.
मैने कहा, “यहीं पर तो था आपके सामने लेकिन आपने कभी ध्यान ही नही दिया.
वंदना बोली, “मुझे क्या पता था कि तुम्हारा लंड इतना बड़ा होगा, छोटे हो तो छोटा ही रहेगा, मैं तो सोच भी नही सकती थी.”
मुझे उनकी बिंदास बोली पर आश्चर्य हुआ जब उन्होने “लंड” कहा और साथ ही मे बड़ा मज़ा आया. वो मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर खीच रही थी और कस कर दबा रही थी. फिर वंदना ने अपना पेटिकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघो के बीच ले कर रगड़ने लगी. वो मेरी तरफ करवट ले कर लेट गयी ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके. उनकी चूंची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था.
अचानक उन्होने अपनी एक चूंची मेरे मुँह मे देते हुए कहा, “चूसो इनको मुँह मे लेकर.”
मैने इनकी लेफ्ट चूंची अपने मुँह मे भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. थोरे देर के लिए मैने उनकी चूंची को मुँह से निकाला और बोला, “मैं हमेशा तुम्हारे ब्लाउज मे कसी चूंची को देखता था और हैरान होता था. इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हे मुँह मे लेकर चुसू और इनका रूस पी लूँ. पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाअजित़ ना हो जाओ. तुम नही जानती वंदना कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है?”
अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो वंदना ने कहा. (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
फिर क्या था, वंदना की हरी झंडी पाकर मैं टूट पड़ा वंदना की चूंची पर. मेरी जीब उनके काले निपल को महसूस कर रही थी. मैने अपनीजीब वंदना के उठे हुए काले निपल पर घुमाई. मैं दोनो अनारों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हे चूस रहा था. मैं ऐसे कस कर चूंचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रूस निचोड़ लूँगा. वंदना भी पूरा साथ दे रही थी. उनके मुहह से “ओह! ओह! आह! स, स! की आवाज़ निकल रही थी. मेरा पूरी तरफ से साथ देते हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी. उन्होने अपनी लेफ्ट टाँग को मेरे उपर उपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को को अपनी जाँघो के बीच रख लिया. मुझे उनकी जाँघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. वो उनकी चूत थी. वंदना ने पैंटी नही पहन रखी थी और मेरे लंड का सुपाडा उनकी झान्टो मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था. मैं वंदना से बोला, “वंदना मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे मे नही हूँ, प्लीज़ मुझे बताओ मैं क्या करूँ?”
वंदना बोली, “तुमने कभी किसी लड़की को चोदा है आज तक?”
मैने बोला, “नही.” (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
कितने दुख की बात है. कोई भी लड़की इसे देख कर कैसे मना कर सकती है. शादी तक ऐसे ही रहने का इरादा है क्या?
मैं क्या बोलता. मेरे मुँह मे कोई शब्द नही था. मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूंची मसलता रहा. उन्होने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली, “अपनी वंदना को चोदोगे?’
“हाँ क्यू नही” मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया. मेरा गला सुख रहा था.
कहानी जारी है…. पढ़ते रहिये मस्तराम डॉट नेट पर और भी ढेर सारी कहानिया है |