मै ट्रेन से लखनऊ जा रहा था | रात का समय था. जोर से बारिश हो रही थी. प्रथम श्रेणी का डिब्बा पूरा खाली था. केवल एक केबिन में एक जोड़ा था. मैं दूसरे केबिन में अपना सामान रखकर बैठ गया. तभी एक युवती आई और मुझसे बोली ” अच्छा हुआ आप आ गए. पूरा डिब्बा खाली है और इतनी जोर से बारिश हो रही है. मेरे पति को बहुत ही तेज बुखार है.” मैंने जैसे ही सर उठाया उस युवती को देखकर चौंक गया. वो भी मुझे देखकर चौंक गई और बोली ” नितीश तुम!” मैं बोला ” पूजा तुम यहाँ! तुम्हारे पति कौन हैं?” पूजा मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गई. उसने इक बुरा सा मुंह बनाया और बोली ” मेरे पापा ने जबरदस्ती इस आदमी से मेरा रिश्ता कर दिया. केवल पैसा देखकर. या तो काम में रहता है या बीमार रहता है. मेरी कोई चिंता नहीं है. गोली लेकर सो गया है. चलो तुम मिल गए अब आराम से रात कट जायेगी.” मैं और पूजा कॉलेज में साथ साथ पढ़े थे. हम दोनों ही बहुत खुले विचारों वाले थे. एक बार हम दोनों मेरे घर पर साथ साथ बिस्तर पर भी लेटे थे लेकिन कुछ कर पाते किसी की आहट से भाग खड़े हुए.
हम दोनों को वो दिन याद आ गया. पूजा ने कहा ” नितीश; उस दिन वाला अधूरा काम हम आज कर लें . वो तो अब सवेरे से पहले उठेंगे ही नहीं. नींद की गोली लेकर सोये हैं.” मुझे भी यह मौका अच्छा लगा. कारण यह था कि अब आनेवाले स्टेशन सभी छोटे छोटे थे और वहां से प्रथम श्रेणी में कोई नहीं चढ़नेवाला होगा. पूजा ने तुरंत हमारे केबिन का दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. मैंने और पूजा ने अपने कपडे उतार दिए. पूजा शादी के बाद बहुत निखर गई थी. हम दोनों आपस में लिपट गए. पूजा ने मुझे जबरदस्त गर्मी के साथ चूमा. मैंने भी उसे बराबर जवाब दिया. गाडी तेज गति से चल रही थी और उसके हिलने के करण हमें बड़ा ही मजा आ रहा था. अब मैं अपने लिंग को नहीं संभाल पा रहा था जो कि तनकर लंबा और खड़ा हो गया था. मैंने पूजा की टांगों के बीच में उसे घुसा दिया. पूजा ने तुरंत अपनी टांगें फैलाई और उसे अपने मखमली चूत में ले लिया. अब हम सेक्स का पूरा आनंद उठाने लगे थे. रुक रुक लगातार हम सेक्स करते रहे. बहुत देर हो गई लेकिन पूजा की प्यास थी कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही थी. |
मैंने आखिर में पूजा को जोर से अपनी तरफ खींचा और मेरे लिंग में से एक जोर का बहाव निकला और पूजा के चूत को पूरी तरह से भिगो गया. पूजा मेरे होंठों को चूसने लगी. करीब एक घंटे के बाद हम अलग हुए. पूजा ने दूसरी केबिन में झाँका और पाया कि उसका पति अब भी गहरी नींद में सिया हुआ है और पूरा डिब्बा अभी भी खाली है. बारिश अभी भी जारी थी. तभी हमारी गाडी रुक गई. कोई स्टेशन नहीं था. जंगल था और तेज हवा और बारिश थी. मैं और पूजा डिब्बे के दरवाजे के पास खड़े हो गए और बारिश में भीगते हुए एक दुसे को किस करने लगे.गाडी चल पड़ी. अब हवा और भी तेज हो गई थी और पानी की बौछारें भी अन्दर तेजी से आने लगी थी. हम पूरी तरह से भीग गए थे और हमारे सारे कपडे भी भीग गए थे. मैं पूजा को लेकर उस दरवाजे पर नीचे बैठ गया. पूजा अब भी मुझे लगातार चूमे जा रही थी. बरसते पानी में चूमना बड़ा अच्छा लग रहा था. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अब पूजा और मैं वहीँ लेट गए. पानी अब भी हमने भिगो रहा था. पूजा ने अपनी साडी ऊपर की और मेरे पैंट की चैन खोलकर मेरा लिंग बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला और अपने चूत में डाल दिया. एक बार फिर हम सेक्स करने लगे. दरवाजे पर ही लेटे हुए और बरसते हुए पानी में. मैंने दूसरी बार पूजा का चूत गीला किया और हम वापस केबिन में आ गए. एक बार फिर हम दोनों लेट गए. मैं पूजा के ऊपर लेटा हुआ था और मेरा लिंग उसके चूत में अन्दर. तभी पूजा का पति जाग गया. हम केबिन का दरवाजा बंद करना भूल गए थे. उसने जब मेरे केबिन में झाँका तो वो उस नजारे को देखकर हैरान रह गया. पूजा पूरी तरह से मेरे नीचे दबी हुई होने से वो उसे पहचान नहीं सका. उसने इधर उधर देखा और पूजा को आवाज देने लगा. मैंने पूजा को छुप रहने का इशारा किया और अपना काम जारी रखा. पूजा भी अभी तक पूरी गरम थी. उसने यह अंदाज लगाते हुए कि पूजा बाथरूम में है वो केबिन में गया और फिर सो गया. मैंने केबिन का दरवाजा बंद किया और वापस पूजा को दबोच लिया. सवेरे छः बजे तक हम दोनों ने सेक्स किया. इस दौरान पूजा ने अपना चूत मुझसे चार बार गीला करवाया. सात बजे पूजा का स्टेशन आ गया और वो मुझे अपना पता और टेलीफोन नंबर देकर उतर गई | और फिर मै अपने घर चला आया हमेशा मुझे पूजा की याद आती थी दो हफ्ते बितने के बाद मैंने पूजा को कॉल किया | फिर क्या हुवा अगली कहानी में लिखुगा और हां आप लोग अपना कमेंट देना ना भूले |