हाय दोस्तों ! मेरा नाम अंकुश है मेरी एक फ्रेंड है, जिसका नाम रोज़ी ( बदला हुआ नाम) है. रोज़ी दिखने में इतनी कुछ ख़ास तो नहीं है लेकिन एक नंबर की चुदासी माल है, उसका फिगर तो क्या गजब का है, एक दम भरा हुआ बदन, बड़े बड़े बूब्स, पतली कमर, उभरी हुई मोटी गांड. देख के ही चुदाई का मन कर जाए किसी का भी! अब आप सब को सुनाता हु की कैसे मैंने उसे पहली बार चोदा |
जब जीन्स और टॉप पहन के आती है तो पूरा फिगर दीखता है, टाइट जीन्स और टाइट टॉप अगर पहनी हुई हो तो सच में दोस्तों मन करता है जा कर उसके बड़े बड़े बूब्स को दबा दू उससे लिक्क करूँ और चुदाई शुरू कर दू.
में कुछ सालो से रोज़ी का एक अच्छा दोस्त था लेकिन कभी उसे चोदने का ख्याल मेरे दिमाग में नहीं आया था और वो भी मुझे एक अच्छा दोस्त मानती थी. उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं था और मेरी भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.
हुआ यु की, एक दिन वो ऑफिस में एक दम टाइट जीन्स और टाइट टॉप पहन के आई, जिससे उसके बड़े बड़े बूब्स और उभरे हुए दिख रहे थे, मोटी गांड और और चूत का शेप साफ़ दिख रहा था. यह सब देख कर में तो जैसे पागल हो गया था. और उसे देखता ही रह गया, मेरे अंदर कुछ होने लगा और मेरा ७ इंच का लंड भी खड़ा हो गया.
उसका फिगर में में जब खोया हुआ था तो उसने मुझे देख लिया और आकर पूछने लगी की इतना घुर घुर कर क्यों देख रहे हो, मैंने कहा- रोज़ी आज तुम क़यामत लग रही हो.
ये कह कर उसने थैंक यू कहा और छोटी सी स्माइल देकर चली गयी.
फिर मेरे दिमाग में उसे चोदने का ख्याल आने लगा, पूरा दिन उसकी बूब्स, गांड और चूत का शेप मेरे सामने आ रहा था, में तो कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था खुद को. और मेरे लंड को ऐसा लग रहा था की एक चूत की जरुरत है उसे चोदने के लिए, और वो चूत थी रोज़ी की. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
उस दिन मैंने पुछा की इस वीकेंड क्या कर रही हो, तो उसने कुछ ख़ास नहीं कहा. फिर मैंने उससे कहा की चलो फिर कोई मूवी चलते हैं, उसने हाँ बोला.
मैंने मूवी की २ टिकट्स निकाली हंटर की, एक दम कार्नर की सीट बुक कर ली, वीकेंड आया और मैंने उसका थिएटर के पास वेट किया , वो आई और उसे देखते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने सोचा आज तो इसे चोद कर ही रहूँगा.
हम लोग अंदर गए, मूवी शुरू हो गयी, मूवी में एक हॉट सीन आया, जिसे देख कर में गरम हो गया और मेरा हाथ उसकी जांघो पर चला गया और मैंने उसकी जांघो को सहलाने लगा. उसने कुछ नहीं बोला, क्यूंकि उससे भी मज़ा आने लगा था, वो हॉट सेन देख कर वो भी गरम हो गयी थी.
उसके जांघो को सहलाते सहलाते अपना हाथ उसकी चूत के पास ले गया, उसने अपनी आँखे बंद कर ली, मैं अपना हाथ धीरे धीरे उसकी चूत में ले गया, और उसकी चूत सहलाने लगा.उसने जीन्स पहनी हुयी थी, उसकी जीन्स की बटन और ज़िप खोल के मैंने अपना हाथ अंदर दाल के उसकी चूत में ऊँगली करने लगा, और वो मों करने लगी, उससे अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा था और न ही मुझ से कण्ट्रोल हो रहा था.
उसने मेरे कानो में धीरे से कहा “ अंकुश, चलो न तुम्हारे घर चलते है”.
मैं सुनते ही खुश हो गया और हम थिएटर से बहार निकले, मैंने जल्दी से गाडी निकली. स्टार्ट की और मेरे घर आ गए.
जैसे ही अंदर घर में घुसे, मैंने उससे अपनी बाँहों में ले लिया और उसे लिप किस करने लगा.
वो भी पूरा साथ दे रही थी, लिप किस करते करते में उसके बूब्स भी सहला रहा था, वो बोलने लगी, “अंकुश, और ओर से दबायो, प्लीज इससे चूसो”
ये सुनते ही मेरे अंदर का जानवर जाग गया और उसके बूब्स को जोर जोर से दबाने लगा और चूसने लगा, फिर मैंने उसका टॉप निकाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स का मज़ा लेने लगा.
फिर में उसे उठा कर बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया और में उसके ऊपर कूद पड़ा, उससे पागालो की तरह किस करने लगा, उसके होठो पर, गालो पर, कानो पर, गर्दन पर, और जैसे ही निचे बढ़ता गया वो और मस्त होती जा रही थी, मछली की तरह तड़प रही थी. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैंने उसका जीन्स खोल दिया, अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी रेड क्लौर में जो की मेरा फ़ेवरेट है, क्या हॉट एंड सेक्सी लग रही थी वो मैंने उसके चूत के पास बढ़ा और पेंटी के ऊपर से ही चूत चाटने लग गया.
दोस्तों आप लोगो को बता दू की मुझे चूत में ऊँगली करना और चूत चाटने में बहुत मज़ा आता है. पेंटी के ऊपर से चूत चाटते चाटते मुझ से रहा नहीं गया और मैंने उसकी पेंटी वही फाड़ दी. उसकी चूत देखते ही मेरा लंड अंदर जाने को तड़प रहा था और जैसे की मैंने बताया की मुझे चूत चाटने में बहुत मज़ा आता है.
मैंने उसकी चूत करीबन १५ मिनट तक चाटी, चूत चटवा चटवा के रोज़ी की हालत ख़राब हो गयी थी, इस बीच वो ३ बार झड चुकी थी, उसने उतेजना में आकर खुद ही अपनी ब्रा खोल दी और बोली “ सक माय बूब्स हार्डर.
फिर क्या, में उसके बूब्स को पकडा और सक करने लगा और बोलती गयी “ हार्डर अंकुश, हार्डर” और में सक करते गया और दबाता गया, फिर उसकी चूत पे गया और फिर से चाटना शुरू किया, वो जोर जोर से मों करने लगी… बोल रही थी अंकुश… आह्ह्ह्ह…. आआह्ह्ह… कम ऑन सक इट… लिक्क इट हार्डर… मोर हार्डर… कम ओन… कम ऑन प्लीज इन्सर्ट योर फिंगर…. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
उससे अब कण्ट्रोल नहीं हुआ और बोलने लगी “ आइ नीड योर कॉक.. प्लीज फ़क मी फ़क मी.. अंकुश…”.
मैंने अपना लंड निकला जिसे देख कर वोह खुश हो गयी, मैंने एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया, और ताबड़ तोड़ उसकी चुदाई करने लगा और वो बोलती गयी “फ़क मी.. फ़क मी फ़क मी… हार्डर.…”
इस तरह मैंने उसकी ३० मिनट तक चुदाई की और उसके अंदर ही झड गया.
अब हर वीकेंड या जब भी टाइम मिलता है अलटरनेट डेज हम चुदाई का खूब मज़ा लेते है. रोज़ी अब मेरा लंड के बिना रह पाती.
कैसे लगी आपको मेरी कहानी मुझे जरुर बताये…
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