दोस्तो यह बात तब की है.. जब मैं लगभग अठारह साल का रहा होऊँगा.. अपने कुछ दोस्तों के साथ-साथ मैं भी गर्मियों की छुट्टियों में नया नया जिम जाने लगा था और कुछ दिनों की मेहनत का असर अब मेरे सीने और गर्दन पर पड़ने लगा था यानि मेरी बॉडी कुछ अलग दिखने लगी थी। इसका नतीजा यह हुआ कि जो भी मुझे कुछ दिनों के बाद मिलता.. वह मुझसे आकर्षित हुए बिना नहीं रहता। ऊपर से मेरी अच्छी हाइट और सूरत में कुदरती भोलापन इस आकर्षण में चार चाँद लगा देते थे।
यह सभी मिलकर मुझे शायद गुडलुकिंग बनाते थे।
वैसे मैं शुरू से ही थोड़ा रिज़र्व किस्म का था.. जिस कारण मैं अधिकतर पर घर में ही रहना ज़्यादा पसंद करता था। घर में वैसे तो किसी चीज़ की कमी नहीं थी। पापा का अपना व्यापार है.. जिसकी तरक्की के लिए वह खूब मेहनत कर रहे हैं। इसलिए वो घर पर कम ही रहते हैं। लेकिन जब भी आते तो हम दोनों भाई बहनों के लिए कुछ ना कुछ महँगी गिफ्ट ज़रूर लाते।
मैं बहुत ही हरामी किस्म का लड़का रहा हूँ। ऐसा नहीं है कि मैं शुरू से ही इतना बदमाश लड़का था.. लेकिन क्या है ना.. कि मेरे अन्दर भी एक शैतान छुपा हुआ है.. इस कारण से मैं भी कई बार अपनी वासना पर रोक ना लगाकर भावनाओं में बह जाता हूँ और शायद यही कुछ ऐसे लम्हे होते हैं.. जब इंसान के अच्छे-बुरे की पहचान होती है।
खैर.. मैं क्यों आप सभी को बोर कर रहा हूँ। चलिए आज मैं आप सभी को अपने जीवन में बीते कुछ हसीन पलों को एक कहानी में पिरो कर बताता हूँ। यह सभी घटनाएं मेरे साथ मेरी जवानी की शुरूआत के समय की हैं और मैं सोचता हूँ कि यदि इन परिस्थितियों में जिनमें से होकर मैं गुज़रा हूँ.. यदि आप भी होते.. तो यही सब करते।
मम्मी के अलावा एक बड़ी बहन है जोकि मुझसे दो साल बड़ी है।
हमारी मम्मी एक गृहणी हैं जो ज़्यादा मॉडर्न नहीं हैं.. वे घर में ही रहना ज़्यादा पसंद करती हैं। मतलब मम्मी का फिगर बहुत अच्छा है.. कोई यह नहीं कह सकता कि यह लेडी इतने बड़े बच्चों की माँ है। मम्मी की उम्र लगभग 38 साल होगी.. लेकिन अभी वह मुश्किल 30 की लगती होंगी। मम्मी और बहन दोनों का ही भरा हुआ बदन है और दोनों के ही सीने पर उभार की अधिकता है। दोनों माँ-बेटी कम बल्कि बहनें ज़्यादा लगती हैं। बाहरी लोग मेरी मम्मी और बहन के सीने पर ही ज़्यादा देखते रहते हैं।
मम्मी को थोड़ा ब्लड-प्रेशर की दिक्कत है.. इस कारण उन्हें ज़्यादा मेहनत या गर्मी सहन नहीं होती। शायद इसी कारण मम्मी घर में थोड़ा कपड़ों के मामले में लापरवाह रहती हैं। मम्मी छोटे और गहरे गले के ब्लाउज पहनना पसंद करती हैं.. जिसमें से मम्मी के मोटे मोटे स्तन देख कर तो बुड्डा भी पागल हो जाए।
मेरी बहन भी टाइट कपड़े ही पहनती है। मैं भी उसकी टाइट टीशर्ट में से झांकते उसके उरोजों को देखता रहता हूँ।
घर में वह मम्मी की तरह ही खुले गले के कपड़े पहनती है। मम्मी तो घर में ब्लाउज और पेटीकोट ही ज़्यादा पहनती हैं.. पुराने हो चुके कॉटन रूबिया के ब्लाउज में से मम्मी के मोटे-मोटे दूध से सफेद मांसल स्तन देख-देख कर मैं पागल होता रहता हूँ।
ऐसे ही मेरी बहन भी घर में स्कर्ट ज़्यादा पहनती है और बड़ी ही लापरवाही से उठती बैठती है। जिस कारण वह भी अपनी जवानी का प्रदर्शन करती रहती है।
मैं इसी जुगाड़ में रहता हूँ कि कैसे भी इनके बदन का मज़ा लूटा जा सके। लेकिन बस दिन-रात देख कर ही मन मसोस कर रह जाता था।
एक दिन हमारे ही शहर में एक शादी थी और सभी लोग वहाँ गए थे। जो भी वहाँ मुझे देखता मेरी बॉडी की तारीफ किए बिना नहीं रहता।
वहाँ पर मेरी सबसे छोटी बुआ भी आई थी.. जिसने अपनी जवानी में बड़ी रंगरेलिया मनाई थीं और अब शादी के बाद भी एक बार मायके में अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड के साथ पकड़ी गई थीं.. लेकिन वो मामला दबा दिया गया था।
खैर.. आज वह अपने छः माह के बच्चे के साथ कार्यक्रम में आई थी। वहाँ तेज गर्मी के कारण उनका छोटा बच्चा बहुत रो रहा था.. इसलिए मम्मी के कहने पर मैं बुआ को अपने साथ घर ले आया।
बुआ भी बड़ी बिंदास है.. ज़रा भी शर्म संकोच नहीं करती। वहाँ इतनी पब्लिक में गर्मी लगने पर अपने पेटीकोट को उँचा उठाकर पंखे के सामने बैठ गई थी। जब सब उसका मज़ाक उड़ाने लगे.. तो बोली- मेरा पति एक माह से ट्रैनिंग पर गया है और मेरे अन्दर की गर्मी बहुत परेशान कर रही है..
उसकी इस बात पर सब हँस पड़े थे।
मेरे साथ घर आते वक्त भी रास्ते भर वह मुझे जल्दी चलने को कहती रही क्योंकि उसे ज़ोर की पेशाब लगी थी।
खैर.. घर आते ही बुआ ने सबसे पहले तो कूलर चला कर अपने बच्चे को सुलाया और फिर जब तक मैं ठंडा पानी लाया.. उसने अपनी साड़ी खोल कर एक तरफ फेंक दी और बाथरूम में घुस गई शायद उसे लगा होगा कि मैं कमरे से बाहर हूँ.. इस कारण वह खुले दरवाजे में ही पेशाब करने लगी। मैं पीछे से चुपचाप उसके मोटे-मोटे चूतड़ों के दीदार करता रहा। मूतने से इतनी तेज़ सीटी की आवाज़ आ रही थी और इतनी देर तक कि मानो हफ्ते भर का आज ही मूत रही हो।
जब बुआ पेशाब करके उठी तो पीछे से उसकी चूत का नज़ारा भी हो गया.. जो कि मेरे लिए पहला अनुभव था।
सफेद पैन्टी को अपने चूतड़ पर चढ़ाती हुई वह बाहर आई.. तो मुझे देख कर बड़ी बेशर्मी से बोली- यदि एक पल और रुक जाती तो मेरी चूत ही फट जाती..उसके मुँह से ‘चूत’ शब्द सुन कर मैं चौंक पड़ा.. लेकिन बुआ अपनी चूत को रगड़ते हुए हँसती रही।
फिर मुझसे बोली- रात भर सफ़र में नींद ही नहीं आई.. चल यहीं कूलर के सामने सो जाते हैं।डबलबेड पर बीचों-बीच वह पसर गई… और मुझसे बातें करने लगीं..लेकिन मेरा सारा ध्यान बुआ के ब्लाउज पर ही था.. जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे और उसके दूध से भरे दोनों स्तन ब्लाउज फाड़ बाहर आने को बेताब से हो रहे थे।उसके निपल्स में से दूध अपने आप बाहर आ रहा था.. जिस कारण उसकी ब्रा भी गीली हो गई थी।मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. लेकिन वह ताड़ गई और अपने ब्लाउज में हाथ डालकर दोनों मम्मों को खुजलाते हुए बोली- मुझे दूध ज़्यादा आता है.. और मेरा बच्चा इसे पी नहीं पाता.. इस कारण मेरे बोबों में से दूध बह रहा है.. मेरी चूचियाँ दुखने सी लगती हैं।ऐसा कहते हुए उसने अपने बच्चे को अपने पास खींच लिया और मेरे सामने ही अपने ब्लाउज को एक तरफ से उँचा उठा कर अपने दूध से भरे चूचुकों को बच्चे के मुँह में दे दिया।
उसके मम्मों का आकार देख कर मैं चक्कर में पड़ गया.. उसके मम्मे ऐसे लग रहे थे मानो अभी फट पड़ेंगे।
बुआ के पैर कूलर की हवा के रुख़ की तरफ थे.. जिस कारण हवा के प्रेशर से उसका पेटीकोट घुटनों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था और वह बार-बार अपनी चूत को खुज़ाए जा रही थी।बच्चे के मुँह में अपना दूसरा स्तन देते हुए वह बोली- शायद रात भर बस में बैठे रहने के कारण चूत मे खुजली हो गई है.. साली बड़ी मीठी-मीठी खुजलन सी हो रही है।उसके मम्मों की चौंचें दूध पिलाने से बड़ी लंबी हो गई थीं.. जिन्हें वह अन्दर भी नहीं कर रही थी। बच्चा बड़े ज़ोर-ज़ोर से दूध चूसते हुए आवाज़ कर रहा था।
तो बोली- यह साला भी अपने बाप पर गया है.. पूरा रस निचोड़ लेता है और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी।
यूँ ही इधर-उधर की बातें करने के दौरान बोली- तूने किसी गर्लफ्रेंड से चक्कर चलाया कि नहीं.. या यूँ ही हाथ ठेला चला रखा है?
मैं समझ तो गया था पर जानबूझकर सीधा बन रहा था।बुआ बोली- हमारे समय में तो साले सब लौंडे गंडमरे थे.. कोई साला हिम्मत ही नहीं करता था और आज जब इतनी आज़ादी है तो तुम साले सीधे बनते हो।
कूलर की ठंडी हवा के बीच हल्की-फुल्की बातें करते हुए हम कब सो गए.. पता ही नहीं चला।
शाम को लगभग चार बजे जब मेरी नींद पेशाब के लिए खुली तो मैं बुआ के दोनों मम्मों को देखता ही रह गया।
वे पूरी तरह से वापस दूध से भर गए थे। चूचुकों में से दूध की बूँदें टपक रही थीं और तनाव के कारण उनमें लाल खून की नसें साफ़ दिखाई पड़ने लगी थीं।दूसरी तरफ बुआ का पेटीकोट भी जाँघों तक चढ़ गया था.. जिसमें मैं बार-बार झुक कर उसकी सफ़ेद पैन्टी को देख रहा था। बुआ की चूत की फाँकों में पैन्टी का आगे का हिस्सा दब सा गया था और साइड से रेशमी सुनहरे बाल दिखाई पड़ रहे थे।जब मैं पेशाब करके वापस आया.. तब तक शायद आहट से बुआ जाग गई थी.. और झुक कर अपने बैग में से कुछ ढूँढ रही थी, तब उसके बड़े-बड़े बोबे लटकते हुए बड़े सेक्सी लग रहे थे।मैंने अपना लण्ड सहलाते हुए पूछा तो बोली- मैं चूचियों का पंप ढूँढ रही हूँ.. जिससे कि मेरे बोबों का दूध निकालना पड़ता है। मेरे दोनों बोबे बहुत दुख रहे हैं। इनका दूध नहीं निकाला तो इनमें से खून छलकने लगेगा। यह सुन कर मैं घबरा सा गया.. लेकिन चूचियों का पंप नहीं मिला.. शायद किसी और बैग में रख दिया होगा। दोस्तो, शायद मेरे नसीब में मेरे परिवार के छेदों का ही सुख लिखा था।तब मैंने पूछा- अब क्या होगा?तो वह बोली- हाथों से निकालने की कोशिश करती हूँ..वो हाथ में एक काँच का खाली गिलास ले कर अपने दूध से भरे मम्मों को दबाने निचोड़ने लगी.. तब उनमें से थोड़े से दूध की फुहार सी निकली। लेकिन जब उसे आराम नहीं मिला तो बोली- काश.. अभी यहाँ तेरे फूफाजी होते तो मुझे इतना परेशानी ही नहीं होती।तो मैं बोला- बुआ यदि मैं कुछ कर सकता हूँ.. तो मुझे ज़रूर बतलाना.. कोई दबा या नया पंप खरीद लाऊँ?तो बोली- तू चाहे तो मुझे अभी इस दर्द से आराम दिलवा सकता है।
‘कैसे..?’उसने मुझे अपने पास बुलाया और बोली- तू मेरा थोड़ा सा दूध पी ले..
मैं उठ कर खड़ा हो गया और शर्मा कर बोला- धत्त.. मुझे शरम आती है।तो वो बोली- इसमें शरमाने की क्या बात है? क्या तूने अपनी माँ का दूध नहीं पिया.. या कभी तू अपनी औरत के मम्मे नहीं चूसेगा?यह कह उसने मेरा हाथ खींच कर पलंग पर गिरा लिया और अपने मम्मों को हाथों से पकड़ कर मेरे मुँह में दे दिया।एक बार तो मैंने बचने की कोशिश की.. लेकिन इतने मुलायम मम्मों को अहसास पा कर मैं पड़ा रहा।पहले के एक-दो घूँट दूध तो बड़े बेस्वाद लगे.. लेकिन जैसे ही मैंने अपनी जीभ से बुआ के निपल्स को सहलाया तो मेरा लण्ड तन कर पजामे में से बाहर आने को होने लगा। अब तो मैं भी अपने दोनों हाथों से दबा-दबा कर उनके सफेद पपीतों का आखरी बूँद तक दूध पीना चाहता था लेकिन बुआ ने मेरा मुँह दूसरे स्तन में लगाते हुए कहा- चल अब थोड़ा सा छोटू के लिए भी छोड़ दे। बुआ भी मेरी बराबर में ही लेटी हुई थी.. और उसका पेटीकोट वापस घुटनों के ऊपर तक आ चुका था।बुआ ने बड़ी सफाई से मेरे कड़क हो चुके लण्ड को टटोलते हुए मुझसे पूछा- क्या इससे पहले कभी किसी माल के बोबों को चूसा है?तो मैंने कहा- हाँ.. बहुत बार..तो वो हैरत से बोली- कौन है वो?मैं हँस कर बोला- बुआ मेरी माँ के और किस के?
तो वो बोली- साले बदमाश.. इसके अलावा और कौन?मैं बोला- पिया तो नहीं.. लेकिन पीने की इच्छा ज़रूर रखता हूँ।
‘किसके?’उसके बहुत पूछने पर भी मैंने नाम नहीं बताया तो वह बोली- समझ गई जरूर तेरी बहन होगी।
मैं बोला- आप कैसे समझ गई?तो वह बोली- तू घर के अलावा और कहीं मुँह नहीं मार सकता.. क्योंकि यदि तुझमें हिम्मत होती.. तो तू मुझे देख कर यूँ ही नहीं सो जाता.. बल्कि अब तक तो मुझे ‘निपटा’ चुका होता।यह सुन कर मैं बोला- तो अभी कौन सी देर हुई है..ऐसा कह कर मैं बड़ी आहिस्ता से अपना एक हाथ बुआ के पेटीकोट में डाल कर उसके चूतड़ों को सहलाने लगा।
तब बुआ ने आँखें बंद कर लीं और गहरी साँसें लेने लगी।मैं अपनी उंगलियों को धीरे-धीरे बुआ की जाँघों के जोड़ों में घुसाते ही जा रहा था और फिर मैंने अपनी दो उंगलियों को बुआ की मांसल चूत.. जो कि रेशमी सुनहरी बालों से ढकी हुई थी.. उसमें घुसा दी।
तो बुआ अपने होंठों को दाँतों से भींचते हुए बोली- आह्ह.. अब देर मत कर.. डाल दे अपना.. मेरी चूत का भोसड़ा बना दे..
बुआ ने तेज़ी से अपनी पैन्टी उतार फेंकी और पेटीकोट उँचा करके दोनों टाँगों को चौड़ी करके अपनी चूत को फैला कर लण्ड घुसड़ने का कहने लगी।यह देख मैंने भी तुरंत अपना मोटा और लंबा लण्ड बुआ की चूत में पेल दिया। वैसे तो यह मेरे लिए पहला अनुभव था.. लेकिन बुआ ने बड़ी होशियारी से मुझे उत्साहित करके मेरा जोश कम नहीं होने दिया और हम दोनों ने एक लंबी अवधि तक चुदाई का खूब मज़ा लिया।बुआ ने मेरी बहन को भी फंसाने के कई तरीके समझाए.. ताकि बाद में भी मैं चूतों के मज़े ले सकूँ।इस तरह बुआ ही मेरी पहली सेक्स गुरू बनी..उसके बाद बुआ हमारे घर दो दिन और रुकी लेकिन इस बीच मैं बुआ को बस चूम-चाट ही सका.. इसके अलावा हमें मज़े मारने का कोई मौका नहीं मिला।लेकिन बुआ ने रात मे मेरी बहन को ना जाने क्या पट्टी पढ़ाई कि उस दिन के बाद से मेरी बहन का मेरी तरफ रुख़ ही बदल गया।
अब वह मेरे सामने और ज़्यादा खुले गले के कपड़े पहनने लगी, जिसमें से उसकी बड़ी-बड़ी छातियाँ देख कर मैं पागल होता रहता।कई बार वह टाइट स्कर्ट और टी-शर्ट पहनती.. जिससे उसके बदन का पूरा भूगोल दिखता.. लेकिन ऐसा कोई मौका ही नहीं मिल रहा था कि मैं अपना कोई दांव चला सकूँ। तभी मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने पापा का नोकिया-6230 मोबाइल दराज से निकाल लिया। पापा ऐसे भी उसे इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। इस फोन के अन्दर दो जीबी का मैमोरी कार्ड लगा था और इसकी वीडियो शूटिंग क्वालिटी वाकयी बड़ी ग़ज़ब की है।जब मेरी बहन बाथरूम में नहाने के लिए जाने लगी.. तो मैंने बड़ी सफाई से इस फोन को वीडियो मोड पर आन करके बाथरूम की छत पर लगे बिजली के सॉकेट के बॉक्स में छुपा कर लगा दिया। फोन में कोई सिम नहीं होने से उसकी घंटी बजने का भी कोई डर नहीं था।जब मेरी बहन नहा कर वापस बाहर आ गई.. तो मैं फोन ले आया और उसे चैक किया।उसमें मेरी बहन की नग्न फिल्म उतर चुकी थी, किस तरह वह अपने कपड़े खोल कर अपने मोटे-मोटे मम्मों को रगड़-रगड़ कर नहा रही थी।इसे देखने के बाद तो मैं और ज़्यादा बेचैन रहने लगा.. क्योंकि एक बार बुआ की चूत का जो स्वाद लग गया था।वहीं अब हस्तमैथुन से मन नहीं भरता था। इससे प्रेरित होकर मैंने अपनी मम्मी और बहन के कई नंगे वीडियो शूट किए और उनको अपने सिस्टम में हिडन फाइल्स बना कर सेव कर दिया। कुछ दिनों बाद एक दिन जब मम्मी-पापा दोनों किसी कार्यक्रम में गए थे और दो-तीन दिनों बाद लौटने वाले थे।घर पर मैं और मेरी बहन ही बचे थे। मैं भी कुछ प्लान करके मजा लेने की जुगाड़ में था कि किसी तरह से अपनी बहन की चूत के मज़े मार सकूँ।उन दिनों गर्मी बहुत तेज थी और आस-पास पानी गिरने के कारण उमस बहुत बढ़ गई थी। इस कारण मेरी बहन और मैं पसीने में नहा चुके थे। हवाओं की तेज़ गति के कारण लाइट भी बंद थी.. जिस कारण हमारी हालत खराब हो रही थी। मेरी बहन पीठ पर हुई घमोरियों के कारण परेशान थी… जिस कारण वह बार-बार पीठ खुजला रही थी। उस समय मैंने उससे कहा- तू नहा ले और कोई कॉटन का ढीला सा कपड़ा पहन ले। तो वह बोली- मैं दो बार नहा चुकी हूँ और कॉटन की टी-शर्ट ही पहने हूँ.. लेकिन तू कहता है तो चल तू अपना कोई पुराना कॉटन का शर्ट दे दे।मैंने उसे अपना एक पुराना महीन कॉटन का शर्ट दे दिया.. जिसमें से उसकी ब्लैक कलर की ब्रा साफ़ दिखाई पड़ रही थी और उसके मोटे-मोटे मम्मों के कारण भी शर्ट टाइट फिट हुआ था। जिसके कारण शर्ट के बटन खिंच से रहे थे.. और उस गैप में से उसका सफेद सीना और काली ब्रा साफ़ दिखाई पड़ रही थी। इसके बाद भी जब उसे आराम नहीं मिला.. तो मैंने उससे कहा- पीठ पर पाउडर लगा ले। लेकिन वह आलस के कारण उठना नहीं चाहती थी.. थोड़ी देर बाद मुझसे बोली- भैया ऐसा कर.. तू ही मेरी पीठ पर पाउडर लगा दे।तब मैं जानबूझ कर एक बार तो मना कर गया.. लेकिन उसके फिर से रिक्वेस्ट करने पर राज़ी हो गया।उस समय उसने मेरी शर्ट और घुटनों तक का स्कर्ट पहन रखा था.. जिसमें से उसकी सफेद चिकनी टाँगें दिखाई पड़ रही थीं। इस समय वह ज़मीन पर उल्टी पेट के बल लेटी हुई थी और मैं ठीक उसके पास के सोफे पर लेटा हुआ था। मैं पाउडर का डब्बा हाथ में लेकर बोला- ऐसे कैसे लगाऊँ.?तो उसने अपनी शर्ट को आधी पीठ तक ऊँचा उठा दिया और बोली- ले.. जल्दी से लगा दे..मैंने अपनी हथेलियों में ढेर सा पाउडर लिया और उसकी मांसल पीठ पर बड़े ही कामुक अंदाज़ मे हाथ फिराने लगा। लेकिन उसकी ब्रा की स्ट्रिप के कारण पाउडर लगाने में दिक्कत हो रही थी। तो उसने खुद ही हाथ पीछे कर उसे खोलने की कोशिश की.. लेकिन शर्ट टाइट होने के कारण उसे सफलता नहीं मिली।तभी मैं बोला- तुम शर्ट और उँचा करो मैं इसका हुक अभी खोल देता हूँ।तो उसने भी बिना किसी संकोच के ब्रा का हुक खुलवा लिया।
अब मैं बड़ी मस्ती के साथ अपने हाथों से उसकी मांसल पीठ पर हाथ फेर रहा था। अब थोड़ा और ऊपर हाथ बढ़ने पर शर्ट के सीने पर टाइट होने के कारण हाथ नहीं बढ़ पा रहा था।तभी मेरी बहन बोली- रूको भैया..उसने अपनी शर्ट के ऊपर से तीन बटन खोल दिए.. यह सब देख मैं दंग सा रह गया। इसी के साथ अब मैं और जोश से भर चुका था.. इसलिए अब मैंने अपनी हथेलियों को पीठ के साथ.. बाँहों के जोड़ों तक घुमाया.. जिससे मुझे उसके मोटे-मोटे मम्मों की नर्माहट का अहसास हुआ और मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया। उधर शायद मेरी बहन भी मूड में आ गई थी.. इसी कारण उसने पैरों में हरकत की.. जिस कारण उसका स्कर्ट उसकी सफेद केले के तने के समान चिकनी जाँघों तक चढ़ गया।मेरे हाथों की हरकत जैसे-जैसे बढ़ रही थीं.. उसकी कसमसाहट भी बढ़ती जा रही थी। अचानक वह उठी और अपने कपड़ों को ठीक करके काम में बिज़ी हो गई। पहले तो मुझे लगा कि शायद वह नाराज़ हो गई है.. लेकिन मैंने ऐसी कोई हरकत भी नहीं की थी कि उसे कोई आपत्ति हुई हो। शाम होते ही जोरों की बारिश होने लगी.. तो वह भी मेरे साथ ही बाल्कनी में खड़े हो कर पहली बारिश का आनन्द उठाने लगी तभी मैंने कहा- तुम बारिश के पहले पानी में नहा लो.. बदन की सभी घमोरियाँ मिट जाएंगी..तो वह बोली- हाँ भैया.. यह ठीक रहेगा..उसने मेरा हाथ पकड़कर छत पर दौड़ लगा दी। मेरी बहन ने अभी भी मेरा दिया हुआ सफ़ेद सूती पतला शर्ट पहन रखा था और अब तो उसने उसके अन्दर उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी। भीगने से उसके मोटे-मोटे पपीते के समान स्तन सफ़ेद शर्ट में से क़यामत ढा रहे थे। उसकी काले निपल्स भी साफ दिखाई दे रहे थे।हमारे घर के आसपास कोई बड़ी बिल्डिंग भी नहीं है.. केवल हमारा मकान ही दो मंज़िल उँचा है.. इस कारण छत पर हमें कोई देखने वाला भी नहीं था। मैंने बहन से कहा- पहली बारिश में अपनी पीठ पर सीधे पानी लगने दो.. जल्दी आराम मिलेगा। तो वह एक पल रुकी और मेरी और देखकर बोली- मैं ज़मीन पर लेट जाती हूँ.. तू मेरी पीठ को रगड़ दे। ऐसा कह उसने अपनी शर्ट के बटनों को खोला और ज़मीन पर कोहनियों के बल उल्टी लेट गई।
मैंने तत्काल उसकी शर्ट को उँचा किया और उसकी पीठ को रगड़ना शुरू कर दिया। आगे से शर्ट के बटन खुले होने के कारण मुझे कोई परेशानी नहीं थी और जब मैंने शर्ट को पूरा सिर के बालों तक उँचा उठा दिया.. तो मुझे मेरी बहन के लटकते हुए मोटे ताजे स्तन साफ़ दिखाई पड़ रहे थे।अभी मैं उन्हें छूने की हिम्मत जुटाता.. उसके पहले ही मेरी बहन ने करवट बदल दी। मतलब अचानक वह मेरी और मुँह करके ज़मीन पर चित्त लेट गई। अब मेरी ओर उसका खुला सीना था.. जहाँ दो बड़े-बड़े स्तन नोकदार चूचुकों के साथ तने खड़े थे। उन्हें देख मेरी आँखें फटी की फटी ही रह गईं.. तो मेरी बहन ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने दोनों मम्मों के ऊपर रख दिया। मैंने भी अब हिम्मत कर उन्हें ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया। तभी मेरी बहन ने अपनी गर्दन ऊपर उठाई और मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। उसके पैर भी हरकत में थे.. जिस कारण उसका स्कर्ट उसकी जाँघों तक चढ़ गया था।मैंने जैसे ही अपना एक हाथ उसकी स्कर्ट में डाला और उसकी जाँघों के जोड़ों पर रखा.. मेरी उंगलियां सीधी उसकी मोटी फूली हुए रेशमी बालों से दबी हुए चूत में जा घुसीं। स्कर्ट के अन्दर उसने पैन्टी भी नहीं पहनी थी। उसने अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरा लंड टटोला और उसकी मोटाई का अंदाज़ लगा कर डरते हुए बोली- भैया जल्दी से इसे मेरी चूत में पेल दो। मैंने बनने की कोशिश की.. मानो मैं कुछ समझा ही नहीं.. तो वो बोली- बनो मत.. मुझे सब मालूम है.. कि कैसे तुमने बुआ के साथ मज़े मारे हैं.. जल्दी से मेरी भी आग शांत कर दो।बस फिर क्या था.. मैंने उसे वहीं बरसते पानी में दो बार ठंडा किया।इसके बाद तो मेरी बहन बस मानो मौका ही देखती रहती थी। जब भी हमें एकांत मिलता.. मेरी बहन दिल खोल कर मुझसे चिपक जाती.. चाहे घर के अन्य सदस्य घर में ही हों। अब तो वह मेरे सामने ही कपड़े बदलती और कई बार टाँगें ऐसी फैला कर बैठती.. कि उसकी चूत की फांकें साफ़ दिखाई पड़तीं। कुछ ही महीनों में उसका सिलेक्शन एमबीए की पढ़ाई के लिए कॉलेज में हो गया और वह आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई चली गई। अब तो मेरी हालत और खराब रहने लगी। बिना चूत के मेरा मन किसी काम में नहीं लगता था। घर में अब मैं और मम्मी ही रहते थे.. क्योंकि पापा भी अपने जॉब के कारण टूर पर ज़्यादा ही रहते थे। पिछले एक महीने में वो बस दो या तीन दिन ही घर पर रुके होंगे। मेरी निगाहें लगातार मम्मी का पीछा करती रहती थीं कि कब मैं मम्मी को बिना कपड़ों के देख सकूँ। वैसे तो मम्मी कई बार मेरे सामने ही पीठ करके कपड़े बदल लेती थीं.. या घर के कामों के दौरान उनके ब्लाउज के गले में से उनके उभारों का दीदार हो जाता था। पर यह सब नाकाफ़ी था.. बल्कि उल्टा इससे तो मेरी आग और भड़क उठती थी। घर के सभी कामों के साथ-साथ मुझे मम्मी के साथ बाज़ार भी जाना पड़ता था।
ऐसे ही एक दिन जब मैं और मम्मी बाज़ार में खरीददारी कर रहे थे.. तो मम्मी की एक सहेली मिल गई और हम तीनों उस बड़े से मॉल में साथ-साथ घूमने लगे। तभी मम्मी की सहेली एक लेडीज काउन्टर पर रुकी.. और वहाँ बड़े ही खुले तौर से अंडरगार्मेंट्स देखने लगी।वह मम्मी को भी बोली- तू भी यह इंपोर्टेड ब्रांड यूज किया कर, बड़ा मजा मिलता है।
तब मम्मी बड़ी ही मायूसी से धीरे से बोली- पहन तो लूँ.. लेकिन देखने वाला कौन है.. इसके पापा तो महीने में एक दो बार घर आ जाएं.. वही बहुत है।तो आंटी एक आँख मार कर बोली- पगली है क्या.. जो इतनी भरी जवानी में इतने हुस्न वाले बदन की होकर फालतू बात करती है.. अरे क्या तेरा पति घर से बाहर साधु का जीवन जी रहा होगा.. अरे वह तो हर रात रंगीन कर रहा होगा और एक तू है कि यहाँ अपनी जवानी को जंग लगा रही है।आंटी मेरी और इशारा करते हुए बोली- अरे मेरा ऐसा गबरू जवान बेटा हो.. तो मुझे यू बाहर मुँह ही नहीं मारना पड़े..तब मम्मी ने उसे डांटकर चुप करवाया और मेरी ओर देखने लगीं।
लेकिन मैंने तेज़ी से अपनी गर्दन घुमा ली.. मानो मैंने कुछ सुना ही ना हो.. उसके बाद तो आंटी ने दो-तीन ब्रा को ट्रायल रूम में जाकर ट्राइ किया और मम्मी को अन्दर बुला कर दिखाती रही।दरवाज़ा खुलने के दौरान एक बार तो मैंने भी आंटी के हुस्न का नज़ारा कर लिया। आंटी ने ज़िद की तो मम्मी ने भी खुद के लिए दो-तीन पेयर अंडरगार्मेंट्स बिना ट्रायल के पसंद कर लिए। तब आंटी मेरी भी पसंद पूछने लगीं.. तो मम्मी ने उनका हाथ दबा दिया।मुझे भी वहाँ पर एक पेयर पसंद आया.. लेकिन मम्मी ने उसे साइज़ में बराबर होने पर भी बड़े कट का होने के कारण नहीं खरीदा। लेकिन बाद मैं मैंने उसे मम्मी की नज़रों से बच कर खरीद लिया और बाकी के सामान में छुपा दिया।वहीं पास के जेंट्सस काउन्टर को देख कर मम्मी बोलीं- तुझे भी कुछ चाहिए.. तो खरीद ले..।फिर मेरे द्वारा लॉन्ग अंडरवियर पसंद करने पर आंटी ने उसे हाथ में लेकर पटक दिया और बड़ी ही सेक्सी मुस्कान दे कर बोलीं- तेरे को यह कट साइज़ वी-शेप जॉकी सूट करेगा। मैंने पहली बार इस तरह का अंडरवियर देखा था.. लेकिन आंटी के दबाव डालने पर मम्मी ने भी लेने की हामी भर दी।खैर.. घर आते समय मम्मी के दोनों मांसल बोबे.. बार-बार मेरी पीठ को छू रहे थे। इस कारण मैं जानबूझ कर ज़ोर-ज़ोर से बाइक के ब्रेक मार रहा था।घर आने पर आंटी का फोन आया- मम्मी को कह देना कि जल्दी से अंडरगार्मेंट्स ट्रायल कर लें.. क्योंकि यदि साइज़ का लोचा रहा.. तो एक दिन के बाद रिप्लेस नहीं होंगे।
तब मैंने मम्मी को वैसा ही बोल दिया.. तो मम्मी बोलीं- ठीक है.. पहन कर देख लूँगी। रात मे सोने के पहले मम्मी नहाने गई थीं और मैं हाँल में बैठा टीवी देख रहा था। तभी मम्मी ने बेडरूम से गर्दन निकाल कर आवाज दी- यह तो चेंज करना पड़ेगी.. बहुत ही टाइट है।तो मैं वहीं से बोला- इस्तेमाल करने पर कुछ तो लूज हो ही जाएगी..तब मम्मी ने भी मेरी बात पर हामी भर दी.. कुछ मिनटों के बाद मम्मी फिर बोलीं- अरे बेटा ज़रा तू मदद कर दे.. तो शायद यह हुक लग जाए।जब मैं उठकर अन्दर बेडरूम में गया तो मम्मी को केवल कमर तक तौलिया में लिपटा पाया। जो कि एक छोटे साइज़ का तौलिया था और वह केवल मम्मी की जाँघों तक ही आ रहा था। उस तौलिया का केवल एक राऊँड ही मम्मी की कमर पर लिपटा था। मम्मी मेरी ओर पीठ करके ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थीं.. जिसके काँच में मुझे मम्मी का फ्रंट साइड दिखाई पड़ रहा था.. लेकिन मम्मी ने अपना एक हाथ दोनों मम्मों के ऊपर रखा हुआ था जिस कारण मुझे कुछ खास दिखाई नहीं पड़ रहा था। मम्मी की सफेद मांसल पीठ को देख मेरा लण्ड फिर से तन्ना गया और मैं अपने उत्तेजित लौड़े को दबाने लगा।तब मम्मी ने एक हाथ से अपनी नई ब्रा को अपनी बाँहों में पहना और मुझे बोलीं- तू पीछे से हुक लगा दे।मैंने ब्रा के दोनों हुक पकड़े और उन्हें खींच कर लगाने की कोशिश की.. लेकिन वह नहीं लगे। तब मम्मी बोली- देख.. नहीं लगे.. लगता ही लौटानी ही पड़ेगी।तब मैंने सामने काँच में देखा कि मम्मी के दोनों उरोज तो बाहर ही लटक रहे हैं.. बिना उन्हें अन्दर करे.. ब्रा बॉडी में फिट नहीं बैठ सकती थी।तो मैंने मम्मी को बोला- आप ही सही से नहीं पहन रही हो। तो मम्मी ने फिर से कोशिश की.. लेकिन फिर भी अपने बाहर लटकते हुए उरोजों को ब्रा के कप में नहीं डाला। मेरे अंदाज़ से मम्मी शायद जानबूझ कर ऐसा कर रही थीं.. क्योंकि जो औरत बरसों से ब्रा पहन रही हो.. वो यह ग़लती कर ही नहीं सकती।तब मम्मी बोलीं- अच्छा तू ही सही तरीके से पहना दे..मैं तुरंत मम्मी के आगे आया और मैंने उनके दोनों मक्खन के समान बड़े-बड़े उरोजों को हाथों में पकड़ कर काली नुकीली निपल्स को दबाते हुए ब्रा के कप में डाल दिया और फिर आगे से ही पीछे हाथ करके मम्मी की ब्रा के हुक लगा दिए।इस कारण मम्मी मेरे सीने से चिपक सी गई थीं। मम्मी के बड़े-बड़े बोबे मेरे बदन से छू गए.. जिससे मेरा लण्ड तो पहले से ही तना हुआ था.. उनके बदन से छूने से शायद मम्मी मेरे लौड़े का तनाव जान गईं और मेरी कमर के नीचे चोर निगाहों से देखने लगीं। मैंने कहा- अब बताओ.. सही फिटिंग तो है..
तो मम्मी बोलीं- हाँ.. बिल्कुल सही है.. इन ब्रांडेड आइटम की तो बात ही कुछ और है..फिर मैंने कहा- आप पैन्टी भी ट्राई कर लीजिए..तो मम्मी बोलीं- हाँ.. यह ठीक रहेगा..फिर मम्मी ने मेरे सामने ही बैग में से नई पैन्टी निकाली और झुक कर पैरों में डाल ली और उसे जाँघों पर चढ़ाने लगीं.. और जब वह मम्मी के मोटे चूतड़ों तक पहुँच गई.. तो मम्मी ने तौलिया उतार फेंका..। अभी पैन्टी पूरी तरह नहीं पहन पाने के कारण मम्मी के मांसल चूतड़ों की दरार भी साफ दिखाई पड़ रही थी। तब मम्मी ने पैन्टी में उंगली डाल कर सही तरीके से पहन ली और मेरी ओर मुँह करके बोलीं- बता.. मैं कैसी दिख रही हूँ? तो मैं बोला- बहुत बढ़िया.. इसी तरह मम्मी ने बाकी की दोनों ब्रा पैन्टी भी मेरे सामने ही ट्रायल कीं.. जिस कारण मैं मम्मी को काफ़ी देर तक अपने सामने अधनंगी देख चुका था और मम्मी के बदन को छू भी चुका था।लेकिन मेरे बदन की आग बढ़ती ही जा रही थी.. तभी मम्मी बोलीं- तू भी अपना अंडरवियर ट्राई कर ले..मैं तो इसी का इन्तज़ार कर रहा था.. मैंने तुरंत ही अपने कपड़े खोले और कमर पर वहीं मम्मी वाला तौलिया बांध कर अंडरवियर पहन लिया। तौलिया हटते ही मैं भी अपने लण्ड के उठाव को देख कर चौंक गया.. क्योंकि इस कट साइज़ जॉकी में मेरे लंड का तनाव साफ़ दिखाई पड़ रहा था। मम्मी की निगाहें भी मेरे लंड पर से हट ही नहीं रही थीं.. जिस कारण मुझे शर्म सी महसूस होने लगी।तभी अचानक मम्मी को बैग में से वह दूसरा ब्रा पैन्टी का सैट दिखाई पड़ गया और मम्मी ने उसे बाहर निकालते हुए हँसकर पूछा- यह किस के लिए लाया है रे शैतान?तो मैंने धीरे से कहा- तुम्हारे लिए.. और कौन है जिसके लिए यह मैं लाता.. मुझे यह रंग बहुत पसंद आया था।तब मम्मी भी बोलीं- हाँ.. रंग तो मुझे भी बहुत पसंद था.. लेकिन इसके कट बहुत ज़्यादा हैं।तो मैंने कहा- चलो इसका भी ट्रायल करते हैं।मेरे बोलते ही मम्मी ने अपनी पहनी हुई ब्रा उतार फेंकी और अपने बड़े-बड़े मांसल कबूतरों को उस नई ब्रा में कैद करने की कोशिश करने लगीं। इस ब्रा का कप तो नाम मात्र का था। मम्मी के मोटे-मोटे स्तन उसमें समा ही नहीं रहे थे और मम्मी की नुकीली काली चूचियाँ बार-बार बाहर को आ रही थीं।
मैंने कहा- इन्हें बाहर ही रहने दो.. अब पैन्टी ट्राई करो।इतो मम्मी पर्दे की आड़ लेकर के नई पैन्टी को पहन कर मेरे सामने आ गईं।इस पैन्टी को देख कर मैं पागल हो गया.. क्योंकि इसमें से मम्मी के मांसल चूतड़ पूरी तरह से बाहर आ रहे थे और पैन्टी के पीछे का हिस्सा मम्मी की मोटी गाण्ड में धंस चुका था। जब मम्मी आगे को पलटीं.. तो मेरे ऊपर तो मानो क़यामत ही बरस पड़ी। पैन्टी का सामने का हिस्सा भी मम्मी की मोटी फैली हुई चूत की फांकों में फंस चुका था और मम्मी की चूत के दोनों होंठ बाहर आ रहे थे। साइड से भूरे रंग के बालों के बीच अपनी जन्मस्थली देख कर मैं भी चौंक पड़ा.. लेकिन मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपने चूतड़ों को बिस्तर पर टिका कर अपनी दोनों जाँघें चौड़ी कर दीं और मुझे पास बुलाकर बड़े ही कामुक अंदाज में बोलीं- अब बता.. यह कैसी है? मैंने कहा- मम्मी यह चटख रंग आप पर बहुत खुल रहा है.. और मैं तो कहूँगा कि आप घर में ऐसे ही रंग के इसी प्रकार के कपड़े पहना करो। आपको ब्लड प्रेशर की बीमारी के कारण कैसी भी गर्मी सहन नहीं करना चाहिए। इन कपड़ों में तो आराम रहता ही होगा।तब मम्मी बोलीं- हाँ.. मैं भी यही चाहती हूँ कि मैं कुछ खुले कपड़े पहनूँ.. और यदि तुझे कोई परेशानी ना हो तो मैं आज से ही ऐसे ही रहूँगी।‘अँधा क्या चाहता.. दो आँखें..’लेकिन मैं कुछ नहीं बोला.. तभी मम्मी बोलीं- यह पैन्टी कुछ अन्दर की ओर घुस सी रही है.. तू ज़रा देख तो क्या परेशानी है?मैंने तुरंत ही अपनी उंगलियों से मम्मी की चूत की फांकों में से पैन्टी को बाहर किया और मम्मी की चूत के बालों को पैन्टी के अन्दर डालने की कोशिश की।तभी मम्मी अपनी चूत को फैलाए ही बिस्तर पर पसर गईं और अपने मम्मों को हाथों से सहलाने लगीं।मैं तुरंत ही मम्मी के सीने से सट कर लेट गया और मम्मी के निप्पलों को पकड़ कर सहलाने लगा।तभी मम्मी ने मेरे लंड को टटोला और उसे दबाने लगीं.. मैंने भी बिना देर किए.. मम्मी के उरोजों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में मम्मी ज़ोर-ज़ोर से सिसयाने लगीं- चोद दे मुझे.. अपनी माँ की चूत चोद दे.. मादरचोद बन जा.. फाड़ डाल मेरी चूत.. इसका भोसड़ा बना दे..यह सब सुन कर मैं और जोश में आ गया और मैंने अपना लपलपाता हुआ लंड मम्मी की चूत में पेल दिया।इसके बाद तो जो यह सिलसिला चला.. उसने कभी रुकने का नाम भी नहीं लिया। बाद में जब हमारे सभी राज एक-दूसरे को मालूम चल गए तो मम्मी के साथ मेरी बहन और बुआ भी इस हसीन खेल में शामिल होने लगीं और मैं इन सभी की कामाग्नि बारी-बारी से शांत करने लगा।
यह थी मेरे परिवार की कहानी.. आपको कैसी लगी..