गतांग से आगे ….
मुझे नहीं पता था कि औरत और मर्द आपस में मिल कर क्या-क्या करते हैं। मेरे लिए ये सामान्य बात थी.. मुझे देखते ही वो उठ कर बैठ गईं। मैंने उनसे पूछा- क्या बात है? तो उन्होंने कहा- चलो तीनों लूडो खेलते हैं। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैं तैयार हो गया और हम तीनों लूडो खेलने लगे। कुछ ही देर में मुझे नींद आने लगी तो मैंने कहा- मैं अब नहीं खेलूँगा.. मुझे नींद आ रही है.. मैं सोने जा रहा हूँ। तो भाभी ने कहा- यहीं सो जाओ। मैं वहीं पलंग पर एक किनारे सो गया और वो दोनों लूडो खेलने लगीं। कुछ देर में मेरी नींद खुलने लगी थी, क्योंकि मुझे अपने लण्ड पर नर्म सा कुछ महसूस हो रहा था। मैं नींद में ही अपने हाथ को अपने लण्ड पर ले गया तो मैं चौंक गया क्योंकि मेरे लण्ड पर दो हाथ फिसल रहे थे। मैं आँखें बंद किए लेटे रहा.. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। मेरा लण्ड कड़ा होने लगा था और मेरे पूरे जिस्म में सिहरन हो रही थी। आख़िर मुझसे सहा नहीं गया और मैं उठ कर बैठ गया, तो मैंने देखा कि भाभी और सुषमा दोनों ही नंगी पलंग पर बैठी हैं और एक-दूसरे की चूत को सहला रही थीं… साथ ही मेरे लण्ड को भी सहला रही थीं। मेरे उठ जाने से सुषमा घबरा कर बिना कपड़े पहने ही भाग कर बाथरूम में घुस गई। मैं भाभी की तरफ देख कर बोला- आप लोग नंगे क्यों हो और मेरे लण्ड को क्यों सहला रही थीं? तो वो मुस्कुरा कर बोलीं- हम लोग एक नया खेल.. खेल रहे थे। मैंने कहा- यह कौन सा खेल है.. जो नंगे होकर खेलते हैं? भाभी बोलीं- यह खेल नंगा ही खेला जाता है… तभी इस खेल में मज़ा आता है.. क्या तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा था? इस पर मैं बोला- मज़ा तो आ रहा था.. पर मैंने तो कपड़े पहने हुए थे। भाभी बोलीं- कपड़े उतार कर खेलोगे तो और मज़ा आएगा.. खेलोगे? मैं और मज़ा लेना चाहता था क्योंकि ये मज़ा मेरे लिए एकदम नया था। फिर भी मैं भाभी से बोला- पर सुषमा मेरी बहन है.. मैं उसके सामने कैसे नंगा हो सकता हूँ? इस पर भाभी मुझे समझाते हुए बोलीं- अरे पगले.. अपनों के सामने नंगा होने में कैसी शर्म.. कोई बाहर वाला थोड़े ही देख रहा है.. हम तीनों तो अपने ही हैं और यहाँ कोई है भी तो नहीं.. यह कहते हुए भाभी मेरे कपड़े उतारने लगीं और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया। उन्होंने मेरे लटके लण्ड को हाथों से पकड़ लिया और मसलने लगीं। मुझ पर अजीब सा नशा छाने लगा था। मेरा लण्ड फिर से कड़ा होने लगा था और लंबा भी होने लगा था। मस्ती से मेरी आँखें बंद हो गईं। तभी मुझे अपने लण्ड पर कुछ गीला-गीला सा महसूस हुआ.. तो मेरी आँखें खुल गईं।
मैंने देखा भाभी मेरे लण्ड को अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी थीं।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा लण्ड किसी गर्म हवा भरे गुब्बारे में घुसा हुआ हो। मैं भाभी के पूरे नंगे जिस्म को गौर से देख रहा था। पूरा मस्त जिस्म.. उनकी गोल-गोल गोरी सी मचलती चूचियाँ.. उस पर छोटे-छोटे लाल रंग से उनके निप्पल.. पतली सी कमर.. उभरी और चौड़े गोल-गोल चूतड़.. चिकनी मोटी जाँघें.. और चिकनी जाँघों के बीच में काले-काले घुंघराले झांट के बाल। तभी मेरा जिस्म अकड़ने लगा.. ऐसा लगा जैसे मैं आसमान में उड़ रहा होऊँ और मेरे लण्ड के रास्ते.. मेरे जिस्म से जैसे जान ही निकल जाएगी। मैंने झटके से अपना लण्ड भाभी के मुँह से बाहर खींच लिया और उनका हाथ भी अपने लण्ड से अलग हटा दिया। मैं अपनी साँसों को संयमित करने की कोशिश करने लगा… जो ज़ोर-ज़ोर से जल्दी-जल्दी चल रही थीं। मेरा लण्ड भी झटके मार रहा था.. मैंने लण्ड को भी हाथ से पकड़ लिया ताकि वो हिल ना सके। तभी भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे लण्ड को अपनी जाँघों के बीच में झांटों से रगड़ने लगीं। उनके मुँह से ‘आह.. आहह.. आह इसस्स आ’ की आवाजें आ रही थीं। भाभी ने जैसे ही अपने पैरों को फैलाया.. मेरे लण्ड को झांटों के बीच में हल्का गर्म-गर्म पानी सा लगा। मैंने उत्सुकतावश अपना हाथ से उस जगह को स्पर्श किया.. तो भाभी एकदम से उछल गईं और मुझे चूमने लगीं। मैंने भाभी से पूछा- वो क्या है? तो भाभी मुस्कुराते हुए चूमकर बोलीं- मेरे विजू राजा.. उसे चूत कहते हैं… जिसमें मर्द अपना लण्ड घुसा कर चोदते हैं। मैंने ये सब पहले कभी नहीं सुना था.. इसलिए पूछने लगा- वहाँ क्या इतना बड़ा छेद होता है.. जो इतना बड़ा और मोटा लण्ड भी उसमें घुस जाता है? मेरे इस सवाल पर भाभी कुछ बोली नहीं.. सिर्फ़ मुस्कुराईं और मेरी कमर पर बैठ गईं और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रगड़ने लगीं। उनकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी.. जिससे मेरा लण्ड भी गीला हो गया था। भाभी की आँखें बंद हो रही थीं और मेरी भी.. तभी भाभी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठाया और एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत के मुँह से लगा कर.. लण्ड पर बैठने लगीं। जब मेरा लण्ड भाभी की चूत के अन्दर घुस रहा था तो मैं बता नहीं सकता कि मुझे कैसा लग रहा था। मेरी आँखें बंद हो गई थीं और भाभी अपने चूतड़ों को हिला-हिला कर मेरे लण्ड को अपनी चूत में अन्दर-बाहर कर रही थीं। हम दोनों के मुँह से ‘आह आह आ आ अहहा’ की आवाज निकल रही थी और साथ ही साथ लण्ड और चूत के मिलन से भी ‘फॅक फॅक.. पछ.. पछ’ की आवाजें आ रही थीं। करीब 5 मिनट बाद भाभी अचानक एकदम जल्दी-जल्दी अपने चूतड़ों को मेरे लण्ड पर हिलाने लगीं और अपने हाथों से अपनी चूचियों को मसलने लगीं। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | तभी मेरा जिस्म अकड़ने लगा और मैंने भाभी के चूतड़ों को कस कर पकड़ लिया। मुझे लगा जैसे मेरे लण्ड से कुछ निकल रहा है। उधर भाभी भी मेरे ऊपर लेट गईं और अपनी एक चूची को मेरे मुँह में डाल कर अजीब-अजीब सी आवाजें निकालते हुए जल्दी-जल्दी मुझे चोदने लगीं। अचानक उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरे होंठों को चूमते हुए अपनी चूत को मेरे लण्ड पर दबाने लगीं। उनका जिस्म झटके ले रहा था.. मेरे लण्ड को भी महसूस हो रहा था कि गर्म-गर्म सा कुछ पानी सा मेरे लण्ड को भिगोता हुआ चूत से बाहर निकल रहा था। हम दोनों का जिस्म पसीने से भीग गया था। अभी तक मेरे लण्ड को भाभी अपनी चूत से पकड़े हुए थीं और मुझे चूमे जा रही थीं। कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद भाभी मेरे ऊपर से उठीं और वैसे ही चूतड़ों को मटकाती हुई बाथरूम में घुस गईं। मुझे अब काफ़ी हल्कापन महसूस हो रहा था। मैं आँखें बंद किए गहरी-गहरी सांस ले रहा था। अचानक मुझे ध्यान आया कि सुषमा भी तो यहीं थी.. क्या उसने ये सब कुछ देख लिया है..
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