मेरी प्यारी भाभी और मेरी प्यासी बहन

गतांग से आगे ….

क्योंकि मुझे इतना तो पता था कि दो नंगे जिस्म का आपस में मिलना ग़लत होता है। यह सोच कर मुझे डर सा लगने लगा था कि सुषमा किसी को यह बात बता ना दे। मुझे पेशाब करने की इच्छा हो रही थी तो मैंने बाथरूम के पास जाकर भाभी को आवाज़ लगाई.. तो भाभी ने बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया। मैंने कहा- मुझे पेशाब करना है.. आप बाहर जाओ। इस पर भाभी बोलीं- हम बाहर नहीं आएँगे.. तुम अन्दर आ जाओ और पेशाब कर लो.. कुछ नहीं होगा। मुझे शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि अन्दर मेरी बहन सुषमा भी थी और इधर मुझे ज़ोर से पेशाब भी लगी थी। मैंने एक बार फिर से कहा, तो इस बार भाभी बाहर आईं और मेरा हाथ पकड़ कर बाथरूम के अन्दर ले गईं और मुझसे बोलीं- अब करो पेशाब। मैंने देखा अन्दर भाभी और सुषमा दोनों ही नंगी थी। मुझे देख कर सुषमा ने भी शर्म से नज़रें नीचे की हुई थीं और अपनी चिकनी सुडौल जाँघों से अपनी नंगी चूत को ढकने की कोशिश कर रही थी.. जो हो नहीं पा रहा था। सुषमा की चूत के चारों ओर भूरे रंग के छोटे छोटे रेशमी बाल उग आए थे.. जो उसकी चूत को चार चाँद लगा रहे थे। सुषमा अपने हाथों से अपनी सन्तरे के आकार की अपनी चूचियों को ढके हुए थी। तभी भाभी बोलीं- ऐसे क्या देख रहा है.. चोदेगा क्या इसे भी.. यह भी चुदना चाहती है.. पर शर्मा रही है और तुम पेशाब क्यों नहीं कर रहे हो.? मैंने जैसे ही पेशाब करने के लिए निक्कर से लण्ड को बाहर निकाला.. भाभी ने मुझे रोक दिया और बोलीं- रुक.. एक नए तरीके से पेशाब करो.. जिससे तुम दोनों की शर्म खत्म हो जाएगी। मैंने पूछा- कैसे? तो वो बोलीं- कुछ नहीं.. वे सुषमा को मेरे सामने ले आईं और मुझे निक्कर उतारने को कहा। मैंने निक्कर उतार दिया.. अब मैं भी उनके जैसा ही नंगा था। भाभी ने सुषमा को कमोड पर बैठा दिया और उसके सामने मुझे ले गईं। इतना करीब कि अगर मैं एक कदम और आगे बढ़ जाता तो मेरा लण्ड सुषमा के होंठों को स्पर्श कर जाता.. फिर भाभी ने सुषमा के दोनों पैरों को उठा कर फैला दिया और मुझसे बोलीं- चल अब इसकी चूत से लण्ड को सटा कर पेशाब कर… इस तरह सुषमा के पैर फैलने से उसकी चूत का मुँह खुल गया। मैं तो उसकी गोरी-गोरी जाँघों के बीच रेशमी भूरे-भूरे बालों से घिरी गुलाबी रसीली चूत को देख कर पेशाब करना ही भूल गया था..

मेरा लण्ड दुबारा से ऐसी चूत को देख कर खड़ा हो गया था |

और झटके मार-मार कर सुषमा की चूत को सलामी देने लगा था। यह देख कर भाभी और सुषमा भी अब बेशर्म बन कर मुस्कुरा रही थीं। मुझसे नहीं रहा गया और वहीं सुषमा के सामने फर्श पर उकडूँ बैठ गया और सुषमा की चूत को हाथों से फैला कर देखने लगा। मैं अपनी जिन्दगी में पहली बार किसी कुंवारी चूत को छू कर देख रहा था.. वो भी अपनी ही बहन की चूत… जैसे ही मेरे हाथों ने सुषमा की चूत को छुआ.. सुषमा सिसक उठी और प्यासी नज़रों से मुझे देखने लगी। उसकी चूत गीली थी। चूत की गहराई नापने के लिए मैंने हाथ की एक ऊँगली सुषमा की चूत में घुसा दी। मेरी ऊँगली के घुसते ही सुषमा मचलने लगी और सिसयाने लगी- आ आ भाभी रे.. आहह.. इसस्सस्स आह.. भैया..जी.. आहह.. मुझे भी आह.. चोदिए ना.. आ आहह.. जैसे आहह.. भाभी को.. आ आ चोद रहे थे.. इससस्स मम्मी रे.. आहह… चोदिए… मैं भी पेशाब करना भूल कर अपना लण्ड सुषमा की चूत से सटा कर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा.. पर सब बेकार.. लण्ड बार-बार चूत से फिसल जा रहा था। मैं जैसे ही लण्ड को सुषमा की चूत से छुलाता.. सुषमा मचल कर अपना गाण्ड ऊपर उछालती.. जैसे चूत से लण्ड को निगल जाना चाहती हो। ये सब देख कर भाभी हँसने लगीं और बोलीं- ऐसे अन्दर नहीं जाएगा.. मेरे राजा.. ला इधर ला.. लण्ड को..। उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़ कर उस पर ढेर सारा तेल लगाया.. फिर सुषमा की चूत में भी अन्दर तक ऊँगली घुसा कर तेल लगा दिया। फिर बोलीं- ले अब इसकी चूत तैयार है.. लौड़े को अन्दर लेने के लिए। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ा और सुषमा की चूत की दरार में रगड़ने लगीं। भाभी के द्वारा लण्ड को सुषमा की चूत पर रगड़ने से सुषमा तड़पने लगी और अपने चूतड़ों को ऊपर उठाने लगी। वो भाभी से कहने लगी- अहहहह आ भाभी इस्स आहह चोद आहह.. चोद चोद दो न.. उसकी इस ‘आह इस आह’ से मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था.. सो मैंने अचानक अपने लण्ड को ज़ोर से चूत में चांप दिया.. तो तेल की वज़ह से लण्ड ‘फच्च’ की आवाज़ के साथ पूरा का पूरा चूत में घुस गया। ‘माआंम्मय्ययई… मार गई.. आऐईईईईईए’ तभी भाभी ने अपने हाथ से सुषमा के मुँह को बंद कर दिया.. पर सुषमा दर्द से रोने लगी। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। यह देख कर मैं डर गया और लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया। सुषमा की चूत से भी खून बहने लगा था.. खून देखते ही मेरे लण्ड का सारा जोश ही गायब हो गया और मैं बाथरूम से बाहर निकल आया और बिस्तर पर लेट कर डर के मारे मैं भी रोने लगा था। कुछ देर बाद भाभी और सुषमा भी बाथरूम से बाहर आईं.. सुषमा लंगड़ा कर चल रही थी.. वो अब भी रो रही थी। जब भाभी ने मुझे भी रोता देखा तो हँसने लगीं और फिर हमें समझाया कि चुदाई क्या होती है इसमें क्या-क्या होता है.. और ये कैसे किया जाता है… फिर उसी रात को भैया बाहर चले गए थे तो मैं और सुषमा भाभी के साथ उनके कमरे में ही सो गए। भाभी ने मुझसे चुदा कर रूप को दिखाया कि कैसे मजा लिया जाता है। अब हम दोनों को भी चुदाई में मजा आने लगा था। भाभी ने मुझे सुषमा की चूत पर चढ़ा दिया और सुषमा भी दर्द सहन करके मुझसे चुद गई। एक बार शुरु हुई चुदाई का खेल उस रात बार-बार चला। उस दिन के बाद हम तीनों को जब भी मौका मिलता.. हम तीनों अक्सर चुदाई का मज़ा उठाते थे। तो दोस्तो, यह कहानी मेरे पहले सम्भोग के अनुभव पर एकदम सच पर आधारित है। मुझे उम्मीद है आपको अच्छी और सच्ची ही लगी होगी। आपको मेरी इस सत्य घटना से कैसा लगा..

The Author

गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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