प्रेषक: सुनील
मेरा नाम सुनील सिंह है और यह मेरी एक और मस्त कहानी है । दोस्तों , मैं दावे से कह सकता हूँ क़ी मेरी यह कहानी पढ़ने के बाद सभी लड़के अपने लण्ड को मसले बिना नहीँ रह पाएंगे और सभी लड़िकयाँ अपनी चूत में ऊगली करती नज़र आयेंगी। दोस्तों मेरी उम्र २६ साल है और मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ । बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। कॉलेज मै प्रवेश लेने के कुछ ही दिन में हमारा अच्छा खासा ग्रुप बन गया। उसी ग्रुप में एक लड़की थी अनुष्का । दे खने में वो एकदम सेक्सी लगती थी। जब चलती थी तो ऐसा लगता था कि दिल पर छुरियां चला गई। उसकी गांड बहत ही मस्त और मोटी थी। उस पर उसका गोरा बदन और मोटे मोटे बोबे ! उसको दे खते ही ऐसा लगता था कि बस कैसे भी इसे चोद डालूँ ! धीरे धीरे हमारी दोस्ती बढ़ती जा रही थी और हम एक दसरे से मस्ती करने लगे थे। आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | कछ दिनों बाद इससे पहले कि कोई और उसे प्रपोज करता मैंने उसे प्रपोज कर दिया और उसने भी हाँ कह दी। बस फिर क्या था, मेरे तो मन की हो गई थी। अब तो मुझे अपना काम बनता नज़र आ रहा था। धीरे धीरे हमारा रिश्ता बढ़ने लगा और हम एक दसरे से काफी खुलने लगे। कभी कभी मैं उसके अंगों को भी छु लेता। शुरू में तो उसने एक दो बार एतराज़ किया पर फिर धीरे धीरे उसे भी ये सब अ छा लगने लगा। अब हम दोनों काफी खुल गए थे और सेक्स के बारे में भी बातें करने लगे थे। मेरी सारी योजना मुझे सफल होती नज़र आ रही थी। एक दिन मैंने उसे एक रेस्टोरेंट में चलने को कहा तो वो झट से राजी हो गई। मैं उसे अपने ही एक दोस्त के रेस्टोरेंट में ले गया जहाँ पर हट-सिस्टम था। हम वहाँ कछ दे र बैठे और फिर मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया । पहले तो वो बोली- यह क्या कर रहे हो ? कोई दे ख लेगा ! पर जब मैंने उसे बताया- कोई नहीं आयेगा ! यह मेरे दोस्त का ही रेस्टोरेंट है और मैंने उसे पहले ही मना कर दिया है कि हमारी हट में वेटर को दोबारा मत भेजना ! तो उसने कोई आपत्ति नहीं जताई और सीधी मेरी बाहों में आ गई। मैंने भी बिना कोई दे र किये अपने होंट उसक होंटों से सटा दिए और उसे जोर से चूमने लगा। शुरू में तो वो साथ नहीं दे रही थी पर जब मेरे हाथ धीरे धीरे उसक बदन पर रें गते हए उसक वक्ष तक पहुंचे और मैंने उन्हें उसके कुरते के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया तो कछ ही दे र में वो भी गरम हो गई और मेरा साथ दे ने लगी। उस दिन मैंने उसक होटों का मस्त रसपान किया और उसकी चुचियो को भी दबा दबा कर लाल कर दिया । इस तरह हमारा एक दुसरे के साथ बदन से खेलना कुछ दिनों तक जारी रहा और फ़ोन पर भी मैं उससे सेक्सी बातें करता रहा। एक दिन उसक घर कोई नहीं था तो वो कॉलेज नहीं आई। मैंने उसक घर पर फ़ोन किया तो उसने मुझे घर पर ही आने को कह दिया । मै तो कब से ऐसे ही मौक की तलाश में था। मैंने समय बबार्द न करते हए तुरंत ही अपनी गाड़ी उठाई और उसक घर पहुँच गया। जैसे ही मैंने घण्टी बजाई अनुष्का ने दरवाजा खोला। उसने हल्क गुलाबी रं ग की नाइटी पहनी हई थी और वो उसमे मस्त लग रही थी। उसने मुझे अन्दर बुलाया और बैठने को कहकर पानी लेने चली गई। वो पानी लेकर आई और मेरे सामने बैठ गई। मैंने उससे पूछा- सब कहाँ गए हैं ? तो उसने बताया कि भाई कौलेज गया है और ५ बजे तक आयेगा और मम्मी और पापा किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हैं और वो भी शाम तक ही आएंगे। यह सुनकर मेरे चेहरे पर ख़ुशी साफ़ नज़र आ रही थी। तभी उसने मुझसे पूछा- क्या लोगे ? तो मैं भी तपाक से बोला- तुम को !इतना सुनते ही वो बोली- तुम बहत शरारती हो गए हो ! आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | इतने में मैंने खड़े होकर उसे चूम लिया और अपनी बाँहों में भर लिया । धीरे -धीरे मेरे हाथ उसक बदन पर ऊपर-नीचे रें गने लगे। वो भी मेरी बाँहों में समाती चली गई। उसक होंट मेरे होंटो से सट चुक थे। तभी मैंने उसक वक्ष पर हाथ डाल दिया और उसकी मस्त मोती चुचियों को हाथ में ले लिया और सहलाने लग गया। उसकी चुचियों को हाथ में लेते ही मैं समझ गया कि आज उसने ब्रा नहीं पहनी है । मैंने उसे एक ही झटके में गोद में उठा लिया और पूछा- तुम्हारा बेडरूम कहाँ है ? उसने हाथ के इशारे से मुझे रास्ता बताया। बेडरूम में आकर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया ,और उसकी बगल में लेट कर उसे चूमने लगा और बोला- आज मैं तुम्हारा बदन दे खना चाहता हूँ ! यह कहकर मैंने उसे नाइटी उतारने के लिए कहा। पहले तो उसने मना किया पर मेरे जोर दे ने पर वो मान गई और नाइटी उतार दी। जैसे ही उसने नाइटी उतारी, उसक गोल गोल संतरे जैसे स्तन मेरी आँखों के सामने थे। क्या मस्त चूचियां थी !
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