भाभी ने चुदाने के लिए बीवी को रेडी किया

गतांग से आगे ….

अब सहन करना मुश्किल है. कितना बाकी है अभी. मैने कहा, 3″इंच. वो बोली, अब और ज़्यादा अंदर मत घुसाना. धीरे धीरे चुदाई करना शुरू कर दो. मैने धीरे धीरे नम्रता भाभी की चुदाई शुरू कर दी. उनकी चूत ने मेरे लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था. वो आहें भरती रही. मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था. आज मैं किसी औरत को पहली बार चोद रहा था. 5 मिनिट की चुदाई के बाद नम्रता भाभी झड़ गयी. उन्होने बहुत दिनो से चुदवाया नहीं था इसलिये उनकी चूत से ढेर सारा जूस निकला. उनकी चूत और मेरा लंड एकदम गीला हो गया तो उन्होने कहा, अब धीरे धीरे बाकी का भी घुसा दो. मैने इस बार थोड़ा ज़्यादा ही ज़ोर लगा दिया तो वो अपने आप को रोक नहीं पाई. उनके मुहँ से चीख निकल ही गयी लेकिन उन्होंने तुरंत ही खुद को संभाल लिया. मैने इस बार एक धक्का लगा दिया तो वो दर्द के मारे तड़पने लगी और बोली,अब कितना बाकी है. मैने कहा, 1″इंच. वो बोली, अब चोदो मुझे, बाकी का चुदाई करते समय घुसा देना. मैने नम्रता भाभी की चुदाई शुरू कर दी. मुझे खूब मज़ा आ रहा था. नम्रता भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी. जैसे जैसे समय गुज़रता गया वो शांत होती गयी. अब उन्हें भी मज़ा आने लगा था. तभी मैने एक धक्का लगा कर बाकी का लंड भी उनकी चूत में घुसा दिया. वो चीख उठी और बोली, पूरा घुस गया. मैने कहा, हाँ. वो बोली, अब ज़ोर ज़ोर से चोदो. तुम तो गावं में कुश्ती लड़ा करते थे ना. मैने कहा, हाँ. वो बोली, अब तुम मेरी चूत के साथ कुश्ती लडो. मेरी चूत को अपने लंड का दुश्मन समझ लो और मेरी चूत पर अपने लंड से खूब ज़ोर ज़ोर से वार करो. फाड़ देना आज इसको. मैने कहा, अगर फाड़ दूँगा तो बाद में मज़ा कैसे आयेगा. वो बोली, तुम इसका मतलब नहीं समझे. मैं सच में फाड़ने को थोड़े ही कह रही हूँ. मैने बहुत ही ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुये नम्रता भाभी को चोदना शुरू कर दिया.
नम्रता भाभी तो बहुत ही सेक्सी निकली. वो हर धक्के के साथ अपना चूतड़ उछाल उछाल कर मुझसे चुदवा रही थी. पूरा बेड ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था. कमरे में धप धप की आवाज़ हो रही थी. उनकी चूत से भी छप छप की आवाज़ निकल रही थी. मैं भी पूरे जोश में था और वो भी. 5 मिनिट की चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गयी लेकिन मैं रुका नहीं. मैं खूब ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुये उनकी चुदाई कर रहा था. वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और अपनी चुचियों को अपने हाथों से मसल रही थी. थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया. नम्रता भाभी भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गयी. मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला तो मेरे लंड पर खून भी लगा हुआ था. नम्रता भाभी ने कहा, देख लिया तुमने अपने लंड की करतूत. इसने मुझ जैसी चूदी चुदाई औरत की चूत से भी खून निकाल दिया. उन्होने मेरे लंड को कपड़े से साफ कर दिया. उसके बाद मैं उनके बगल में लेट गया. वो मेरे होठों को चूमने लगी और बोली,देवर जी, आज तो तुमने मुझे ऐसा मज़ा दिया है की मैं क्या बताऊं. ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं मिला. मैने कहा, मैं श्रुति का क्या करूँ. वो बोली, मैने तुम्हारे भैया से इतने सालो तक चुदवाया था फिर भी मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लेने में बहुत तकलीफ़ हुई. श्रुति अभी बहुत छोटी है. ज़रा सोचो की उसे कितनी तकलीफ़ होती होगी. मैने कहा, अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ. क्या मैं श्रुति को छोड़ कर केवल तुम्हारी चुदाई करूँ. वो बोली, मैं ऐसा थोड़े ही कह रही हूँ. अब की बार जब तुम श्रुति की चुदाई करना तो उसके ऊपर ज़रा सा भी रहम मत करना. वो चाहे कितना भी चीखे या चिल्लाये अपना पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देना. उसकी चीख मुझे सुनाई पड़ेगी तुम इसकी परवाह मत करना.
मैने कहा, ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा. वो बोली, थोड़ी देर आराम कर लो. उसके बाद श्रुति के पास जाओ. अब की बार हार नहीं मानना पूरा का पूरा घुसा देना भले ही वो कितना भी चीखे या चिल्लाये. मैने कहा, मैं ऐसा ही करूँगा. सुबह के 5 बजने वाले थे. थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं श्रुति के पास चला गया. श्रुति सो रही थी. मैने उसे जगाया तो वो उठ गयी. मैने उससे कहा, जाकर तेल की शीशी उठा लाओ और मेरे लंड पर ढेर सारा तेल लगा दो. वो बोली, मुझे शरम आती है. मैने कहा, अगर तुम मेरे लंड पर तेल नहीं लगाओंगी तो मैं ऐसे ही अपना लंड तुम्हारे छेद में घुसा दूँगा. वो बोली, ना बाबा ना, ऐसा मत करना. जब तेल लगाने के बाद भी इतना दर्द होता है तो बिना तेल लगाये जब तुम अपना औज़ार अंदर घुसाओगे तो मैं तो मर ही जाऊँगी. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैं तुम्हारे औज़ार पर तेल लगा देती हूँ. इतना कह कर वो उठी. उसने तेल की शीशी से तेल निकाल कर मेरे लंड पर लगा दिया. उसके तेल लगाने से मेरा लंड एक दम टाइट हो गया. उसके बाद वो मेरे से कुछ कहे बिना ही पेट के बल लेट गयी और बोली, धीरे धीरे घुसाना. मैं उसके ऊपर आ गया. मैने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रख दिया और फिर उसकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उसकी कमर को ज़ोर से पकड़ लिया. मैने थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो उसके मुहँ से आ निकल गयी. मैने थोड़ा ज़ोर और लगाया उसके मुहँ से हल्की सी चीख निकल गयी. मेरा लंड उसकी गांड में 3″इंच तक घुस चुका था. मैने थोड़ा सा ज़ोर और लगाया तो वो फिर से चिल्लाने लगी और मेरा लंड 4″इंच तक घुस गया. मैने उसकी चीख पर ज़रा सा भी ध्यान नहीं दिया. मैने ज़ोर का धक्का मारा तो वो तड़पने लगी और ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी, दीदी, बचा लो मुझे, मर जाऊँगी मैं. इस धक्के के साथ मेरा लंड 5″इंच तक घुस गया. मैने फिर से बहुत ही ज़ोर का एक धक्का और मारा तो अपने हाथों को ज़ोर ज़ोर से बेड पर पटकने लगी. उसने अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये और बहुत ही ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. अब तक मेरा लंड श्रुति की गांड में 6”इंच तक घुस चुका था. मैने पूरी ताक़त के साथ फिर से ज़ोर का धक्का मारा तो वो बहुत ज़ोर ज़ोर से रोने लगी. लग रहा था की जैसे वो मर जायेगी. मैं रुक गया. इस धक्के के साथ मेरा लंड उसकी गांड में 7″इंच घुस चुका था. मैने अपना लंड एक झटके से बाहर खीच लिया. पक की आवाज़ के साथ मेरा लंड बाहर आ गया.
मैने देखा की उसकी गांड का मुहँ खुला हुआ था और ढेर सारा खून मेरे लंड पर और उसकी गांड पर लगा हुआ था. मैने तेल की शीशी उठाई और उसकी गांड के छेद में ढेर सारा तेल डाल दिया. उसके बाद मैने फिर से अपना लंड धीरे धीरे उसकी गांड में घुसा दिया. जब मेरा लंड उसकी गांद में 7″इंच तक घुस गया तो मैने पूरी ताक़त के साथ दो बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिये. वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, दीदी,तुमने मुझे कहा फसा दिया. मैं मरी जा रही हूँ और तुम सुन ही नहीं रही हो, बचा लो मुझे, नहीं तो ये मुझे मार डालेंगे. मैने कहा, अब चुप हो जाओ. मेरा पूरा लंड अब घुस चुका है. वो कुछ नहीं बोली केवल सिसक सिसक कर रोती रही. मैं अपना लंड उसकी गांड में ही डाले हुये थोड़ी देर तक रुका रहा. धीरे धीरे वो कुछ हद तक शांत हो गयी. तभी कमरे के बाहर से ही नम्रता भाभी ने पूछा, काम हो गया. मैने कहा, अभी तो मैने केवल अपना औज़ार ही पूरा अंदर घुसाया है. वो बोली, ठीक है, अब जल्दी से अपना पानी भी निकाल दो और बाहर आ जाओ. मैने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये तो श्रुति फिर से चीखने लगी. वक़्त गुज़रता गया और वो धीरे धीरे शांत होती गयी. 10 मिनिट में वो एकदम शांत हो गयी तो मैने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी. अब उसके मुहँ से केवल हल्की हल्की सी आ ही निकल रही थी. मैने अपनी स्पीड और तेज कर दी. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | तेल लगा होने की वजह से मेरा लंड उसकी गांड में सटा सट अंदर बाहर हो रहा था. मुझे खूब मज़ा आ रहा था. श्रुति को भी अब कुछ कुछ मज़ा आने लगा था. मैं भी पूरे जोश में आ चुका था और तेज़ी के साथ उसकी गांड मार रहा था. 10 मिनिट तक मैने उसकी गांड मारी और फिर झड़ गया. लंड का सारा पानी उसकी गांड में निकाल देने के बाद भी मैं उसकी गांड में ही अपना लंड डाले रखा और उसके ऊपर लेट गया. मैने श्रुति से पूछा, कुछ मज़ा आया. वो बोली, बहुत दर्द हो रहा है और तुम पूछ रहे हो की मज़ा आया. मैने कहा, मेरी कसम है तुम्हें, सच सच बताओ क्या तुम्हें ज़रा सा भी मज़ा नहीं आया. उसने शरमाते हुये कहा, पहले तो बहुत दर्द हो रहा था लेकिन बाद में मुझे थोड़ा थोड़ा सा मज़ा आने लगा था की तुम रुक गये. मैने कहा, अभी थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो जायेगा. उसके बाद मैं फिर से तुम्हारी गांड मारूँगा. वो बोली, नहीं, अभी रहने दो. तभी नम्रता भाभी ने पूछा, काम हो गया. मैने कहा, हाँ, मैने अपना पानी इसके छेद में निकाल दिया है. अभी थोड़ी ही देर में मैं फिर से अपना पानी निकालने वाला हूँ. नम्रता भाभी ने कहा, ठीक है, जब दोबारा पानी निकल जाये तो बाहर आ जाना. मैने कहा, ठीक है.
मैने अपना लंड श्रुति की गांड में ही रखा और उसकी चुचियों को मसलता रहा. 15 मिनिट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैने उसकी गांड मारनी शुरू कर दी. अब उसके मुहँ से केवल हल्की हल्की सी आ ही निकल रही थी. थोड़ी ही देर में उसे मज़ा आने लगा तो वो सिसकारियाँ लेने लगी. मैने पूछा, अब कैसा लग रहा है. वो बोली, अब अच्छा लग रहा है. मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो थोड़ी ही देर में वो ज़ोर की सिसकारियाँ भरने लगी. मुझे भी उसकी गांड मारने में खूब मज़ा आ रहा था. 20 मिनिट तक मैने उसकी गांड मारी और फिर झड़ गया. मैने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला और उसके बगल में लेट गया. मैने उसके होठों को चूमते हुये पूछा,कैसा लगा. वो बोली, इस बार कुछ ज़्यादा ही मज़ा आया. मैने कहा, धीरे धीरे तुम्हें ज़्यादा मज़ा आने लगेगा. मैं श्रुति के पास से उठ कर बाहर चला आया. नम्रता भाभी बाहर बैठी थी. उन्होने मुझसे पूछा, काम हो गया. मैने कहा, हाँ. वो बोली, मैं गरम पानी से उसकी चूत की सिकाई कर देती हूँ. इससे उसका दर्द कम हो जायेगा. मैं चुप रह गया क्योंकी मैने तो श्रुति की चूत को अभी तक छुआ ही नहीं था. मैने तो उसकी गांड मारी थी. में श्रुति के पास चला गया. नम्रता भाभी पानी गरम करके ले आई. वो बोली, मैं पानी गरम करके लाई हूँ, अंदर आ जाऊं. मैने कहा , आ जाओ. श्रुति बोली,मैं एकदम नंगी हूँ और तुम दीदी को यहाँ बुला रहे हो. मैने कहा, तो क्या हुआ. वो कुछ नहीं बोली.
नम्रता भाभी अंदर आ गयी. उन्होने श्रुति से कहा, लाओ मैं तुम्हारे छेद की सिकाई कर दूँ. इससे तुम्हारा दर्द कम हो जायेगा. श्रुति ने करवट बदल ली तो नम्रता भाभी ने कहा, तुमने करवट क्यों बदल ली. अब मैं कैसे तुम्हारे छेद की सिकाई करूँगी. उसने अपनी गांड के छेद की तरफ इशारा करते हुये कहा, इसी में तो इन्होने अपना औज़ार घुसाया था. नम्रता भाभी के मुहँ से निकला, क्या. नम्रता भाभी की नज़र श्रुति की गांड पर पड़ी. उसकी गांड खून से लथपथ थी. मैने अभी तक अपना लंड साफ नहीं किया था. मेरा लंड भी खून से भीगा हुआ था. नम्रता भाभी आँखें फाडे कभी मेरे लंड को और कभी श्रुति की गांड को और कभी मेरे चेहरे को देखने लगी. नम्रता भाभी ने गरम पानी से श्रुति की गांड की सिकाई की. उसके बाद उन्होने मुस्कुराते हुये श्रुति से कहा,श्रुति तुमने तो एक ही बार में मैदान मार लिया है. अब दूसरा मैदान मारना और बाकी है. वो बोली, दीदी, मैं समझी नहीं. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
नम्रता भाभी ने श्रुति की चूत पर हाथ लगाते हुये कहा, अभी तो तुम्हें इस छेद में भी इसका औज़ार अंदर लेना है. श्रुति को बहुत दर्द हो रहा था. नम्रता भाभी की बात सुनकर वो गुस्से में आ गयी. उसने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुये कहा, एक छेद के अंदर इनका औज़ार लेने में ही मेरा इतना बुरा हाल हो गया और आप कह रही हो की अभी इस छेद में भी अंदर लेना है. मैं अब किसी छेद में इनका औज़ार अंदर नहीं लूँगी. मुझे बहुत दर्द होता है. आप खुद ही इनका औज़ार अपने छेद में ले लो. नम्रता भाभी ने मुस्कुराते हुये कहा, मेरे अंदर लेने से क्या होगा. आख़िर तुम्हें भी तो इसका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लेना ही पड़ेगा. जैसे एक बार तुमने दर्द को सहन कर लिया है उसी तरह से एक बार और दर्द को सहन कर लेना. श्रुति ने नम्रता भाभी की चूत की तरफ इशारा करते हुये कहा, पहले तुम इनका औज़ार अपने इस छेद में अंदर ले कर दिखाओ. उसके बाद ही मैं इनका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लूँगी. नम्रता भाभी मेरा मुझे देखने लगी और मैं उनको. श्रुति बोली, क्यों अब क्या हुआ. आप मुझे फसा रही थी लेकिन मैने आप को ही फसा दिया. दिखाओ इनका औज़ार अपने छेद के अंदर लेकर. नम्रता भाभी ने कहा,अच्छा बाबा, अभी दिखा देती हूँ लेकिन उसके बाद तो तुम मना नहीं करोगी. वो बोली, पहले आप दिखाओ उसके बाद मैं इनका औज़ार अंदर ले लूँगी भले ही मुझे कितनी भी तकलीफ़ क्यों ना हो. नम्रता भाभी ने मुझसे कहा, देवर जी, श्रुति ऐसे नहीं मानेगी. अब तुम अपना औज़ार मेरे अंदर डाल ही दो. मैने कहा, श्रुति के सामने. श्रुति बोली, तो क्या हुआ. जब ये मुझे तुम्हारा औज़ार अंदर लेते हुये देखेगी तब ही तो ये तुम्हारा औज़ार अंदर लेगी.
नम्रता भाभी ने अपने कपड़े ऊतार दिये और श्रुति के बगल में लेट गयी. मैं नम्रता भाभी के पैरों के बीच आ गया तो नम्रता भाभी ने श्रुति से कहा, अब तुम बैठ जाओ और देखो की कैसे मैं इसका औज़ार पूरा का पूरा अंदर लेती हूँ. श्रुति नम्रता भाभी के बगल में बैठ गयी. मैने नम्रता भाभी की चूत में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया. धीरे धीरे मेरा पूरा का पूरा लंड नम्रता भाभी की चूत में समा गया. श्रुति आँखें फाडे देखती रही. उसके बाद मैने नम्रता भाभी की चुदाई शुरू कर दी. श्रुति मेरे लंड को नम्रता भाभी की चूत में सटा सट अंदर बाहर होते हुये देखती रही. 5 मिनिट की चुदाई के बाद नम्रता भाभी झड़ गयी तो श्रुति ने कहा, दीदी, तुम्हारे छेद में से क्या निकल रहा है. नम्रता भाभी ने कहा, ये मेरी चूत का पानी है. अब ये कई बार निकलेगा. जब ये तुम्हारी चूत में भी अपना लंड घुसा कर तेज़ी से अंदर बाहर करेगा तब तुम्हारी चूत में से भी ऐसा ही पानी निकलेगा. चूत से पानी निकालने पर बहुत मज़ा आता है. तुम खुद ही देख लो की मुझे कितना मज़ा आ रहा है. मैने नम्रता भाभी को लगभग 25 मिनिट तक खूब जम कर चोदा. श्रुति आँखें फाडे देखती रही. लंड का सारा पानी नम्रता भाभी की चूत में निकाल देने के बाद मैने अपना लंड बाहर निकाल लिया तो श्रुति बोली, तुम्हारे लंड पर तो ज़रा सा भी खून नहीं लगा है. मैने कहा, खून तो केवल पहली पहली बार घुसने में ही निकलता है. वो कुछ नहीं बोली. नम्रता भाभी ने श्रुति से कहा, अब तो तैयार हो इसका लंड अपनी चूत में लेने के लिये. वो बोली, हाँ,लेकिन दीदी, बहुत दर्द होगा. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | नम्रता भाभी ने कहा, पगली, केवल एक ही बार तो दर्द होगा. उसके बाद तो तू खुद ही इससे बार बार कहेगी की अपना लंड मेरी चूत में डाल दो. वो बोली, भला मैं ऐसा क्यों कहूँगी. नम्रता भाभी ने कहा, क्योंकी तुझे इसमें मज़ा जो आयेगा. मैं नम्रता भाभी के बगल में लेट गया. श्रुति मेरे लंड को देखती रही. थोड़ी देर बाद वो बोली, इनका लंड अब खड़ा क्यों नहीं हो रहा है. नम्रता भाभी ने कहा, अभी इसने मुझे चोदा है ना इसीलिये तू इसके लंड को सहलाना शुरू कर दे. थोड़ी ही देर में ये फिर से खड़ा हो जायेगा. नम्रता भाभी की चुदाई देख कर श्रुति को भी थोड़ा जोश आ गया था. उसने अपना हाथ धीरे से मेरे लंड पर रख दिया. थोड़ी देर तक वो मेरे लंड को देखती रही. उसके बाद उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया. 15-20 मिनिट के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. मैने देखा की उसकी आँखें कुछ गुलाबी सी होने लगी. लंड खड़ा होते देख श्रुति जोश में आ गयी और नम्रता भाभी से बोली, दीदी, अब तो इनका लंड खड़ा हो गया. नम्रता भाभी बोली, अब तू लेट जा. इतना कह कर नम्रता भाभी उठ कर बैठ गयी और श्रुति लेट गयी. नम्रता भाभी ने मुझसे कहा, तू मेरे साथ ज़रा बाहर आ. मै नम्रता भाभी के साथ बाहर आ गया. नम्रता भाभी ने कहा, इस बार श्रुति के ऊपर ज़रा सा भी रहम मत करना. पूरी ताक़त के साथ धक्का लगाते हुये पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देना. ज़्यादा देर भी मत करना. उसके बाद उसकी किसी दुश्मन की तरह खूब जम कर चुदाई करना. समझ गये. मैने कहा, ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा.

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The Author

गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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