लेखक: मस्तराम
फ्रेंड्स आपने मेरे द्वारा पोस्ट की गई कहानियो को काफ़ी सराहा है इसके लिए मैं आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ और अब आपके लिए एक और नई कहानी लेकर पेश हुआ हूँ दोस्तो जैसे कि आप जानते हैं कि मैं कोई लेखक नही हूँ ये कहानी आकाश ने लिखी है और मुझे जो कहानी अच्छी लगती है उसे आपके साथ शेअर कर लेता हूँ लेकिन इसका मतलब ये नही है कि मैं मेहनत नही करता अरे भाई कॉपी पेस्ट या हिन्दी मे कॅन्वेर्ट करने मे भी मेहनत लगती है हा हा हा हा हा हा हा हा शुउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ हँसो मत यार अब मैं सीरियस हो जाता हूँ और कहानी की तरफ आता हूँ ………………………..दोस्तो…………….
माँ का आँचल कितने थोड़े से कपड़ों का है..पर कितना बड़ा सहारा देता है अपने बच्चो को…कभी .उसके अंदर की गर्मी..कभी .उसके अंदर की शीतलता तो कभी उसके अंदर की शांति ..क्या कहीं और मिल सकती है..?? कितना पवित्र , कितना निर्मल और स्वच्छ …
पर वक़्त भी क्या क्या खेल खेलता है इंसानों के साथ ..यही पवित्र आँचल कभी कभी कितना मैला हो जाता है … उसकी शीतल छाया भी शीतलता दे नहीं पाती..उसकी जगह ले लेती है दुर्गंध भरी वासना,,हवस और धन लोलुप्ता …
शशांक के जीवन में भी कुछ ऐसा ही हुआ …
अचानक एक पल में ही उसका हंसता खेलता परिवार ताश के पत्त्तो की तरह ढह गया … ऐसी आँधी आई सब कुछ आँधी की तेज़ झोंको में उड़ गया …
रह गया सिर्फ़ उसकी माँ का आँचल और उसकी बहेन की लाज़…
शशांक खुद 20 साल का जवान पर जीवन की लड़ाई में एक अबोध बच्चा …. माँ के आँचल को क्या मैला होने से बचा सका ..क्या अपनी बहेन की लाज़ की रक्षा कर सका …????
दोस्तो इन सभी सवालों का जबाब धीरे धीरे मिलता रहेगा आने वाले अपडेट्स मे रात के करीब 10 बज चुके हैं….शिव-शांति के घर की लाइट्स बूझ चूकि हैं ….और सब अपने अपने कमरों में अपने में ही मस्त हैं शिवानी नाइटी पहेने बेड पर लेटी है….आँखें बंद हैं ..पर उसकी कल्पना की दुनिया अभी भी पूरी तरेह खूली है… उसके ख़यालों में है शशांक ..उसका अपना चहेता , प्यारा और हँसमुख भाई … उसके बारे सोचते सोचते ना जाने कब उसके दायें हाथ की उंगलियाँ नाइटी के अंदर से उसकी एक दम टाइट चूत के उपर पहुँच जाती है …अपनी हथेली से उसे हल्के हल्के दबाती है … दो तीन बार …बाया हाथ सीने के अंदर घूसेड कर अपनी टेन्निस बॉल के साइज़ की चूचियों को भी हल्के हल्के दबाती जाती है …”भैया ..ऊवू मेरे प्यारे भैया …आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कब वो दिन आएगा ..तुम मुझे अपनी बाहों में भर लोगे….उफफफ्फ़ भाइय्या …” भैया की रट लगाते ही उसकी उंगलियाँ चूत पर तेज़ी से फिसलना चालू हो जाती हैं…उसकी टाँगें फैल जाती हैं ..चूत की फांके भी खूल जाती हैं …और उंगलियाँ उस संकरे दरार के अंदर ही अंदर चूत के होंठों के बीच घीसती जाती है …चूचियों का मसलना भी तेज़ हो जाता है… उसकी साँसें भी जोरों से चलती हैं …”अया ..उउउहह भैया ..भैया …..” और फिर उसकी चूतड़ उछलती है …चूत से पानी की धार फूट पड़ती है ….थोड़ी देर तक आँखें बंद किए लेटी रहती है ….टाँगे फैली ..दोनों हाथ भी फैले ….उसे अपने अंदर से पानी चूत से बाहर निकलता हुआ महसूस होता है ..एक अजीब हलकापन उसे महसूस होता है …..और इसी हालत में आँखें बंद किए नींद के झोंकों में खो जाती है … शशांक भी अपने कमरे में लेटा हुआ सोच रहा है … उसके जहेन में शांति छायि है..उसकी माँ का चेहरा बार बार आता है…”माँ तुम इतनी सुंदर हो …उफफफफ्फ़ पागल हो जाऊँगा …माँ …क्या वो दिन कभी आएगा जब तुम मेरी बाहों में होगी …तुम्हारे आँचल की ठंडक मेरे बदन की गर्मी शांत करेगी…. माँ ..माँ ….मैं मर जाऊँगा माँ ….” और वो महसूस करता है उसके बॉक्सर के अंदर एक तंबू बना है… उसका 8 ” पूरे का पूरा कड़क था …शशांक करवट लेता है ..अपनी जांघों के बीच तकिया रख अपने कड़क लौडे से पिल्लो को जोरों से दबाता है …तकिये के अंदर उसका लॉडा धँस जाता है … काफ़ी देर तक इसी पोज़िशन में लौडे को रखता है …फिर बॉक्सर के सामने के बटन खोल अपने हाथों से अपने लंड की चमड़ी तेज़ी से उपर नीचे करता है … लंड और भी कड़क हो जाता है ..और फिर एक तेज़ पिचकारी छोड़ता हुआ झटके देता हुआ , कमर और चूतड़ उछालता हुआ झाड़ता जाता है ..
शशांक हांफता हुआ पड़ा रहता है ….आँखें बंद है … और कुछ देर बाद वो नींद की आगोश में खो जाता है….
शिव और शांति अपने कमरे में लेटे हैं अगल बगल …शांति शिव के दाहिने हाथ पर सर रखे लेटी है …और शिव का बाया हाथ शाँति के कोमल बदन को सहला रहा है ….शांति आँखें बंद किए इस स्वर्गिक सूख का आनंद ले रही है …शिव शांति को अपनी तरफ खींचता है ..दोनों आमने सामने हैं ..दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा रही हैं …शिव उसके होंठों को चूमता है , अपनी एक टाँग उसकी टाँग के उपर रख ता है …
” शांति ….” अपना सारा प्यार अपनी ज़ुबान में भर उस से बोलता है
” ह्म्म्म..जानू…. क्या…? ” शांति उसके सीने पर अपना हाथ फिराते हुए पूछती है ..
” शांति .. ” और ज़्यादा प्यार , और ज़्यादा मीठास है इस बार उसकी ज़ुबान में …
” अरे बाबा कुछ बोलॉगे भी यह फिर मेरा नाम ही लेते रहोगे सारी रात ? ” शांति हंसते हुए बोलती है
अब शिव अपना हाथ उसकी जांघों के बीच की दरार में रखता हुआ , उसकी चूत सहलाता है ..शांति कांप उठती है ..एक सीहरन सी होती है उसे
” शांति ..आज जो भी हूँ मैं सिर्फ़ तुम्हारी बदौलत ..तुम ना आती मेरी जिंदगी में ..मैं जाने क्या करता ..??” और यह कहते हुए उसे अपनी बाहों में जाकड़ लेता है और उसके होंठों को चूस्ता है …
” उफ्फ तुम भी ना …” शांति अपने होंठों को उस से अलग करती है और हान्फते हुए कहना जारी रखती है
” क्या करते .? अरे मेरी जगेह कोई दूसरी होती …उस से भी ऐसी ही मीठी बातें करते ..”
” नहीं शांति ..तुम जानती हो अच्छी तरेह कोई और तुम्हारी तरेह नहीं होती ..तुम लाखों में एक हो …मैं खुश किस्मत हूँ तुम्हारे जैसी बीवी मुझे मिली ..” और वो उसकी चूत जोरों से दबा देता है …
” हाई ..क्या कर रहे हो जानू … ” और वो शिव से और भी करीब चिपक जाती है
” मैं भी तो कितनी खुशकिस्मत हूँ शिव ….तुम ने मुझे समझा और इतना प्यार दिया …मुझे भी तो कोई और थोड़ी ना मिलता ..इतना प्यार करनेवाला ….” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
“ह्म्म्म ..मैं तुम्हें क्या इतना प्यार करता हूँ . .??” ” ऑफ कोर्स जानू ..देखो ना यह तुम्हारा तंबू इस बात की गवाही दे रहा है … ” शांति उसके लंड को अपने हाथ से सहलाते हुए कहती है ….उसका 7″ लंड बिल्कुल कड़क था उसके पाजामे के अंदर …मानो फुंफ़कार रहा हो बिल के अंदर जाने को…
दोनों एक दूसरे को देखते हैं … एक टक … और दोनों के हाथ चलते रहते हैं …शिव शांति की चूत पर लगा है ..और शांति उसके लंड पर … बातें बंद है ..सिर्फ़ सिसकारियाँ और साँसें चल रही हैं …
इस दौरान दोनों के कपड़े कब बेड के नीचे आ जाते हैं ..किसी को पता नहीं ..दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से चीपके हैं ..एक दूसरे में समा जाने को बेताब ..
शांति की चूत गीली है … शिव अपनी उंगलियाँ शांति की गीली चूत से बाहर निकालता है और चाट लेता है …उसे देख शांति और भी मस्त हो जाती है …और चूत और भी गीली हो जाती है . वो भी उसके लंड को अपने मुँह में भर उसके सुपाडे को जोरों से चूस्ति है …..शिव तड़प उठता है..मानो उसका पूरा रस शांति के मुँह में जानेवाला हो ..
वो उठ बैठता है … शांति उसकी तरेफ देखती है …शिव आँखों से इशारा करता है
शांति समझ जाती है उसे क्या करना है ..दोनों की अंडरस्टॅंडिंग इतनी अच्छी थी ..बोलने की ज़रूरत नहीं होती ..बस सिर्फ़ स्पर्श और आँखों की ज़ुबान चलती ..
शांति बेड से नीचे आ जाती है …शिव उसे पीछे से जाकड़ लेता है ..उसका लंड उसके चूतड़ो के बीच धंसा है …और दोनों हाथ से चूचियाँ मसल रहा होता है ..दोनों इसी पोज़िशन में आगे बढ़ते हैं और बेड से थोड़ी दूर जा कर रुक जाते हैं ..वहाँ एक स्टूल रखा है….शांति अपना एक पैर उस स्टूल पर रखती है … उसकी चूत पूरी तरेह खूल जाती है …थोड़ी सी आगे की ओर झूकती है …चूत ख़ूलने में जो थोड़ी कसर थी ..अब वो भी नहीं है …शिव का लंड उसके चूतड़ो के बीच से फिसलता हुआ उसकी चूत की फाँक पर आ जाता है …
शिव अपने लंड को हाथों से थामता है … और बुरी तरेह शांति की चूत की फांकों के बीच घिसता हुआ चूत के अंदर डाल देता है ..शांति आह भर लेती है ..मस्ती की किल्कारी लेती है ..उसका पूरा बदन कांप उठता है
शिव थोड़ा झूकता है ..उसकी कमर के गिर्द अपने हाथ रख उसे थामता हुआ जोरदार धक्का लगाता है ..पूरा लंड अंदर घुसाता है ..शांति इस प्रहार से अकड़ जाती है ..सारा शरीर झन्झना उठता है ..उसका बदन थरथरा उठता है …
अब शिव लगातार धक्के लगाए जा रहा है..शांति सिसकारियाँ ले रही है…”उफफफ्फ़ ..जानू ..अया ….तुम भी ना …उउउः और ज़ोर से ..हां मेरी जान …आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुम्हारे जैसा लंड भी तो मुझे नहीं मिलता …उफफफफफफफफफफफ्फ़ ..मैं मर गाईए …..आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह “शिव उसकी सिसकारियों से और भी मस्ती में आ जाता है .. झूकते हुए हाथ नीचे कर उसकी चूहियाँ भी दबाने लगा …निचोड़ने लगा … शांति ने अपना चेहरा थोड़ा पीछे और उपर कर लिया ..शिव ने उसके होंठों को भी अपने होंठों से जाकड़ लिया …. हाथ कभी चूचियाँ मसलता तो कभी कमर जाकड़ लेता ..धक्के का ज़ोर बढ़ाता जाता ..थप..थप की आवाज़ों से कमरा गूँज़ रहा था ….जांघे और चूतड़ टकरा रहे थे …और चूत और लंड में घनघोर मिलाप हो रहा था ….एक एक अंग उनका इस चुदाई में शामिल था …
” आआह शांति …शांति मेरी रानी ..मेरी जान ..आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कितना मज़ा है तेरे अंदर ..उफफफफफ्फ़ “
“हां मेरे राजा ..सब तुम्हारा ही तो है ..ले लो ना ..सब कुछ ले लो ..मैं तो निहाल हो गयी …आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..उउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..हाआँ मेरे राजा ..हां ..बस और ज़ोर …..आआआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..”
शिव समझ गया शांति अब झड़नेवाली है ..उसका भी झड़ना अब करीब ही था .. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
उस ने अपना लंड अंदर डाले रखा और सीधा खड़ा हो गया …शांति को भी सीधा कर एक दूसरे से चिपके बेड पर ले आया ….अब शांति को लिटा कर उसके उपर आ गया ..शांति ने अपनी टाँगें फैला दीं …शिव ने अपना गीला लंड उसकी चूत में घूसेड दिया और उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए फिर से धक्के लगाना शूरू कर दिया ..हर धक्के में शांति उछल पड़ती .. और अब शिव ने अपने लंड को जड़ तक उसकी चूत में डालते हुए उसे बूरी तरेह अपने से चिपका लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा …बस पागलों की तरेह चूमता जाता ..शांति भी अपनी बाहें उसकी गले के गिर्द डाल कर और भी चिपक गयी ..उसका लंड अंदर झटके खा रहा था …शिव उसकी चूत में ही झाड़ रहा था ..शांति भी चूतड़ उछाल रही थी ..पानी लगातार निकल रहा था उसकी चूत से ….दोनों एक दूसरे से चिपके थे ..दोनों के शरीर और शरीर के रस एक दूसरे में समाए जा रहे थे ….
फिर शांति के सीने में शिव शांत हो कर अपना सर रख हांफता हुआ पड़ गया ….
शांति अपने हाथ उसके सर के पीछे रखते हुए उसके बालों को सहलाने लगी
” देखा ना ….कोई दूसरा कभी मुझे इतना प्यार देता ….??” शांति ने शिव की आँखों में झाँकते हुए कहा ….
शिव ने कुछ कहने की बजाय उसके होंठों को चूम लिया …उसके सीने पर उसकी मुलायम चूचियों को महसूस करते हुए आँखें बंद किए मुस्कुराता हुआ पड़ा रहा ..
दोनों एक दूसरे की बाहों में पड़े पड़े कब नींद की गोद में चले गये ..पता नहीं ….शिव-शांति के घर सुबह की पहली सुनेहरी किरणों के साथ एक सुनहरे दिन की शूरूआत होती है…
शिव अकेला बिस्तर पर पड़ा है…शांति के नशीले होंठों और मदमस्त चूत के रस के खुमार अभी भी है ….उसकी आँखें बंद है पर होंठों पर हल्की मुस्कुराहट …. और तभी शांति चाइ का ट्रे लिए उसके बगल बैठ ती है ….उसके होंठों पर अपने ताज़े ब्रश किए टूथ पेस्ट की तरोताज़ा सुगंध लिए होंठ रख देती है ….यह जानी पहचानी सुगंध शिव को आँखें खोलने का संकेत था … उस ने आँखें खोली ..और शांति को अपनी बाहों मे ले लिया ….शाँति भी थोड़ी देर उसके सीने से लगी रही … फिर सीने पर प्यार से मुक्के लगाती हुई उठ गयी … दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
” उफफफफफफ्फ़..अब बस भी करो ना शिव… चलो उठो चाय पी लो ..मुझे बच्चों को भी चाइ देनी है … बीचारे मेरा वेट करते होंगे ..” और उसने ट्रे में रखी केटली से शिव के कप में चाइ भर दी और उसकी ओर बढ़ाया …
शिव अभी भी अपने होंठों पर शांति के होंठों का स्वाद अपनी जीभ फिराते हुए ले रहा था
” शांति … तुम्हारा यह टूथ पेस्ट बड़ा ही टेस्टी है यार …पहले वाला इतना टेस्टी नहीं था ….बस एक बार और ..प्लीज़ ..”
इतना कहते हुए शिव ने अपने एक हाथ से चाइ का प्याला थाम लिया और अपने होंठ शांति के होंठों पर रख उसे हल्के से चूसने लगा ….
” हद हो गयी … तुम तो एक बच्चे से भी गये गुज़रे हो … मैं कितने बच्चों को सम्भालूं ?? ..” शांति ने झट से अपने आप को अलग किया ट्रे उठाया और कमरे से जाते जाते कह गयी..” यह टूथ पेस्ट मैने ख़ास तुम्हारे लिए ही लिया है…. “
शिव मुस्कुराता हुआ फिर से अपने होंठ पर जीभ फिरा रहा था….और साथ में गरमा गरम चाइ की चुस्कियाँ भी लेता जा रहा था….
शांति शशांक के कमरे के अंदर आ जाती है… और उसके बेड के बगल साइड-टेबल पर चाइ का कप रखते हुए उसे उठाती है ..
” गुड मॉर्निंग बेटा ….चलो उठो चाइ पी लो .. ठंडी हो जाएगी … उठो शशांक …”
शशांक आँखें मलते हुए उठता है….और उसकी नज़र अपनी खूबसूरत माँ पर पड़ती है …चेहरा बिल्कुल फूलों की तरेह तरो-ताज़ा और चहकता हुआ ….उसका मन भी खिल उठता है ….
” गुड मॉर्निंग मोम … एक बात पूछूँ ममा..???”
“हां बेटा पूछ ..पर जल्दी कर मुझे तेरी फटाके को भी चाइ देनी है ना ….पता नहीं उठ गयी हो और बस फूटने की तैय्यारि में ही होगी…”
फटाके के जिक्र से शशांक जोरों से हंस पड़ता है ..और पूरी तरेह जाग जाता है…
” हा हा हा.! ममा बस यही तो पूछना था ..आप हमेशा इस तरेह खुश रहती हो और खुशियाँ बीखेरती रहती हो… हाउ कॅन यू डू इट मोम …और एक दो बार नहीं ..आइ ऑल्वेज़ सी यू स्माइलिंग … आप की स्माइल कितनी मस्त है…सारा घर हंसता रहता है …”
” अब इतने अच्छे बेटे और एक फाटका बेटी के होते हुए मैं तो हमेशा हँसती ही रहूंगी ना …
शांति ने बड़े टॅक्टफुली शशांक को जवाब दे दिया ….
” वाह मोम तुस्सी ग्रेट हो जी..सुबेह सुबेह इतनी तारीफ कर आप ने तो मेरा मुँह ही बंद कर दिया ..ठीक है जाओ और देखो तुम्हारी फटका बेटी क्या फटका छोड़ती है…”
शांति अपने सुबेह के आखरी और सब से मुसीबत वाली पड़ाव की ओर बढ़ती है… शिवानी अब तक सुबेह की गहमा गहमी और शांति की चहलकदमी से जाग गयी थी और आँखें बंद किए अपनी मोम का इंतेज़ार कर रही थी … थोड़ा डिंमग गर्म भी हो रहा था …”अब तक क्यूँ नहीं आई..???”
” उठ जा बेटा …. चाइ पी ले ..” शांति ने उसकी तरफ चाइ का प्याला बढ़ाया ..
शिवानी ने मुँह फेर लिया ….
“जाओ मैं नहीं पीती छाई ..” शिवानी ने गुस्से से कहा …
” अले अले ..मेरी रानी बेटी सुबेह सुबेह इतनी गरम ..?? पर क्यूँ..??” शांति ने शिवानी के बाल सहलाते हुए उस से पूछा.
” और नहीं तो क्या ….मैं हू ना सब से बेकार …सब को चाइ पीला दी और मैं कब से यहाँ पड़ी हूँ ….किसी को मेरा ख़याल भी है..?? “
” ओह कम ऑन शिवानी ऐसी बात थोड़ी है बेटी..मैं तो तेरे साथ चाइ पियूँगी .तभी तो तेरे पास सब से लास्ट में आई ..” शांति ने मौके की नज़ाकत समझते हुए यह तीर फेंक दिया… मोम के साथ चाइ पीने की बात सुन शिवानी का गुस्सा बिल्कुल ठंडा हो गया …..जितनी जल्दी आया था उतनी ही जल्दी गायब भी हो गया ..फटका फूटने से पहले ही शांत हो गया ..
“ओह मोम तुस्सी ग्रेट हो..आज तो बस भैया को मैं सुनाऊँगी ..”
और फिर दोनों माँ -बेटी अगल बगल बेड पर बैठे चाइ की चुस्कियाँ लेते हैं …
शांति सोचती है यह शिवानी अपने भाई से कितना प्यार करती है..हर छोटी मोटी बात उसे अपने भैया को ज़रूर सुनाना होता है …सुबेह की चाइ का दौर ख़तम होता है और सब तैय्यार हो कर नाश्ते के टेबल पर बैठते हैं …
शिवानी अपने प्यारे भैया के बगल बैठी है … उसकी नज़र शशांक के चेहरे पे लगी है …
शशांक का तरो-ताज़ा शेव किया चेहरा सुबेह की ताज़गी लिए आफ्टर शेव लोशन की सुगंध बीखेरते हुए दम दमा रहा था .. इस मादक खूशबू से शिवानी मदमस्त हो जाती है और उसके पास अपना चेहरा ले जाते हुए कहती है …
” भैया ..भैया …” पर उसके भैया की नज़र तो किचन के अंदर है..जहाँ शांति नाश्ता तैय्यार कर रही थी ….वो शिवानी की बात अन्सूनि कर देता है …
पर वो कहाँ मान ने वाली थी .. उसके चेहरे को अपने हाथों से थामते हुए अपनी तरफ घूमती है और उसके गाल पर अपने गाल लगाते हुए कहती है ” मैने कहा भैया गुड मॉर्निंग .. “
” ओह यस वेरी गुड मॉर्निंग शिवानी…आज तो बड़ी चहेक रही है तू … सुबेह सुबेह क्या हो गया ..??”
वो भी शिवानी की गालों पर अपनी गाल लगाते हुए कहता है ..
” ह्म्म्म ..चलो तुम्हें मेरा ख़याल तो आया …अरे आज दो बातें बड़ी मस्त हुई ….” शिवानी ने भैया की जाँघ पर अपने हाथ रखते हुए कहा ..
” अच्छा ..?? पर बता भी क्या हुआ ..?” शशांक ने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा …
शशांक की बात से शिवानी उस से फ़ौरन अलग हो जाती है और गुस्से से बोल पड़ती है
” जाओ नहीं बताती …यहाँ कोई मेरी बात सुन ना ही नहीं चाहता …” और उसने मुँह फेर लिया .
शशांक समझ गया उसकी प्यारी गुड़िया सी बहेन को उसका झुंझलाना अच्छा नहीं लगा ..
वो फ़ौरन मौके की नज़ाकत समझते हुए उसका चेहरा अपनी तरफ खींचता है ..उसकी आँखों में देखते हुए कहता है
” बता ना शिवानी..प्लीज़ ..” उसकी आवाज़ में मिश्रि घूली थी
” हां यह हुई ना बात ..ऐसे ही प्यार से पहले ही पूछते तो क्या तुम्हारी शकल बीगड़ जाती ??” शिवानी बोल उठती है ..
” अच्छा बाबा सॉरी ,सॉरी सॉरी …अब तो बता दे..” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
” यू नो भैया आज मोम ने मेरे साथ बैठ कर सुबेह की चाइ पी…..कितना मज़ा आया …रोज तो अकेले पीना पड़ता था ….और यू नो शी वाज़ लुकिंग सो प्रेटी आंड फ्रेश …. उफ़फ्फ़ पापा ऐसे ही उन पर जान नहीं छिड़कते और पापा ही क्यूँ ..आप भी तो ….” और वो भैया की ओर देख एक बड़ी शरारती और प्यारी सी स्माइल देती है ….
” तू भी ना शिवानी..कुछ भी बोलती है … एनीवेस अब बता दूसरी बात क्या हुई ..?? “
” दूसरी बात …दूसरी बात ह्म्म्म .भैया आप ने जो आफ्टर शेव लोशन लगाया है ना ..उफफफ्फ़ बड़ी प्यारी है ….” और फिर से अपनी नाक भैया के गालों पर सटाते हुए एक लंबी सांस लेती है ..मानो उसके गालों पर लगे आफ्टर शेव लोशन की महक अपने में समा लेना चाहती हो..
” एक दम पागल है तू शिवानी …. एक दम पागल … ऐसा भी कोई बोलता है क्या ..??”
” बस मुझे अच्छा लगा मैने बोल दिया …. “
” देख शिवानी तू बड़ी शैतान हो गयी है ….चल चूप चाप बैठ और नाश्ता कर ..हमें कॉलेज जल्दी जाना है … आज मेरा पहला पीरियड है आंड आइ डॉन’त वॉंट टू मिस इट …”
तब तक मोम नाश्ता ले आती है , शिव भी आ जाते हैं और दोनों भाई बहेन की ओर देख मुस्कुराते हुए कहते हैं
” अरे भाई सुबेह सुबेह क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच ..??”
” अरे कुछ नहीं पापा … यह शिवानी है ना ..बस कुछ भी बोलती है …”
” हा हा हा ! अरे शशांक अभी तो उसे बोलने दे यार …फिर जब ससुराल जाएगी तो इतना बोलने का मौका कहाँ मिलेगा ..” शिव ने मज़किया लहज़े में जवाब दिया ..
” ओह पापा ..अब आप फिर चालू हो गये ना अपनी फवर्ट टॉपिक पर….पर आप सब कान खोल कर सुन लीजिए मैं कोई ससुराल वासुराल नहीं जाने वाली ….समझे आप सब …? ” और उसकी आँखों से मोटी मोटी आँसू के बूँद टपकने लगते हैं ..
शिव बेचारा घबडा जाता है उसकी यह हालत देख …
” अले अले मेरी गुड़िया …अरे मैं तो मज़ाक कर रहा था ..उफ्फ … अरे तुझे तेरी मर्ज़ी के खिलाफ कोई कुछ नहीं करेगा यार ….चल चूप हो जा ..प्लीज़ .. “
” ठीक है ..पर आगे आप मज़ाक में भी ऐसा मत बोलना ” वो अभी भी सूबक रही थी और अपने भैया की ओर बड़े प्यार से देखे जा रही थी …
” हां शिवानी … पापा ठीक कह रहे हैं … चल जल्दी से नाश्ता कर ले ..” और शशांक अपने हाथों से उसे खिलाता है …शिवानी बस एक टक उसे निहारती हुई नाश्ता शूरू करती है …
इस तरेह प्यार करते , रूठते , मनाते , हंसते , खिलखिलाते शिव -शांति के परिवार के दिन की शुरुआत होती है …
तो फ्रेंड्स कहानी का आगाज़ कैसा लगा ज़रूर बताना और मेरा साथ भी देना….