गतांग से आगे … अब छोड़ दो बहुत हो गया… मैंने उसके होंठों को चूमते हुए बोला- अभी तो शुरू हुआ है… अभी कैसे छोड़ दूँ। मैंने उसकी एक चूची को पकड़ के हौले से दबा दिया। नंदिनी सिहर उठी और झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मामा यह गलत है, बड़ी बदनामी होगी। पर उसकी चूची को पकड़ते ही मेरी मस्ती और भड़क उठी थी। मैं बोला- गलत कुछ नहीं है… मेरी जान, यही तो जवानी का असली मजा है। जो जी भर के लूटा जाता है… यह कहते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी पीठ को सहलाने और दूसरे हाथ से उसकी चूची को दबाते हुए उसके बालों को हटा कर उसकी गरदन पर चूमने लगा तो नंदिनी मुझसे कस कर लिपट गई। अब नंदिनी में भी मस्ती छाने लगी थी। वो भी कसमाने लगी थी। उसका विरोध अब केवल मुँह से ही रह गया था। ‘मामा प्लीज, मुझे डर लग रहा है, आप समझते क्यों नहीं… कोई आ जाएगा।’ ‘डरो मत, कोई नहीं आएगा.. मैं सब चैक करके आया हूँ, सब सो रहे हैं।’ मैं मुस्कुरा कर बोला तो वो मुक्के से मेरी पीठ पर मारते हुए शर्मा के बोली- तुम बड़े गन्दे हो… और मेरे सीने से चिपक गई। उस वक्त नंदिनी स्कर्ट और टाईट टी-शर्ट पहने हुई थी, जिसमें उसकी चूचियां काफी सख्ती से मेरे सीने में चुभने लगी थीं जो मेरी मस्ती को ओर बढ़ा रही थीं। नंदिनी अब मेरे धीरे-धीरे मेरे बस में आ रही थी, अब उसकी कुंवारी चूत मेरे लौड़े से कुछ ही दूर थी। मैंने प्यार से उसका चेहरा ऊपर उठा कर बोला- मैं गन्दा हूँ या अच्छा अभी थोड़ी देर बाद पता चलेगा। यह कहते हुए मैंने उसकी टी-शर्ट को उसके बदन से खींच के बाहर निकाल दिया। नंदिनी शर्मा कर अपनी दोनों चूचियों को ढकने की कोशिश करने लगी, पर मैंने झट से उसे अपनी बाँहों में खींचा तो वो एकदम मेरे सीने से चिपक गई। शर्मा के बस इतना बोली- मामा… यह क्या कर रहे हो… मुझे शर्म आती है। मैंने उससे कहा- बस दो मिनट रूको, सारी शर्म अपने आप खत्म हो जाएगा। मैंने उसके चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। नंदिनी भी अब मदहोश होने लगी थी। मदहोशी से उसकी दोनों आँखें बन्द हो गई थीं। उसके होंठ मस्ती से काँपने लगे थे। अब उसके चेहरे पर वासना की झलक साफ नजर आने लगी थी। मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ पर सरकने लगा था। मैंने धीरे से उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया। ब्रा का हुक खुलते ही उसकी दोनों चूचियाँ आजाद हो गईं। नंदिनी ने पहले ही अपनी आँखें बन्द कर ली थीं। ब्रा को अलग किया तो उसकी दूध जैसी गोरी और मस्त चूचियाँ मेरी आँखों के सामने फुदकने लगी थीं। जिन्हें देखते ही मेरा लण्ड जो पहले से ही कड़क था और सख्त हो कर झटके मारने लगा। नंदिनी ने शर्मा कर अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया। उसकी चूचियाँ क्या गजब थीं दोस्तों.. मैं तो एकदम मस्त हो उठा। मैंने फौरन उसकी चूचियों को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया और कस कर दबा दिया। नंदिनी के मुँह से तीखी चीख निकल पड़ी- उई मां… मामा क्या करते हो.. दर्द होता है। ‘हाय नंदिनी … तेरी चूचियाँ इतनी मस्त हैं कि मैं तो इन्हें देखते ही पागल हो गया… कसम से इतनी मस्त चूचियाँ तो मैंने आज तक नहीं देखीं।’ मैं उनसे प्यार से खेलने लगा। मैंने जैसे ही उसकी मस्त चूचियों को प्यार से सहलाते हुए दबाना शुरू किया वो सिहरने लगी। मैंने पागलों की तरह उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और वो सिसकारियाँ भर रही थी। ‘ई.. ई.. स स…सी आ… आहहह…’ मैंने उससे पूछा- क्या हुआ नंदिनी ? नंदिनी शर्मा गई और मुस्कुरा कर बोली- कुछ नहीं… मैंने एक चूची को फिर जोर से दबा दिया… और मजाक से बोला- कुछ नहीं… वो एकदम से चिहुंक उठी- उई.. मामा दर्द होता है… ‘तो सच-सच बताओ.. मजा आ रहा है या नहीं?’ ‘हाँ बाबा.. आ रहा है… पर तेज में नहीं.. धीरे-धीरे से करो ना..’ नंदिनी का जवाब सुन कर मैं तो खुशी से झूम उठा और नंदिनी को गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाते हुए बोला- बस नंदिनी देखती जाओ… आगे और मजा आएगा। मन ही मन मैं अपनी सगी भांजी की कुंवारी चूत के उदघाटन के आनन्द को महसूस करते हुए मैं उसकी आँखों के सामने ही अपने सारे कपड़े उतारने लगा। नंदिनी ने शर्म के मारे अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से ढक लिया। मैं मुस्कुराता हुआ उसके बगल में जाकर लेट गया और उसके हाथों को उसके चेहरे से हटाया और पूछा- क्या हुआ? तो वो बोली- तुम कितने गन्दे हो… मेरे सामने कपड़े उतारते हुए शर्म नहीं आती? ‘मेरी जान, शर्माऊँगा तो तुम्हारी कुंवारी चूत की चुदाई कैसे करूँगा…’ मैंने झटके से उसके बदन से उसकी स्कर्ट और पैन्टी को खींच कर उससे अलग कर दिया। ‘मामा प्लीज मत करो ना.. मुझे शर्म आती है।’ वो अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को छुपाने की कोशिश करने लगी। मैंने कहा- ठीक है.. तुम शर्म करो.. मैं अपना काम करता हूँ। मैंने उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया, साथ ही उसकी चूचियों को भी मसलने लगा। मेरा लण्ड नंदिनी के हाथों के ऊपर रगड़ खा रहा था। नंदिनी ज्यादा देर ऐसे नहीं रह सकी। वो अपने दोनों हाथ ऊपर लाकर मुझे बांधने लगी, उसका एक हाथ मेरे सिर पर बालों को सहला रहे थे, तो दूसरा मेरी पीठ पर सरक रहा था। जिससे साफ समझ में आ रहा था कि उसे भी भरपूर आनन्द आने लगा था। उसके होंठ काँपने लगे थे और मुँह से मदमोह सिसकारियाँ निकलने लगी थीं। उसका हाथ हटते ही मेरा लण्ड उसकी कुंवारी चूत के संपर्क में आ गया, जिसकी रगड़ उसको और मदहोश करती जा रही थी। मैं धीरे से अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी चूत का जायजा लेने लगा जो कि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मैंने जैसे ही अपना हाथ उसकी कुंवारी चूत पर रखा… उसका हाथ हटते ही मेरा लण्ड उसकी कुंवारी चूत के संपर्क में आ गया, जिसकी रगड़ उसको और मदहोश करती जा रही थी। मैं धीरे से अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी चूत का जायजा लेने लगा जो कि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मैंने जैसे ही अपना हाथ उसकी कुंवारी चूत पर रखा… नंदिनी बड़ी जोर से सिसिया उठी- ई…ई. ई…सस.. जैसे मैंने उसकी कमजोरी पर हाथ रख दिया हो। नंदिनी अपना पिछवाड़ा उचकाने लगी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी कुंवारी चूत काफी गीली हो चुकी थी। मेरा लण्ड भी गुलाटें मारने लगा था। मुझसे भी अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया रख उसकी कमर को थोड़ा ऊँचा उठा कर झट से अपने लण्ड को सुपारा उसकी छोटी सी सुरंग पर रख दिया। सुपारे की गर्मी से नंदिनी एकदम चिहुंक गई और मुझे कस कर पकड़ते हुए बोली- हाय मामा… ये क्या है.. तुम क्या कर रहे हो? मैं भी अब तक काफी मदहोश हो चुका था, पूरी मस्ती के नशे में धुत्त हो कर बोला- हाय नंदिनी .. अब तैयार हो जाओ… मैं अपना लण्ड तुम्हारी कुंवारी चूत में पेलने जा रहा हूँ.. आ आ आहह… मैंने अपना लण्ड कुंवारी चूत में चाँप दिया। करीब एक इन्च लण्ड ही अन्दर घुसा था कि नंदिनी जोर से चीख उठी- उई माँ… मर गई… मामा बाहर निकालो.. बड़ा दर्द हो रहा है। उसकी चीख इतनी तेज थी कि मैं भी डर गया। मैंने झट से उसके मुँह पर हाथ रख दिया और उसे चुप कराते हुए बोला- नंदिनी धीरे बोलो.. आवाज बाहर चली जाएगी। मैंने उसका मुँह हाथ से बन्द कर दिया। उसकी आवाज मुँह के अन्दर की दबी रह गई। वो मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी। मुझे लगा कहीं काम बिगड़ ना जाए.. मैं धीरे-धीरे धक्का लगा कर अपना लण्ड उसकी चूत की गहराई तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा। क्योंकि मैं जानता था कि पूरा लण्ड चले जाने के बाद दर्द तो अपने आप खत्म हो जाएगा। नंदिनी दर्द से छटपटाने लगी, पर मुँह पर हाथ रखने की वजह से उसकी आवाज बाहर नहीं निकल पा रही थी। छेद अभी काफी छोटा था, इसलिए थोड़ी परेशानी तो मुझे भी हो रही थी, पर चार-पाँच बार के प्रयास के बाद मेरा पूरा लण्ड उसकी पूरी गहराई में घुस गया। नंदिनी दर्द से रोने लगी थी, उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। मैं उसे समझाते हुए बोला- रोओ मत नंदिनी .. अब दर्द नहीं होगा.. अब मजा आएगा.. मैंने अपने लण्ड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना चालू किया। पहले तो मुझे भी थोड़ी तकलीफ हुई, पर जब उसकी चूत के रस ने मेरे लण्ड के रास्ते को आसान बना दिया तो लण्ड पेलने में मुझे मजा आने लगा। अब मैं अपना लण्ड पूरा जड़ तक उसकी बुर में चांपने लगा। नंदिनी की आँखों से अभी आंसू बह रहे थे, पर उसने अब चीखना बन्द कर दिया था। जिससे मुझे थोड़ी राहत मिली। मैंने अपना हाथ जैसे ही उसके मुँह से हटाया तो वो धीरे से बोली- प्लीज मामा निकालो ना… बहुत दर्द हो रहा.. मैंने उसे समझाते हुए बोला- बस बेटा थोड़ा और बर्दाश्त कर लो.. अब तो मजा ही मजा है.. ये कहते हुए अपनी कमर ऊपर उठा कर एक हल्के झटके के साथ अपना लण्ड फिर चांप दिया। इस बार नंदिनी के मुँह से एक हल्की सी हिचकी निकली और आँखें बन्द हो गईं। मैं समझ गया कि इस बार उसे आनन्द का अनुभव हुआ है, तो मैं धीरे-धीरे अपने लण्ड को आगे-पीछे करने लगा। मेरी इस क्रिया से नंदिनी को एक नया अनुभव मिल रहा था क्योंकि वो अपने दोनों होंठों को अपने मुँह के अन्दर दबा कर अपनी आँखें कस कर मूंदने लगी थी, साथ ही साथ उसकी दोनों बाँहें मुझे कसने लगी थीं। उसके चेहरे के तनाव भरे भाव बता रहे थे कि उसे इस समय जो अनुभव मिल रहा था उसके लिए बिलकुल नया है। कुछ पल रूक कर मैंने उससे पूछा- नंदिनी अब कैसा लग रहा है? तो नंदिनी बोली- मामा तकलीफ तो अभी हो रही है.. पर अच्छा भी लग रहा है। यह बात उसने थोड़ा शर्माते हुए बोली। मैं तो खुशी से झूम उठा। मैंने कहा- बस देखती जाओ.. सारा दर्द खत्म हो जाएगा.. बस मजा ही मजा आएगा। मैंने जोश में एक जोरदार धक्का जड़ दिया, नंदिनी चीख उठी- मामा… क्या करते हो… दर्द होता है.. धीरे-धीरे करो ना… ‘ओह सारी….मैं जरा जोश में आ गया था।’ ‘जोश में मेरी जान ही निकाल दोगे क्या?’ ‘अरे नहीं मेरी रानी… डोन्ट वरी.. अब प्यार से पेलूँगा..’ मैं उसके एक मम्मे को हौले से दबाने लगा। नंदिनी के मुँह से मीठी सिसकारी फूट पड़ी। ‘सीसी…सी.मामाअअअआ..’ नंदिनी ने मेरी पीठ पर हल्के से मुक्का मारते हुए बोली- तुम बड़े शैतान हो। मैंने मुस्कुरा कर पूछा- लो… भला मैंने क्या शैतानी की? मैंने मासूम सा चेहरा बना कर बोला। नंदिनी खिलखिला कर हँस पड़ी और अपने दोनों पैरों को मेरी कमर में कस कर बाँध लिया। साथ ही मेरे चेहरे पर चुम्बन की झड़ी लगा दी। मैं भी खुशी से झूम उठा और खुशी से उसकी दोनों चूचियों को हॉर्न की तरह दबाते हुए धक्के की गति थोड़ी बढ़ा दी। जिससे नंदिनी का आनन्द भी बढ़ गया क्योंकि उसकी सिकारियाँ अब तेज होने लगी थीं। ‘आआहहह… ओह माँ…. मामा…आ..सी. ई…’ नंदिनी की मस्ती को देख कर मेरी मस्ती भी दुगनी होने लगी थी। नंदिनी की सिसकारी हर पल बढ़ने ही लगी थी उसके साथ ही मेरे लण्ड की गति भी बढ़ती जा रही थी। ‘आहहह… आहहह… उई.. हाय ये क्या हो रहा है मामा..’ ‘यही तो जिन्दगी का असली मजा है मेरी जान…आहहह….मुझे तो बहुत मजा आ रहा है…हाय नंदिनी तुमको कैसा लग रहा है?’ ‘हाय मामा..आह्ह.. बहुत मजा आ रहा है… आआहहह… ऐसा मजा तो पहले कभी किसी चीज में नहीं मिला आआआहहह…’ अब तक तो मेरी मस्ती भी अपनी चरम सीमा को छूने लगी थी। नंदिनी के साथ मेरे मुँह से भी मस्ती भरे स्वर निकलने लगे थे। ‘सच नंदिनी मैं अब तक न जाने कितनी लड़कियों को चोद चुका हूँ.. पर तुम्हारी चूत को चोदने में जो मजा आ रहा है, मुझे पहले कभी नहीं मिला… हाय नंदिनी बहुत मजा आ रहा है…’ ‘आहहहह….मामा मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।’ मैं उसके चेहरे पर चुम्बन करने लगा तो नंदिनी भी मुझे चूमने लगी। अब तक नंदिनी की चूत काफी पानी छोड़ चुकी थी क्योंकि अब मेरा लण्ड बड़ी आसानी से अन्दर-बाहर आ जा रहा था। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | साथ ही ‘फच.. फच’ की ध्वनि भी उभर रही थी। जो चुदाई के इस माहौल को और मोहक बनाने लगी थी। कुछ देर पहले जिस कमरे में खामोशी थी। अब चुदाई के मधुर संगीत से गूंज रहा था। जहाँ एक ओर घर के सारे लोग गहरी नींद में सो रहे थे, वहीं दूसरी ओर मामा-भाँजी की चुदाई का खेल चल रहा था। जहाँ एक ओर घर खामोशी थी, वहीं दूसरी ओर हम दोनों मामा-भाँजी की मस्ती भरी सिसकारीयाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे नंदिनी जैसी माल की कुंवारी चूत को चोदने का ऐसा मौका भी मिलेगा। इस पल हम दोनों ही मस्ती के अथाह सागर में गोते लगा रहे थे, जिसका कोई वर्णन नहीं किया जा सकता। हर पल हमारी चुदाई की गति बढ़ती ही जा रही थी। करीब बीस मिनट तक मैं नंदिनी को ऐसे ही चोदता रहा साथ उसकी मस्त दूध जैसी चूचियों को भी दबाता मसलता रहा। नंदिनी भी मस्ती में पागल हो चुकी थी। वो अब खुल कर मेरा साथ दे रही थी। अचानक नंदिनी की सिसकारी और तेज हो गई और वो चिल्ला कर बोली- हाय मामा मुझे न जाने ये क्या हो रहा है आआहहह… जैसे मेरी चूत से कुछ निकल रहा है..आहहहहह… उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। मैं समझ गया कि नंदिनी अपनी चरम सीमा को पार कर गई है। अब मेरी बारी थी, मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ा दी। करीब 6-7 कड़क धक्के लगाने के बाद ही मैंने भी अपना पूरा का पूरा लण्ड नंदिनी की चूत में पेल दिया और पूरी तरह से उसके ऊपर ढह गया। मेरा लण्ड अपने गरम-गरम वीर्य का गुबार नंदिनी की चूत में छोड़ने लगा। वीर्य की गर्मी मिलते ही नंदिनी एकदम गनगना गई और मुझसे कस कर चिपक गई। मैंने भी उसे कस कर जकड़ लिया। हम दोनों एक-दूसरे को इस कदर कस कर पकड़े हुए थे, जैसे एक-दूसरे में ही समा जाएँगे। हम दोनों की सांसें इतनी तेज चल रही थीं जैसे हम दोनों कोई लम्बी दौड़ लगा कर आए हों। करीब 5 मिनट के बाद जब हम थोड़ा सामान्य हुए तो एक-दूसरे से अलग हुए। नंदिनी अपनी बुर को खून से सना देख कर डर गई, पर जब मैंने उसे समझाया कि पहली चुदाई में खून निकलता ही है, अब दुबारा नहीं निकलेगा.. तो वो सामान्य हुई। मैंने जब धीरे से उसके कान में पूछा- क्यों नंदिनी मजा आया या नहीं? तो वो शर्मा गई। ‘धत…’ और दौड़ कर बाथरूम में भाग गई। मैं वैसे ही बिस्तर पर पड़ा रहा। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | थोड़ी देर में जब वह वापस आई और मुझे वैसे ही नंगा लेटे देखा तो बोली- क्या मामा.. आपने अभी कपड़े नहीं पहने। मैंने धीरे से कहा- अभी एक बार और तुम्हें चोदने का मन कर रहा है। दुबारा चोदने के नाम पर नंदिनी ने शर्मा कर गर्दन झुका ली और शर्मा कर बोली- मामा.. अब बस भी करो ना… मैंने कहा- बस एक बार… बस एक बार और चोदने दो ना.. मेरा मन अभी नहीं भरा… एक बार चुदाई का मजा मिलने के बाद उसका भी मन भी झूम उठा था। इस बार नंदिनी ने कुछ नहीं बोला। मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा कर एक बार फिर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके कामुक अंगों के साथ खेलना शुरू कर दिया। वो पहले थोड़ी देर शर्माती रही, पर जैसे-जैसे उसे मजा मिलता गया, वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर क्या था पल भर में एक बार फिर से पूरा कमरा हम दोनों मामा-भाँजी की मस्ती भरी सिसकारियों से गूंजने लगा। इस तरह मैंने उस रात अपनी भाँजी की चार बार चुदाई की। दीदी के घर गया था सिर्फ दो दिन के लिए और पूरा एक महीना रह कर आया। पहले एक-दो दिन तो वो थोड़ा शर्माती रही, पर उसके बाद वो मेरे साथ पूरी तरह से खुल गई। अब वो खुल कर मेरे साथ चुदाई की बातें करने लगी थी। जब भी मौका मिलता तो वो खुद मुझे चोदने को लिए कहती। इस तरह पूरे एक महीने में मैंने दिन-रात जब भी मौका मिला, मैंने नंदिनी को जी भर कर चोदा।
The Author
गुरु मस्तराम
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें