गताग से आगे….. जहाँ अब मेरी सेक्स लाइफ जबरदस्त रंगीन हो चली थी वहीँ रश्मि के तो डबल मजे हो गए थे. दोपहर में निकिता और देर शाम और रात को मैं. रश्मि का जिस्म जबरदस्त गदराने लगा था. उसके स्तन अब और भी उभरने लगे थे. वो मुझे अब हर समय गरम लगती. हम तीनों की जिंदगी अब बेहद रंगीन हो चली थी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | एक दिन मेरा ऑफिस में मन नहीं लग रहा था. मुझे अचानक रश्मि और निकिता को एक साथ देखने की इच्छा हुई. मैं तुरंत घर आ गया. मैंने चुपचाप मेरे बेडरूम की खिड़की से अंदर झाँका. मैंने देखा कि निकिता एकदम नंगी होकर पलंग पर लेती हुई थी औए रश्मि खुद भी नंगी थी और निकिता के जिस्म को जगह जगह चूम रही थी. निकिता लगातार आह आह की आवाजें निकाल रही थी और पूरे नशे में रश्मि को सहयोग कर रही थी. कुछ देर के बाद रश्मि निकिता की जगह लेट गई और अब निकिता रश्मि के जिस्म को जगह जगह चूमने लगी. सिर्फ्फ़ पांच मिनट में ही मेरी तो हालत खराब हो गई. मैं बेकाबू हो गया. उन दोनों का यह नशीला मिलन मुझसे देखे नहीं जा रहा था. तभी मैंने देखा को अब निकिता वापस पलंग पर लेट गई और उसने अपने दोनों पैर फैला दिए. रश्मि उसके ऊपर लेट गई और उसने खुद के चूत वाले हिस्से को निकिता की टांगों के बीच में फंसा दिया. अब रश्मि उसी तरह से जोर लगाने लगी जिस तरह मैं उसके ऊपर लेट कर लगता हूँ. मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. ये क्या हो रहा है!!! दोनों ही के मुंह से सिसकीयाँ औए आह आह , ओह ओह की आवाजें अब तेज होने लगी. उन दोनों पर जोर का नशा छाने लगा था. अब मैं भी पूरी तरह से बेकाबू हो चला था. मैं तुरंत दरवाजा खोलकर भीतर आ गया. दोनों इतन एज्यादा नशे में थी कि उन्हें मेरे अंदर आने का जरा भी पता नहीं चला. मैंने तुरंत अपने सारे कपडे उतार दिए और पलंग के पास जाकर उन्हें बहुत ही करीब से देखने लगा. रश्मि और निकिता सेक्स के चरम सीमा में पहुँच चुकी थी. दोनों के बदन पसीने से तरबतर हो चुके थे. दोनों के पूरे जिस्मों पर पसीना साफ़ साफ़ दिख रहा था. मैंने गौर से देखा कि दोनों के गाल और होंठो के ऊपर वाली जगह भी पसीने की बूंदों से चमक रही थी. दोनों की साँसें बहुत तेज चल रही थी. तभी मैंने देखा कि निकिता ने रश्मि को अपने सीने से चिपटा लिया. अब दोनों एक दूजे से पूरी तरह से सट चुकी थी. अचानक निकिता ने अपने होंठ खोल दिए औए रश्मि की तरफ बढ़ा दिए.रश्मि लगातार अपने गुप्तांग से निकिता के चूत को दबाने के लिए जोर जोर से दबाव पैदा कर रही थी और निकिता को दबाए हुए थी. निकिता के होंठ खुले तो मैंने देखा वो काँप रहे थे. थरथरा रहे थे. साफ साफ़ नजर आ रहा था कि वे बरसों से प्यासे थे और बरसों से उन्हें किसी ने भी नहीं चूमा और चूसा था. दोनों होठों में लबालब रस भरा हुआ था. अचानक रश्मि की नजर मुझ पर पड़ गई. मैंने उसे इशारा किया कि वो अपना काम जारी रखे. रश्मि मुस्कुराने लगी. मैंने उसे इशारा किया और पलंग पर दोनों के साथ लेट गया. मैंने निकिता के थरथराते होठों को अपने हाथों से पकड़ा; उन्हें धीरे धीरे सहलाया और अपने होंठ से उन्हें जोर से चूम लिया. निकिता ने अपनी आँखें खोली. मुझे देखकर वो हैरान रह गई. रश्मि ने उसे शांत रहें को कहा. निकिता का चेहरा खिल उठा. ये चमक उसे एक मर्द के मिलने की ख़ुशी में थी. अब निकिता ने मेरे होठों के चुम्बन का जवाब बहुत गर्मजोशी से दिया. हम दोनों ने एक बहुत लंबा और गीला होठों का चुम्बन किया. निकिता की होठों की प्यास इस चुम्बन से मिट गई. लेकिन मेरी प्यास बढ़ गई. निकिता के जिस्म को मैं निहारने लगा. बहुत ही गदराया हुआ था. हर हिस्सा कसा हुआ और बरसों से अनछुआ और प्यासा. रश्मि ने मुझे कहा ” मैं अब थकने लगी हूँ. ” मैंने रश्मि के होठों को चूमा और बोला ” तुम थोडा आराम करो मैं निकिता की सारी प्यास आज बुझा देता हूँ.” रश्मि ने हाँ में मेरे होंठ फिर चूम लिए. बाद में रश्मि से निकिता से कहा ” आज तुम अपनी एक नयी सुहागरात मना लो.” निकिता ने रश्मि के होठों को बहुत ही जोर से चूमा और मुस्कुराने लगी. रश्मि बगल में लेट गई और मैं निकिता के ऊपर चढ़ गया.मैंने निकिता की गर्मी , जोश और नशे का पूरा फायदा उठाया. निकिता भी जैसे इसी पल के लिए तैयार थी. बहुत जल्दी हम दोनों बहुत तदप तड़प कर सेक्स में खो गए. कुछ देर के चुम्बनों और निकिता के अंगों को जगह जगह दबाने के बाद मैंने अपनी लगातार कड़क और लम्बे होते हुए लिंग को निकिता के चूत में धीरे से घुसा दिया. निकिता एक अनोखे आनद में पहुँच गई.अब मैं और निकिता इसी आनंद में खो गए थे. निकिता का गुगुदा चूत मेरे लिंग के हमले से पूरी तरह से गीला ; चिपचिपा और ढीला हो गया था. निकिता का सारा बदन पसीने से इस तरह से भीग गया था जैसे कोई अभी अभी नहाकर आया हो. रश्मि निकिता की इस प्यास के बुझने से बहुत संतुष्ट और खुश थी. निकिता अब धीरे धीरे ठंडी पड़ने लगी. उसका बदन अब धेला पड़ गया था. मैंने निकिता की तरफ देखा. निकिता ने आँखें खोली और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर बोली ” आज तुमने मेरी बरसों की प्यास बुझाई है. मैं जानती हूँ ये सम्बन्ध नाजायज है लेकिन मैं मजबूर थी.” रश्मि ने निकिता के गालों को चूमा और बोली ” किसी की इस तरह से मदद करना नाजायज नहीं होता. तुम कितना तड़प रही थी ये मैं अच्छी तरह जानती हूँ.” निकिता ने मेरे होठों को चूमा और फिर रश्मि के होठों को चूम लिया. हम तीनों कुछ देर तक युहीं लेते रहे. बाद में निकिता उठी , उसने अपने कपडे पहने और एक बात फिर मुझे और रश्मि को चूमकर नीचे जने लगी. रश्मि ने निकिता से कहा ” अब हर शाम को जब हम दोनों बिस्तर में होंगे तब आप जरुर आ जाया करना. हमें कोई आपत्ति नहीं होगी.” निकिता मुस्काई और नीचे उतर गई. अब हर शाम को जब मैं छः बजे अपने घर लौटा तो रश्मि और निकिता दोनों पलंग पर तैयार मिलती. हम तीनों कभी एक घन्टे तक तो कभी दो घंटों तक खूब सेक्स करते. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | ये सिलसिला करीब दो महीने तक बिना रुकावट के चला. एक दिन निकिता जब सेक्स करने के बाद नीचे उतर रही थी तो उसके एक रिश्तेदार ने उसे देख लिया. उस रिश्तेदार को कुछ शक हो गया. उस रिश्तेदार ने निकिता के पति को यह बात बताई. एक दिन निकिता का पति जल्दी घर आ गया. लेकिन वो इतना जल्दी आ गया कि मैं उस समय ऑफिस से नहीं आया था. इसलिए हम तीनों उस दिन बच गए. लेकिन हम सभी के लिए एक इशारा काफी था. अब हम अगले एक सप्ताह तक तीनों एक साथ सेक्स नहीं कर सके. निकिता का पति रोज अब दिन में घर के चार पांच चक्कर लगाने लगा. निकिता फिर तड़पने लगी. उसने कई बार कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली. मैं और रश्मि कोई और तरीका सोचने लगे. एक दिन निकिता से नहीं रहा गया. उसने दिमाग लगाकर एक तरीका निकाल ही लिया. रात को निकिता का पति पूरे दिन दुकान की थकान से ऐसा सोता कि सुबह ही वापस उठता. निकिता ने रश्मि से ये बात बताई. मैंने और रश्मि ने मना किया कि रात को ख़तरा नहीं उठाना चाहिए. लेकिन निकिता नहीं मानी. निकिता ने एक और खतरनाक खेल खेला. अब उसने ये निर्णय किया कि रात को वो अपने पति को सोने के वक्त पानी में एक नींद की सामान्य दवाई मिलाकर देने की सोची. एक दिन उसने ये कर भी दिया. वो सारी रात बीच में उठ उठकर अपने पति को देखती रही. उसने इस तरह से जब लगातार तीन चार दिन तक देख लिया कि उसका पति इस दवाई के कारण सीधा सुबह ही उठता है तो वो निश्चिंत हो गई | अगले ही दिन रात को जैसे ही उसका पति खर्राटे भरने लगा वो तुरन हमारे बेडरूम में आ गई. उसने आकर हम दोनों को ये सारी बात बता दी. मैं और रश्मि बहुत खुश हो गए. रश्मि ने मुझे कहा ” आज तुम निकिता की प्यास ही बुझाना. ये दस दिन की प्यासी है.” मैंने दो घंटो तक निकिता के चूत को अपने लिंग से तरबतर किये रखा. बाद में रश्मि के साथ लेट गया. रश्मि के चूत को भी मैंने गीला किया. सुबह करीब पांच बजे मैंने निकिता को उठाया और अपने कमरे में भेज दिया. अब हमारा रास्ता साफ़ था. अब तो हर रात रंगीन होने लगी थी. अब लगभग हर रात निकिता आ जाती. इस तरह से एक महीना बीत गया. एक दिन निकिता के पति को अपने किसी रिश्तेदार की मौत के सिलसिले में पास के एक शहर जाना पड़ा. निकिता अकेली थी. उस दिन मैंने ऑफिस की छुट्टी ले ली. अब हम तीनों थे. सारे दिन हम तीनों ने जी भरकर सेक्स का मजा लिया. देर रात तक भी खूब खेल चला. निकिता उस दिन हर तरह से संतुष्ट हो गई. आज निकिता और रश्मि के साथ मुझे इस तरह का आनंद लेते हुए करीब एक साल बीत चुका है. आज तक निकिता का पति इस सारे खेल से अनजान है. और अनजान ही रहेगा. निकिता बहुत खुश है. रश्मि भी बहुत खुश है. मैं भी बहुत बहुत खुश हूँ.
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गुरु मस्तराम
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें