मित्रो अपने अभी तक माँ और बहन की चूत चाट कर चुदाई भाग 5 अब उसके आगे …..दोनो भाई बहेन एक दूसरे का रस अपने अपने अंदर लेते जा रहे हैं | थोड़ी देर में दोनों खाली हो जाते हैं | शिवानी अपने चेहरे पर लगे वीर्य के छींटों को हथेली से पोंछती है , और चाट जाती है पूरा चाट जाती है | फिर दोनों आमने सामने हो जाते हैं , एक दूसरे से लिपट जाते है चूमते हैं चाट ते हैं और हान्फते हुए एक दूसरे के उपर पड़े रहते हैं काफ़ी देर तक दोनों एक दूसरे पर चूप चाप पड़े रहते हैं | ” भैया .” शिवानी बोलती है
“हां शिवानी बोलो ना ??”
” इस बार की दीवाली कितनी अच्छी रही है ना ? ”
” क्यूँ शिवानी ” शशांक जान बूझ कर अंजान बनता हुआ पूछ ता है
शिवानी उसके सीने से लगे अपने सर को उपर उठा ती है उसकी आँखों में झाँकते हुए , उसके गालों को सहलाते हुए बोलती है
” देखो ना भगवान ने हम दोनों की बात सुन ली मुझे आप का प्यार मिल गया और आप को मोम का .”
” हां शिवानी तू बिल्कुल ठीक कहती है पर एक बात तो मुझे समझ में आ गयी अछी तरह “शशांक अपनी बहेन के गाल सहलाता हुआ बोलता है
” क्या भैया बताओ ना “वो भी उसके गालों को सहलाते हुए बोलती है
शशांक पहले शिवानी के चेहरे को अपने हथेली से थामता है , उसके होंठ चूस्ता है फिर बोलता है
” प्यार बाँटने से ही तो प्यार मिलता है शिवानी मैने तुम्हें तुम्हारा प्यार दिया ख़ूले दिल से मुझे भी मेरा प्यार मिल गया ”
क्या इस से बढ़ कर और कोई प्यार हो सकता है ??
” हां भैया यू आर सो राइट ब्रो’ सो राइट ” और दोनों फिर एक दूसरे का प्यार महसूस करने , एक दूसरे को बाँटने में जूट जाते हैं एक दूसरे से चीपक जाते हैं ,
शशांक का लंड फिर से तन्ना जाता है शिवानी की चूत गीली हो जाती है
शिवानी उठ ती है शशांक लेटा रहता है उसका लंड हवा से बातें कर रहा है लहरा है हिल रहा है कडेपन से
शिवानी उपर आ जाती है अपनी गीली चूत को अपनी उंगलियों से फैलाती है
अपनी टाँगें शशांक के जांघों के दोनों ओर करती है और उसके लंड के सुपाडे पर अपनी गीली चूत रख देती है .वो उसके लंड पर धँसती जाती है
उफफफफफफ्फ़ क्या तज़ुर्बा था दोनों के लिए .कितना टाइट कितना गर्म ,कितना मुलायम शशांक कराह उठ ता है
शिवानी चीख उठ ती है दर्द से अभी भी उसकी चूत कितनी टाइट थी
शशांक को मोम की चूत और शिवानी की चूत का फ़र्क महसूस होता है
मोम की चूत मक्खन की तरह थी उसका लंड धंसता जाता था
शिवानी की चूत में मक्खन जितनी मुलायम नहीं , कुछ कडापन लिए है उसके अंदर उसका लंड चीरता हुआ जाता है उफफफफफ्फ़ दोनों नायाब थे .एक जवानी की दहलीज़ पर दूसरी जवानी के उतार पर पर
जवानी का पूरा रस अभी भी बरकरार
अयाया शिवानी थोड़ी देर चूत अंदर धंसाए रहती है पूरे लंड की लंबाई महसूस करती है अपने अंदर
उसकी चूत और गीली हो जाती है
शशांक की जांघों पर उसका रस रिस्ता हैं उफफफफ्फ़ क्या तज़ुर्बा था दोनों के लिए
शिवानी के धक्के अब तेज़ होते हैं अपना सर पीछे झटकाती है बाल बीखरे हैं हर धक्के में उसका सर पीछे झटक जाता है बाल लहरा उठ ते हैं मानों वो किसी नशे के झोंके में , किसी जादू के असर में अपना सब
कुछ भूल चूकि हो अपने होश खो बैठी हो उसका कुछ भी उसके वश में नहीं
शशांक भी नीचे से चूतड़ उछाल उछाल कर उसकी चूत में अपना लंड चीरता हुआ अंदर करता है
उफफफफफ्फ़ दोनों एक दूसरे को आनंद देने में एक दूसरे में समा जाने की होड़ में लगे हैं
जवान हैं दोनों धक्के में जवानी का जोश , तड़प और भूख सब कुछ झलक रहा है
फिर शिवानी अपनी चूत में लंड अंदर किए शशांक से बूरी तरह लिपट जाती है उसे चूमती है शशांक के सीने से अपनी चूचियाँ लगाती है दबाती है शशांक अपनी बाँहे उसकी पीठ से लगा उसे अपने से चीपका लेता है
शिवानी चीत्कार उठ ती है “भैय्ाआआआआआआआआअ .” और अपने चूतड़ उछालती हुई शशांक के लंड को भीगा देती है अपनी चूत के रस से .
शशांक उसे अपने नीचे कर लेता है लंड अंदर ही अंदर किए हुए
तीन चार जोरदार धक्के लगाता है शिवानी उछल जाती है शशांक अपनी पीचकारी छोड़ता हुआ अपना लंड उसकी चूत में डाले हुए उसके उपर ढेर हो जाता है हांफता हुआ
शिवानी अपनी टाँगें फैलाए उसके नीचे पड़ी है हाँफ रही है
शशांक उसकी चूचियों पर सर रखे है .आँखें बंद किए अपनी बहेन की साँसों को अपनी साँसों से महसूस करता है दोनों एक दूसरे से लिपटे खो जाते हैं एक दूसरे में
भाई बहेन का प्यार एक दूसरे को भीगा देता है दोनों पसीने से लत्पथ हैं दोनों के पसीने मिलते जाते हैं . जवानी का जोश और तड़प कुछ देर के लिए शांत हो जाता है .
दोनों के चेहरे पर संतुष्टि की झलक है एक दूसरे के लिए मर मिटने की चाहत है प्यार की पराकाष्ठा पर हैं दोनों मे
शिवानी उसे चूमती है और बोलती है ” भैया क्या प्यार यही है ??”
” हां शिवानी हमारा और तुम्हारा प्यार यही है ”
और फिर दोनों एक दूसरे की बाहों में खो जाते हैं . दोनों भाई-बहेन को एक दूसरे की बाहों में छोड़ते हैं और ज़रा चलें शिव-शांति के कमरे में देखें दोनों पति-पत्नी क्या कर रहें हैं
आज शांति को जल्दी उठने की कोई चिंता नहीं . पर उसे बाथरूम जाने की तलब जोरों से लगी है .वो अलसाई , आधी नींद में उठ ती है और टाय्लेट के अंदर जाती है नाइटी उपर उठाते हुए टाय्लेट-सीट पर बैठ ती है
.उसकी चूत के होंठों पर , जांघों पर सभी जगेह कल रात के तूफ़ानी प्यार के निशान मौज़ूद थे
उन्हें देख वो मुस्कुराती है शशांक के साथ बीताए उन सुनहरे पलों की याद आते ही सीहर उठ ती है उफ़फ्फ़ कितना प्यार करता है मुझ से .
मेरी झोली में अपना सारा प्यार एक ही दिन लूटा देने को कितना उतावला था कितनी तड़प थी शशांक में . इस कल्पना मात्र से ही उसकी चूत फड़कने लगते हैं वो उठ ती है और अच्छी तरह अपनी चूत और जांघों
की सफाई करती है शशांक के लंड के साइज़ ने भी उसे मदमस्त कर दिया था उफ़फ्फ़ कितना लंबा, मोटा और कड़ा था जितना प्यार करता था साइज़ भी वैसा ही था
फिर से शशांक के लंड को अपनी चूत के अंदर होने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत रीस्ने लगती है उफ़फ्फ़ यह कैसा प्यार है
वो फिर से अपनी चूत पोंछती है और अपने बीस्तर पर शिव के बगल लेट जाती है .
इधर शिव भी रात की अच्छी नींद से काफ़ी रिलॅक्स्ड महसूस कर रहा था उसकी आँखें भी खूल जाती हैं पर सुबह की ताज़गी का आनंद उसके लंड को भी आ रहा था और नतीज़ा उसके पाजामे के अंदर तंबू का
आकार लिए उसे सलामी दे रहा था
उसके होंठों पर मुस्कुराहट आती है .शांति अभी अभी टाय्लेट से आई थी उसके चेहरे पर भी एक शूकून , आनंद और मस्ती थी उसके चेहरे पर भी मुस्कान थी और बीखरे बाल , नाइटी के अंदर से झान्कति हुई
उसकी सुडौल चूचियाँ शिव की नज़र उस पर पड़ती है उसे एक टक निहारता रहता है
शांति की नज़रें उसकी नज़रों से टकराती हैं शांति को आनेवाले पलों की झाँकी शिव की आँखों में सॉफ सॉफ नज़र आ जाती है .
” ऐसे क्या देख रहे हो शिव मुझे कभी देखा नहीं .??” शिवानी की आवाज़ में कल रात की मस्ती , और अभी सुबह का अपने पति के लिए उमड़ता हुआ प्यार लाबा लब भरा था उसे अच्छी तरह महसूस हो गया , प्यार
बाँटने से और भी बढ़ जाता है .
” ह्म्म्म्म देखा तो है शांति पर सुबह सुबह इतने इतमीनान से तुम्हारे रूप को पी जाने का मौका कभी कभी ही मिलता है ” कहता हुआ शिव की नज़र और भी गहराई लिए शांति को नंगा करती जा रही थी
शांति उसकी इस पैनी और उसे उसके नाइटी को भेदती हुई अंदर तक झान्कति नज़र से अपने अंदर कुछ रेंगता हुआ महसूस करती है .
अपना सर शिव के सीने के उपर छुपा लेती है , और बोलती है
” बड़े बे-शरम हो तुम भी कोई ऐसे भी देखता है भला ”
शिव उसके इस बात पर मर मिट ता है , शांति को अपनी तरफ खींचता है और अपनी टाँगें उसकी जांघों के उपर रखता है उसका तननाया लंड नाइटी के उपर उपर ही शांति की चूत से टकराता है
शांति सीहर उठ ती है ” शांति क्या बात है , आज तो तुम एक नयी नवेली दुल्हन की तरह शरमा रही हो उफ्फ तुम्हारी यही बात तो मुझे मार डालती है मेरी रानी हमेशा नये रूप और रंग में अपने आप को ले
आती हो ” और शिव उसे अपने से और भी चीपका लेता है शांति का चेहरा अपनी हथेलियों से थामता है उसकी आँखों में झँकता हुआ उसके होंठों पर अपने होंठ रख चूसने लगता है
शशांक के साथ की मस्ती की खुमार अभी भी उसके अंग अंग में भरा था और अब शिव का प्यार शांति झूम उठ ती है और अपने आप शिव से और चीपक जाती है वो मचल उठ ती है और फिर वो भी उसके होंठ
चूस्ति है
शिव उसकी नाइटी के बटन खोल देता है सामने से शांति का बदन उघड़ जाता है उसकी सुडौल चूचियाँ उछल ते हुए शिव के सीने से टकराती हैं
अब शिव से रहा नहीं जाता वो खुद भी अपने पाजामे का नाडा खोल देता है पाजामा और ढीला टॉप उतार देता है और नंगा हो जाता है
उसके होंठ शांति के होंठों से चीपके हैं एक हाथ बारी बारी दोनों चूचियाँ मसल रहा है और दूसरा हाथ नीचे उसकी चूत को भींचता हुआ जाकड़ लेता है धीरे धीरे दबाता है शांति की फूली फूली ,मुलायम मखमली चूत को
शांति कांप उठ ती है , सीहर जाती है वो और भी ज़्यादा लिपट जाती है शिव से .
शिव को अपनी हथेली में शांति की चूत के रस का महसूस होता है .वो अपना लंड थामता है और शांति की चूत की फाँक में घीसता है शांति उछल पड़ती है
“आआआआह क्या कर रहे हो ” शांति फूसफूसाती है
” अपनी पत्नी की चूत का मज़ा ले रहा हूँ मेरी जान उफफफ्फ़ आज कितनी फूली फूली और फैली भी है ”
शिव भी अपनी भर्राई आवाज़ में बोलता है
” पहले भी तो लिया है जानू तुम ने .आज तुम्हारा भी तो लेने का अंदाज़ कितना निराला है ” शांति बोलती है
शांति के इस बात से शिव और भी मस्ती में आ जाता है उसका होंठों को चूसना , उसकी चूचियों को दबाना और भी ज़ोर पकड़ लेता है लंड से चूत की घीसाई भी तेज़ हो जाती है .
शांति कराह रही है सिसकारियाँ ले रही है मस्ती में डूबी है
शिव का लंड और भी अकड़ जाता है
वो शांति की नाइटी उतार देता है
शांति के नंगे बदन को चिपकाता है थोड़ी देर तक शांति के नंगे बदन को अपने नंगे बदन से महसूस करता है .
शांति की पीठ अपनी तरफ कर लेता है .खुद थोड़ा नीचे खिसकते हुए अपना लंड उसकी जांघों के बीच लगाता है
दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह जानते थे शांति समझ जाती है शिव को क्या चाहिए वो अपने घूटनों को अपने पेट की तरफ मोड़ लेती है उसकी चूत की फांके खूल जाती है फैल जाती है
शिव अपना लंड उसकी गुलाबी , गीली और चमकती हुई चूत के अंदर डाल देता है पीछे से
ऐसे में उसका लंड शांति की चूत की पूरी लंबाई और गहराई तक पहूंचता है शांति की चूत का कोना कोना उसके लंड को महसूस करता है ,
लंड जड़ तक चला जाता है उसके बॉल्स और जंघें शांति के भारी भारी , मुलायम और गुदाज चूतड़ो से टकराते हैं उफफफफफ्फ़ क्या एहसास था यह
शिव को उसकी चूत और चूतड़ दोनों का मज़ा मिल रहा था
शिव लेटे लेटे ही उसकी टाँग उपर उठाए धक्के लगाए जा रहा था शांति आँखें बंद किए बस मस्ती में डूबी जा रही थी
आहें भर रही थी सिसकारियाँ ले रही थी चीत्कार रही थी
और फिर शिव दो चार जोरदार धक्कों के साथ अपनी पीचकारी छोड़ता है .शांति की चूत और चूतड़ उसके वीर्य से नहला उठते हैं .शांति भी उसके वीर्य की गर्मी और तेज़ धार अपनी चूत के अंदर सहेन नहीं कर पाती
और काँपते हुए पानी छोड़ती जाती है
शिव , शांति की पीठ से चीपके , हाथ शांति के मुलायम पेट को जकड़े उसकी गर्दन पर अपना सर रखे हांफता हुआ पड़ा रहता है
शांति पहले बेटे और अब पति को अपना सारा तन और मन लूटा देती है एक चरम सूख और आनंद में डूब जाती है . शिव-शांति के परिवार के सभी सदस्य अब तक पूरी तरह जाग उठे थे तन , मन और दिल , हर
तरह से जब वे नाश्ते के टेबल पर आते हैं उनके चेहरे से सॉफ झलक रहा था
चेहरा दिल का आईना होता है .यह बात अच्छी तरह सभी के चेहरे पे लीखा था
शिवानी चहेकते हुए अपने मोम और पापा से गले मिलती है जब कि हमेशा उसके चेहरे पे गुस्से और झुंझलाहट की झलक रहती थी खास कर सुबह दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
शांति उसके गले लगती है गाल चूमती है और उसके दमदामाते चेहरे को देख बोलती है
“ह्म्म्म्मम अरे यह मैं आज क्या देख रही हूँ शिवानी सुबह सुबह इतनी चहक रही है क्या बात है!.”
” हां मोम कल दीवाली कितनी अच्छी रही हम सब साथ साथ थे .शायद यह पहला मौका था जब हम सब साथ थे है ना मोम ??” शिवानी ने बड़ी होशियारी से अपनी खुशी के असली राज़ को छुपाते हुए कहा और
शशांक की तरेफ देख मुस्कुराने लगी
शशांक की आँखों में उसके जवाब के लिए वाह वाही दीखती है और वो बोल उठ ता है
” वाह क्या बात कही तू ने शिवानी ह्म्म्म्म मैं देख रहा हूँ तेरा दिमाग़ भी काफ़ी खुल गया है ”
” क्या मतलब ‘तेरा दिमाग़ भी ?’ ” क्या मेरा दिमाग़ बंद पड़ा था .जाओ मैं नहीं बोलती तुम से ” और शिवानी बनावटी गुस्से से चूप हो कर बैठ जाती है अरे नहीं बाबा मेरा यह मतलब थोड़ी ना था मेली प्याली प्याली बहेना .” शशांक मस्का लगाता है शिवानी उसे घूरती है ” फिर क्या मतलब था ? अरे मैं तो दीवाली की फुलझाड़ी छोड़ रहा था यार अभी भी तेरे साथ फूल्झड़ी छोड़ने की बात भूल नहीं पा रहा हूँ ना तू तो कुछ समझती ही नहीं यार ” शशांक का मस्का इस बार सही निशाने पे था | फूल्झड़ी से उसका क्या मतलब था शिवानी को पूरी तौर पे समझ आ गया उसके चेहरे पर फिर से लंबी और चौड़ी मुस्कान आ गयी और वो खिलखिला उठी .
” ओह यस भैया यू आर ग्रेट .कितनी देर तक हम पताखे और फूल्झड़िया चला रहे थे उफफफ्फ़ मज़ा आ गया .”
शांति शशांक की इस सूझ बूझ की कायल हो गयी थी .वो हमेशा शिवानी के होंठों पे अपनी चिकनी चूपड़ी बातों से हँसी ले आता था और आज भी यही हुआ
उस ने शशांक को गले लगाया और उसके भी गाल चूमे
शशांक अपनी मोम से गले मिलता है , अभी भी वो लक्ष्मण रेखा बरकरार है पर उसकी आँखों में इस पतली सी रेखा बरकरार रखने का कोई दर्द , कोई पीड़ा नहीं , और ना उसके शरीर में किसी भी तरह का कोई तनाव
या कोशिश की झलक है यह बस अपने आप हो जाता है
उसकी आँखों में अपनी मोम के लिए सम्मान , आभार और प्यार झलकता है .
शांति को उसकी बातें समझ में आ जाती है वो कितनी खुश हो जाती है अपने बेटे के व्यवहार से .
शशांक ने शिवानी और शांति दोनों को कितनी सहजता से कल के हुए रिश्तों मे इतने बड़े बदलाव पर अपनी प्रतिक्रिया जता देता है दोनों को उनकी ही भाषा में अलग अलग तरीके से .
किसी के चेहरे पे कोई तनाव नहीं कोई भी अपराध के भाव नहीं .शशांक ने दोनों को कितना अश्वश्त कर दिया था अपने व्यवहार से किसी को किसी पर कोई शक़ यह शंका नहीं है .सभी अपने में खुश हैं
पर शिवानी कहाँ मान ने वाली थी .उसके दोनों हाथ भले ही टेबल पर थे पर टाँगों ने अपनी हरकत ब-दस्तूर चालू रक्खी थी उसने अपनी मुलायम मुलायम पावं के अंगूठे को अपने बगल बैठे शशांक की पिंदलियों पर
उपर नीचे करती जा रही थी
शशांक इस हरकत से पहले तो झुंझला जाता है उसकी तरफ आँखें तरेरता हुआ देखता है पर शिवानी उसे अनदेखा करते हुए अपने काम में लगी रहती है और नाश्ता भी करती जा रही थी
शशांक के पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था के चूप चाप आनंद लेता रहे और उस ने ऐसा ही किया नाश्ते के साथ शिवानी की हरकतों का भी मज़ा ले रहा था
नाश्ता ख़त्म करते हुए सब से पहले शिव उठ ता है अपनी रिस्ट . पर नज़र डालता है
” ओह्ह्ह्ह 11 बाज गये अच्छा बच्चो तुम लोग आराम से छुट्टियाँ मनाओ और शांति तुम भी आराम कर लो ,दीवाली के बिज़ी दिनों में तुम भी काफ़ी थक गयी होगी ,,मैं ज़रा दूकान से हो आता हूँ स्टॉक वग़ैरह चेक
कर लूँ ” बोलता हुआ अपने कमरे की ओर चल पड़ता है
” ओके शिव पर जल्दी आ जाना , आज डिन्नर हम लोग बाहर ही करेंगे ”
डिन्नर बाहर करने की बात सुनते ही शिवानी उछल पड़ती है और मोम को गले लगा लेती है
” ओह मोम थ्ट्स ग्रेट .बिल्कुल सही आइडिया है आप का .बाहर खाना खाए भी कितने दिन हो गये .है ना भाय्या .? ” उस ने अपने प्यारे भैया की भी हामी चाहिए थी .उसके बिना उसकी बात का वज़न नहीं होता
” अरे हां शिवानी यू आर आब्सोल्यूट्ली राइट .” भैया ने भी अपनी हामी की मुहर लगा दी
अब शिवानी मोम को छोड़ भैया से लिपट जाती है ” ओह भैया यू आर सो स्वीट ”
और उसके गालों को चूम लेती है
शशांक एक बड़े ही नाटकिया अंदाज़ से मुँह बनाता हुआ अपने गाल पोंछ लेता है मानो शिवानी के होंठों ने उसके गाल मैले कर दिए हों . दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
शांति की हँसी छूट जाती है शशांक के इस अंदाज़ पर शिवानी का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है
शशांक देखता है मामला गड़बड़ है
” अरे शिवानी क्या यार तू बात बात पे गुस्सा कर लेती है मैं तो मज़ाक कर रहा था .है ना मोम ?? ले बाबा अब जितना चाहे चूम ले मेरे गाल मैं नहीं पोंच्छूंगा ”
और अपने कान पकड़ता हुआ गाल उसकी ओर बढ़ा देता है शिवानी मुँह फेर लेती है
शशांक अपने कान पकड़े पकड़े ही शिवानी के फिरे मुँह की ओर घूमता है और अपनी आँखों से इशारा करता है मानो उसे कह रहा हो ” मान भी जा यार ” और अपना सर झूकए खड़ा रहता है अपनी प्यारी बहेन के सामने
शिवानी भी भैया का यह रूप देख अपनी हँसी रोक नहीं पाती और उसे फिर से गले लगती है और उसके गाल चूमती है ” फिर ऐसा मत करना भैया .”
शशांक फिर से अपने गालों को अपनी हथेली से पोंछता है पर इस बार अपनी हथेली चूम लेता है .और बोलता है ” ह्म्म्म्मम शिवानी ने लगता है दीवाली की मीठाइयाँ कुछ ज़्यादा ही खाई हैं ”
इस बात पर फिर से सब हंस पड़ते हैं
और इसी तरह हँसी , खुशी , प्यार और तिठोली में शिव-शांति के परिवार के दिन गुज़रते जाते हैं
शशांक और शिवानी के रिश्तों में गर्मी , जोश और जवानी के उमंगों की ल़हेर ज़ोर पकड़ती जाती है
शांति और शशांक के रिश्ते भी और मजबूत होते जाते हैं और नयी उँचाइयों की ओर बढ़ते जाते हैं. . इन मधुर रिश्तों के नये आयामों में शिवानी, शशांक और शांति एक दूसरे में खो जाते हैं पर रिश्तों की बंदिशें कायम
रखते हैं पूरी तरह दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
शिवानी को शशांक और शांति के रिश्तों का शूरू से ही पता है पर शांति को यह नहीं पता के शिवानी को पता है शांति को शशांक और शिवानी के रिश्तों का पता नहीं और शिवानी को अपने व्यवहार से शांति को यह
जताना है उसे शशांक और शांति के बारे कुछ मालूम नहीं कितनी बारीकी है इन रिश्तों के समीकरणों में इन बारीकियों को समझते हुए रिश्तों को निभाने में एक अलग ही मज़ा आनंद और रोमांच से भरी मस्ती थी
.अब तक इस खेल में तीनों माहीर हो चूके थे दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
और शिव बस अपने दूकान और शांति जैसी बीबी में ही खोया था .
जहाँ शिवानी शशांक के प्यार से और मेच्यूर , समझदार होती जाती है , अपनी अल्हाड़पन को लाँघते हुए जवानी की ओर बढ़ती जाती है .वहीं शांति अपनी ढलती जवानी की दहलीज़ को लाँघते हुए वक़्त को फिर से वापस
आता हुआ महसूस करती है . शशांक के साथ का वक़्त उसे फिर से जवानी , अल्हाड़पन और अपने प्रेमिका होने का एहसास दिलाता है इस कल्पना मात्र से वो झूम उठ ती है उसके लिए वक़्त फिर से वापस आता है
और इस वक़्त को वो पूरी तरह अपने में समेट लेती है इस वक़्त में खो जाती है यह वक़्त सिर्फ़ उसका और शशांक का है .शांति और शशांक का
शशांक इन दोनों रिश्तों के बीच बड़ी अच्छी तरह ताल मेल बना कर रखता है .उन दोनों को उनके औरत होने पे फक्र होने का एहसास दिलाता है और खुद भी समय के साथ और भी परिपक्व होता जाता है
शशांक का ग्रॅजुयेशन ख़त्म हो चूका है और अब उसी कॉलेज में रीटेल मार्केटिंग में एमबीए कर रहा है उस ने एमबीए के बाद अपनी मोम और डॅड के साथ ही काम करने की सोच रखी है
शिवानी ग्रॅजुयेशन के फाइनल एअर में है .दोनों अभी भी साथ ही कॉलेज जाते हैं बाइक पर पर शिवानी के हाथों की हरकत अब कुछ कम है नहीं के बराबर और . क्यूँ ना हो.?? :
शिव कुछ दिनों के लिए शहेर से बाहर हैं दूकान के काम से शाम का वक़्त है .शांति आज कल दूकान से जल्दी वापस आ जाती है .सेल का काम संभालने को एक मॅनेजर रखा है वोही संभालता है शोरूम
शशांक और शांति को शिव के रहते इस बार मिलने का मौका नहीं मिला था कुछ दिनों से दोनों तड़प रहे थे मानों कब के भूखे हों दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
शिवानी उनकी तड़प समझती है और शाम की चाइ साथ पीते ही उठ जाती है और बोलती है
” देखो भाई आज कॉलेज में मैं काफ़ी थक गयी हूँ मैं तो चली अपने रूम में सोने कोई मुझे जगाए नहीं ” और शशांक की तरफ देख मोम से आँखें बचाते हुए आँख मारती है और इठलाती हुई अपने कमरे की ओर चल
पड़ती है
थोड़ी देर शशांक और शांति एक दूसरे की ओर देखते रहते हैं उनकी आँखों में एक दूसरे के लिए तड़प और प्यास सॉफ झलक रहे हैं
” शशांक मैं चलती हूँ चलो खाना ही बना लूँ ” और मुस्कुराते हुए उठ जाती है
शशांक भी मुस्कुराता है और बोलता है
” पर मोम तुम ने इतनी अच्छी साड़ी पहेन रखी है दूकान से आने के बाद चेंज भी नहीं किया किचन में गंदी हो जाएगी ना नाइटी पहेन लो ना वो सामने ख़ूला वाला ???”
” ह्म्म्म्म मेरे बेटे को मेरे कपड़ों का बड़ा ख़याल है ठीक है बाबा आती हूँ चेंज कर के ”
वो अपने रूम की ओर जाती है पर जाते जाते पीछे मूड कर शशांक को देख एक बड़ी सेक्सी मुस्कान लाती है अपने होंठों पर
शशांक भी मुस्कुराता है और अपने कमरे की ओर जाता है चेंज करने को
शांति फ्रेश हो कर नाइटी पहेन किचन में है खाना बना रही है
शशांक भी आ जाता है
शांति नाइटी में बहोत ही सेक्सी लगती है उसके अंदर का उभार पूरी तरह झलक रहा है उसने ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी
शशांक उसे पीछे से अपनी बाहों में लेता है उसने भी बहोत ढीला टॉप और बॉक्सर पहेन रखा था
मोम के बदन की गर्मी और कोमलता के स्पर्श से उसका लंड तन्ना जाता है सामने से उसके हाथ मोम की चूचियाँ सहला रहे है नाइटी के अंदर से मोम चूप चाप उसकी हरकतों का मज़ा ले रही है और साथ में खाना
भी बनाती जाती है
आज भी उसका लंड शांति को अपने गुदाज और मुलायम चूतड़ो के अंदर चूभता हुआ महसूस होता है पर आज वो चौंक्ति नहीं है उस शाम की तरह आज और भी अपनी टाँगें फैला देती है सब कुछ बदल गया है समय
के साथ
शशांक अपना चेहरा शांति की गर्दन से लगाए है शांति की गालों से अपने गाल चिपकाता है और बड़े प्यार से घीसता है
अपने बॉक्सर के सामने के बटन्स खोल देता है लंड उछलता हुआ बाहर आता है . शांति की चूतड़ो की दरार में हल्के हल्के उपर नीचे करता है नाइटी के साथ अंदर धंसा है
उसे मालूम है शांति को किचन में चुदवाने में काफ़ी रोमांचक अनुभव होता है शांति बड़ी मस्ती में है खाना बनाए जा रही है और मज़े भी ले रही है
शशांक उसकी नाइटी एक हाथ से उपर कर देता है शांति की गोरी गोरी . चूतड़ नंगी हो जाती है उसका लंड और भी कड़क हो जाता है चूत से पानी टपक रहा है शांति थोड़ा आगे की ओर झूक जाती है , उसकी
गुलाबी चूत बाहर आती है बिल्कुल गीली और गुलाबी
शशांक एक छोटी किचन वाली स्टूल नीचे लगा कर बैठ जाता है और मोम की जांघों को अपने हाथों से अलग करता हुआ अपना मुँह चूत मे लगता है शांति कांप उठ ती है टाँगें और भी फैला देती है
शशांक अपने होंठों से उसकी चूत के होंठों को जाकड़ लेता है और बूरी तरह चूस्ता है शांति का पूरा रस उसके मुँह के अंदर जाता है .शशांक इस अमृत जैसे रस को पीता जाता है पीता जाता है
शांति मस्ती की चरम पर है…. तो दोस्तों आप लोग अपनी प्रतिक्रिया कमेंट में देते रहिये कहानी कैसी है अब आगले भाग में पढ़िए और मस्तराम डॉट नेट पे मस्त रहिये …. आप लोग ये कहानी निचे दिए गए whatsapp के icon पर क्लिक करके अपने दोस्तों को भी शेयर कर सकते है |