हेल्लो दोस्तों मेरी पछली कहानी ” दोस्त से अपनी बीवी चुदवा कर गलती कर दी” पर मुझे ढेर सारे मेल आये आज एक और मजेदार कहानी लिख रहा हु आशा करता हु मेरी पिछली कहानी की तरह ये भी आप लोगो को पसंद आएगी | दोस्तों ये कहानी मेरे कॉलेज टाइम की है तो अब कहानी पर चलते है | ‘क्या बात हैं, आज बड़ी बेचैन दिख रही हो’ नीता ने पास बैठी नवोदिता से पूछा ‘नही रे ऐसी कोई बात नही’ नवोदिता ने बात टलने के नियत से कहा ‘हमेशा तेरी बकबक से, सर मे दर्द पैदा कर देती हो आज इतनी खामोश हो, ज़रूर कोई बात हैं’ ‘भरोसा रख ऐसी कोई बात नही’ .नवोदिता ने ज़ल कर कहा ‘ठीक हैं मत बता , मैं तो समझ ती थी हम पक्की सहेलिया हैं, एक दूसरे से कोई बात नही छुपति, मगर तू नही बताना चाहती है तो मैं फोर्स नही करूँगी’ नीता ने ब्रम्हस्त्रा छोड़ा, जोकि बिल्कुल सही निशाने पे लगा. ‘क्लास छूटने के बाद बतौँगी’ आख़िर नवोदिता ने मान लिया ‘ठीक हैं’ नीता और नवोदिता पक्की सहेलिया थी, शहर के एक नामी कॉनवेंट स्कूल मे पढ़ती थी,दोनो ही ग्रेजुएशन की स्टूडेंट थी, उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी,की बाकी लड़किया उनसे जलती थी. नीता एक अपर मिड्ल क्लास फॅमिली से थी, तो नवोदिता का परिवार शहर का प्रतिष्ठित,अमिर था. लेकिन इससे उनकी दोस्ती पर कोई फ़र्क नही पड़ता था. सिर्फ़ नीता के परिवार वाले थोड़े चिंतित रहते थे, उनके बीच सोशियल स्टेटस का फ़र्क जो था. क्लास ख़त्म होने के बाद दोनो स्कूल के पीछे बने गार्डन मे बैठ गयी. ‘चल अब बता क्या हुआ हैं’ नीता जानने के लिए उतावली थी और नवोदिता सोच मे पड़ गयी थी शुरूवात कैसे करे ‘देख मैं तुझे सब बताती हू, पर पहले मेरे कुछ सवालो के सही सही जवाब देने होगे’ नवोदिता अपनी भूमिका बाँध रही थी ‘क्या पूछना चाहती हैं तू’ ‘उउउउउउउउउम्म .’ अरे पूछ ना .ये उउउउउउउउउउम्म्म क्या हैं’ नीता जानने के लिए अधीर हो रही थी. ‘तूने कभी सेक्स किया हैं’ नवोदिता ने बम फोड़ा. ‘क्या ??? तेरा दिमाग़ तो नही खराब हुआ, अगर ऐसा कुछ किया होता तो क्या तुज़से छुपति ?” ‘मैं जानती हू की तू मुज़ासे कुछ नही छुपति,लेकिन कुछ ऐसा हुआ हैं,मूज़े पूछना ज़रूरी लगा’ ‘क्या हुआ हैं ? कही तूने अकेले ही कुछ,मेरा मतलब हैं ‘ ‘नही मैने कुछ नही किया हैं’ ‘तो . ?’ नीता से जिज्ञासा छुपी नही रही थी. ‘तू मेरे घर का डिज़ाइन जानती हैं,मेरे बेडरूम से किचन के लिए जाना हो तो भैया के बेडरूम के सामने से गुजर ना पड़ता हैं’ ‘हाँ जानती हू,तेरे घर पर कई बार आ चुकी हू, तू आगे बोल.’ नीता अभी भी कुछ समझ पाने मे असमर्थ थी. ‘कल रत अचानक मेरी नींद खुली,12.30 से उपर का समय हुआ होगा,मूज़े भूख सी महसूस हुई, मैने थोड़ी देर वैसे ही सोने की कोशिश की, पर नींद नही आई, तो मैने सोचा किचन मे जाकर दूध वग़ैरा कुछ पी लू,मैं उठाकर किचन की तरफ चल दी,मगर .’ ‘मगर क्या अरे बोल ना’ नीता सस्पेन्स को बर्दाशस्त नही कर पा रही थी. ‘मूज़े भैया,भाभी के बेडरूम से कुछ आवाज़े सुनाई दी’ ‘क्या आवाज़े सुनाई दी’ नीता का सस्पेंस बढ़ता ही जा रहा था ‘वो वो भाभी भैया से कह रही थी ,वो वो ‘ ‘अरे वो वो क्या कहा रही हैं, अब बक भी’ नीता अब एक्शिट हो रही थी ,उसे कुछ कुछ समझ मे आ रहा था. ‘एमेम एम्म मूज़े शर्म आती हैं ‘ नवोदिता सचमुच शर्मा रही थी ‘ओये होये मेरी शर्मीली कबूतरी, अब ये शरमाना छोड़ और बता भाभी क्या कह रही थी. ‘वो वो कह रही थी है मेरे अर्जुना बड़ा मज़ा आ रहा है,, और जम के, है और ज़ोर से. आप के जैसा पति पाकर तो मैं धान्या हो गयी पूरे मर्द हैं आप तो .एक बात पुच्छू ? इतना कह कर नवोदिता चुप हो गयी. ‘तो आगे बताना,भाभी ने क्या पूछा,और भैया ने क्या कहा’ नीता को अब रहा नही जा रहा था ‘ वो भैया ने कहा पूछो मेरी जान मैं भी तो तुम्हारी जैसी मदमस्त,सेक्सी पत्नी को पाकर धान्या हो गया हू, हाए क्या बॉल हैं तुम्हारे, पूछो जो पूछना है’ ‘फिर भाभी ने क्या कहा ‘ नीता अब बहुत ही गरम हो चुकी थी, पूरी बात एकदम से सुनना चाहती थी ‘भाभी ने पूछा आप पिछले जानम मे घोड़े थे क्या ? ये आपका इतना बड़ा कैसे हैं ? फिर अरे पूरी बात एकदम से बताना, क्यो हिन्दी सीरियल की तरह एपिसोड्स मे बता रही हैं? नीता अब ज़ल उठी थी. ‘आगे कुछ सुन नही पाई, मूज़े मम्मी,पापा के बेडरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, तो मैं भाग कर अपने बेडरूम मे चली गयी, दूध भी नाही पिया. जैसे ही नवोदिता की बात ख़त्म हुई, दोनो सहेलिया,अपने चेहरे पे अजीब से एक्सप्रेशन्स लिए एक दूसरी की तरफ देखती रही, दोनो ने एकदम नज़रे झुकाली दोनो की ही पॅंटी गीली हो चुकी थी नीता और नवोदिता, सही मायने मे आज के जमाने की लड़कियो को रेप्रेज़ेंट करती थी एस मॉडर्न जमाने के आज़ाद ख़याल मा,बाप की उतनी ही आज़ाद ख़याल लड़किया. अपनी ही बेटियो को शॉर्ट स्कर्ट्स मे देखने से उनके माथे पे शिकन तक नही आती थी, उनकी स्कर्ट्स से झलकती भारी भारी गुदज जंघाओ,और टी-शर्ट से झलकती उनकी ठोस चुचिया, उनके दिमाग़ मे कोई ख़तरे की घंटी नही बजाते थे. आम तौर पर, सभी परिवरो मे मॅमी,डॅडी, भैया,भाभी, बड़ी या छोटी बहाने,अपने अपने बूससिनएस्स मीटिंग्स, क्लब्स,किटी पार्टिया, स्पोर्ट्स इवेंट्स,कॉलेज की गॅदरैंग्स इतने व्यस्त रहते थे की, किसिको किसी के बारे मे ज़्यादा जानने,या बात करने की फ़ुर्सत भी नही मिलती थी. एक ही परिवार के सदस्या एक ही घर मे ऐसे रहते थे मानो, रूम पार्ट्नर्स हो, या एक ही होटेल मे रुके मुसाफिर हो, जिनका एक दूसरे की जिंदगी से कोई वास्ता ना हो .ऐसी स्थिति मैं अगर ये कची उम्र की कालिया, उनके आसपास के माहौल से, टीवी,फ़िल्मो मे दिखाई देने वाले उत्तेजक,सेक्सी दृश्यो से,क्लब,पार्टी,पब्स के माहौल से, वक़्त से पहले ही खिल कर फूल बनने की कोशिश करे तो इसमे कोई हैरानी बात नही थी नीता और नवोदिता भी अपनी उम्र के ऐसे ही नाज़ुक मोड पर खड़ी थी. “चलो घर चलते हैं” नवोदिता ने कहा “उउउँ क्या? हाँ चलो नीता अभी भी उत्तेजना से बाहर नही निकली थी. दोनो ने अपने अपने स्कूल बॅग्स उठाए और स्कूल गेट की तरफ चल दी. दोनो ही खामोश थी,उपर से, दिल मे तूफान उठा हुआ था “क्या सोच रही हो ” नवोदिता ने खामोशी तोड़ी ‘कुछ भी तो नही’ ‘अब तुम झूठ बोल रही हो’ ‘नही नही,ऐसी कोई बात नही’ इस पर नवोदिता ने जाड़ा कुरेदना उचित नही समझा .थोड़ा वक़्त और खामोशी मे बीता. “क्या तुमने उन्हे करते हुए देखा था” अचानक नीता ने पूछा. कुछ पल के लिए नवोदिता कुछ समझी ही नही, लेकिन जैसे ही उसके समझ मे आया, वो शर्म से लाल हो गयी. “धात, कुछ भी बोलती हो” “अब ये शरमाना छोड़,और सच सच बता !” “मूज़े इच्छा तो हुई थी पर डर भी लग रहा था” ‘हुउऊुुुउउंम्म ” नवोदिता और भी कुछ कहना चाहती थी, पर हिम्मत नही जुटा पा रही थी “नीता ” नवोदिता ने हलकीसी आवाज़ मे पुकारा “क्या हैं ?” “मैने भैया भाभी को तो नही देखा था मगर.” नीता के कान एकदम खड़े हो गये, आँखे चमक उठी. “मगर क्या साफ साफ बोल ना” “तू किसी से कुछ कहोगी तो नही” नवोदिता ने डरते,हिचकते पूछा “पागल हो गयी हो !मैने आज तक,हमारे मेरे बीच जो भी बाते हुई हैं क्या किसिको बताई हैं” “मैने मैने एक बार ब्लू फिल्म देखी थी,चोरी से,अचानक ही” नवोदिता अभी भी हिचकिचा रही थी “क्या .!!!!!!!!!!!!!! तूने ये बात मुझसे छुपाके रखी,अपनी पक्की सहेली से !मैं तो समझ ती थी तेरे मेरे बीच कुछ भी छुपा नही हैं.” नवोदिता खामोश रही “कब देखी थी, कहा और कैसे देखी थी” आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | नीता अब फिरसे उत्तेजित हो रही थी. ब्लू फिल्म्स के बारे मे उसने भी सुन रखा था,देखना भी चाहती थी, सिर्फ़ जिगयसा वश. एक बार जब घर मे कोई नही था, मैने भैया के कमरे से एक सीडी उठा लाई थी,मुझे लगा था वो कोई कॉंमान हिन्दी फिल्म की होगी,उसपर कोई कवर भी नही था, लेकिन जैसे ही मैने सीडी प्लेयर मे डाली .उसमे एकदम नंगी लड़किया और लड़के थे,एक बार मैने सोचा सीडी निकाल कर वापिस भैया के कमरे मे रख दू, लेकिन वो वो मुझे उत्सुकता हो रही थी एस लिए पूरी देख ली. नवोदिता ने एक सांस मे पूरी बात कह डाली, बात करते करते ही उसकी साँसे तेज़ चलने लगी थी जैसे वो खुद उस फिल्म की हेरोइन थी “अब कहा हैं वो सीडी’ नीता एक्शितमेंट की हद पर कर रही थी. “मेरे पास ही हैं” “क्या अभी भी तेरे पास ही हैं ?’ नीता के आँखोकी चमक फिर बढ़ने लगी. “हाँ बाद मे रख दूँगी, सोच कर मैने अपने पास ही रख ली” “मूज़े भी देखनी हैं” नीता की आवाज़ थरथरा रही थी, उत्तेजना से जिस्म कांप रहा था. “कल दोपहर को मेरे बेडरूम मे देखेंगे,उस वक़्त घर पर कोई नही होता” तभी नवोदिता की कार उसे लेने आगयइ,दोनो ही कार पे सवार हो गयी, दोनो ही खामोश थी,दोनो का मन कल आने वाले आनंद की कल्पना से मस्त,मस्त हो रहा था नीता जब घर पहुचि, तब भी वो अपने आप मे नही थी. बात सिर्फ़ ये नही थी के नवोदिता की बतो ने उसे आंदोलित कर दिया था, बात कुछ और भी थी, अगर नवोदिता ने ब्लू फिल्म देखने की बात उससे छुपाई थी,तो उसने भी एक बात नवोदिता से छुपाई थी एक बहुत ही बड़ी बात ! नीता कुवारि नही थी ! वो पहले ही चुद चुकी थी ! उसकी सील टूट चुकी थी .और यही वजह थी की सेक्स, रोमॅन्स की बात निकलते ही वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो जाती थी उसने वो वर्जित फल खाया था, जिसे खाने की उसे मनाही थी,शादी होने तक. लेकिन वो तो खा चुकी थी,चख चुकी थी,मज़ा लूट चुकी थी अपने अर्जुन अंकल से. नीता घर मे पहुचते ही सीधी घुस गयी बाथरूम मे,फ्रेश होने के लिए, गीली पॅंटी बदल ने के लिए बाथरूम से निकल कर वो सीधी अपने बेड रूम मे पहुचि, स्कूल की ड्रेस बदल कर उसने एक ढीला सा गॉन पहन लिया,और बेड पर लेट गयी नवोदिता की बातो ने उसे उत्तेजित कर दिया था, जिन भावनाओ को उसने बड़े मुश्किल से काबू मे रखा, था वोही भावनाए अब उस पर हावी होनी लगी थी, अपनी पहली चुदाई की यादे ताज़ा होने लगी थी .अपने आप उसका एक हाथ उसकी कमसिन,मगर टाइट चुचियो को सहलाने लगा और दूसरा हाथ पनटी मे राहत तलाश रहा था. अर्जुन अंकल, तकरीबन साल भर पहले तक उनके पड़ोसी थे, 35 साल की उमरा मे भी किसी 25,26 साल के नौजवानो जैसे दिखाते थे, नीता को हमेशा अचरज होता था, की उनके फॅमिली मे , उसके साथ वो यू घुलमिल गये थे, जैसे उनके परिवार का एक हिस्सा हो, उनकी पत्नी, शीतल, सिर्फ़ नाम की शीतल थी,वास्तव मे बड़ी चिड़चिड़ी और खुंदकि थी, सबका ध्यान अपने तरफ आकर्षित करने की कोशिश मे लगी रहती, (हमेशा कोई ना कोई बीमारी का बहाना बना कर,) वैसे उन्हे एक बेटा भी था जो अर्जुन अंकल के मॅमी,दादी के साथ रहता था.नीता के दिमाग़ मे हमेशा ये बात कुलबुलाती रहती की एटने अच्छे अंकल को ऐसी नकचाढ़ि पत्नी कैसी मिली. अर्जुन अंकल उसे हमेशा पढ़ाई मे मदद करते, उसे इंग्लीश स्पीकिंग की तैय्यारि कराते. कुलमिलाकर उसे और उसकी फॅमिली को अर्जुन अंकल बेहद पसंद थे लेकिन कुछ बाते ऐसी भी थी जिसका मतलब नीता उस वक़्त नही समझ ती थी,अर्जुन अंकल जब भी उससे बात करते थे,उनकी नज़रे हमेशा उसकी विकसित हो रही ककचे आमो की भाती चुचियो पर टिकी रहती,थी बात करते समय वो हमेशा उसकी पीठ पर हाथ फेरते थे, गालो पे चुटकी भरते थे, हाथ फेरते थे,कभी कभी अंजाने ( ?) मे वो उसकी गुदाज मांसल जंघाओ पर हाथ रखते थे, तो नीता के टाँगो के बीच गीलापन महसूस होता था, लेकिन वो उनका विरोध नही करती थी,क्यो की वो तो “बेचारे” अर्जुन अंकल थे और उसे पता नही क्यो अछा भी लगता था. एक दिन जब वो स्कूल से वापस आई, तो उसे पता लगा की शीतल आंटी हमेशा की तरह बीमार हो गयी हैं, अंकल उन्हे हॉस्पिटल मे भरती करने गये हैं शाम को जब अंकल वापस आए तो नीता दौड़ कर उनके फ्लॅट पर पहुचि, तो देखा अर्जुन अंकल सिर्फ़ बरमूडा पहने सोफे पर बैठे थे,उनके हाथ मे एक ग्लास था जिसमे कोई लाल रंग का तरल पदार्थ था “आंटी को क्या हुआ अंकल” नीता ने धदाम से सोफे पर बैठते हुए पूछा. ‘कुछ नही याआआआर वोही हमेश का नाटक” अंकल उदास स्वर मे बोले वो छोड़ तू बता तेरी पढ़ाई कैसे चल रही हैं. कुछ प्राब्लम आपको पूछनी थी पर” नीता अंकल का उखाड़ा हुआ मूड देखा कर हिचक रही थी “पर क्या ?” अंकल ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा हमेशा की तरह “आंटी बीमार हैं तो मैने सोचा” “छोड़ इस बात को तू जानती हैं, उसकी बीमारी के बारे मे” .अंकल का हाथ उसके ब्रा स्ट्रेप्स पर रुक गया ( हाँ नीता 9थ स्ट्ड से ही ब्रा पहनने लगी थी, सवाल उसकी चुचियो को सम्हल ने का नही था, पर उसके निपल दिख जाते थे,पतली शर्ट से) नीता आज कुछ अजग सा महसूस कर रही थी “नीता .एक बात कहु,तुम बुरा तो नही मनोगी” “नही अंकल मैं आपकी किसी बात का बुरा नही मानूँगी” नीता को अर्जुन अंकल बहोत आछे लगते थे. अंकल का हाथ अब पीठ पर नीता के ब्रा स्ट्रेप से खेल रहा था,और दूसरा हाथ उसकी चिकनी मुलायम जाँघो पर फिर रहा था. नीता सांस अब भारी हो रही थी ‘अंकल आप कुछ कह रहे थे” नीता ने जैसे तैसे पूछा. “अगर तुम और थोड़ी बड़ी होती . उउउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म 25,26 साल की होती तो मैं तुमसे शादी कर लेता अंकल का हाथ जंघाओ पे कस गया नीता नादान थी,कमसिन थी, नासमझ थी, कक़ची उमरा की काली थी | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | लेकिन उम्र के ऐसे मोड़ पर थी, जहाँ मर्द का स्पर्श दीवाना बना देता हैं वो समझ ही नही पाई की जो आज सिर्फ़ 15 साल की हैं,वो थोड़ी सी बड़ी 25,26 साल की कैसे हो सकती हैं. लेकिन इतनी भी छोटी नही थी की कुछ भी ना समझ पाए “ये ये आप क्या कह रहे हैं अंकल” .नीता महसूस कर रही थी की अंकल का हाथ अब धीरे धीरे स्कर्ट के उन्दर पहुँच रहा है, उसकी कोमल जंघाओ पर दीपक अंकल के मर्दाने हाथ का स्पर्श, उसके होश उड़ाए जा रहा था. “तुम मुझे बहोट अच्छी लगती हो नीता” दीपक अंकल का हाथ पीठ पर से फिसल ता हुआ, बगलो से गुज़रता हुआ, चुचियो तक पहुच गया था, दूसरा हाथ जंघाओ के अंदर अपना सफ़र तय कर रहा था पॅंटी की तरफ, और अंकल के होंठ नीता के गुलाबी गालो को लाल बनाए के लिए हल्के से छू रहे थे. दीपक अंकल द्वारा ये ट्रिपल अटॅक, नीता के लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया. कची काली पूरी तरह से खिलाने को बेताब हो गयी. उसने अपना चेहरा घुमाया, और, पतले,गुलाबी,अधखुले, थरथरते होत अंकल के होठ पर गाड़ दिए अपने प्यारे दीपक अंकल के होठ पर जो उसे अपनी बीवी बनाना चाहते थे नीता का मन डोलेमान था,तअर्जुनू के दो पलड़ो मे झूल रहा था,एक पलड़े मे था उसका मन, उसका कॉशन,तो दूसरे पलड़े मे था उसका,नाज़ुक,कमसिन,बदन, जो 16 वे साल की दहलीज पर खड़ा था उसका मॅन उसे रोक रहा था,ये सब करने के लिए, और तन चाह रहा था और कुछ पाना, सूब कुछ पाना, मर्द का स्पर्श उसे उकसा रहा था, अपन सूब कुछ नौछावर करने के लिए. मन कह रहा था .नीता ये ठीक नही हैं,ग़लत है, ग़लत वक़्त पर ,ग़लत उम्र मे, ग़लत बात हैं,इसे रोको, उधर तन कह रहा था |
दोस्तों कहानी जारी रहेगी अगले भाग में जल्द ही पढने को मिलेगी तब तक पढ़ते रहिये मस्तराम डॉट नेट और मस्त रहिये नयी नयी मजेदार कहानियो के साथ और हां पिछली कहानी की तरह मेल करना ना भूले मेरी मेल आई डी तो आप लोग जानते ही होगे जो लोग नही जानते मै उनको बता देता हूँ …[email protected] तो दोस्तों कहानी की सुरुवात कैसी है ???