गतांग से आगे …. जबकि उधर विनोद, अविनाश, देव और लकी मेरी बीवी के साथ बेड पर पड़े थे और मेरी बीवी के शरीर को सहला रहे थे। फिर नव्या भी उठ कर, उनके बीच में चली गई और मेरी बीवी के ऊपर लेट गई।
अब दोनों, अपने में ही मज़े ले रही थी.. ना जाने, उनमें इतना सेक्स करने के बाद भी इतनी ताक़त, कहाँ से बची थी..
नव्या, अपने गाण्ड और चूत में से लण्ड निकाल निकाल कर, कभी खुद चाटती तो कभी नीतू को चटाती।
फिर नव्या ने अपनी चूत में से वीर्य को निकाल कर, नीतू के मुंह में डाला और बोली की इसे पूरा पी जा.. | यह, तेरे असली पति की मलाई है.. |
फिर नव्या अपनी चूत ही नीतू के मुंह पर ले के बैठ गई और नीतू मस्ती से उसकी चूत चाटने लगी।
नव्या के बैठने से मेरा वीर्य उसकी चूत से बाहर आने लगा, जो सीधा नीतू के मुंह में जा रहा था।
दोनों, बहुत देर तक ऐसे ही खेलती रहीं.. फिर, दोनों थक के सो गईं..
मुझे भी नींद आ गई।
सुबह 11 बजे, जब मेरी नींद खुली तो देखा की नव्या चाय बना लाई थी।
उसने प्यार से, मेरे लण्ड को मुंह से चूमा..
रूम में और कोई मर्द नहीं था, सिर्फ़ नीतू बिस्तर पर पड़ी सो रही थी..
अब नव्या ने मुझेसे कहा की देखो जो होना था हो गया.. | अब इसे एंजाय करो.. | वैसे भी, कल रात की पूरी रिकॉर्डिंग इन लोगों के पास है.. | फिर तुम दोनों ने खुद साइन करके भी दिया है.. | इसलिए, कोई बेवकूफी ना करना.. | तुम्हारी बीवी की कोई ग़लती नहीं है.. |
नव्या ने मुझे एक गोली देते हुए बोला की यह अपनी बीवी को खिला देना, जिससे इसे बच्चा नहीं होगा और अब तुम आराम से अपनी बीवी को चोद कर, उससे अपना बच्चा कर सकते हो.. | अब यह तुम्हारी ज़िम्मेदारी है की तुम अपनी बीवी का होसला बड़ाओ क्यूंकी वैसे भी तुम ही ज़िद करके अपनी बीवी को यहाँ लाए थे.. | तुम मर्द से खुद तो कुछ होता नहीं, बस अपनी बीवियों को कोसते रहते हो.. | इसलिए, उसे प्यार से समझना की इसमें उसकी कोई ग़लती नहीं.. | वैसे भी, कल तुमने भी मेरी चूत मारी थी.. | …याद है, ना.. | …यह कह कर उसने मुझे आँख मार दी.. मैं भी इस पर मुस्कुरा दिया…
असल में, मुझे बहुत संतुष्टि थी की मैं “नामर्द” नहीं हूँ.. | आगे नव्या ने कहा की अगर, तुम चाहो तो यह सब कंटिन्यू कर सकते हो और रोज मेरी चूत भी मार सकते हो…
उसने मुझे बताया की वो असल में करीम की बीवी है और तो और अंशुल, लकी और देव की बीबी भी यह सब करती हैं और तो और अविनाश की तो सग़ी बहन और उसकी गर्लफ्रेंड भी यहाँ आती है.. | तुम चाहो तो, उन सबको भी ऐसे ही चोद सकते हो.. | आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने और किसी को तो नहीं देखा था, लेकिन अंशुल की बीवी स्नेहल से मिला था जो बहुत मस्त माल थी.. इसलिए, मुझे लगा की जब सब कुछ हो ही चुका है तो अब एंजाय ही किया जाए..
फिर नव्या बाहर चली गई और मैंने नीतू को प्यार से उठाया।
वो उठते ही, मुझसे चिपक कर रोने लगी..
उसके पूरे शरीर पर वीर्य चिपका हुआ था जो पपड़ी जैसा हो गया था,।
पूरा बेड भी वीर्य और पेशाब के धब्बो से, सना हुआ था।
नीतू के बाल बिखरे हुए थे, जो वीर्य के कारण आपस में चिपक गये थे।
मैंने उसे प्यार से सहलाया और सारी बात समझाई.. फिर, प्रेग्नेन्सी रोकने वाली दवाई भी खिला दी..
अब हम दोनों नंगे ही नीचे चले गये, जहाँ डाइनिंग टेबल पर सब नंगे ही बैठे हुए थे और लकी की गोद में नव्या बैठी थी, जिसके ऊपर मक्खन रख कर अविनाश ब्रेड में लगा लगा कर सबको खाने को दे रहा था।
हम दोनों को देख कर, अंशुल चिल्ला कर बोला – आ जा, मेरे भाई.. | बोलो, क्या फ़ैसला है तुम्हारा.. | मैंने तेरी बीवी को चोदा चाहे तो मेरी बीवी को चोद के बदला ले ले.. | वैसे भी, मेरी बीबी तेरी बड़ी तारीफ़ करती है की भाई साब कितने सीधे हैं.. |
यह सुनकर, मेरे दिमाग़ में स्नेहल को चोदने का मन होने लगा और मैंने ज़ोर से हाँ कह दी..
तब करीम मेरे पास आया और बोला – अनुराग भाई, कल तुमने मेरी नव्या को मस्त चोदा.. |
अपनी तारीफ़ सुन कर, मैं खुश होने लगा। तभी विनोद ने मेरी बीवी का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया।
वैसे, मैं तो नंगा ही नीचे आ गया था लेकिन मेरी बीवी ने एक तोलिय लपेट लिया था क्यूंकी उसे शरम आ रही थी और उसके कपड़े नीचे वाले रूम में ही पड़े थे। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर, हम सबने नाश्ता किया। अब तक नीतू भी सब से खुल चुकी थी।
अंशुल ने कहा – भाइयो, नीतू जी को रात वाला पूरा टेप दिखाओ की कैसे हमने कविता की पहली बार गाण्ड फाड़ डाली थी और रुचि कैसे दो-दो लण्ड ले के चूस रही थी.. |
यह सब सुनकर कविता भी शरमाने लगी और मुझे हँसी आने लगी।
फिर, मैंने अंशुल से पूछा की तुम कल स्नेहल को क्यूँ नहीं लाए.. | तो उसने जावब दिया की भाई, अगर उन सबको ले आते तो सब लण्ड लेने के लिए आपस में ही लड़ने लगती और फिर पहली बार नीतू की पूरी चुदास भी तो मिटानी थी.. | क्यूँ, नीतू अभी मिटी की नहीं तेरी चुदास.. |
यह सुन कर नीतू भी हंस दी। तब, नव्या बोली की कल की चुदाई के बाद तो कविता की चुदास और बढ़ गई होगी.. | क्यूँ, है ना कविता.. |
अब कविता ने भी नव्या को जवाब दिया – हाँ, सो तो है.. | कल जितना मज़ा आया, वो तो अब हर रात को चाहिए.. |
यह सुनकर हम सब हँसने लगे और अंशुल ने स्नेहल को फोन कर वहीं बुला लिया और मुझे आँख मार कर कहा – ले भाई, ले ले मुझसे बदला.. | दोस्तों अब हम मुंबई में शिफ्ट हो गये है यह एक नए ग्रुप को ज्वाइन किया है | वो कहानी फिर कभी लिखुगा | घन्यवाद [email protected]