मित्रो अपने अभी तक माँ और बहन की चूत चाट कर चुदाई भाग 4 अब उसके आगे ….. यार तू तो मोम से भी ज़्यादा मस्त दीखने लगी है | हां बस दीखाऊँगी अपना रुआब . चलो जल्दी करो एक अच्छे बच्चे की तरह | शशांक भी एक अच्छे बच्चे की तरह हाथ जोड़ता है “हां मेरी अम्मा जाता हूँ बाबा जाता हूँ ”
शिवानी किचन की ओर चली जाती है और फ्रीज़ से खाना निकाल कर गर्म करती है थोड़ी देर बाद शशांक नहा धो कर फ्रेश बॉक्सर ओर टॉप में बाहर आता है और डाइनिंग रूम की ओर जाता है
वहाँ शिवानी उसका इंतजार कर रही थी वो सामनेवाली कुर्सी खींच उसके सामने बैठ जाता है दोनों चूप हैं .खाना शूरू करते हैं कोई कुछ नहीं बोलता है मानों उनके पास अब कहने को कुछ नहीं बचा उनकी सारी मुरादें , इच्छायें और बातें पूरी हो गयीं
थीं उन्हें क्या मालूम था कि यह एक ऐसी आग थी जो कभी बूझती नहीं ,,जितना बूझाओ और भी भड़क उठ ती है | शिवानी चूप्पि तोड़ती है ” भैया ”
” हां शिवानी बोलो ना ” शशांक मुँह में कौर डालते हुए बोलता है
“तुम मुझे कितना बे-शरम समझ रहे होगे ना ??”
” क्यूँ शिवानी ऐसा क्यूँ ??”
“मैं कैसी बेशरामी से चिल्ला रही थी पर भैया सच बोलूं तो यह सब अपने आप हो गया उस समय मैं अपने होश-ओ-हवस खो बैठी थी .”
” हां शिवानी मैं भी तो होश खो बैठा था .मैं भी तो कितना बेरहम हो गया था .शायद हम दोनो के प्यार ने तुम्हें बे-शरम और मुझे बेरहम बना दिया ”
” हां भैया तुम ठीक कहते हो हमारा प्यार ”
और फिर दोनों चूप चाप खाना खा कर उठ जाते हैं
दोनों भाई बहेन दीवाली की तैयारी में जूट जाते हैं .
पूरे घर में दिया सजाने में काफ़ी टाइम लग जाता है . शाम हो चूकि थी अंधेरा घिर आया था और दिए की रोशनी से सारा घर जगमगा उठा था शिवानी के लिए तो इस बार दिए से उठ ती लौ ने सिर्फ़ उसके घर को ही
नहीं बल्कि उसके जीवन में भी एक नयी रोशनी ले आई थी वो बहोत खुश थी
वो दिए की थाली अंदर रख कर शशांक के पास आती है . उसकी ओर बड़े प्यार से देखती है और बोलती है
” भैया , पापा और मोम आते ही होंगे चलो तैयार हो जाओ मैं भी तैयार हो जाती हूँ बताओ ना मैं क्या पहनूं ??””
” अरे तू तो कुछ भी ना पहनेगी ना तब भी कितनी अच्छी लगेगी तेरा फिगर भी कितना मस्त है बिल्कुल मोम की तरह .” शशांक उसे छेड़ते हुए कहता है शिवानी उसके गाल पर एक प्यारा सा चपत लगाती है
” ह्म्म्म्म लगता है आज तुम ने मुझे कुछ ज़्यादा ही देख लिया अच्छा बाबा मज़ाक छोड़ो ना बताओ ना क्या पहनूं ?'”
” हां यार तुम ठीक बोल रही हो मैने तुम्हें बिना कपड़ों के इतना देख लिया कि अब तू कपड़ों में अच्छी लगती ही नहीं ” शशांक फिर छेड़ता है उसे दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
” ओओओः भैया तुम भी ना ” उसके सीने पर मुक्का लगाती हुई बोलती है ‘” जल्दी बोलो ना , पापा मोम के आने का टाइम हो रहा है कुछ तो सोचो ना ”
” ठीक है बाबा तू साड़ी पहेन ले . वो शिफ्फॉन वाली है ना ”
और फिर शिवानी बिना देर किए मूड कर भागती हुई अपने कमरे की ओर चली जाती है अपने भैया की पसंद की साड़ी पहेन ने
शशांक भी अपने कमरे में जाता है चेंज करने को
शशांक गले वाला कुर्ता और मॅचिंग चूड़ीदार पाजामा पहेनता है
दोनों भाई बहेन तैय्यार हो कर बाहर हाल में आते हैं दोनों एक दूसरे को बस एक टक देखते रहते हैं
शिवानी साड़ी में कितनी अच्छी लग रही थी . साड़ी नाभि से नीचे बाँध रखी थी उस ने पतली झीनी शिफ्फॉन उसके स्लिम फिगर में कितनी फॅब रही थी .ब्लाउस छोटा सा बस ब्रा को ढँकते हुए उसकी हर चीज़
जितनी ढँकी थी उतनी ही दीखती भी थी
यही तो है साड़ी का कमाल जितना ढँकती है उस से ज़्यादा उघाड़ती है .
शशांक का भी मस्क्युलर फिगर सिल्क के कुर्ते से उभर कर बाहर आ रहा था
शिवानी आरती की थाली हाथ मे लिए शशांक के साथ बाहर बरामदे में खड़ी अपने पापा और मोम का इंतेज़ार करती है
थोड़ी ही देर में दोनों आ जाते हैं
शिव और शांति कार से उतरते हैं , उनका घर दिए से सज़ा है जगमगा रहा है और दोनों भाई बहेन उनके स्वागत में खड़े हैं
शिव शांति खुशी से फूले नहीं समाते अपने बच्चों के प्यार से .
शशांक और शिवानी उनकी आरती उतारते हैं और उनके पैर छूते हैं
दोनों अपने मोम और पापा से गले मिलते हैं आशीर्वाद लेते हैं
शांति जब शशांक को गले लगाती है , सीने से लगाती है उसके गाल चूमती है थोड़ा चौंक जाती है आज शशांक उस से गले लगता है पर अपने आप को थोड़ा अलग रखता है अपनी मोम के सीने से रोज की तरह
चीपकता नहीं .शांति समझ जाती है . उसे यह भी समझ आ जाता है शशांक को कितनी परेशानी हो रही है अपने आप को रोकने में .उसका शरीर इस कोशिश से कांप रहा था किसी चूंबक से लोहे को जबरन
अलग किया जाए तो बार बार वो चूंबक की ही तरफ जाएगा पर ज़ोर अगर ज़्यादा हो तो लोहा हिलता ही रहेगा , चूंबक से चीपकने को कुछ ऐसी ही हालत शशांक की थी शांति उसके इस बदलाव से कांप उठ ती है .” उफफफ्फ़ मुझ से इतना प्यार ?? ” उसकी आँखें भर आती हैं वो फ़ौरन अपना चेहरा दूसरी ओर करते हुए अपने कमरे की ओर जाने लगती है
” बच्चों तुम वेट करो मैं भी तैयार हो कर आती हूँ ” जाते जाते शांति कहती है हॉल में शिवानी और शशांक रह जाते हैं शिवानी अपने भैया की हालत समझ जाती है .वो बोल उठ ती है ” हां भैया तुम सही में मोम की पूजा करते हो यही फ़र्क है प्यार और पूजा में .”
” शिवानी “शशांक उसकी ओर देखता हुआ कहता है” अपनी सुंदरता की देवी पर , अपनी मोम के आँचल में कोई भी आँच नहीं आने दूँगा कभी नहीं ” शशक की आँखों में एक दृढ़ता , एक निश्चय है
” हां भैया मैं जानती हूँ और मैं यह भी जानती हूँ कि आप की पूजा जल्द ही सफल होगी ” थोड़ी देर में शांति और शिव दोनों बाहर आते हैं उनके साथ दीवाली मनाते हैं फुलझड़ियाँ छोड़ते हैं पटाखे चलाते हैं और यह दीवाली उनके जीवन में नयी रोशनी नयी आशायें और रिश्तों के नये रूप का धमाका ले कर आती है शिव शांति का परिवार बड़े जोश और उत्साह से दीवाली की जगमग रोशनी में , पटाको और फुलझड़ियों की चकाचौंध में डूबा है , चारों एक दूसरे के आनंद में शामिल हैं . शिवानी के तन -मन में तो पहले ही फुलझड़ियाँ फूट चूकी थीं , पटाखो की गूँज ने धमाका कर डाला था वो अभी भी उन धमाकों की आवाज़ों में खोई थी
शशांक के करीब आने , उस से गले लग जाने का कोई भी मौका नहीं चूकती
शशांक भी अपनी बहेन की खुशी में पूरा साथ दे रहा था पर शशांक ने अपनी मोम से शारीरिक करीबी की पतली सी लक्ष्मण रेखा हमेशा बरकरार रखी शिवानी और शांति इस बात को अच्छी तरह समझ रहे थे शांति को शशांक के अंदर इस लक्ष्मण रेखा को ना लाँघने की कोशिश में हो रहे धमाकों का भी अंदाज़ा था आख़िर वो उसकी माँ भी थी ना और एक माँ से ज़्यादा अपने बच्चे को कौन जान सकता है .और माँ अपने बच्चे का ख़याल ना करे यह भी कैसे हो सकता है ? शांति के अंदर भी इस सवाल ने धमाका मचा रखा था इन धमाकों से अपने आप को कैसे बचाए ?? कब तक बचाए ??? और क्यूँ बचाए ????.इस आखरी सवाल ने उसे बूरी तरह झकझोर दिया था काफ़ी देर तक दीवाली की धूम मचती रही , पटाको का धमाका चलता रहा , पर शांति अपने अंदर और बाहर हो रहे दोनों धमाकों से बहोत परेशान हो जाती है ” चलो भी अब बहोत हो गया .और रात फाइ काफ़ी हो चूकि है .” शांति ने सब से कहा सब अंदर जाते हैं खाना वाना खा कर अपने अपने कमरे में घूस जाते हैं. गुड नाइट करते समय भी शशांक ने अपनी लक्ष्मण रेखा बरकरार रखी पर उसकी आँखों में दर्द , पीड़ा और एक दृढ़ सहनशक्ति झलक रही थी शांति अच्छी तरह महसूस कर रही थी उसके अंदर भी धमाकों का शोर ज़ोर और ज़ोर पकड़ता जेया रहा था .शांति को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे इन धमाकों से उसके कान फॅट जाएँगे धमाकों के शोर उसकी बर्दाश्त से बाहर हो रहे थे शिव के साथ अपने कमरे में शांति कपड़े बदल लेट जाती है पर उसके मश्तिश्क में अभी भी उन धमाकों की गूँज कम नहीं हो रही थी
शिव रोज की तरह पलंग पर लेट ते ही थोड़ी देर शांति से दूकान की बात करते करते गहरी नींद में सो जाता है
पर शांति की नींद उसके अंदर के धमाकों ने हराम कर रखी थी नये सवाल उठ खड़े हो रहे थे और नये धमाके पुराने धमाकों के साथ जूड़ते जा रहे थे क्या बेटे के ख़याल में अपने पति को धोखा दे दे ?? उस पति को
जो उसे इतना प्यार करता है.?? जिसे वो भी इतना प्यार करती है ??
उसकी औरत उसे संभालती है उसे जवाब मिलता है “प्यार बाँटने से कम नहीं होता शांति और बढ़ जाता है एक से प्यार करने का मतल्ब यह थोड़ी है कि तुम दूसरे से कम प्यार करोगी ?और वो भी कोई पराया मर्द
नहीं तुम्हारा अपना खून अपना बेटा आख़िर वो शिव का भी तो बेटा है ना क्या तुम शिव के बेटे को ऐसे ही छोड़ दोगि आग में झूलस्ने को ??”
“पर फिर भी यह ग़लत है ना !!!” शांति का संस्कार चीख उठता है .
” ग़लत सही कुछ भी नहीं शांति सब अपने विचारो का खेल है मुस्लिम समाज में चचेरे ,ममेरे , मौसेरे भाई -बहेन आपस में शादी करते हैं क्या ग़लत है ?? तेलुगु समाज में लड़की अपने मामा से शादी करती है क्या
ग़लत है ???”
शांति चुप है , उसके पास कोई जवाब नहीं
उसकी औरत उसे समझाती है ” शांति अपने बेटे को संभाल लो उसे अपना प्यार दे दो शांति वरना वो टूट जाएगा आख़िर कब तक अपने आप को इस आग से बचाएगा इस से पहले की सब कुछ इस आग में झुलस
कर स्वाहा हो जाए इस आग को बूझा दो शांति .बूझा दो .इसे ठंडा कर दो “”
” हे भगवान यह कैसी उलझन है ” शांति मन ही मन चिल्ला उठ ती है उसे लगता है उसके कान के पर्दों के चिथड़े हो जाएँगे अपने कान बंद कर लेती है पर फिर भी धमाके बंद नहीं होते लगातार उसके कानों में
उसकी औरत की आवाज़ आती रहती है “प्यार बाँटने से प्यार कम नहीं होता .आग बूझा दे आग बूझा दे शांति .शांति अपने बेटे को बचा ले शांति ”
और फिर वो चूप चाप अपने पलंग से उठ ती है .शिव की ओर देखती है वो अभी भी गहरी नींद में है . .शांति की नज़र उस के चेहरे पर गढ़ी है .वो मन ही मन बोलती है .
.” शिव मैं तुम्हारे बेटे के पास जा रही हूँ , उसे भी मेरा प्यार चाहिए शिव वो मेरे प्यार का भूखा है , उसके बिना मर जाएगा मैं तुम्हारे बेटे को , तुम्हारे ज़िगर के टूकड़े को, नयी जिंदगी दूँगी उसे बचा लूँगी शिव उसे
कुछ नहीं होगा कुछ नहीं होगा कुछ नहीं ”
शांति आगे बढ़ती है . कमरे का दरवाज़ा खोलती है अपने संस्कारों की बेड़ियाँ तोड़ डालती है .परंपराओं की जंजीरें काट फेंकती है और उसके कदम अपने आप शशांक के कमरे की ओर बढ़ते जाते हैं .
इधर शशांक भी अपने पलंग पर लेटा है .नींद उसकी आँखों से भी दगा कर रही है वो भी अपने अंदर के धमाकों से परेशान है
.”मोम मैं आखीर अपने सब्र का बाँध कब तक रोकू उफ्फ कहीं टूट ना जाए कहीं मैं कुछ ऐसा ना कर बैठूं जिस से तुम्हारा आँचल मैला हो जाए मोम मोम मुझे बचा लो .मोम ”
वो भी मन ही मन चिल्ला रहा है , बीलख रहा है रो रहा है
तभी उसे अपने दरवाज़े पर किसी के बड़ी धीमी आवाज़ में खटखटाने की आवाज़ सुनाई पड़ती है
वो चौंक जाता है इतने रात गये कौन हो सकता है ?
फ़ौरन उठ ता है .”ज़रूर बदमाश शिवानी होगी ” बुदबुदाता हुआ दरवाज़े की ओर जाता है
दरवाज़ा खोलता है दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
बाहर मोम खड़ी थी एक पल के लिए शशांक को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं होता . मोम उसकी देवी उसके सपनों की रानी उसकी हसरत , उसकी दुनिया उसका सब कुछ खुद उसके सामने खड़ी है वो अपनी
आँखें मलता है दुबारा देखता है हां यह उपर से नीचे तक वोही है
मोम की आँखों में माँ की चिंता , एक औरत की हसरत और प्यार सब कुछ देख और समझ लेता है शशांक
शशांक एक हाथ से दरवाज़ा खोलता है और दूसरे हाथ से मोम के कंधे पर हाथ रखे उसे अंदर खींचता है .दरवाज़ा बंद कर देता है मोम को अपनी गोद में उठाता है और बड़े नपे तुले कदमों से बीस्तर के पास जा कर
उसे लीटा देता है
मोम की आँखों में अब कोई चिंता नहीं है शशांक की मजबूत बाहों के सहारे गोद में आते ही शांति को महसूस हो जाता है के उसके लंबे कदम जिन्होने उसके वर्षों की संस्कारों और परंपराओं को लाँघते हुए पीछे छोड़ दिया
है उसे सही ठिकाने तक पहूंचाया है .
शांति को उसकी मजबूत बाहों में बिल्कुल वैसा ही महसूस हो रहा था जैसा उसे उस रात सपने में हुआ था .उसने इन बाहों में अपने आप को कितना महफूज़ पाया इन बाहों का सहारा लिए वो जिंदगी के किसी भी तूफान
का सामना कर सकती थी किसी भी भंवर से खींच निकालने की ताक़त उन बलिष्ठ भुजाओं में थी . एक औरत को एक मर्द की मजबूत बाहों का सहारा मिल गया था उसकी मंज़िल मिल गयी थी शांति अब निश्चिंत
है उसके अंदर धमाके अब शांत हैं
शशांक , शांति को बीस्तर पर लीटा कर उसकी बगल में बैठता है उसे निहारता है अपनी मोम का यह बिल्कुल नया रूप अपनी आँखों से पीने की कोशिश करता है बस देखता ही रहता है .
शांति की बड़ी बड़ी आँखें खूली हैं चेहरे पे हल्की सी मुस्कुराहट है . आँखों में एक ताज़गी है जो लंबी दूरी तय करने के बाद अपनी मंज़िल तक पहूंचने पर किसी की आँखों मे होती है शांति ने भी तो सालों की
मान्यताओं , नियमों को ठोकर मारते हुए एक लंबी दूरी तय कर आज शशांक के बीस्तर तक आई थी उसके पाओं ने अपने कमरे से शशांक के कमरे तक सिर्फ़ चार कदमों का ही फासला तय किया था पर उसके
दिल-ओ-दिमाग़ ने सालों से चली आ रही एक लंबी और विस्तृत परंपरा को लाँघने का लंबा सफ़र तय किया था
शशांक सब समझता था उसकी आँखों से शांति का आभार , उसकी पूजा , उसकी प्रशन्षा और सब से ज़्यादा उसके लिए असीम प्यार आँसू बन कर टपक रहे थे .
अपनी मोम की ओर एक टक देखते हुए वो बोल उठता है ” उफफफफफ्फ़ मोम अट लास्ट ”
उसके इन चार शब्दों में शांति ने उसकी तड़प , उसका आभार , उसका प्यार सभी कुछ महसूस किया
” हां शशांक अट लास्ट तुम्हारे प्यार ने मुझे यहाँ तक आने को मजबूर कर दिया .मेरे कदम खींचे चले आए हां शशांक ”
और अब शशांक अपने आप को रोक नहीं पाया उसने लक्ष्मण रेखा तोड़ दी
मोम को अपनी बाहों में जाकड़ लिया .उसके सीने में मुँह छुपाता हुआ फूट पड़ा ” हां मोम यस मोम आइ लव यू आइ लव यू उफफफफफफ्फ़ मोम आइ लव यू सो मच ”
” हां शशांक मैं जानती हूँ मैं समझती हूँ मैं महसूस करती हूँ बेटा मेरी अंदर की औरत को तुम ने जगा दिया है शशांक अपना सारा प्यार भर दो मेरी झोली में .भर दो .”
शांति अपनी बाहें उसके पीठ से लगाते हुए शशांक को अपने सीने से चीपका लेती है .बार बार उसे अपनी तरफ खींचती है शशांक उसकी पीठ के नीचे बाहें डाले उसे बार बार अपनी तरफ खींचता है दोनों के सीने से
चिपकते हैं शांति की मदमस्त चूचियाँ अपनी सारी गोलाई और कोमलता लिए उसके सीने में सपाट हो जाती है , स्पंज की तरह .
शशांक उसे बार बार गले लगाता है . सीने से चिपकाता है .उसे चूमता है चाट ता है चूस्ता है शांति आँखें बंद किए इस प्यार को अपने अंदर महसूस करती है .अपने अंदर समा लेने की जी जान कोशिश में जुटी रहती है
.
शशांक प्यार लूटा रहा था शांति उसे अपनी झोली में समेट रही थी .
अचानक शांति , शशांक को अपने उपर से हटा ती है शशांक चौंकता है
शांति कहती है ” शशांक अपने प्यार के बीच अब यह परदा क्यूँ ?? .शांति और शशांक के बीच कोई दूरी क्यूँ ?? उनके महसूस के बीच रुकावट क्यूँ ?? मुझे पूरे का पूरा शशांक चाहिए और शांति भी शशांक को
पूरी मिलेगी पूरी की पूरी बेपर्दा नंगी पूरी तरह शांति ”
एक झटके में शांति अपनी नाइटी उतार फेंकती है , शशांक के सामने बिल्कुल बे परदा बिल्कुल नंगी .सिर्फ़ शांति
शशांक की आँखें फटी की फटी रह जाती है शांति को देख उफफफफफफफफ्फ़ सही में वो उसके सुंदरता की देवी है .संगमरमर की मूर्ति की तारेह तराशा हुआ शरीर , शरीर कम एक देवी की मूर्ति ज़्यादा भारी
भारी गोलाकार चूचियाँ गुलाबी घूंडिया .दूधिया रंग लंबी गर्दन मुस्कुराता चेहरा .भरे भरे होंठ .मांसल पेट .गहरी नाभि लंबी सुडौल टाँगें भारी भारी जंघें जांघों के बीच हल्की सी फाँक लिए गुलाबी चूत ,
बीखरे बाल हाथ फैलाए .
शशांक उसकी बाहों में जाने को अपने हाथ फैलाता है फिर रुक जाता है सोचता है इस संगमरमर की इतनी निर्मल , स्वच्छ और पवित्र मूर्ति उसके कपड़ों के स्पर्श से मैली ना हों जायें .
अपने कपड़े उतार फेंकता है , अब सिर्फ़ शशांक , शांति के सामने है नंगी और निर्मल शांति की बाहों में नंगा और निर्मल शशांक आ जाता है जिस तरह वो अपनी माँ की कोख से निकला था
दोनों एक दूसरे से बूरी तारेह चीपक जाते हैं चीपके चीपके ही बीस्तर पर आ जाते हैं .मानों इतने दिनों से रुका हुआ प्यार का बाँध फूट पड़ा हो दोनों इस फूटे हुए बाँध के बहाव में बहते जाते हैं . एक दूसरे को चूमते
हैं , गले लगते हैं .ताकते हैं अलग होते हैं निहहरते हैं फिर सीने से लगते हैं .उफफफफफफ्फ़ इस बहाव के झोंके में दोनों पागल हैं
शांति को शशांक लीटा देता है .उसके उपर आ जाता है उसका तन्नाया लंड शांति की जांघों के बीच फँसा है शांति की भारी भारी चूचियाँ अपने मुँह में ले लेता है , चूस्ता है
.”हां शशांक अपनी मोम का दूध चूस ले बेटा चूस ले पूरा चूस ले ” अपने हाथों से अपनी चूची दबाते हुए उसके मुँह में अंदर धँसाती है ” ले ले मेला बेटा मेला दूध्दू पी ले ”
शशांक का सर अपनी चूची की तरफ खींचती है
दूसरी चूची शशांक हाथ से मसल रहा है .
शांति कराह रही है सिसकारियाँ ले रही है मस्ती की झोंकों में उसके चूतड़ उछल रहे हैं और उसकी गीली चूत शशांक के कड़े , लंबे और मोटे लंड को नीचे से घीसती जाती है .शशांक इस प्रहार से सीहर उठ ता है उसका
सारा शरीर कांप उठ ता है .
शांति के होंठों को अपने मुँह में भर लेता है अपने होंठों से चूस्ता है अपनी जीभ अंदर डाल देता है उसकी जीभ शांति की मुँह के अंदर उसकी तालू , उसके जीभ , उसके दाँत शांति के मुँह का कोना कोना चाट ता है
शांति की जीभ अपने होंठों से जाकड़ लेता है उसे जोरों से चूस्ता है शांति के मुँह का पूरा लार अपने अंदर ले लेता है शशांक अपनी माँ का सब कुछ अपने अंदर ले रहा है दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
शांति की चूत से लगातार पानी रीस्ते जा रहा है शांति तड़प रही है शशांक की बाहों में बार बार चूतड़ उछाल रही है लंड को अपनी चूत से घीसती जा रही है उसे अंदर लेने को बूरी तरह मचल रही है
शहांक का लंड और भी तन्नाता जाता है मानों उखड़ जाएगा उस से अलग हो जाएगा और अपनी माँ की चूत में घूस जाएगा
वो फिर से शांति को चीपका लेता है अपने बदन से उसके कठोर और मांसल शरीर शांति की कोमलता को स्पंज की तरह दबा रखा है .वो इस तज़ुर्बे को अपने अंदर ले रहा है देर तक चीपका रहता है शांति उसके नीचे
तड़प रही है बार बार उसके कड़क लंड को अपनी चूत से घीस रही है चूत के होंठ कितने फैले हैं .उफफफफफफ्फ़ शशांक का सुपाडा उसकी चूत के सतह पर चूत की पूरी लंबाई को घीस रहा है शांति का बदन उसकी
बाहों में उछल मार रहा है कांप रहा है
शांति अपनी टाँगें फैलाटी है तभी अचानक शशांक का तननाया लंड उसकी बूरी तरह गीली चूत के अंदर चला जाता है
उफफफफफ्फ़ आआआः यह कैसा सूख है शशांक के लिए बिल्कुल नया अनुभव कितना गर्म , कितना मुलायम , बिल्कुल मक्खन की तरह .उस ने भी अपने आप को छोड़ दिया शांति अपनी चूतड़ उपर और उपर
उठाती जा रही है .उसके लिए भी एक नया ही तज़ुर्बा था इतना कड़क . लंबा और मोटा लंड अपनी चूत में लेने का उसकी चूतड़ उपर उठ ती जा रही है लंड की लंबाई ख़त्म ही नहीं होती
शशांक मोम की भारी भारी मुलायम चूतड़ो को अपने हाथ से थामता है , हल्के से अपना लंड अंदर डालता है शांति की चूत को उसके लंड की जड़ मिल जाती है उसकी पूरी लांबाई वो ले लेती है
शांति इस तज़ुर्बे से थरथरा उठ ती है आँखें बंद किए शशांक के कमर को मजबूती से जाकड़ लेती है उसका लंड कहीं बाहर ना निकल जाए .शशांक भी लंड अंदर डाले अपनी माँ की चूत की गर्मी , उसका गीलापन ,
उसकी कोमलता महसूस करता है
आआआआः जिस चूत से वो निकला था उसी चूत में आज वो फिर से अंदर है अपने पूरे होश-ओ-हवस में उफफफफफफ्फ़ इस महसूस से शशांक पागल हो उठता है उसका पूरा शरीर इस सोच से सीहर उठ ता है
वो लंड अंदर किए ही शांति को चूम रहा है ,उसके होंठ चूस रहा है उसकी चूचियाँ दबा रहा है
शांति ने भी अपने आप को पूरी तरह उसके हवाले कर दिया है .
उसका लंड उसकी चूत के अंदर ही अंदर और भी कड़क होता जाता है .
शांति इस महसूस से किलकरियाँ लेती है उसकी जाँघ फडक उठ ती हैं
अब शशांक से रहा नहीं जाता ,अपना लंड पूरा बाहर निकालता है , शांति की चूतड़ थामे जोरदार धक्के लगाता है
उसका लंड मोम की कोख तक पहून्च जाता है शशांक अपने लंड को उसकी कोख पर घुमाता है , उसे महसूस करता है शांति इस धक्के से निहाल हो जाती है .जिस कोख ने उसे जन्म दिया उसी कोख को उसका बच्चा
अपने लंड से छू रहा है ,टटोल रहा है इस चरम सूख के अनुभव से शांति सीहर उठ ती है , उसके सारे बदन में झूरजूरी होने लगती है शांति अपने आप को रोक नहीं पाती है
“आआआअह .उउउः शशााआआआआंक” चीख पड़ती है शांति
चूतड़ उछाल उछाल कर झड़ती जाती है झड़ती जाती है .शशांक का लंड अपनी मोम के रस से सराबोर है
तीन चार धक्कों के बाद वो भी अपनी पीचकारी छोड़ते हुए मॉं की कोख को अपने गर्म गर्म वीर्य से नहला देता है
अपने बेटे के पवित्र रस से माँ की कोख पूरी तरह धूल जाती है
शांति कांप रही है , सीहर रही है , चीत्कार रही है आनंद विभोर हो कर किल्कारियाँ ले रही है
मानों उसके अंदर दीवाली की फूल्झड़ियाँ फूट रही हों
शशांक उसके सीने में , अपनी माँ की स्तनों में अपना चेहरा धंसाए हांफता हुआ लेट जाता है .
शांति अपने हाथ उसके सर पर रखे उसे अपने सीने में और भी अंदर भर लेती है . आँखें बंद किए इस अभूत्पूर्व आनंद के लहरॉं में बहती जाती है .खो जाती है .
कुछ देर बाद शांति अपने होश में आती है उसका शरीर कितना हल्का था जैसे हवा में झोंके ले रही हो
शशांक मोम की गोद की गर्मी पा कर सो गया था गहरी नींद में
शशांक के सर को अपनी हथेलियों से थामे बड़ी सावधानी से अपने सीने से हटा ती है और बीस्तर पर कर देती है शशांक अभी भी नींद में हैं .उसका माथा चूमती है बदन पर चादर डाल देती है .खूद नाइटी पेहेन्ति
है और दबे पाओं कमरे से बाहर निकल जाती है .
अपने कमरे में जाती है , शिव अभी भी गहरी नींद में था .
शांति उसके बगल लेट जाती है दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
इस बार उसकी नींद उसे धोखा नहीं देती .वो भी सो जाती है सूरज की पहली किरणों के साथ ही आज शशांक के जीवन में भी एक सुनहरे सवेरे का उदय होता है एक ऐसी सुबेह जो उसकी जिंदगी में खुशियाँ ,
प्यार और मुस्कुराहटो का खजाना ले आती है उसके जीवन में रंगिनियाँ भर देती है
उसका दिल-ओ-दिमाग़ , दीवाली के फूल्झड़ियों की चमक , दियों की शीतल रोशनी और पटाखो की चकाचौंध से जगमगा उठा था .दिल की गहराइयों तक पटाखो के धमाके गूँज रहे थे
शांति और शिवानी के प्यार ने उसकी झोली , बे-इंतहा और बेशुमार खुशियों से भर दी थी
उसकी नींद खुलती है .अपने उपर चद्दर रखी हुई पाता है उसकी आँखें मोम की ममता भरे लाड से आँखे नम हो जाती हैं .वो कितना खुशनसीब है , कल रात मोम ने अपनी औरत का प्यार और माँ की ममता दोनों
शशांक पर लूटा दी थी शशांक के प्यार को इतने ख़ूले दिल से स्वीकार कर लिया था समेट लिया था कुछ भी तो मोम ने बाकी नहीं रखा पूरे का पूरा उन्होने अपने में समा लिया और बदले में जो उन्होने दिया
शायद शशांक समेट भी ना सके जीवन भर उसकी औरत के प्यार का तो बदला चूका सकता था शशांक पर माँ की ममता ?? इसका बदला क्या कभी चूका सकता था ????
” मोम .यू आर ग्रेट मोम आइ आम सो लकी लेकिन मोम मैं आप के आँचल को कभी भी मैला नहीं होने दूँगा मोम कभी नहीं .” उसकी आँखों से लगातार आभार के आँसू टपकते हैं
वो पूरी तरह जाग जाता है , अपने बदन से चादर हटा ता है , आँसू पोंछता है और अपनी हालत देख एक लंबी मुस्कुराहट उसके होंठों पर आ जाती है
शशांक बिल्कुल नंगा था .उसका लंड भी सुबेह की ताज़गी को अपने लंबे , कड़क और हिलते हुवे आकार से सलामी दे रहा था
तभी उसका दरवाजा एक जोरदार झटके के साथ ख़ूलता है वो झट अपनी चादर ओढ़ फिर से आँखें बंद कर सोने का नाटक करता है उसका लंड चादर के अंदर ही तंबू बनाए लहरा रहा था शिवानी अंदर आती है शशांक के तंबू पर उसकी नज़र जाती है उसके होंठों पर एक बड़ी शरारती मुस्कान आ जाती है वो फ़ौरन दरवाज़ा बोल्ट करते हुए वापस उसके बगल खड़ी हो कर एक टक उसके लहराते हुए लंड को निहारती है फिर उसके बगल बैठ जाती है चादर के अंदर हाथ डालती है और शशांक के लंड को बूरी तरह अपने हथेली से जाकड़ लेती है उसे सहलाती हुई बोलती है दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
” गुड मॉर्निंग भैया .वाह क्या बात है दीवाली की फूल्झड़ी अभी भी लहरा रही है ”
और तेज़ी से उसके लंड की चमड़ी उपर नीचे करती है
शशांक सीहर उठ ता है
” उफफफफफफफफफ्फ़.यह लड़की ना सुबेह देखती है ना शाम , बस हमेशा एक ही काम ” शशांक प्यार से झुंझलाता हुआ जुमला कसता है .
” क्या बात है , क्या बात है सुबेह सुबेह इतना शायराना मूड ? ” शिवानी के हाथ और तेज़ चलते हैं
” शिवानी अरे बाबा यह सुबेह सुबेह .?? कुछ तो सोचो मोम कभी भी आ जाएँगी चाइ ले कर .मुझे कपड़े तो पहेन ने दे ना यार ” वो खीझता हुआ कहता है पर उसकी आवाज़ खोखली है .वो भी मज़े में था
” अरे मोम की चिंता मत करो भोले राजा आज दीवाली के दूसरे दिन दूकान बंद है भूल गये क्या ? मोम और पापा आज देर से उठेंगे .अभी तो सिर्फ़ 7 बजे हैं 9-10 बजे से पहले कोई चान्स नहीं उनके उठने का ”
वो मुस्कुराती हुई उसकी आँखों में देखती है पर अचानक अपने हथेली में कुछ खटकता है हाथ की हरकत रोक लेती है उसके लंड को देखती है जिस पर उसका वीर्य सूख कर पपड़ी बना था और उसकी जड़ तक
कुछ और पपड़िया भी थीं जो चूत में अंदर जाने पर ही आती हैं चूत रस से भींगे होने पर
वो सोचती है ” मैं तो कल रात इसके पास आई नहीं फिर कौन हो सकता है क्या मोम ?? कोई तीसरी का तो कोई चान्स ही नहीं था,उसे इतना तो शशांक पर विश्वास था ज़रूर कल रात मोम आई थी यहाँ “”
इस कल्पना से शिवानी बहोत खुश हो जाती है उसके भैया की पूजा सफल हुई
वो फिर से उसके लंड को बड़े प्यार से सहलाती है और शशांक से बोलती है
” भैया .??”
” अब क्या है .?” शशांक उसका सहलाना अचानक बंद होने से थोड़ा झल्ला गया था
“अरे बाबा झल्लाओ मत ना इतने प्यार से तो तुम्हें सुबेह जगाने आई हूँ अच्छा यह बताओ कल रात मोम आई थीं क्या आप के पास ?”
शशांक इस सवाल से अपने चेहरे पर कोई भी भाव नहीं आने देता , जैसे कुछ नहीं हुआ
” अरे नहीं बाबा कोई नहीं आया पर टू क्यूँ पूछ रही है ”
शिवानी उसके लंड को सहलाना फिर से बंद करती है और उसे थामे उसे दिखाती हुई बोलती है
” फिर यह आप के वीर्य की पपड़ी ??” और फिर लंड की जड़ में अपनी उंगली लगाती है ” और यह चूत के रस की जमी हुई पपड़ी ? भैया झूट मत बोलो मेरे और मोम के अलावा यहाँ और कोई तो है नहीं .डरो मत
भैया . मुझे तो खुशी होगी आपकी पूजा सफल हुई ”
शशांक समझ गया अब और कोई बहाना अपनी बहेन के सामने नहीं चलने वाला वो चूप चाप मुस्कुराता हुआ ” हां ” में सर हिला देता है .
शिवानी खुशी से झूम उठ ती है शशांक का अपने पर विश्वास देख वो फूली नहीं समाती
वो उस से लिपट जाती है , उसे चूमने लगती है
” ओओओओह्ह भैया आइ आम सो हॅपी फॉर यू सो हॅपी .मैं सब समझ गयी अब आप कुछ मत बोलो , कुछ मत करो लो मैं तुम्हें अपनी तरफ से गिफ्ट देती हूँ तुम्हारे विक्टरी पर तुम बस चूप चाप लेटे रहो .”
शशांक आँखें बंद किए लेटा रहता है शिवानी की गिफ्ट की कल्पना में खोया हुआ .
शिवानी अपने कपड़े उतार फेंकती है अपनी नंगी और सुडौल टाँगें शशांक के मुँह के बगल फैला देती है और अपना मुँह उसके लंड के उपर ले जाती है उसके खड़े लंड के सुपाडे पर जीभ फिराती है शशांक चिहूंक जाता
है उसके गीली जीभ के स्पर्श से और फिर गप्प से लंड को मुँह में भर चूस्ति है .उसका लंड काफ़ी मोटा और लंबा था पूरा लंड शिवानी की मुँह में नहीं जाता आधा ही जाता है आधे लंड को चूस्ति जाती है आइस
क्रीम की तरह और बाकी हाथ से थामे सहलाती है
शशांक इस दोहरे हमले से कांप उठ ता है .कराह उठ ता है .
शिवानी भी अपने मुँह में किसी के लंड को पहली बार अंदर लेने के आनंद से , एक बिल्कुल नयी तरह के तज़ुर्बे से मस्त है क्या महसूस था ना कड़ा , ना मुलायम , ना गीला ना सूखा .उफ़फ्फ़ अद्भूत आनंद वो चूसे
जा रही है .मानो पूरे का पूरा लंड खा जाएगी हाथ भी तेज़ी से चला रही है उसकी चूत भी गीली होती जा रही है रस शशांक की फैली बाँहो को छूता है शशांक उसकी टाँगें फैलाता है चूत की गुलाबी और गीली फाँक दीखती है उसे उस से रहा नहीं जाता
शशांक उसकी जांघों को हाथों से फैलाता हुआ अपने मुँह पर ले आता है उसकी चूत अब उसके मुँह पर है टूट पड़ता है शिवानी की चूत पर अपने होंठों से उसकी चूत को जकड़ता हुआ जोरो से चूस्ता है .शिवानी सीहर जाती है उसे लगता है उसके शरीर से सब कुछ निकल कर शशांक के मुँह में उसकी चूत से बहता हुआ चला जाएगा शिवानी की टाँगें थरथरा जाती हैं शशांक जांघों पर अपनी पकड़ बनाए है और चूस्ता जाता है चाट ता जाता है अपनी बहेन की चूत शिवानी भी उसके लंड को ज़ोर और जोरों से चूस्ति है कभी दाँतों से हल्के काट ती है कभी जीभ फिराती है हाथ भी चलाती जाती है उसके लंड पर दोनों मस्त हैं , लंड और चूत की चुसाइ हो रही है दोनों के मुँह में रस लगातार जा रहे हैं उसे पीते जा रहे हैं गले से नीचे उतारते जा रहे हैं
फिर शशांक का लंड कड़ा और कड़ा हो जाता है और अपनी चूतड़ उछालता हुआ शिवानी के मुँह में अपनी पीचकारी छोड़ देता है शिवानी उसके लंड को मुँह खोले अंदर लिए है और अपने हाथों से कस कर थामे है ,,उसका
लंड शिवानी के हाथों में झटका देता हुआ उसके मुँह में खाली होता जा रहा है शिवानी के गालों पर उसके होंठों पर , उसके चेहरे पर शशांक के वीर्य के छींटे पड़ते हैं
इधर शिवानी अपनी चूतड़ के झटके लगाते झड़ती जाती है शशांक के मुँह में उसकी चूत का रस भरता जाता है शशांक गटकता जाता है ….. तो दोस्तों आप लोग अपनी प्रतिक्रिया कमेंट में देते रहिये कहानी कैसी है अब आगले भाग में पढ़िए और मस्तराम डॉट नेट पे मस्त रहिये …. आप लोग ये कहानी निचे दिए गए whatsapp के icon पर क्लिक करके अपने दोस्तों को भी शेयर कर सकते है |