हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम शंभू है और मेरी उम्र 19 है. में भोपाल का रहने वाला हूँ. दोस्तों में आज आप सभी को अपने घर की एक सच्ची दास्तान सुनाने जा रहा हूँ जो एकदम सच्ची है और वो मेरी माँ की कहानी है जिसने एक ही बार में सब कुछ बदलकर रख दिया. दोस्तों एक दिन मेरे घर में भी कुछ ऐसा घटित हुआ जिसको में आज आपको बताऊंगा, लेकिन पहले में बहुत डरता था, लेकिन अब में बिल्कुल निडर होकर आप सभी को यह सच्चाई बता रहा हूँ यह कोई झूटी कहानी नहीं है और अब में अपनी कहानी पर आता हूँ.
दोस्तों यह दास्तान दो साल पहले घटित हुई थी. मेरी माँ का नाम सारिका है और उनकी उम्र 36 साल, रंग गोरा और मेरे परिवार में हम 4 लोग रहते है. माँ, पिताजी में और मेरी दादी. दोस्तों उस समय मेरे पिताजी कपड़ो के एक बहुत बड़े शोरुम में काम किया करते थे और उन्ही की कमाई से हम लोगों का गुज़ारा हुआ करता था और हमारे दिन बहुत अच्छे कट रहे थे और में उस समय 12th क्लास में पढ़ता था. (दोस्तों यह बात दीवाली की उस रात से शुरू हुई जिसने हमारा जीवन बदल दिया) तो दीवाली वाले दिन मेरे पिताजी अपने बॉस को रात में हमारे घर पर लेकर आ गये जो शोरुम का मलिक था और मेरे पिताजी उनके पास नौकरी किया करते थे.
तो पिता ने घर में घुसते ही मेरी माँ से बहुत प्यार भरी आवाज से कहा कि सारिका खाने पीने का सामान लगाओ और फिर मेरी माँ ने जल्दी से एक ट्रे में खाने का सामान लगा दिया और उनके सामने एक टेबल पर रख दिया और वो खुद दूर खड़ी हो गई. मेरे पिताजी के बॉस का नाम शंभू है और फिर खाने पीने के बाद शंभू ने मेरी माँ से उनके बनाए हुए खाने की तारीफ की और उसने कहा कि भाभी आप जैसी बीवी सबको मिले और यह बात कहकर पिताजी और शंभू दोनों हंसने लगे और फिर शंभू वहां से चले गए.
दूसरे दिन दोपहर को जब में अपने स्कूल से घर आया तो वैसे ही शंभू अंकल भी अपनी बाईक से मेरे घर पर आ गए, लेकिन में उनसे पहले घर के अंदर चला गया और मैंने देखा कि वो मेरी माँ के लिए दीवाली के अवसर पर कुछ मिठाई और तोहफा लेकर आए थे. तो माँ ने उनसे मना किया, लेकिन उनके बहुत देर तक कहने के बाद रख लिया. फिर माँ और शंभू के बीच में कुछ देर बातें हुई और फिर वो चला गया. तो दूसरे दिन में सुबह उठा और मेरा उस दिन स्कूल जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था, लेकिन मुझे पिताजी ने जबरदस्ती भेज दिया.
फिर में स्कूल गया तो मुझे वहां पर पहुंचकर पता चला कि मेरे एक टीचर की म्रत्यु हो गई है और इस वजह से प्रार्थना करवाकर एक घंटे बाद सब बच्चो को छुट्टी दे दी गई. जब में अपने घर पर आया तो तब मैंने देखा कि शंभू अंकल की बाईक बाहर खड़ी हुई है और में समझ गया कि जरुर आज भी अंकल मेरे घर पर आए होंगे, लेकिन जब में अंदर गया तो मैंने उन्हे देखा मुझे वहां पर कोई भी नहीं दिखाई दिया और में माँ के रूम के पास चला गया.
मैंने धीरे से बिना आहट के धक्का दिया, लेकिन रूम अंदर से लॉक था तो में दूसरी तरफ से खिड़की की तरफ चला गया और जब मैंने अंदर की तरफ झांककर देखा तो मेरी माँ और शंभू दोनों ही अंदर मोज़ूद थे और अब मैंने देखा कि शंभू मेरी माँ के बूब्स दबा रहा था. में यह सब देखकर बहुत डर गया और में बहुत चकित था.
मुझे अपनी आखों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ कि अंदर यह सब क्या चल रहा है. में यह सब क्या देख रहा हूँ. मैंने कभी भी अपनी माँ से इन सब कामों की उम्मीद नहीं की थी. फिर मैंने देखा कि माँ उसका विरोध कर रही थी, लेकिन फिर भी शंभू रुक नहीं रहा था और अब शंभू ने माँ को एक ज़ोरदार स्मूच लिया तो माँ एकदम हिल गई. फिर शंभू ने एक एक करके माँ की साड़ी और उसके कपड़े उतार दिए. माँ अब उसके सामने ब्रा, पेंटी में लेटी हुई थी.
दोस्तों मैंने पहली बार माँ को इस अजीब हालत में देखा था. जिसकी वजह से मेरे पैर एक जगह जम गए थे और फिर शंभू अंकल ने माँ की ब्रा को भी उतार दिया तो मैंने देखा कि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे जो अब ब्रा से बाहर आने के बाद बहुत सुंदर दिखाई दे रहे थे. फिर वो बूब्स को एक एक करके चूसने लगा और बुरी तरह से मसलने लगा. माँ शरम के मारे अपने दोनों हाथ अपनी आखों पर रखकर लेटी हुई थी और अब शंभू ने माँ के दोनों बूब्स को दबा दबाकर बिल्कुल लाल कर दिया था.
फिर शंभू अंकल अब उन्हे ऐसे ही छोड़कर जल्दी से बाथरूम में चले गये और करीब दो मिनट के बाद सिर्फ़ अंडरवियर में वापस आए और उन्होंने बेड पर चड़कर एक ही झटके में माँ की पेंटी को उतार दिया. माँ शरम से अपनी चूत को एक हाथ से ढकने लगी, लेकिन अंकल ने माँ के हाथ को धीरे से हटाया और चूत को चाटना शुरू कर दिया. माँ तड़पने लगी और फिर शंभू अंकल ने अपनी अंडरवियर को उतारा तो अंडरवियर के अंदर से कम से कम 8 इंच लंबा लंड निकला और माँ उसे देखकर एकदम से डर गई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.
अंकल ने माँ के होंठ पर किस करके उनसे पूछा कि क्यों तुम्हारे पति का कितना बड़ा है? माँ ने कहा कि उनका तो इससे बहुत छोटा है और वो फिर से रोने लगी और कहने लगी कि मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो, में यह सब नहीं कर सकती, यह बहुत गलत है. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
फिर अंकल उठे और उन्होंने माँ की एक भी बात नहीं सुनी और उन्होंने उनके दोनों पैर फैलाए और अपना लंड चूत के गुलाबी होंठो पर रगड़कर लंड को गीला कर लिया. में यह सब देखकर जल्दी ही समझ गया कि अब माँ की बेंड बजने वाली है. फिर अंकल ने एक ज़ोर का झटका मारा और उनका आधा लंड अंदर घुस गया, लेकिन माँ इतने ज़ोर से चीखी कि में एकदम से डर गया और मुझे भी रोना आ गया और अब माँ को इतने दुःख दर्द में देखकर मुझे बहुत अजीब लग रहा था, लेकिन शंभू अंकल ने माँ के दोनों हाथ पकड़ रखे थे और पैरों को फंसा रखा था, जिसकी वजह से माँ बिल्कुल भी हिल नहीं पा रही थी.
फिर अंकल ने एक और ज़ोर का झटका मारा तो अब की बार माँ का पेशाब ही बाहर निकल गया और माँ ने कोई विरोध नहीं किया और माँ एकदम बेहोश हो गयी थी, लेकिन फिर भी वो ज़ालिम नहीं रुका और आने वाले बीस मिनट तक उसने माँ की चूत को बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदा और फिर अपना सारा वीर्य माँ की चूत में भर दिया और अपना लंड चूत से बाहर निकालकर चूत के छेद में रुई को घुसा दिया, जिससे वीर्य वापस बाहर ना आए.
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