गतांग से आगे … मामा ने मौके का फायेदा उठाया और मेरी गांड पर हाथ लगा सहलाया और पूचछा, “तेज़ है.” मैने फ़ौरन पैर नीचे किए तो मामा का हाथ मेरे चूतड़ के नीचे दब गया. मामा ने दूसरा हाथ मेरी एक चूची पर टच करते कहा, “पेट मैं है?” “नही मामा नीचे.” मेरी चूचियाँ तेज़ी से उच्छल रही थी. मामा जाल मैं आ रहे थे. “डॉक्टर बुलाए.” “नही मामा कभी कभी होता है. मम्मी होती तो ठीक हो जाता.” “कैसे?” “मम्मी मालिश कर देती हैं.” “वह तो देर से आएँगी. नीता दीदी कहाँ हैं” “वह सो रही है. मैं खुद कर लूँगी.” और शलवार का ज़रबंद ढीला करती बोली, “मामा थोड़ा सा तेल दे दीजिए.” शलवार ढीली होते देख मामा की आँखों मैं चमक आ गयी. जो अपनी सग़ी बेटी को चोद सकता था वह भांजी के साथ मिले मौके को क्यों छोड़ता. मैने हाथ शलवार के अंदर डाल दिया और चूत सहलाने लगी. मामा तेल लेने चले गये थे. मामा ने फायेदा उठाया. तभी मामा कटोरी मैं तेल लेकर आए तो मैं उनको देख शलवार मैं हाथ डाल हाए हाए करने लगी. “कुच्छ कम हुवा.” “नहिम्म्म मालिश से जाएगा.” “कोई बात नही मैं मालिश कर देता हूँ.” मामा मेरी चूचियों को घूर रहे थे. मेरी चाल फिट थी. मैं पेट पकड़कर लेती तो मामा कुर्सी पास ला उसपर बैठ बोले, “बताओ कहा लगाना है.” मैं तो यही चाह रही थी. मामा का चेहरा उसी तरह चमक रहा था जैसी अपनी लड़की को चोद्ते हुवे था. मैं चुप रही तो मामा ने कहा, “लगवा लो मैं कोई पराया नही हूँ.” मामा की बात सुन बोली, “पेडू पर मामा.” मामा ने तुरंत उंगली से तेल लेकर पेट पर लगाया. मुझे इतना मज़ा आया कि बिना शरम शलवार को नीचे कर पेडू नंगा करती शलवार को चूत पर रखा. मामा के लिए यह सिग्नल काफ़ी था. “यही कि और नीचे? “थोड़ा सा और नीचे मामा.”आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब मामा मेरी चूत से हाफ इंच ऊपर तेल लगा रहे थे. मैं मस्त थी. आँखें बंद थी. मामा मेरी चूत के बालो को टच कर रहे थे. मामा चूत पर की रेशमी झांतो को सहलाते बोले, “सावित्री दर्द का हुवा?” “थोड़ा थोड़ा.” मामा मेरी जवानी का मौसम देख मस्त थे. उन्होने हाथ से रान फैलाने का इशारा किया तो मैने दोनो पैरों के बीच जगह बना दी. मामा मेरी चूचियों को देख बहाल हो रहे थे और मौके का फायेदा उठाने के लिए हाथ को ऊपर चूचियों तक और नीचे रानो के जोड़ तक चला रहे थे. मुझको तो जवानी पागल बना चुकी थी. मैं तो दीदी की तरह मामा का केला खाने को बेताब थी. 4-5 बार दोनो चूचियों को नीचे से सहलाने के बाद मामा ने पूछा, “कम हुवा?” “हां मामा और लगाइए. दरवाज़ा बंद कर दीजिए कोई आ ना जाए.” अब मुझसे और नाटक नही किया जा रहा था. दोनो चूचियाँ मस्त थी और चूत भी फूल पिचाक रही थी. मामा मेरी कामुकता भाँप बोले, “मैं दर्द की वजह जान गया हूँ. यहा कोई नही आएगा.” “क्या वजह है मामा?” “शादी के बाद दर्द ठीक हो जाएगा. ऐसे लगते नही बन रहा है एक काम करो शलवार और नीचे कर लो.” मामा दोनो चूचियों को घूरते बोले और दरवाज़ा बंद कर दिया. मैने स्टाइल मैं पैर ऊपर किया तो शलवार चूतड़ से नीचे सरक गयी और मेरी चूत नीचे से नंगी हो गयी. मामा नंगी चूत देखते बोले, “चुदोगी तो एकदम ठीक हो जाओगी.” “मैं अंजान बन बोली, “तो करिए ना मामा.” मामा खुश हो फ़ौरन उठे और चूतड़ के नीचे तकिया लगा चूत उभारकर उसपर हाथ फेर बोले, “बहुत सही उमर पर मज़ा लोगि.” और उंगली से चूत के फाँक मैं तेल टपकाया. मैं कहा थी बता नही सकती. आँख बंद थी और चूचियाँ तनी थी. गांड के नीचे तकिया मज़ा दे रहा था. अब मैं भी ममेरी बहन की तरह मस्त मामा से चुदवाकर जवानी का असली मज़ा लेने को बहाल थी. मामा को यकीन था कि मैं उनको पूरा मज़ा दूँगी. “ज़रा चूतड़ ऊपर करो.” मामा ने हाथ से चूतड़ ठीक किया. “मैं तुम्हारा दर्द ठीक कर दूँगा.” “ओह्ह मामा दर्द.” और चूतड़ उठा मामा को शलवार खिसकाने का इशारा किया. मामा मौका देख शलवार को नीचे कर घुटनो तक ले आए तो मैं नंगी हो गयी चूत को हाथ से च्छूपा मामा को मस्त करने लगी. शायद इस तीन पाँच मैं मामा को मज़ा मिला. वह मेरी चूत पर रखी हथेली को हटाते बोले, “क़ायदे से हाथ हटाओ वरना हम ज़बरदस्ती लेंगे. हाए तुम तो एकदम तैय्यार हो.” फिर मामा ने शमीज़ के ऊपर से मेरी दोनो चूचियों को एक साथ मसला तो मैं जन्नत के मज़े मैं डूबती बोली, `हाए मामा मर गयी. हाए चोदो.” “क़ायदे से बात मानलो वरना ज़बरदस्ती हाथ पैर बाँधकर मज़ा लेंगे. हाए यह जवानी का दर्द है ठीक हो जाएगा.” और चूचियों को मसल्ने लगे तो मैं खुश होकर बोली, “नही मामा कोई देख लेगा.” मामा घुटने के बल बैठे तो उनके लंड का गरम और चिकना सूपड़ा सीधा तैल लगी चूत के छेद पर आया. मामा का फँफनाया लंड लूँगी के अंदर उभरा हुवा था और मेरी बाई रान पर सूपड़ा टच कर रहा था. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मामा ने एक हाथ को जो मेरी बाई चूची पर रखकर दबाते हुवे सूपदे को चूत के फाँक मैं दूसरे हाथ से पकड़कर चलाया तो मैं मदहोशी से भर मज़ा लेने के लिए चूतड़ उभारने लगी. मौसम मेरे मंन के अनुसार ही बदला था. मामा मेरी नंगी चूत की झलक देख पागला गये थे. इसी के लिए तो मैं ड्रामा कर रही थी. अब मैं यही सोच रही थी कि मामा जान ना पाए कि मैं चुदवाने को राज़ी(अग्री) थी. मामा को मेरे इसी इशारे का इंतेज़ार था. मामा ने सूपदे को उभर आई कुँवारी चूत पर जो रगड़ा तो मैं अपने आप कह उठी, “हाए मामा अच्छा लग रहा है.” “तू फिर शरमाओ नही और मज़ा लो. अपने हाथ से लंड पकड़कर सूपदे को फाँक मैं रगद्कर मज़ा लो. मैं दोनो चूचियों को दबाउन्गा तो और मज़ा आएगा. पगली मुझसे क्या शरमाना, मैं कोई पराया थोड़े हूँ. मैं तो तुम्हारा मामा हूँ. एक महीने मैं चोद्कर जवान कर दूँगा. बड़ी हो जाओगी कुच्छ ही दिन मैं. लो पकड़कर रागडो. नीता भी नही शरमाती है मुझसे.” मामा ने मेरे लेफ्ट हॅंड को पकड़कर अपने लंड पर रखा तो मैं चुपचाप लंड पकड़ सूपदे को चूत की फाँक मैं रगड़ने लगी और मामा दोनो हाथ से मेरी कच्ची चूचियों को मसल्ते हुवे मुझे जन्नत की सैर कराने लगे. सचमुच अब हमको बड़ा ही अनोखा मज़ा आ रहा था. मैं मज़े से भर मामा के मज़ेदार सूपदे को पूरी चूत पर रगड़ती मज़ा लेने लगी. कुच्छ देर तक मामा इसी तरह मज़ा देने के बाद मेरे निपल को उंगली से दबा बोले, “बोलो सावित्री मज़ा है ना?” “हां मामा करिए.” “करिए नही कहो मेरी चूत चोदिए तभी चोदुन्गा वरना जाओ रहने दो जाओ चड्डी पहनो. तुम बहुत शर्मा रही हो. हमको तुम्हारी जैसी बहुत मिलेंगी चोदने के लिए.” इतना कह मामा ने तो मेरे ऊपर मुसीबत ही ला दी. वह मेरे हाथ को अपने लंड से अलगकर बेड से उतर गये तो मैं घबराकर मामा से बोली, “नही मामा आईएना.” मामा का डंकी साइज़ टाइट लंड मैं अपनी कुँवारी चूत मैं लेने को उतावली हो उठी. मामा ने अपने लंड को पकड़कर मेरे सामने किया और बोले, “तुम्हारी जैसी लौंडिया को चोद्कर मस्त कर देगा मेरा लंड. दूसरे से चुदवायेगि तो मज़ा नही आएगा. मैं तो तुमको अपना समझकर मज़ा देना चाह रहा था पर तुम तो नखरे कर रही हो.” “नही मामा हाए.” तो मामा मेरी चूचियों को मसलकर प्यास दबाते बोले, “कमरा बंद है. बात मनोगी तो दोनो को मज़ा आएगा.” “जज जी मामा हाए पहले चोदो ना .” इसपर मामा ने चूचियों को छोड़ दिया और बेड पर बैठ गये. मामा ने मेरे नंगे चूतड़ और चिकनी रानो के बीच की चूत पर जो हाथ फेरा था उससे मैं मज़े से नहा गयी थी और तड़प के साथ बोली, “हाए मामा डर लगता है.” मामा ने मेरी चिकनी चूत को उंगली से दबाते हुवे कहा, “पूरी जवान हो गयी हो बात मनलो खूब मज़ा आएगा. हम तेल लगाकर खूब प्यार से लेंगे. ज़रा भी तकलीफ़ नही होगी. हाए क्या माल है तेरा.” इतना कह मामा मेरी जवानी को और तड़पाने के लिए मेरे चूतड़ की ओर मुँह करके लेटे और फ़ौरन जीभ से मेरी मस्ताई कचौरी सी चूत को चाटने लगे. चाटते ही मेरी कच्ची जवानी एकदम से गदरा गयी. अभी तक मामा के साथ जितना मज़ा आया था मुँह से चूत चटवाने का मज़ा सबसे बेहतरीन था. मैं अपनी चाल मैं कामयाब थी. मामा कुत्ते की तरह चूतड़ की ओर से मेरी चूत को लापर लापर चाट रहे थे और मैं जन्नत मैं पहुँचकर चुपचाप चूत चटवाती लड़की होने का मज़ा ले रही थी. शायद किसी लड़की को मस्त करने का मेरे चालू मामा का यह रामबाण था. अब मैं मज़ा पाकर पूरी रज़ामंदी से चुद्वकर जवान होने को तैय्यार थी. मामा की जीभ करेंट लगा रही थी. वह चूत चाट ही रहे थे साथ साथ मेरे गुदाज़ गांड को भी चाटते जा रहे थे. अब मैं चुपचाप चटवा रही थी. कुच्छ देर चाटने के बाद मामा ने हमे मस्त पाया तो प्यार से मेरे चूतड़ दबा मेरे सेब से गाल को चूमते एक चूची दबाते बोले, “सावित्री मज़ा आ रहा है ना?” “हां मामा.” “और चाटें?” “हां मामा.” “अच्छा लग रहा है?” “जी बहुत.” “अब शरमाओगी?” इसपर मैं बेताबी से भर बोली, “नही मामा अब नही शर्माउन्गि. मामा आओ ना.” मामा मेरी चूचियों को दबा मज़ा वापस करते बोले, “तो कहो, चोदो.” “हाए मामा चोदो ना.” “सावित्री चुदाइ मैं खुलकर बात करने से मज़ा ज़्यादा आता है. अब शरमाना नही और खुलकर बोलना.” मैं तो पहले ही खुलकर मज़ा लेना चाहती थी. मामा की बात सुन बोली, “ठीक है मामा आओ चोद कर फाड़ दो अपनी कुँवारी जवान भांजी की चूत.” “जाओ पेशाब करके चूत को कपड़े से ड्राइ कर तेल लगाओ.” मामा ने चूतड़ पर हाथ फैर्कर कहा तो मैं जन्नत का मज़ा लूटने के लिए एकदम बहाल हो तड़प के साथ उठी और कमरे से बाहर आ पेशाब करने लगी. चूत एकदम लाल थी और चूत के लहसुन बाहर थे. चूचियाँ शमीज़ से बाहर थी. मूतकर शलवार से चूत पोंछती मामा के पास आई तो मामा दोनो निपल पकड़कर बोले, “अब शरमाओगी सावित्री?” “नही मामा.” “घर मैं यह कपड़े नही पहना करो. स्कर्ट और शर्ट पहनना और चड्डी भी नही.” “जी मामा.” “इन कपड़ो मैं चुदवाने मैं आराम रहता है. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | हाए कितनी छोटी छोटी चूचियाँ है. जब बड़ी कर्वाओगि तभी मज़ा आएगा.” “हाए मामा कैसे होंगी बड़ी.” “दबाने से होंगी.” “दबाइए मामा खूब मसालिए.” “तो थोड़ा तेल लंड पर लगाओ.” “जी.” मामा लंड को सामने कर बेड पर बैठ गये तो मैं हाथ मैं तेल ले उनके लंड पर लगाने लगी. मामा तेल लगवाते हुवे बोले, “आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |” कहा मनोगी तो रात मैं अपने पास सुलाया करेंगे. रोज़ रात मैं चोदेन्गे. बड़ी हो जाओगी तो किसी से भी चुदवाने मैं तकलीफ़ नही होगी.” “जी मामा.” “चाटने मैं मज़ा आया था?” “हां मामा बहुत.” मुझे मामा के टाइट गरम लंड पर तेल लगाने मैं भी मज़ा आ रहा था. चोदने के नाम से पूरा बदन मचल जाता था. “अब अपनी चूत पर तेल लगाकर पहले की तरह तकिये पर गांड रखकर तैय्यार हो जाओ मैं अभी आया.” “चोद दीजिए मामा तब जाइए.” मैं तड़प के साथ चूत पर तेल लगाती बोली. “अभी आ रहा हूँ. प्यार से चुदवाओ. मेरे कहने पर चलॉगी तो जितनी बार कहोगी उतनी बार चोदेन्गे. लेटो आता हूँ.” मैं अब मज़ा पाने के लिए अपने मामा की हर बात मानने को तैय्यार थी. मैं चूत को उभार टाँग सिकोडकर गांड को तकिये पर रख लेटी मामा का वेट करने लगी. दो मिनिट बाद मामा आए और पहले की तरह बैठ जो चूत के छेद पर सूपड़ा लगाया तो मैं मज़े से भर बोली, “मज़ा आ रहा है मामा.” “रात मैं तुमको ज़्यादा मज़ा आएगा. रात मैं दो का मज़ा आएगा.” “कैसे मामा? क्या दो लड़के होंगे रात मैं?” “नही रात मैं दो लड़कियाँ होगी.” “हाए मामा कौन?” “डरो नही उसके साथ तुमको ज़्यादा मज़ा आएगा.” मैं समझ गयी कि रात मैं नीता दीदी के साथ चोदेन्गे पर मैं अंजान बनती बोली, “हाए मामा अब चोदो ना.” “टाँग ऐसे ही फैलाए रहना.” और इसके साथ ही मामा मेरी दोनो चूचियों को कसकर दबाते हुवे अपने चूतड़ को उठा-उठाकर मेरी चूत मैं डालने लगे. जब चूत के छेद मैं मामा का सूपड़ा जाता तो मैं होंठ भीचकर सस्स्सीए सस्सीए करने लगती. 3-4 बार मामा ने थोड़ा सा सूपड़ा घुसेड कर निकाल लिया. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | सूपड़ा बाहर आते ही मैं तड़प के साथ बोली, “हाए मामा डालिए.” चौथी बार मैं मामा ने झटके के साथ पेला तो मैं कराह उठी. मामा का आधा लंड मेरी चूत मैं घुस गया था. मैं एक बार तड़प गई फिर कसमसा कर शांत हो गयी. अब तो हमको चूत के अंदर गया मामा का लंड ग़ज़ब का मज़ा दे रहा था. मैं खुद मामा से बोली, “चोदो मामा अब दर्द नही है.” इस पर मामा एक धक्के के साथ पूरा घुसेड कर मेरी एक चूची को चूस्ते हुवे आँख बंदकर मेरी कुँवारी चूत मैं सक्क सक्क डालने निकालने लगे. मैं चूची पिलाती मस्ती से चुदवाति कुँवारी चूत की पहली चुदाई का मज़ा लेती रात मैं मिलने वाले मज़े का बारे मैं सोचने लगी इसका मतलब मामा दीदी के साथ मेरी चुदाई करेंगे सोचने लगी. मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी मुझे जरुर बताना | समाप्त
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